आज मकर संक्रांति पर्व, करें सूर्य को मजबूत, इस बार कई कारणों से खास है मकर संक्रांति Featured

मुंबई। सूर्य का किसी राशी विशेष पर भ्रमण करना संक्रांति कहलाता है. सूर्य की गति इस दिन से बढ़ने लगती है. खरमास खत्म हो जाता है और शुभ और मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. ऐसा सब सूर्य के गोचर के कारण ही होता है. सूर्य हर माह में राशी का परिवर्तन करता है. वर्ष की बारह संक्रांतियों में से दो संक्रांतियां सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती हैं. मकर संक्रांति और कर्क संक्रांति. सूर्य जब मकर राशी में जाता है तब मकर संक्रांति होती है. मकर संक्रांति से अग्नि तत्त्व  की शुरुआत होती है और कर्क संक्रांति से जल तत्त्व की. इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को पड़ रही है. मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य की विशेष पूजा-आराधना से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस दिन कुछ विशेष प्रयोग करने से जीवन में खुशियां आती है. मकर संक्राति एक ऐसा त्योहार है जिस दिन किए गए काम अनंत गुणा फल देते हैं. संक्राति के दिन सूर्य वरदान बनकर चमकते हैं. मान्यता है कि संक्राति के दिन शुभ मूहूर्त में नदियों का पानी अमृत में बदल जाता है. संक्राति के दिन किया गया दान लक्ष्मी की कृपा बनकर बरसता है. मकर संक्रांति को दान, पुण्य और देवताओं का दिन कहा जाता है. ज्योतिष के अनुसार मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान से तमाम जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं. ज्योतिषियों के मुताबिक, इस बार कई कारणों से मकर संक्रांति खास है. यह तिथि पुण्य स्नान और दान के लिए विशेष मानी गई है. मकर संक्रांति के दिन सिर्फ खिचड़ी ही नहीं तिल से जुड़े दान और प्रयोग भी लाभ देते हैं .दरअसल ये मौसम में परिवर्तन का समय होता है. ऐसे में तिल का प्रयोग विशेष हो जाता है. साथ ही मकर संक्रांति सूर्य और शनि से लाभ लेने का भी खास दिन होता है. मकर संक्रांति के दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं. शास्त्रों में उत्तरायण के समय को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात कहा गया है. ज्योतिष विज्ञान ये मानता है कि मकर संक्रांति के दिन किया गया दान सौ गुना फल देता है. मकर संक्रान्ति के दिन घी-तिल-कंबल-खिचड़ी दान का खास महत्व है. मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन तिल गुड़ और खिचड़ी के दान से किस्मत बदलती है. खुशी और समृद्धि के प्रतीक मकर संक्रांति के दिन पुण्य काल में दान देना, स्नान करना या श्राद्ध कार्य करना शुभ माना जाता है. शास्त्रों में मकर संक्रांति पर गंगा स्नान की विशेष महिमा बताई गई है. मकर संक्रांति महज एक खगोलीय राशि परिर्वतन नहीं है. इसके ज्योतिषीय महत्व भी हैं. इस दिन सूर्य मकर राशि में गोचर करते हैं. वहीं सूर्य अपने पुत्र यानि शनि से मिलने उनके घर आते हैं. व्यक्ति के जीवन में इस परिर्वतन का बहुत असर होता है. इसीलिए इस पर्व को इतना महत्व दिया जाता है.


सूर्य को मतबूत करने का दिन है मकर संक्रांति
मकर संक्रांति का पर्व सूर्य को मतबूत करने का दिन है. इस दिन सूर्य की उपासना करने से सूर्य खुश होते हैं और जीवन में अच्छे फल देने लगते हैं. इसलिए सूर्य का मजबूत होना बहुत जरूरी है. जिस व्यक्ति के जीवन में सूर्य कमजोर होते हैं उसे मेहनत करने के बाद भी सम्मान नहीं मिलता है और हर क्षेत्र में तरक्की की रफ्तार में वह पीछे रह जाता है. जिन लोगों को जीवन में इस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है उन लोगों के लिए मकर संक्रांति का दिन बेहद महत्वपूर्ण है. इस दिन सूर्य की पूजा करने से कई तरह के कष्ट और संकट मिट जाते हैं. सूर्य को प्रभावशाली ग्रह माना गया है. जिस व्यक्ति के जीवन में सूर्य मजबूत स्थिति में होते हैं सूर्य उस व्यक्ति को मान सम्मान, पद- प्रतिष्ठा, उच्च पद सभी कुछ प्रदान करते हैं. इस दिन स्नान करने के बाद सूर्य भगवान को याद करते हुए सूर्य मंत्र 'ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम:' का जप करना चाहिए. पूजा करने के बाद जल में गंगा जल मिलाकर उसमें चंदन का पाउडर मिलकर सूर्य भगवान को अर्घ्य देना चाहिए. इस दिन गायत्री मंत्र का जाप करने से भी सूर्य की अशुभता दूर होती है.

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