ईश्वर दुबे
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Bhilai
नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों के लागू होने पर रोक लगा दी है. अदालत ने सरकार-किसान संगठनों के बीच विवाद निपटाने के लिए जिस कमेटी का गठन किया, उसपर भी रार छिड़ गई है. किसान संगठनों का आरोप है कि कमेटी में शामिल चारों लोग पूर्व में कानूनों का समर्थन कर चुके हैं. ऐसे में अब किसान किस प्रकार कमेटी के सामने अपनी बात रखते हैं और आंदोलन किस ओर रुख करता है, कांग्रेस ने भी कमेटी के सदस्यों को लेकर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो चिंता जाहिर की उसका हम स्वागत करते हैं. लेकिन जो चार सदस्यीय कमेटी बनाई वो चौंकाने वाला है. ये चारों सदस्य पहले ही काले कानून के पक्ष में अपना मत दे चुके हैं. ये किसानों के साथ क्या न्याय कर पाएंगे ये सवाल है? रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, 'ये चारों तो मोदी जी के साथ खड़े हैं. ये क्या न्याय करेंगे. एक ने लेख लिखा. एक ने मेमेरेंडम दिया. एक ने चिट्ठी लिखी, एक पेटीशनर है.'
कमेटी पर उठ रहे सवालों के बीच शतकरी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवंत ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बनाने का फैसला किया है, किसानों का आंदोलन पिछले 50 दिनों से जारी है और इस दौरान कई किसान शहीद हुए हैं. लेकिन इस आंदोलन को कहीं तो रुकना चाहिए और किसानों के हित में कानून बनाना चाहिए. 'आजतक' से बातचीत में किसान नेता ने कहा कि अगर नए कृषि कानून किसानों को मंजूर नहीं है तो सरकार को इसमें सुधार करना चाहिए.
कमेटी पर छिड़ी रार के बीच किसानों ने अपनी लड़ाई जारी रखने की बात कह दी है. बुधवार को लोहड़ी के मौके पर किसान संगठनों द्वारा कृषि कानून की प्रतियां जलाई जाएंगी. साथ ही 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के दिन शांति से ट्रैक्टर रैली निकालने की बात कही है. हालांकि, इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी किसानों को नोटिस थमाया है.
कांग्रेस पार्टी की ओर से भी किसानों का पुरजोर समर्थन किया गया है और सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी की आलोचना की गई है. कांग्रेस ने किसानों की ट्रैक्टर रैली के समर्थन का भी ऐलान किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिन कृषि कानून पर जारी विवाद निपटाने के लिए चार सदस्यों की कमेटी बना दी. इस कमेटी में किसान नेता भूपिंदर सिंह मान, कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, कृषि विशेषज्ञ डॉ. अशोक गुलाटी और महाराष्ट्र के किसान नेता अनिल घनवंत शामिल हैं. लेकिन किसान नेताओं का कहना है कि ये सभी कानून का समर्थन कर चुके हैं, ऐसे में रिपोर्ट सरकार के पक्ष में ही आएगी.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी को अगले दस दिनों में अपनी पहली बैठक करनी होगी. बैठक के दो महीने के भीतर सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी. कमेटी हर पक्ष से बात करेगी और सीधे सर्वोच्च अदालत को ही रिपोर्ट करेगी.