ईश्वर दुबे
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Bhilai
पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो के पास हिंसक झड़प के दो महीने बाद भी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर संघर्ष की स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। घटनाक्रम से परिचित लोगों ने कहा कि शीर्ष सैन्य कमांडरों ने रविवार को संघर्ष के डी-एस्केलेशन पर काम करने पर सहमति जताई है जिसके बाद गतिरोध का कोई संकेत नहीं दिखा।
नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर घटना से परिचित एक शख्स ने बताया कि न तो जमीन पर कुछ भी बदला है और न ही जल्द ही ऐसा कुछ होने की उम्मीद है। क्षेत्र में संघर्ष के डी-एस्केलेशन पर सैनिकों का कोई विघटन नहीं हुआ है।
दो महीनों में दोनों सेनाओं के बीच शत्रुता बढ़ी, दोनों पक्षों द्वारा आक्रामक मुद्रा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश जैसे अन्य क्षेत्रों में फैल रही है और बिना किसी सफलता और तनाव के कई दौर की सैन्य और राजनयिक स्तर की वार्ता हुई।
दोनों देशों की सेनाओं के बीच लद्दाख में एलएसी पर करीब दो महीने से टकराव के हालात बने हुए हैं। छह जून को हालांकि दोनों सेनाओं में पीछे हटने पर सहमति बन गई थी लेकिन चीन उसका क्रियान्वयन नहीं कर रहा है। इसके चलते 15 जून को दोनों सेनाओं के बीच खूनी झड़प भी हो चुकी है। इसके बाद दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बात हुई है तथा 22 जून को सैन्य कमांडरों ने भी मैराथन बैठक की।
15 जून की घटना के बाद से भारत ने 3,488 किलोमीटर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अपने विशेष युद्ध बलों को तैनात किया है, जो कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के पश्चिमी, मध्य या पूर्वी सेक्टरों में किसी भी प्रकार के हमले से जूझ सकते हैं। शीर्ष सरकारी सूत्रों ने पुष्टि की है कि भारतीय सेना को पीएलए द्वारा सीमा पार से किसी भी हरकत का आक्रामकता से एलएसी पर जवाब देने का निर्देश दिया है।