ईश्वर दुबे
संपादक - न्यूज़ क्रिएशन
+91 98278-13148
newscreation2017@gmail.com
Shop No f188 first floor akash ganga press complex
Bhilai
लोकसभा में भारी शोर-शराबे के बीच नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 पारित हो गया। इस विधेयक में तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक प्रताड़ना के शिकार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई धर्मावलंबियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। विधेयक के विरोध में 80 तो पक्ष में 311 वोट पड़े। सरकार की असली परीक्षा राज्यसभा में होगी।माना जा रहा है कि नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद के ऊपरी सदन में आज पेश किया जाएगा। यहां सत्ताधारी एनडीए के पास बहुमत नहीं है। मगर जिस तरह से अल्पमत में होने के बावजूद सरकार ने तीन तलाक और अनुच्छेद 370 को हटाने वाले विधेयक को पास करवा लिया था ठीक उसी तरह वह इसे भी पास करवा ही लेगी। आपको बताते हैं राज्यसभा में क्या है पूरा गणित।
राज्यसभा में सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के अपने 83 सांसद हैं। वहीं जनता दल (यूनाइटेड) के छह सांसद हैं। जेडीयू ने लोकसभा में बिल का समर्थन किया है। इसके अलावा एनडीए के पास शिरोमणी अकाली दल के तीन, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के एक और अन्य दलों के 13 सदस्यों का समर्थन है। इस तरह एनडीए गठबंधन के पास कुल 106 सांसदों का समर्थन है।
यूपीए गठबंधन में कांग्रेस के पास सबसे ज्यादा 48 सांसद हैं। वहीं लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल और शरद पवार की राष्ट्रवाती कांग्रेस पार्टी के पास चार-चार सांसद हैं। इसके अलावा डीएमके के पास पांच सासंद हैं और अन्य यूपीए सहयोगियों के तीन सांसद हैं। इस तरह यूपीए को कुल 62 सांसदों का समर्थन प्राप्त है।
कई पार्टियां ऐसी हैं जो न एनडीए में और न ही यूपीए में शामिल हैं। हालांकि विचारधारा के स्तर पर इन पार्टियों का रुख समय-समय पर बदल जाता है। ऐसी पार्टियों में सबसे बड़ी ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस है जिसके पास 13 सांसद हैं। इसके बाद अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के पास नौ, तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव की तेलंगाना राष्ट्र समिति के पास छह, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पास पांच, मायावती की बहुजन समाज पार्टी के पास चार, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के पास तीन, महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के पास दो, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पास एक और एचडी कुमारस्वामी की जनता दल (सेक्युलर) के पास एक सांसद है। इन्हें मिलाकर यह आंकड़ा 44 सांसदों का होता है।
कुछ पार्टियां ऐसी हैं जो एनडीए और यूपीए का हिस्सा नहीं हैं लेकिन उन्होंने नागरिकता संशोधन विधेयक के पक्ष में होने के संकेत दिए हैं। जिसमें तमिलनाडु एआईएडीएमके के 11, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बीजू जनता दल के सात, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस के दो, चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के दो सांसद हैं।
हाल में भाजपा का साथ छोड़कर एनसीपी और कांगेस के समर्थन से महाराष्ट्र में सरकार बनाने वाली शिवसेना ने लोकसभा में नागरिकता विधेयक के पक्ष में मतदान किया। राज्यसभा में उसके तीन सांसद हैं। माना जा रहा है कि वह ऊपरी सदन में विधेयक का समर्थन करेगी। तीन और सासंद भाजपा का समर्थन कर सकते हैं। इस तरह यह आंकड़ा 28 सांसदों को होता है।