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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम जी रंजन ने कौशल विकास के जरिए मानव पूंजी में सुधार की पुरजोर वकालत करते हुए कहा है कि दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे ज्यादा रोजगार सृजन के दबाव का सामना कर रही है।

पेनसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के सहायक प्रोफेसर रोहित लांबा और उनके द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गई पुस्तक 'ब्रेकिंग द मोल्ड: रीइमेजिनिंग इंडियाज इकोनॉमिक फ्यूचर' के बारे में बात करते हुए राजन ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत में से एक इसकी 1.4 अरब की मानव पूंजी है और अब सवाल यह है कि आप इसे मजबूत कैसे बनाएंगे?

पूर्व आरबीआई गवर्नर ने आरक्षण पर दिया ये बयान

अमेरिका के शिकागो बूथ में वित्त विभाग के प्रोफेसर राजन ने कहा कि देश को विकास के पथ पर चलते हुए हर स्तर पर रोजगार सृजन की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'नौकरियां सबसे महत्वपूर्ण दबाव बिंदु हैं। अगर हमारे पास निजी क्षेत्र में कई और नौकरियां दिखाई दे रही होतीं, तो क्या आरक्षण पर इतना दबाव होता? उन्होंने खेद व्यक्त किया कि राज्य अपने निवासियों के लिए नौकरियों को आरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं, जो एक चिंताजनक प्रवृत्ति है।

उन्होंने कहा कि यह इस तथ्य की ओर से इशारा करता है कि हम नौकरियां प्रदान नहीं कर रहे हैं। मैं कहूंगा कि यह प्राथमिक चिंता का विषय है। राजन ने पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में कहा, "हम एकजुट देश हैं। आप अपने राज्य में राज्य के लोगों के लिए नौकरियां आरक्षित नहीं कर सकते। यह सभी के लिए उपलब्ध होना चाहिए। हमें एक-दूसरे के पलायन से बहुत फायदा हुआ है।

मानव पूंजी में सुधार की वकालत करते हुए उन्होंने कहा, "अगर हम सुशिक्षित हाई स्कूल स्नातक तैयार करते हैं, अगर हम उनमें से कुछ को व्यावसायिक प्रशिक्षण में ले जाते हैं तो अगले छह महीने से एक साल में बहुत सारी नौकरियां पैदा हो सकती हैं और देश को रोजगार पैदा करने के लिए 10 साल तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा।"

एक उदाहरण देते हुए राजन ने कहा, "एक जगह जहां हमारे पास कर्मचारियों की भारी कमी है, वह है स्थानीय सरकार, आंशिक रूप से क्योंकि वे बहुत कुछ नहीं करते हैं। आपको उन कार्यों में सुधार करने की आवश्यकता है जो उन्हें करना है।"

मानव पूंजी में सुधार से नौकरियों की जरूरत होंगी पूरीः रघुराम राजन

राजन ने आगे कहा, "अगर हम मानव पूंजी में सुधार करते हैं, तो आज की सबसे बड़ी समस्या, जिन नौकरियों की हमें जरूरत है, वे अपने आप आ जाएंगी... यदि आप कार्यबल की गुणवत्ता में भी सुधार करते हैं, तो कंपनियां भारत आएंगी। हम लगातार उद्यमियों से सुनते हैं (कि उन्हें) अच्छे श्रमिक मिलने को लेकर संदेह है।" उन्होंने कहा कि कौशल प्रदान कर के औसत स्तर की नौकरियों को अच्छी नौकरियों में बदला जा सकता है। उन्होंने कहा, 'इसलिए यह वास्तव में इस बारे में है कि हम लंबा दृष्टिकोण अपनाकर ऐसा कैसे करते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसा करने के हम 2047 में एक ऐसी आबादी का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं जिसकी उच्च मध्यम आय हो सकती है। राजन ने विकेंद्रीकरण और लोकतांत्रिक संस्थानों में सुधार पर ध्यान देने के साथ शासन में सुधार की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, 'हमें शासन में सुधार की जरूरत है। जिसका मतलब है कि हमे लोकतंत्र के निर्माण और विकेंद्रीकरण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। अच्छे विकेंद्रीकरण का एक उदाहरण एक ऐसा दैनिक प्रशासन है जिसे गरीबों और मध्यम वर्ग को शिक्षा, मोबाइल ऐप क्लीनिक आदि जैसी सामाजिक सेवाएं प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

उन्होंने कहा कि भारत को मजबूत लोकतंत्र की जरूरत है, कमजोर लोकतंत्र की नहीं, इसके अलावा वितरण को मजबूत करने और अधिक समावेशी बनने के अलावा हमारे सभी लोगों को अपने साथ लेकर चलने की जरूरत है। हमें लोगों, उद्यमियों के लिए अवसर पैदा करने की जरूरत है।

 

एयरलाइन कंपनी स्पाइसजेट ने आज रेगुलेटरी फाइलिंग में बाताया कि वो शेयर बेचकर 2,250 करोड़ रुपये जुटाएगी। इसके लिए स्पाइसजेट के बोर्ड ने निजी प्लेसमेंट के आधार पर इक्विटी शेयर/इक्विटी वारंट जारी करने को मंजूरी दे दी है।

इसलिए कंपनी जुटा रही फंड

रेगुलेटरी फाइलिंग में एयरलाइन ने बताया कि 2250 करोड़ रुपये स्पाइसजेट की उपस्थिति और बाजार पहुंच को बढ़ाने के काम आएंगी। इसके अलावा इस फंड से कंपनी को मजबूत वित्तीय नींव मिलेगी।

सितंबर तिमाही में हुआ था घाटा

बीते सितंबर तिमाही के नतीजों के मुताबिक स्पाइसजेट को इस दौरान 428 करोड़ रुपये का नेट लॉस हुआ था। वहीं एक साल पहले की समान अवधि यानी वित्त वर्ष 23 के सितंबर तिमाही में कंपनी को 835 करोड़ रुपये का नेट लॉस हुआ था।

4 प्रतिशत के अधिक टूटा शेयर

आज स्पाइसजेट का शेयर 4.18 प्रतिशत यानी 2.53 रुपये टूटकर 58.04 पर बंद हुआ। वहीं आज शेयर बाजार भी लाल निशान पर बंद हुआ है। सेंसेक्स 377 अंक गिरकर 69,551 अंक गिरकर बंद हुआ और निफ्टी 90 अंक फिसलकर 20,906 के स्तर पर बंद हुआ।

एयरलाइन ने कल ही यह जानकारी दी थी कि वो अपने शेयर एनएसई पर भी लिस्ट करने जा रही है। इस खबर के बाद एयरलाइन का शेयर 11 प्रतिशत से अधिक चढ़ा था।

 

Pension scheme: आरबीआई की नई रिपोर्ट में ओल्ड पेंशन को लेकर दी गई राज्यों को दी दोबारा न लागू करने की सलाह दी है। आरबीआइ ने यह टिप्पणी 11 दिसंबर 2023 को राज्यों की वित्तीय स्थिति पर जारी सालाना रिपोर्ट में की है।राज्यों की वित्तीय स्थिति वर्ष 2022-23 और वर्ष 2023-24 में काफी मजबूत होती दिख रही है।अधिकांश राज्यों के खजाने मजबूत हो रहे हैं और राजकोषीय घाटे को काबू में करने की इन्हें सफलता मिल रही है।

कुछ राज्यों में पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल करने की योजना चल रही है और कई राज्यों में ऐसा कर भी दिया गया है। इनमें राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब शामिल हैं। कर्नाटक में इसे दोबारा लागू करने की बात चल रही है। आरबीआई की नई रिपोर्ट में राज्यों को इसके खिलाफ चेताया गया है। आरबीआइ ने कहा है कि वर्ष 2021-22 व वर्ष 2022-23 में राज्यों की वित्तीय स्थिति में सुधार का सिलसिला चालू वित्त वर्ष के दौरान भी जारी रहने की संभावना है। हालांकि, कुछ चुनौतियां हैं, जिन पर ध्यान देना होगा। इसमें ओपीएस लागू करने को सबसे बड़ी चुनौती के तौर पर चिन्हित किया गया है। सोमवार को जारी रिपोर्ट ‘State Finances: A Study of Budgets of 2023-24’ में कहा गया है कि अगर सभी राज्य ओपीएस को बहाल कर देते हैं तो उनपर वित्तीय बोझ एनपीएस के मुकाबले 4.5 गुना बढ़ जाएगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि
रिपोर्ट में कहा गया है कि ओपीएस से 2060 तक खर्च का अतिरिक्त बोझ जीडीपी का 0.9 फीसदी तक हो जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ राज्यों ने ओपीएस को बहाल कर दिया है और कुछ इस और बढ़ रहे हैं. अगर ऐसा होता है तो राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा और वे विकास कार्यों पर खर्च नहीं कर पाएंगे। बकौल आरबीआई रिपोर्ट, ओपीएस पीछे जाने वाला कदम है और इससे पिछले किए सुधारों का लाभ खत्म हो जाएगा। रिपोर्ट में इससे अगली पीढ़ियों को नुकसान पहुंचने की आशंका जताई गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि संभवत: ओपीएस का आखिरी बैच 2040 के शुरुआत में रिटायर होगा और 2060 तक उन्हें पेंशन मिलती रहेगी।

चुनाव से पहले का सुझाव
अगले साल होने वाले आम चुनावों से पहले आरबीआई ने लोक लुभावन वादों के चक्कर में ओपीएस न लागू करने की हिदायत तो दी ही है। साथ में यह भी कहा है कि राज्यों को अपने स्तर पर राजस्व बढ़ाने के तरीके सोचने चाहिए। आरबीआई ने कहा है कि राज्यों को रजिस्ट्रेशन फीस और स्टांप ड्यूटी को बढ़ाकर कमाई को बढ़ाने के बारे में विचार करना चाहिए।

टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन बेहतर हो
रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्यों को टैक्स कलेक्शन बढ़ाने और चोरी रोकने के लिए अपने कर प्रबंधन को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए। इससे राज्यों को वित्तीय क्षमता और बढ़ेगी. रिपोर्ट में प्रॉपर्टी और एक्साइज के अलावा ऑटोमोबाइल पर लगाए जाने वाले कर पर नजर डालने को कहा है। अवैध खनन को रोककर भी रेवेन्यू बढ़ाने का सुझाव दिया गया है।

Pension scheme: आरबीआई की नई रिपोर्ट में ओल्ड पेंशन को लेकर दी गई राज्यों को दी दोबारा न लागू करने की सलाह दी है। आरबीआइ ने यह टिप्पणी 11 दिसंबर 2023 को राज्यों की वित्तीय स्थिति पर जारी सालाना रिपोर्ट में की है।राज्यों की वित्तीय स्थिति वर्ष 2022-23 और वर्ष 2023-24 में काफी मजबूत होती दिख रही है।अधिकांश राज्यों के खजाने मजबूत हो रहे हैं और राजकोषीय घाटे को काबू में करने की इन्हें सफलता मिल रही है।

कुछ राज्यों में पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल करने की योजना चल रही है और कई राज्यों में ऐसा कर भी दिया गया है। इनमें राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब शामिल हैं। कर्नाटक में इसे दोबारा लागू करने की बात चल रही है। आरबीआई की नई रिपोर्ट में राज्यों को इसके खिलाफ चेताया गया है। आरबीआइ ने कहा है कि वर्ष 2021-22 व वर्ष 2022-23 में राज्यों की वित्तीय स्थिति में सुधार का सिलसिला चालू वित्त वर्ष के दौरान भी जारी रहने की संभावना है। हालांकि, कुछ चुनौतियां हैं, जिन पर ध्यान देना होगा। इसमें ओपीएस लागू करने को सबसे बड़ी चुनौती के तौर पर चिन्हित किया गया है। सोमवार को जारी रिपोर्ट ‘State Finances: A Study of Budgets of 2023-24’ में कहा गया है कि अगर सभी राज्य ओपीएस को बहाल कर देते हैं तो उनपर वित्तीय बोझ एनपीएस के मुकाबले 4.5 गुना बढ़ जाएगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि
रिपोर्ट में कहा गया है कि ओपीएस से 2060 तक खर्च का अतिरिक्त बोझ जीडीपी का 0.9 फीसदी तक हो जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ राज्यों ने ओपीएस को बहाल कर दिया है और कुछ इस और बढ़ रहे हैं. अगर ऐसा होता है तो राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा और वे विकास कार्यों पर खर्च नहीं कर पाएंगे। बकौल आरबीआई रिपोर्ट, ओपीएस पीछे जाने वाला कदम है और इससे पिछले किए सुधारों का लाभ खत्म हो जाएगा। रिपोर्ट में इससे अगली पीढ़ियों को नुकसान पहुंचने की आशंका जताई गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि संभवत: ओपीएस का आखिरी बैच 2040 के शुरुआत में रिटायर होगा और 2060 तक उन्हें पेंशन मिलती रहेगी।

चुनाव से पहले का सुझाव
अगले साल होने वाले आम चुनावों से पहले आरबीआई ने लोक लुभावन वादों के चक्कर में ओपीएस न लागू करने की हिदायत तो दी ही है। साथ में यह भी कहा है कि राज्यों को अपने स्तर पर राजस्व बढ़ाने के तरीके सोचने चाहिए। आरबीआई ने कहा है कि राज्यों को रजिस्ट्रेशन फीस और स्टांप ड्यूटी को बढ़ाकर कमाई को बढ़ाने के बारे में विचार करना चाहिए।

टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन बेहतर हो
रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्यों को टैक्स कलेक्शन बढ़ाने और चोरी रोकने के लिए अपने कर प्रबंधन को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए। इससे राज्यों को वित्तीय क्षमता और बढ़ेगी. रिपोर्ट में प्रॉपर्टी और एक्साइज के अलावा ऑटोमोबाइल पर लगाए जाने वाले कर पर नजर डालने को कहा है। अवैध खनन को रोककर भी रेवेन्यू बढ़ाने का सुझाव दिया गया है।

नई दिल्ली । भारत और ओमान के एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते पर पहुंचने से गैसोलीन, लोहा तथा इस्पात, इलेक्ट्रॉनिक और मशीनरी जैसे 3.7 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के 83.5 प्रतिशत से अधिक भारतीय सामानों को ओमान में बढ़ावा मिलेगा। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई। शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिप्रोच इनिशिएटिव (जीटीआरआई) द्वारा तैयार की गई इंडिया-ओमान सीईपीए: गेटवे टू मिडिल ईर्स्टन मार्केट्स एंड बियॉन्ड’ के अनुसार इन वस्तुओं पर वर्तमान में ओमान में पांच प्रतिशत आयात शुल्क लगता है। भारत और ओमान के बीच व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) पर बातचीत जारी हैं। समझौते पर पहुंचने से दोनों देश अपने बीच सहमत अधिकतम वस्तुओं पर सीमा शुल्क को काफी कम या समाप्त किया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया ‎कि नए व्यापार समझौते से प्रमुख निर्यात वस्तुएं जैसे मोटर गैसोलीन, लोहा व इस्पात उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक, मशीनरी, एल्यूमीनियम ऑक्साइड, कपड़ा, एल्यूमिना कैलक्लाइंड, प्लास्टिक, बिना हड्डी का मांस, आवश्यक तेल और मोटर कार पर शुल्क समाप्त होने से बेहद फायदा होगा।

केंद्र सरकार ने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा के लिए ई-श्रम योजना शुरू की है। इसके लिए सरकार ने ई-श्रम पोर्टल की शुरुआत की है, जो श्रमिकों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदान करना है।

इस योजना का लाभ उठाने के लिए श्रमिकों को ई-श्रम कार्ड बनवाना होता है। इस कार्ड को बनवाने के बाद मजदूरों को कई बेनिफिट मिलेत हैं। इनमें 60 वर्ष के बाद पेंशन, बीमा और अक्षम होने पर वित्तीयय सहायता शामिल है।

इस आर्टिकल में हम आपको ई-श्रम कार्ड के लिए पात्रता, जरूरी डॉक्यूमेंट, ऑनलाइन कार्ड कैसे बना सकते हैं। इसे लेकर दूसरी जरूरी जानकारी दे रहे हैं।

ई-श्रम कार्ड के लिए पात्रता

असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिक या कोई भी व्यक्ति
16-59 वर्ष के बीच उम्र
वैध मोबाइल नंबर
ई-श्रम कार्ड के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट

आधार कार्ड
आधार कार्ड से जुड़ा हुआ मोबाइल नंबर
बैंक खाता
ई-श्रम कार्ड के बेनिफिट

60 वर्ष की आयु के बाद 3,000 रुपये प्रति माह पेंशन
श्रमिक के आंशिक रूप से विकलांग होने पर 1 लाख रुपये की वित्तीय सहायता
मृत्यु होने पर 2,00,000 रुपये की सहायता
ऑलाइन ई-श्रम कार्ड रजिट्रेशन कैसे करें?

ई-श्रम कार्ड के लिए आवेदन सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) या ई-श्रम पोर्टल के माध्यम से किया जा सकता है। यहां हम आपको ऑनलाइन रजिट्रेशन का तरीका बता रहे हैं।

स्टेप 1 - ई-श्रम की ऑफिशियल वेबसाइट ओपन करें और सेल्फ रजिस्ट्रेशन (स्व-पंजीकरण पृष्ठ) पर जाएं।

स्टेप 2 - आधार से जुड़ा मोबाइल नंबर और कैप्चा कोड डालकर 'ओटीपी भेजें' बटन पर क्लिक करें।

स्टेप 3 - ओटीपी डाल कर और 'सत्यापित' बटन पर क्लिक करें।

स्टेप 4 - अब आपको स्क्रीन पर दिख रही जानकारी की पुष्टी करनी होगी।

स्टेप 5 - अगले पेज पर आपको जरूरी जानकारी जैसे- एडरेस, शैक्षणिक योग्यता, स्किल और दूसरी जानकारी दर्ज करनी है।

स्टेप 6 - अब आपसे बैंक खाते की जानकारी पूछी जाएगी। सभी जानकारी भरकर आपको प्रीव्यू पर क्लिक कर 'सबमिट' बटन पर क्लिक करें।

स्टेप 7 - इसके बाद आपके फोन पर एक ओटीपी भेजा जाएगा। ओटीपी दर्ज करें और 'सत्यापित करें' बटन पर क्लिक करें।

स्टेप 8 - अगले पेज पर आपको ई-श्रम कार्ड दिखाई देगा आप डाउनलोड बटन पर क्लिक कर इसे सेव कर सकते हैं।

आज शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया मामूली बढ़त के साथ खुला। रुपया आज अपने पिछले बंद के मुकाबले 1 पैसे बढ़कर 83.36 पर पहुंच गया।

विदेशी मुद्रा बाजार में आज रुपया डॉलर के मुकाबले 83.36 पर खुला और 83.35 के इंट्रा-डे शिखर को टच किया। सोमवार को रुपया 83.37 के स्तर पर बंद हुआ था।

पीटीआई को मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के फॉरेक्स और बुलियन विश्लेषक गौरांग सोमैया ने कहा,

कल, अपने प्रमुख क्रॉस के मुकाबले डॉलर भी कम अस्थिरता के साथ कारोबार कर रहा था क्योंकि बाजार प्रतिभागी महत्वपूर्ण एफओएमसी (फेडरल ओपन मार्केट कमेटी) नीति वक्तव्य से पहले सतर्क रहते हैं जो इस सप्ताह के अंत में जारी होने वाला है।

मजबूत हुआ डॉलर इंडेक्स

आज शुरुआती कारोबार में डॉलर की ताकत का अनुमान अन्य 6 करेंसी से करने वाला डॉलर इंडेक्स 0.11 प्रतिशत बढ़कर 103.58 के स्तर पर बंद हुआ था। इसके अलावा आज क्रूड का वायदा कारोबार 0.28 प्रतिशत बढ़त के साथ 76.24 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा है।

सुबह के सत्र में कैसा है शेयर बाजार?

खबर लिखे जाने तक सेंसेक्स 77.50 अंक या 0.11 प्रतिशत चढ़कर 70,006.03 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी 32.85 अंक की तेजी के साथ 21,029.95 अंक पर ट्रेड कर रहा है। सोमवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बाजार से 1,261.13 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे।

 

पांच कंपनियां एक बार फिर आईपीओ के जरिये बाजार से पैसा जुटाने को तैयार हैं। ये पांचों कंपनियां मिलकर 4,200 करोड़ रुपये जुटाएंगी। पहला आईपीओ 13 दिसंबर और अंतिम 18 दिसंबर को खुलेगा। ऐसे में निवेशकों को एक बार फिर आईपीओ में पैसा लगाने का अवसर मिलेगा।

इंडिया शेल्टर व डोम्स इंडस्ट्रीज का आईपीओ 13 दिसंबर को खुलकर 15 दिसंबर को बंद होगा। दोनों कंपनियां 1,200-1,200 करोड़ जुटाएंगी। इनके भाव क्रमशः 469-493 रुपये व 750-790 रुपये हैं। आइनॉक्स का इश्यू 14-18 दिसंबर तक खुलेगा, जिसका भाव 627-660 रुपये है। मोतीसंस ज्वेलर्स व सूरज इस्टेट का आईपीओ 18-20 दिसंबर तक खुलेगा।

20 साल बाद ऑटो कंपनी का इश्यू

20 साल बाद कोई ऑटो कंपनी आईपीओ लाने की तैयारी में है। ओला इलेक्ट्रिक 8500 करोड़ जुटाने के लिए इश्यू ला सकती है। साइज के हिसाब से यह देश के शीर्ष 15 आईपीओ में होगा।

ये कंपनियां भी इसी माह बाजार में उतरेंगी

मुथूट फिनकॉर्प 1,350 करोड़ रुपये जुटाने के लिए इसी महीने इश्यू लाएगी। इसके अलावा, क्रेडो, आरबीजेड ज्वेलर्स, मुक्का प्रोटीन्स, हैप्पी फोर्जिंग भी इसी महीने आईपीओ ला सकती हैं। सेबी से इन सभी को मंजूरी मिल चुकी है। इस वित्त वर्ष में 44 कंपनियों ने अब तक 35,000 करोड़ रुपये बाजार से जुटाए हैं।

कोटक महिंद्रा बैंक ने फिक्स डिपोजिट (एफडी) की ब्याज दरें बढ़ा दी हैं। बैंक ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए 2 करोड़ रुपये से कम अमाउंट की एफडी की ब्याज दरों में 7.80 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की है। फिक्स्ड डिपोजिट की ब्याज दरें अलग-अलग अवधि के लिए 85 बेसिस पॉइंट बढ़ाई गई हैं।

कोटक महिंद्रा बैंक ने बताया कि अब 23 महीने से 2 साल की अवधि के लिए सीनियर सिटीजन को एफडी पर 7.80 प्रतिशत तक का ब्याज मिल रहा है। दो से तीन साल की एफडी पर बैंक 7.65 प्रतिशत इंटरेस्ट रेट ऑफर कर रहा है।

इसके साथ ही रेगुलर कस्टमर जो दो करोड़ रुपये से कम रुपये एफडी में निवेश कर रहे हैं तो 3 से 4 साल के लिए बैंक ने ब्याज में 50 बेसिस पॉइंट की बढ़ोत्तरी की है। यानी ग्राहकों को 7 प्रतिशत तक का इंटरेस्ट रेट मिल रहा है। इसके साथ ही 4 से 5 साल के लिए भी बैंक 7 प्रतिशत का ब्याज दे रहा है। इससे पहले बैंक 6.25 प्रतिशत ब्याज दे रहा था।

मुंबई । पिछले सप्ताह अदाणी समूह के शेयरों में तेजी से अरबपति गौतम अदाणी के व्यापारिक साम्राज्य से जुड़े कुछ डॉलर बॉन्ड की कीमत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई थी। अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग द्वारा धोखाधड़ी के आरोपों के बाद ग्रुप को नुकसान का सामना करना पड़ा था। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। शुरुआत से ही अदाणी समूह धोखाधड़ी के आरोपों को इनकार करता रहा। समूह ने एक नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना के लिए 1.4 अरब डॉलर जुटाए और और सितंबर में परिपक्व होने वाली सौर-ऊर्जा यूनिट से संबंधित 75 करोड़ डॉलर के बॉन्ड को रिफाइनेंस करने की योजना की रूपरेखा बनाई। इन सभी कारणों की वजह से पिछले सप्ताह अदाणी समूह के शेयरों में तेजी देखी गई।इस सकारात्मक विकास ने न केवल बॉन्ड मूल्यों में पहले के कुछ नुकसान को मिटा दिया, बल्कि अदाणी की लिस्टेड कंपनियों के कुल मार्केट कैप में 37.5 अरब डॉलर की पर्याप्त वृद्धि भी की। परिणामस्वरूप, निगम के बिजली और बिजली ट्रांसमिशन प्रभागों से जुड़े बॉन्ड अब जनवरी से अपने धोखाधड़ी-पूर्व आरोप स्तर के करीब पहुंच रहे हैं। रिबाउंड इंगित करता है कि निवेशकों का अदाणी ग्रुप में विश्वास फिर से लौट रहा है, जिसे पहले रिसर्च फर्म क्रेडिटसाइट्स द्वारा गहराई से अधिक लाभ उठाने वाला करार दिया गया था। सीमेंट, हवाई अड्डों और कोयला खनन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में शामिल ग्रुप ने जनवरी की रिपोर्ट के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बॉन्ड जारी नहीं किए हैं। गतिविधि की यह कमी उस अवधि के साथ मेल खाती है जब बढ़ती अमेरिकी ब्याज दरों ने एशियाई कंपनियों के लिए विदेशों में बॉन्ड जारी करना कम अनुकूल बना दिया था। इन चुनौतियों के बावजूद हाल के सकारात्मक विकास ने निवेशकों की नजर में समूह ग्रुप की स्थिति में सुधार किया है।

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