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एनएसए अजीत डोभाल ने कहा कि सुरक्षा एक गतिशील अवधारणा है। यह स्थिर नहीं रह सकता, यह केवल उस वातावरण के संबंध में है जिसमें हमें अपने राष्ट्रीय हित और राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा करनी है। पूरा युद्ध एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का अग्निपथ भर्ती योजना और अन्य आंतरिक सुरक्षा मुद्दों पर एएणआई की स्मिता प्रकाश के साथ साक्षात्कार किया। इस दौरान एनएसए ने कहा कि इसे एक नजरिए से देखने की जरूरत है। अग्निपथ अपने आप में एक स्टैंडअलोन योजना नहीं है। 2014 में जब पीएम मोदी सत्ता में आए, तो उनकी प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक भारत को सुरक्षित और मजबूत बनाना था। इसके लिए कई कई कदम उठाए गए। 

एनएसए अजीत डोभाल ने कहा कि सुरक्षा एक गतिशील अवधारणा है। यह स्थिर नहीं रह सकता, यह केवल उस वातावरण के संबंध में है जिसमें हमें अपने राष्ट्रीय हित और राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा करनी है। पूरा युद्ध एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। हम संपर्क रहित युद्धों की ओर जा रहे हैं, और अदृश्य शत्रु के विरुद्ध युद्ध की ओर भी जा रहे हैं। तकनीक तेजी से आगे बढ़ रही है। कल की तैयारी करनी है तो बदलना ही होगा। 

एनएसए ने कहा कि भारत के चारों तरफ माहौल तेजी से बदल रहा है। हालात को देखते हुए संरचना में बदलाव करना होगा। रक्षा क्षेत्र के हर स्तर पर सुधार हो रहा है। सेना की आधुनिकता के लिए सरकार नए हथियार खरीद रही है। हमें अपनी सेना को विश्व स्तरीय सेना बनाना है।  इसके लिए उपकरणों की आवश्यकता है, इसके लिए प्रणालियों और संरचनाओं में बदलाव की आवश्यकता है, इसके लिए प्रौद्योगिकी में बदलाव की आवश्यकता है, इसके लिए जनशक्ति, नीतियों में बदलाव की आवश्यकता है और उन्हें भविष्यवादी होना चाहिए।

धूम्रपान कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की वजह बन सकता है लेकिन आपकी ये आदत और भी कई गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकती है। फेफड़ों के साथ ही धूम्रपान हार्ट फंक्शन को भी प्रभावित करता है। अगर गर्भवती महिलाएं धूम्रपान करती हैं तो इससे उनके होने वाले बच्चों में कई तरह के विकार देखने को मिल सकते हैं। फेफड़े पर डालता है असर : धूम्रपान करने वालों के फेफड़े यानी लंग्स सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। दरअसल, सिगरेट से निकलने वाला धुंआ फेफड़ों में मौजूद छोटे वायु थैली को डैमेज करने का काम करता है जिससे फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है। फेफड़ों की बीमारियों में सीओपीडी सबसे आम है। कार्डियोवस्कुलर संबंधित समस्याएं : धूम्रपान दिल की सेहत के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होता। निकोटीन, ब्लड वेसेल्स में कसाव की वजह बनता है, जिसके कारण ब्लड का सर्कुलेशन सही तरह से नहीं होता। ब्लड का प्रेशर एकदम से बढ़ जाता है या यो कहें कि नॉर्मल से हमेशा ही थोड़ा ज्यादा रहता है। जिससे ब्लड वेसेल्स की दीवार कमजोर हो जाती है। यहां तक कि बल्ड क्लॉटिंग का भी खतरा रहता है। डायबिटीज का जोखिम : मोटापे के बाद धूम्रपान करने वाले लोगों में डायबिटीज के खतरे की संभावनाएं सबसे ज्यादा होती हैं। धूम्रपान करने से इंसुलिन हॉर्मोन के प्रोडक्शन पर भी असर पड़ता है। और अगर कोई व्यक्ति पहले से ही डायबिटीज का मरीज है तब तो धूम्रपान करना उसके लिए बहुत ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है।प्रजनन क्षमता पर असर : धूम्रपान पुरुषों से लेकर महिलाओं तक की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है। गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान की आदत होेने वाले बच्चे की सेहत पर असर डालती है। होने वाले नवजात का वजन कम होना, गर्भाशय में ही या पैदा होने के तत्काल बाद मृत्यु हो जाना व जन्मजात बीमारियां होने आदि का खतरा बना रहता है।

डायबिटीज़ एक ऐसी बीमारी है, जिसमें डाइट का ख्याल रखना बेहद ज़रूरी हो जाता है।डायबिटीज़ का कोई इलाज नहीं है, इसलिए इसे अपनी डाइट, लाइफस्टाइल और दवाओं की मदद से मैनेज करना पड़ता है। मरीज़ों को अपनी डाइट का खास ख्याल रखने की ज़रूरत होती है ताकि ब्लड शुगर लेवल न बढ़ जाए। डायबिटिक लोगों को ऐसी चीज़ों का सेवन करना होता है जो फाइबर से भरपूर हो और खूब सारे पोषक तत्व भी हों। साथ ही शुगरी और फैटी फूड्स से दूरी बनानी होती है। ऐसे में कई हेल्थ एक्सपर्ट्स डायबिटिक लोगों को ओट्स खाने की सलाह देते हैं।

1. ओट्स में कैलोरी काफी कम होती है और फाइबर की मात्रा भरपूर पाई जाती है।
2. ओट्स का ग्लायसेमिक इंडेक्स कम है, इसलिए इसे खाने से ब्लड शुगर लेवल नहीं बढ़ता।
3. रिसर्च के मुताबिक 100 ग्राम ओट्स में तकरीबन 68 कैलोरी और 21 ग्राम फाइबर मौजूद होता है।
4. ओट्स को अगर नाश्ते में खा लिया जाए, तो डायबिटीज के मरीज़ों को दिनभर के लिए एनर्जी मिल जाती है।
5. ओट्स काफी फिलिंग होते हैं, इसे खाने के बाद काफी समय तक भूख नहीं लगती। इससे आप ज़रूरत से ज़्यादा खाने से भी बचते हैं।
6. ओट्स में कैलोरी नहीं होती और इसीलिए यह डाइजेशन के लिए अच्छा होता है।

 

डायबिटीज रोग लोगों के बीच बेहद आम समस्या बनकर रह गया है। यह एक ऐसा खतरनाक रोग है, जो शरीर को धीरे-धीरे खोखला कर देता है। अगर आप भी इस समस्या से पीड़ित हैं तो शहतूत को अपनी डाइट का हिस्‍सा बना लीजिए। शहतूत में डायबिटीज को कंट्रोल करने की क्षमता होती है। स्वाद में खट्टा-मीठा और रसीला यह फल डायबिटीज सहित कई बीमारियों के इलाज में मदद कर सकता है। सफेद शहतूत में फाइबर, विटामिन सी,आयरन सहित प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन ए जैसे तत्व भी भारी मात्रा में पाए जाते हैं।शहतूत कैसे कंट्रोल करता है डायबिटीज- शहतूत की पत्तियों में डीएनजे नामक तत्व पाया जाता है, जो आंत में बनने वाले अल्फा ग्लूकोसाइडेज एंजाइम से मिलकर एक बॉन्ड बनाता है। यह बॉन्ड खून में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करता है। इसके अलावा डीएनजे लिवर में बनने वाले अतिरिक्त ग्लूकोज को भी नियंत्रित करता है। इसकी पत्ती में एकरबोस नामक कम्पोनेंट भी पाया जाता है, जो खाना खाने के बाद की शुगर को नियंत्रित करता है।

शुगर कंट्रोल करने के लिए कैसे करें शहतूत का इस्तेमाल-
1 सब्जी बनाकर या सलाद में खाएं।
2 अगर आप इसे सब्जी या सलाद में नहीं खा सकते हैं तो दिन में एक बार मुंह में रख लें और चबाएं।
3 चाय के रूप में आप शहतूत की पत्तियों का सेवन कर सकते हैं।

मधुमेह ही नहीं अन्य रोगों में भी फायदेमंद है शहतूत
मोटापा घटाए- कई अध्ययनों से पता चला है कि शहतूत के पत्ते फैट बर्निंग और वेटलॉस के लिए एक प्राकृतिक उपचार है। पाचन तंत्र- शहतूत न सिर्फ हमारे डायजेशन सिस्टम को दुरुस्त रखता है, बल्कि इसमें डायबिटीज और कॉलेस्ट्रोल लेवल को बैलेंस करने की भी क्षमता होती है। इतना ही नहीं, शहतूत कैविटी और मसूड़ों से जुड़ी बीमारियों से भी राहत दिला सकता है।आयरन- शहतूत में मौजूद कार्बोहाइड्रेट खून में शुगर को ग्लूकोज में कन्वर्ट करने का काम करती है। इससे कोशिकाओं को ज्यादा एनेर्जी मिलती है। शहतूत से शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ती है और टिशू को पर्याप्त ऑक्सीजन भी मिल पाता है।बालों का झड़ना- एक्सपर्ट कहते हैं कि शहतूत खाने से बाल झड़ने की समस्या भी दूर हो सकती है। ये फल कील, मुहांसे, ड्राय या सेंसिटिव स्किन के झंझट से भी मुक्ति दिला सकता है। घाव भरने के लिए- शहतूत के पत्तों को घाव या फोड़े पर लगाने से भी फायदा मिलता है। इसे घाव पर लगाने से घाव बहुत जल्दी भर जाते हैंइसके अलावा अगर आपको खुजली की दिक्कत है तो इसके पत्तों का लेप फायदेमंद रहेगा।

 

36 इंच का दूल्हा तो 31 इंच की दुल्हन सुनकर अजीब लगे लेकिन ऐसी जोड़ी बनी है। महाराष्ट्र के जलगांव शहर में हुई इस शादी चर्चा है। इस शादी में दूल्हे की लंबाई 36 इंच तो दुल्हन की लंबाई 31 इंच है। इनकी जोड़ी देखकर लोगों को शाहरूख खान की एक फिल्म का टाइटल याद जाता है। हर किसी के मुंह से यही शब्द निकल रहा है कि रब ने बना दी जोड़ी। आइए जानते हैं इस शादी की रोचक बातें….

बता दें जलगांव के रहने संदीप सपकाले की 36 इंच हाइट है और उसकी पत्नी उज्ज्वला की हाइट 31 इंच है। दोनों की गुरुवार को शादी हुई। इनकी शादी की काफी चर्चा हो रही है। इन्हें आशीर्वाद देने जो भी पहुंच रहा है वह इनकी जोड़ी को देखकर काफी अचंभित महसूस कर रहा है। इससे पहले दोनों की एक बार शादी टूट चुकी थी इसके बाद दोबारा जुड़ी और इनकी शादी हो सकी।

माता पिता सामान्य, पर संदीप की हाइट कम
संदीप के माता पिता की हाइट सामान्य है लेकिन संदीप बचपन से नाटे हैं। इनकी कोई भाई-बहन नहीं हैं। वहीं संदीप की जिससे शादी हुई उसकी तीन अन्य बहनें और एक भाई है। उसके भाई और बहन, उसके माता-पिता के साथ, सामान्य कद के हैं। उज्ज्वला और संदीप का परिवार दोनों की शादी को लेकर चिंतित काफी चिंतित था। लंबाई कम होने की वजह से दोनों की शादी नहीं हो रही थी।

इसके बाद संदीप और उज्ज्वला का रिश्ता के रिश्ते की बात शुरू हुई। दोनों परिवार वाले इस रिश्ते को लेकर काफी खुश थे लेकिन एक समय आया जब रिश्ता टूटने की कगार पर पहुंच चुका था। संदीप और उज्ज्वला की शादी अचानक टूट गई थी। उज्ज्वला के पिता को संदीप के कामकाज को लेकर शंका थी। संदीप ने 12वीं तक की पढ़ाई की है। वह शहर के एक नामी गोल्ड शॉप में काम करता है। इसके काद उज्ज्वला के पिता लड़के के गांव पहुंचे और फिर इनकी शंका दूर हुई फिर इनकी शादी हो सकी।

मेटाबॉलिज्म रहता है दुरुस्त : घड़े का पानी पीने से मेटाबॉलिज्म एकदम दुरुस्त रहता है। मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया ही भोजन को ऊर्जा में बदलने का काम करती है जिससे हमारी कोशिकाओं को अपना काम करने के लिए जरूरी ईंधन मिल पाता है। मेटाबॉलिज्म स्लो होने पर कम भी खाते हैं तो वेट बढ़ता जाता है वहीं मेटाबॉलिज्म फास्ट होने पर आप जो कुछ भी खाते हैं आपका शरीर उसे अच्छी तरह हजम कर लेता है। जिस वजह से मेटाबॉलिज्म वजन कंट्रोल में रहता है।साफ और शुद्ध पानी : मिट्टी अशुद्धियों को ग्रहण करने का काम करती है। तो मिट्टी के घड़े में जब पानी रखते हैं तो उसमें मौजूद हर तरह की अशुद्धियां घड़ा आसानी से सोख लेता है। जिससे पानी के जरूरी मिनरल्स बॉडी को बिना अशुद्धियों के मिल पाते हैं।पानी का पीएच संतुलन रहता है बरकरार :घड़े में रखे पानी का पीएच लेवल एकदम सही रहता है। मिट्टी के एसिडिक तत्व और पानी के तत्व मिलकर सही पीएच बैलेंस बनाते हैं जो शरीर को कई तरह के नुकसान से बचाते हैं। तो इस वजह से भी घड़े का पानी पीने की सलाह दी जाती है।शरीर व हड्डी दर्द से दिलाए राहत : अगर शरीर में कहीं दर्द व सूजन जैसी समस्याएं अकसर परेशान करती है तो इसके लिए घड़े का पानी पीना चाहिए। यह अर्थराइटिस बीमारी में भी बहुत ही लाभकारी है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि मिट्टी में मौजूद एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण कई तरह के दर्द व तकलीफों से राहत दिलाता है।गले के लिए लाभदायक :फ्रिज का पानी बहुत ठंडा होता है जिसे पीने से गले का तापमान एकदम से गिर जाता है। इसकी वजह से गले की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचात है साथ ही साथ गले में सूजन, थ्रोट इंफेक्शन जैसी समस्याएं भी होने लगती हैं।

दिनभर के आहार में सुबह का नाश्ता सबसे ज्यादा जरूरी होता है लेकिन कुछ लोग इसे स्किप कर देते हैं। कभी जाने-अनजाने में तो कभी डाइटिंग की वजह से, लेकिन ऐसा करना नुकसानदायक हो सकता है। ब्रेकफास्ट स्किप करने से सेहत पर काफी बुरा असर पड़ सकता है।
वजन बढ़ना : कई लोगों को ऐसा मानना है कि लंबे समय तक भूखा रहकर या सुबह का नाश्ता छोड़ने से वजन कम होता है, तो ऐसा गलत है। बल्कि नाश्ता छोड़ने से वजन बढ़ने की संभावना रहती है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब आप लंबे समय तक भूखा रहते हैं तो आप एक बार में जरूरत से ज्यादा भोजन कर लेते हैं और ओवरईटिंग की वजह से हम ज्यादा कैलोरीज ले लेते हैं जो वजन बढ़ने का कारण बनती है।
डायबिटीज : ब्रेकफास्ट ना करने से डायबिटीज होने का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है। जो लोग ब्रेकफास्ट स्किप करते हैं उनमें टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा 20 फीसदी ज्यादा होता है।
इम्यूनिटी : नाश्ते में कई आवश्यक पोषक तत्व होते हैं जो शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत और बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में मदद करते हैं।
माइग्रेन :ब्रेकफास्ट ना करने से शुगर लेवल कम हो सकता है जिसकी वजह से बीपी बढ़ जाता है। हाई बीपी के साथ मामूली सिरदर्द हो सकता है जो कई बार गंभीर माइग्रेन में बदल सकता है।
मेटाबॉलिज्म पर असर :ब्रेकफास्ट स्किप करने से शरीर के मेटाबॉलिज्म को नुकसान पहुंचता है। लंबे समय तक ना खाने से शरीर की की कैलोरी बर्न करने की क्षमता प्रभावित होती है और मोटापा बढ़ने से शरीर कई बीमारियों का शिकार हो जाता है।

ज़रूरत से ज़्यादा खीरे का सेवन हाइपरकालेमिया को ट्रिगर कर सकता है। जो शरीर में पोटेशियम के उच्च स्तर के कारण होने वाली एक दुर्लभ स्थिति है। पोटेशियम से भरपूर खीरे के अत्यधिक सेवन से पेट फूलना या पेट में ऐंठन शुरू हो सकती है। कई मामलों में यह रीनल सिस्टम और गुर्दे को प्रभावित कर सकता है।यह साल का वह समय है जब शरीर को चिलचिलाती गर्मी को झेलने के लिए खूब हाइड्रेशन की ज़रूरत होती है। यही वजह है कि हम में से ज़्यादातर लोग फलों और सब्ज़ियों के सेवन पर निर्भर करते हैं, जो नैचुरली पानी से भरपूर होते हैं। इनके सेवन से शरीर में हेल्दी इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन बना रहता है। ऐसी ही एक सब्ज़ी है खीरा, जो गर्मियों के लिए एकदम परफेक्ट है।यह टॉक्सिक हो सकती है : खीरे में Cucurbitacins और Tetracyclic Triterpenoids जैसे विषाक्त पदार्थों की उपस्थिति के कारण होता है। खीरे का कड़वा स्वाद इन विषाक्त पदार्थों का परिणाम है, जो शरीर में बीमारियों को ट्रिगर कर सकता है और हानिकारक प्रभाव डाल सकता है।पेट फूलना : खीरे में कुकुर्बिटासिन नामक एक तत्व होता है, जो कुछ ऐसे लोगों में अपच का कारण बन सकता है जो पहले से पाचन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं। कुछ मामलों में ज़रूरत से ज़्यादा खीरा खाने से पेट फूलना, अपच और पेट में तकलीफ शुरू हो सकती है।वॉटर लॉस : खीरे के बीज कुकुर्बिटिन का एक प्रमुख स्रोत हैं, खीरे में एक घटक जो मूत्रवर्धक गुणों से जुड़ा होता है। अधिकांश लोग खीरे को अपनी डाइट में इसलिए जोड़ते हैं, क्योंकि इसमें नैचुरल पानी होता है, लेकिन इसका बहुत अधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। यह मूत्रवर्धक प्रकृति के कारण होता है जिसके परिणामस्वरूप आपके शरीर से तरल पदार्थ बाहर निकलना शुरू हो जाते हैं, इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बिगड़ जाता है और शरीर में पानी की कमी होने लगती है।खीरा और प्रेग्नेंसी : गर्भावस्था के मामले में खीरे को आमतौर पर हानिरहित माना जाता है। हालांकि, मूत्रवर्धक प्रकृति के कारण इस सब्ज़ी के सेवन से बार-बार पेशाब आना और पानी की कमी हो सकती है, जिससे असुविधा हो सकती है। साथ ही अधिक मात्रा में सेवन करने पर फाइबर की उपस्थिति पेट में सूजन का कारण बन सकती है।

 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस दौरान कहा कि एक साल में दिल्ली की सड़को पर लगभग 2000 इलेक्ट्रिक बसें करना हमारा लक्ष्य है। आज 3 इलेक्ट्रिक चार्जिंग डिपो का भी उद्घाटन किया गया है।

द‍िल्‍ली की सड़कों पर अब इलेक्‍ट्र‍िक बसों की संख्‍या में लगातार इजाफा क‍िया जा रहा है। दिल्ली में यात्री 150 इलेक्ट्रिक बसों में 3 दिनों के लिए मुफ्त यात्रा कर सकेंगे, जिन्हें राष्ट्रीय राजधानी में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा झंडी दिखाकर रवाना किया गया। इसके साथ ही दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने बस में सफर भी किया। इस दौरान उनके साथ दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत भी मौजूद रहें।

आज 150 बसें आई हैं 1 महीने बाद 150 और आएंगी

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस दौरान कहा कि एक साल में दिल्ली की सड़को पर लगभग 2000 इलेक्ट्रिक बसें करना हमारा लक्ष्य है। आज 3 इलेक्ट्रिक चार्जिंग डिपो का भी उद्घाटन किया गया है। अभी और कई इलेक्ट्रिक चार्जिंग डिपो बनाए जा रहे हैं। हम कहते हैं कि प्रदूषण बहुत है जिसके कई कारण है। अब अगर बसें धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक होती जाएंगी तो प्रदूषण भी कम होगा। उस दिशा में ये अच्छी शुरूआत हुई है। आज 150 बसें आई हैं और 1 महीने बाद में 150 बसें और आएंगी।

कई सुविधाओं से लैस 

ये बसें कितनी हाईटेक है आप इन खूबियों के जरिये समझ जाएंगे। ये लोअर फ्लोर एयरकंडीशन बसें रियल टाइम पसेंजर इंफॉर्मेशन सिस्टम, सीसीटीवी, पैनिक बटन, जीपीएस और अन्य सुविधाओं से लैस होगी।  इसी के साथ ये बसें विकलांग व्यक्तियों के लिए कंपैटिबल होंगी। महिला यात्रियों के लिए परिवहन विभाग ने नए कमांड और कंट्रोल सेंटर के साथ इंटिग्रेट किया जाएगा। 

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की ओर से प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की धारा 2, 3 और 4 को विशेष रूप से चुनौती देते हुए उसे असंवैधानिक घोषित करने की गुहार लगाई गई है।

प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 आजकल काफी चर्चा में है। ज्ञानवापी प्रकरण में कई राजनीतिक दल और मुस्लिम संगठन इसी एक्ट का हवाला देते हुए कह रहे हैं कि निचली अदालत ने सर्वे का जो आदेश दिया था वह असंवैधानिक है। लेकिन भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के प्रावधानों पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट से इसे असंवैधानिक घोषित करने की गुहार लगाई गई थी। अश्विनी उपाध्याय की याचिका में कहा गया है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के प्रावधान मनमाने और असंवैधानिक हैं। याचिका में कहा गया है कि यह एक्ट हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध लोगों को उनके पूजा स्थल पर अवैध अतिक्रमण के खिलाफ दावे करने से रोकता है और उन्हें अपने धार्मिक स्थल दोबारा पाने के लिए विवाद की स्थिति में कोर्ट जाने से रोकता है।

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की धारा 2, 3 और 4 को विशेष रूप से चुनौती देते हुए उसे असंवैधानिक घोषित करने की गुहार लगाई गई है। अश्विनी उपाध्याय की याचिका में कहा गया है कि यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेदों 14, 15, 21, 25, 26 और 29 का उल्लंघन करता है। उपाध्याय ने कहा है कि यह एक्ट संविधान में दिए गए समानता के अधिकार, जीवन के अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार में दखल देता है। उपाध्याय का कहना है कि केंद्र सरकार ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर यह कानून बनाया है। अश्विनी उपाध्याय की याचिका में कहा गया है कि जिन धार्मिक स्थलों पर आक्रमणकारियों ने अवैध तरीके से अतिक्रमण किया है, उस अतिक्रमण को हटाने और अपने धार्मिक स्थल वापस पाने का कानूनी मार्ग प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के माध्यम से बंद कर दिया गया है। अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि केंद्र सरकार को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी विषय पर लोगों का कोर्ट जाने का अधिकार छीन ले।

प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ याचिकाकर्ता ने जिन बिंदुओं को आधार बनाया है वह इस प्रकार हैं-

 

 

-इस अधिनियम में भगवान राम के जन्मस्थान को शामिल नहीं किया गया है, लेकिन इसमें भगवान कृष्ण का जन्मस्थान शामिल है, हालांकि दोनों ही भगवान विष्णु के अवतार हैं और पूरे संसार में समान रूप से पूजे जाते हैं। इसलिए यह एक्ट मनमाना, तर्कहीन और अनुच्छेद 14-15 का उल्लंघन करता है।

 

-याचिका में कहा गया है कि न्याय का अधिकार, न्यायिक उपचार का अधिकार, गरिमा का अधिकार अनुच्छेद 21 के अभिन्न अंग हैं, लेकिन यह अधिनियम उनका हनन करता है। 

 

-याचिका में कहा गया है कि हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख को धर्म के प्रचार के अधिकार की गारंटी अनुच्छेद 25 के तहत दी गयी है। लेकिन यह अधिनियम इसका उल्लंघन करता है।

 

 

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