ईश्वर दुबे
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Bhilai
कई राज्यों के नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर विरोध के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा है कि कोई भी राज्य इसे लागू करने से इनकार नहीं कर सकता। ऐसा करना संविधान के खिलाफ होगा।
केरल, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों ने सीएए के अलावा राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजीकरण (एनपीआर) का विरोध किया है। केरल सरकार ने तो सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का भी रुख किया है।
मगर पूर्व कानून एवं न्याय मंत्री व जाने-माने वकील कपिल सिब्बल ने दो टूक कह दिया कि राज्यों के पास इसे लागू नहीं करने का अधिकार नहीं है। केरल साहित्य उत्सव के दौरान सिब्बल ने कहा, 'जब सीएए पारित हो चुका है तो कोई भी राज्य यह नहीं कह सकता कि मैं उसे लागू नहीं करूंगा। यह संभव नहीं है और असंवैधानिक है।' उन्होंने आगे कहा, 'आप उसका विरोध कर सकते हैं। विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं। केंद्र सरकार से कानून वापस लेने की मांग कर सकते हैं। मगर संवैधानिक रूप से यह नहीं कह सकते कि राज्य इसे लागू नहीं करेंगे। ऐसा करने से ज्यादा समस्याएं पैदा होंगी।'
कपिल सिब्बल ने कहा कि राज्यों का कहना है कि वे राज्य के अधिकारियों को भारत संघ के साथ सहयोग नहीं करने देंगे। आखिर वे ऐसा कैसा करेंगे? उन्होंने कहा, 'एनआरसी, एनपीआर पर आधारित है और एनपीआर को स्थानीय रजिस्ट्रार लागू करेंगे। अब गणना जिस समुदाय में होनी है वहां से स्थानीय रजिस्ट्रार नियुक्त किए जाने हैं और वे राज्य स्तर के अधिकारी होंगे।'
सिब्बल ने कहा कि व्यावहारिक तौर पर ऐसा कैसे संभव है, यह उन्हें नहीं पता लेकिन संवैधानिक रूप से किसी राज्य सरकार द्वारा यह कहना बहुत कठिन है कि वह संसद द्वारा पारित कानून लागू नहीं करेगी।
सीएए के विरोध में राष्ट्रव्यापी आंदोलन को कपिल सिब्बल ने नेता और भारत के लोगों के बीच लड़ाई करार दिया। उन्होंने कहा कि भगवान का शुक्र है कि देश के 'छात्र, गरीब और मध्य वर्ग' आंदोलन को आगे ले जा रहे हैं न कि कोई राजनीतिक दल।