ईश्वर दुबे
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Bhilai
निर्भया के दोषियों को अब फांसी का फंदा करीब आते दिखने लगा है। शायद इसी वजह से एक दोषी इतना घबरा गया है कि अजीबोगरीब बातें करना लगा है। दोषी अक्षय कुमार सिंह ने फांसी से बचने के लिए बेतुके तर्क दिए हैं। उसका कहना है कि दिल्ली में प्रदूषण की वजह से वैसे ही लोग मर रहे हैं, फिर फांसी की क्या जरूरत है? अक्षय कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा के खिलाफ जो पुनर्विचार याचिका दायर की है, उसमें यह तर्क दिया गया है। वह यहीं पर नहीं रुका बल्कि मौत सामने देख उसे सतयुग-कलियुग से लेकर गांधी जी तक याद आ गए हैं।
उसका कहना है कि दिल्ली तो गैस चैंबर बन चुकी है। दिल्ली में प्रदूषण की वजह से वैसे ही लोगों की उम्र कम हो रही है, तब हमें फांसी क्यों दी जा रही है? इतना ही नहीं उसने अपनी याचिका में दुनिया के कई सिद्धांतों के साथ सतयुग-कलियुग और महात्मा गांधी का भी जिक्र किया है।
एडवोकेट एपी सिंह के हवाले से दायर याचिका में कहा गया, 'हर किसी को पता है दिल्ली एनसीआर में हवा और पानी की हालत क्या है। जिंदगी छोटी होती जा रही है, फिर मौत की सजा क्यों?'
गैस चैंबर बनी दिल्ली
अक्षय कुमार ने अपनी याचिका में दलील दी है कि दिल्ली की एयर क्वालिटी लगातार खराब हो रही है। राजधानी गैस चैंबर बन चुकी है। यहां तक कि दिल्ली के पानी में भी जहर घुला हुआ है।
कलयुग में उम्र बस 50-60 साल
अक्षय ने अपनी याचिका में वेद पुराण और उपनिषद का भी हवाला दिया। उसने कहा कि सतयुग में लोग हजारों साल तक जीते थे। त्रेता युग में भी आदमी हजार साल तक जीता था। मगर कलयुग में आदमी की उम्र 50-60 साल तक रह गई है। कम ही लोग हैं, जो 80-90 तक पहुंच पाते हैं। कड़वी सच्चाई और विपरीत परिस्थितियों से गुजरते वक्त एक लाश से ज्यादा नहीं रहता। पिछले साल नौ जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया मामले में तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिका खारिज की थी। मगर चौथे आरोपी अक्षय ने पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं की थी।