ईश्वर दुबे
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Bhilai
नई दिल्ली। कोरोना वायरस से विश्वव्यापी लड़ाई के बीच भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। उसने बर्फबारी का फायदा उठाकर अपने आतंकियों को भारतीय सीमा में घुसपैठ कराने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना के वीर जवानों ने उनके खतरनाक मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया और उन्हें मार गिराया। <br>
स्पेशल फोर्स और आतंकियों के बीच यह आमने-सामने की लड़ाई भारी बर्फबारी के बीच 10 हजार फीट की ऊंचाई पर कश्मीर के केरन सेक्टर में हुई, जिसमें भारतीय सैनिकों ने पांच आतंकी मार गिराए। इस संघर्ष में हमारे 5 जवान भी शहीद हुए। ये जवान सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल रही 4 पैराशूट रेजिमेंट के थे। 4 पैराशूट रेजिमेंट के पांच जवानों ने अपना बलिदान देकर सशस्त्र घुसपैठियों की साजिश को नाकाम कर दिया। उससे पहले कि वे कोई बड़ा नुकसान करते, शनिवार को एक छोटे से संघर्ष में भारतीय जवानों ने सभी घुसपैठियों को मार गिराया। इस कार्य को अंजाम देने वाले पांचों सैनिक उस स्पेशल फोर्स का हिस्सा थे जिसने सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था।
इस ऑपरेशन में एलओसी लांघकर भारत में प्रवेश करने वाले पांचों पाक आतंकी मारे गए, लेकिन इस आपरेशन में भारतीय जवान भी गंभीर रुप से घायल हो गए, जिन्हें तुरंत मिलिट्री हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। स्पेशल फोर्स के जवानों को जैसे ही आतंकी घुसपैठ की सूचना मिली, उन्हें एयरलिफ्ट कर आतंकियों के एकदम नजदीक पहुंचाया गया।
यह लड़ाई इतनी नजदीक से हुई है कि एक जवान का शव ठीक उस आतंकी की बगल में मिला जिसे उसने मारा था। घायल जवानों में से दो को हॉस्पिटल पहुंचाया गया था, लेकिन दोनों जवानों ने अस्पताल पहुंचकर दम तोड़ दिया। वहीं तीन भारतीय जवान युद्ध स्थल पर ही शहीद हुए। इस तरह इस आपरेशन में कुल पांच भारतीय जवान शहीद हो गए। केरन सेक्टर में घुसपैठ की तस्वीरें एक मानवरहित एरियल वेहिकल से लेने के बाद ही ऑपेरशन को अंजाम दिया गया था।
इस इलाके में भारी बर्फबारी और खराब मौसम की वजह से रेगुलर आर्मी यूनिट को भेजने में समस्या आ रही थी, इसलिए शनिवार के दिन घुसपैठियों की तलाश के लिए स्पेशल फोर्सेज को भेजा गया था। घुसपैठियों को मार गिराने के लिए स्पेशल यूनिट के दो स्क्वैड तैनात किए गए थे। खराब दृश्यता और बर्फबारी के बीच ऑपेरशन को अंजाम दिया जाना तय हुआ।
सूत्रों के अनुसार सूबेदार संजीव कुमार के नेतृत्व वाले स्क्वॉड ने आतंकियों के पदचिन्हों को पहचानकर उनका पीछा किया था। इसी बीच चलते-चलते स्क्वॉड के तीन जवान बर्फ में धंस गए। इत्तिफाक से आतंकी भी वहीं छिपे हुए थे। चूंकि आतंकियों को सेना के आने की आहट मिल गई थी, इसलिए वे पूरी तरह तैयार थे। उन्होने निकज जाते ही सेना के जवानों पर फायर खोल दिया।
स्क्वॉड के जवानों ने अपनी जान की बाजी लगाते हुए आतंकियों से लोहा लिया। अपने तीन जवानों को एकदम नजदीक की लड़ाई में फंसा देख कर बाकी दो जवान भी उसी जगह कूद गए। यह बिल्कुल आमने-सामने की लड़ाई थी। संघर्षरत जवानों और आतंकियों के बीच मुश्किल से कुछ फुट की जगह रही होगी। जवानों ने बर्फ में धंसने के बावजूद जमकर लड़ाई लड़ी। सैन्य संघर्ष के इतिहास में इस तरह की हैंड टु हैंड लड़ाइयां बहुत कम होती हैं। ज्यादातर मुठभेड़ एक निश्चित दूरी से ही होती हैं।