किसी मुसलमान को डिटेंशन कैंप में भेजने पर विशाल जन आंदोलन होना चाहिए : चिदंबरम Featured

यदि किसी मुस्लिम को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) की वैधता को बरकरार रखने को लेकर डिटेंशन कैंप में हिरासत में भेजा जाता है, तो उन्हें जन आंदोलन करना चाहिए। यह बात बृहस्पतिवार शाम वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने जेएनयू कैंपस में छात्रों को संबोधित करते हुए कही।
चिदंबरम ने सीएए को असम में एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) की नाकामी का नतीजा बताया। इसी कारण 19 लाख लोगों को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर से बाहर कर दिया  गया। उन्होंने कहा कि सीएए को 19 लाख लोगों में से 12 लाख हिंदुओं को समायोजित करने के लिए लाया गया था।

पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने गुरुवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दों पर संबोधित करते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश के कई हिस्से में प्रदर्शन अब भी जारी है।

उन्होंने कहा, कांग्रेस पार्टी लगातार इसका विरोध कर रही है। हम एनपीआर-सीएए-एनआरसी का विरोध क्यों कर रहे, इस विषय पर बोलते हुए उन्होंने छात्रों के सवालों के जवाब भी दिए। एक छात्र के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सभी को पहले बिल को पढ़ना चाहिए। तभी वह इसे समझ पाएंगे।

चिदंबरम ने कहा कि यह बिल ऑनलाइन उपलब्ध है, इससे जानकारी ही बढ़ेगी। तब और सवाल पूछ पाएंगे। यदि सुप्रीम कोर्ट सीएए को बरकरार रखती है, तब क्या करना चाहिए। इस सवाल पर उन्होंने कहा कि मुसलमानों को पहचान कर उन्हें बाहर फेंकने का प्रयास होगा।

ऐसे में किसी मुस्लिम को बहार निकालने और डिटेंशन कैंप में रखे जाने पर आंदोलन किया जाना चाहिए। कांग्रेस पार्टी चाहती है कि सीएए निरस्त होना चाहिए। एक संघर्ष करना चाहिए जिससे राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को साल 2024 तक धकेला जा सके।

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