ईश्वर दुबे
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Bhilai
अस्पताल में भर्ती कराए जाने से पहले बंग्ला फिल्मों के अभिनेता सौमित्र चटर्जी ने अपनी ‘बायोपिक’ की शूटिंग पूरी कर ली थी। यह अलग बात है कि उनके जीवन पर आधारित ‘डॉक्यूमेंट्री’ की शूटिंग अधूरी रह गई। सौमित्र ने 2012 में बताया था कि, …सत्यजीत रे का मुझ पर बहुत प्रभाव था। मैं कहूंगा कि वे मेरे शिक्षक थे।अगर वे वहां नहीं होते तो मैं यहां नहीं होता। उन्होंने मृणाल सेन, तपन सिन्हा और तरुण मजूमदार जैसे दिग्गजों के साथ भी काम किया।
बॉलीवुड से कई ऑफर के बावजूद उन्होंने कभी वहां का रुख नहीं किया क्योंकि उनका मानना था कि इससे अपने अन्य साहित्यिक कामों को करने के लिए उनकी आजादी खत्म हो जाएगी। योग के शौकीन चटर्जी ने दो दशकों से भी ज्यादा समय तक एकसान पत्रिका का संपादन भी किया। चटर्जी ने दो बार पद्मश्री पुरस्कार लेने से भी इनकार कर दिया था और 2001 में उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार लेने से भी मना कर दिया था।मार्च में लागू हुए लॉकडाउन के चलते उनकी बायोपिक ‘अभिजान’ की शूटिंग का एक हिस्सा पूरा हुआ था और सभी सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए शूटिंग की अनुमति दिए जाने के बाद उन्होंने कोलकाता में दो स्थानों पर शेष तीन दिनों का काम पूरा कर लिया था।
‘अभिजान’ 1962 में रिलीज हुई सत्यजीत रे की फिल्म का भी नाम था, जिसमें चटर्जी ने टैक्सी चालक की भूमिका निभाई थी। प्रोडक्शन टीम के एक सदस्य ने बताया, ‘शूटिंग के दौरान वह अपने ही अंदाज में रहे। उनकी कमिटमेंट सराहनीय थी। अभिनेता -डायरेक्टर परमब्रत चटर्जी बायोपिक बना रहे थे, जिसमें जीशू सेनगुप्ता ने युवा सौमित्र की भूमिका निभाई है जबकि जीवन के बाद के चरण की भूमिका उन्होंने खुद निभाई है। दादा साहेब फाल्के पुरस्कार विजेता ने अपने जीवन के विविध पक्षों पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाने पर भी सहमति दी थी। इसकी शूटिंग सितंबर के अंतिम हफ्ते में शुरू हुई थी। डॉक्यूमेंट्री’ के कुछ हिस्से की शूटिंग 7 अक्टूबर को तय थी, लेकिन उससे एक दिन पहले ही उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।