ईश्वर दुबे
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भोपाल। किसानों को आत्मनिर्भर बनाने एवं उन्हें सरकारी सेवायें एवं वित्तीय सहायतायें रियायती दरों पर प्रदान करने के लिये नया तकनीकी ज्ञान सिखाया जाएगा। उत्पादक सहकारी संस्था को मजबूत बनाने के लिए सहकारी संगठन बनाए जाएंगे ।ये संगठन कृषि सेवाओं की उपलब्धता, विपणन, नई तकनीकों को अंगीकार करने के लिये बनाये जायेंगे।प्रदेश में किसान उत्पादक सहकारी संस्थायें यानि एफपीओ बनाने के लिये सहकारिता आयुक्त एमके अग्रवाल ने नये निर्देश जारी किये हैं।
सहकारिता आयुक्त ने सभी जिलों के सहकारिता संयुक्त आयुक्तों, उपायुक्तों/सहायक आयुक्तों को छह बिन्दुओं पर निर्देश जारी किये हैं।
एक, सदस्य संख्या के अंतर्गत सहकारिता अधिनियम के तहत एफपीओ का पंजीयन किया जाये तथा इसमें कम से कम 21 सदस्य विभिन्न परिवार के हों। तीन सौ सदस्य बनाने पर केंद्र की योजनाओं का भी लाभ मिल सकेगा।
दो, कार्यक्षेत्र के अंतर्गत एफपीओ का कार्यक्षेत्र सीमित कुछ चयनित ग्रामों तक रखा जाये तथा एक समान एफपीओ के कार्यक्षेत्र में अन्य एफपीओ का पंजीयन नहीं किया जाये। तीन, अंशपूंजी के अंतर्गत प्रत्येक सदस्य न्यूनतम सौ रुपये शेयर केपिटल देगा एवं प्रवेश शुल्क के रुप में दस रुपये देगा। सदस्यों की सहमति से अंशपूंजी में वृध्दि भी की जा सकेगी। चार, कार्य योजना के अंतर्गत प्रत्येक एफपीओ की कार्य योजना बनवाई जाये तथा कार्य योजना के निर्माण हेतु कृषि, उद्यानिकी, पशुुपालन आदि से संबंधित विभागों एवं विशेषज्ञों की सहायता भी ली जा सकेगी। पांच, सदस्यों की पात्रता के अंतर्गत एफपीओ में सदस्य बनने वाले किसान के पास न्यूनतम एक एकड़ कृषि भूमि का स्वामित्व होना जरुरी होगा तथा उसे खसरे की नकल भी लगाना होगी। साथ ही परिचय के रुप में आधार कार्ड, स्वयं का फोटोग्राफ आदि निर्धारित प्रपत्र में देना होगा। इक्विटी शेयर का लाभ प्राप्त करने के लिये कुल सदस्यों में 50 प्रतिशत लघु सीमान्त कृषक, महिला कृषक को भी सदस्य बनाया जाये। छह, अन्य प्रक्रियाओं एवं पात्रताओं के अंतर्गत समय-समय पर केंद्र/राज्य सरकार द्वारा जारी निर्देशों का पालन कराया जाये।
उल्लेखनीय है कि देश में कई किसान उत्पादक संगठन कंपनी फॉर्म में भी बने हुये हैं तथा प्रदेश सरकार चाहती है कि प्रदेश में इनका स्वरुप सहकारी संगठन के स्वरुप में हो। वर्तमान में उत्तर भारत में जमकर चल रहे किसान आंदोलनों के चलते शिवराज सरकार ने सहकारिता के क्षेत्र में एफपीओ बनाने की पहल की है जिससे किसानों को अधिक से अधिक कृषि संबंधी सेवायें और वित्तीय सहायतायें मिल सकें।