भारत की सबसे खतरनाक मिसाइल का सफल परीक्षण, 4300 KM रफ्तार से करेगी हमला Featured

भारत ने अपनी सबसे खतरनाक ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के लैंड अटैक वर्जन का सफल परीक्षण किया है. इस मिसाइल का परीक्षण 24 नवंबर यानी आज सुबह 10 बजे अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के एक अज्ञात द्वीप से किया गया. मिसाइल से इस द्वीप समूह के एक अन्य वीरान द्वीप पर लगाए गए टारगेट को ध्वस्त किया गया. मिसाइल ने तय समय में अपने टारगेट को नेस्तानाबूत कर दिया. 
सोशल मीडिया पर भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) को बधाइयां मिलने लगी हैं. लोग डीआरडीओ के रक्षा वैज्ञानिकों की इस सफलता की तारीफ कर रहे हैं. चीन से करीब 8-9 महीने से सीमा विवाद और तनातनी के बीच पिछले कुछ दिनों में भारत ने कई मिसाइलों, टॉरपीडो, एंटी-मिसाइल सिस्टम आदि का सफल परीक्षण किया है. आज हुए परीक्षण का मकसद था मिसाइल के रेंज को बढ़ाना. जमीन से जमीन पर मार करने वाली इस मिसाइल की रेंज को बढ़ाकर 400 किलोमीटर किया गया है. 
ब्रह्मोस मिसाइल 28 फीट लंबी है. यह 3000 किलोग्राम वजन की है. इसमें 200 किलोग्राम के पारंपरिक और परमाणु हथियार लगाए जा सकते हैं. यह 300 किलोमीटर से 800 किलोमीटर तक की दूरी पर बैठे दुश्मन पर अचूक निशाना लगाती है. इसकी गति इसे सबसे ज्यादा घातक बनाती है. यह 4300 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से हमला करती है. यानी 1.20 किलोमीटर प्रति सेकेंड. इसके छूटने के बाद दुश्मन को बचने का या हमला करने का मौका नहीं मिलता.  
आपको बता दें कि हाल ही में एक खबर आई थी जिसमें कहा गया था कि वियतनाम भारत की सबसे खतरनाक मिसाइल खरीदना चाहता है. इसके लिए अब तक बाधा थी रूस की सहमति, क्योंकि इस मिसाइल को रूस और भारत ने मिलकर बनाया है. लेकिन अब रूस ने इस मिसाइल के निर्यात की अनुमति दे दी है. अब भारत की ये शानदार मिसाइल वियतनाम में तैनात हो सकेगी. इससे दक्षिण चीन सागर में चीन को थो़ड़ा संभलकर रहना होगा.  
ब्रह्मोस के निर्यात की अनुमति ऐसे समय मिली है जब चीन के पड़ोसी देश वियतनाम ने भारत से यह मिसाइल खरीदने की इच्छा जताई है. वियतनाम भारत से ब्रह्मोस और आकाश एयर डिफेंस मिसाइलें लेना चाहता है. अगर डील हुई तो वियतनाम ये दोनों मिसाइलें अपने देश की सुरक्षा के लिए तैनात कर देगा. इससे चीन का खौफ दक्षिण चीन सागर और उसके आसपास के इलाके में कम होगा. साथ ही वियतनाम के साथ भारत का संबंध और मजबूत होगा. अगर यह डील होती है तो भारत को अगले पांच साल में 5 अरब डॉलर का निर्यात करना होगा. ब्रह्मोस के एक अधिकारी ने मॉस्को में बताया था कि अनुमति देने का कदम भारत और रूस के सामरिक रिश्तों और रक्षा सहयोग को नई ऊचाइंयों पर ले जाएगा. साल 2018 में तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कहा था कि दुनिया के कई देश भारतीय मिसाइल खरीदने के इच्छुक हैं. कई देशों ने भारतीय मिसाइलों में अपनी रुचि दिखाई है. इनमें से वियतनाम भारत से ब्रह्माोस मिसाइल खरीदना चाहता है. 
चीन से परेशान तटीय देशों ने करीब एक दशक पहले ही भारत से आग्रह किया था कि वह उन्हें ब्रह्मोस मिसाइल दे. हालांकि चीन ने भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार आदि को कई तरह के संवेदनशील हथियारों का निर्यात कर भारत की सुरक्षा पर आंच डाली है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. 

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