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किडनी से जुड़ी समस्या काफी दर्दनाक होती है. इन्हीं परेशानियों में से एक है किडनी की पथरी की समस्या. जब किसी सख्य को किडनी की पथरी हो जाती है तो उसे काफी दर्दनाक स्थिति का सामना करना पड़ता है. ऐसे में व्यक्ति को बेहद सोच समझकर अपनी डाइट प्लान करनी होती है. अगर आपको किडनी की समस्या है तो आप यहां दिए कुछ जूस की मदद से इस समस्या को दूर कर सकते हैं.

किडनी की पथरी के लिए जूस -

अगर आप किडनी की पथरी से परेशान हैं तो इन 3 तरह के जूस को अपनी डाइट में जोड़ सकते हैं, जिससे दर्द समेत कई समस्याओं से आराम मिल सके.

1. तुलसी का जूस

तुलसी से बना जूस भी किडनी स्टोन की समस्या को दूर करने में उपयोगी है. ऐसे में आप तुलसी के पत्तों का रस निकालें और उसमें एक चम्मच शहद मिलाएं और बने मिश्रण का सेवन सुबह-शाम करें. ऐसा करने से किडनी की समस्या से राहत मिल सकती है.

2. टमाटर का जूस

टमाटर का जूस किडनी की पथरी को दूर करने में बेहद उपयोगी है. ऐसे में आप दो टमाटर को अच्छे से धोएं और उन्हें पीस लें. जूस में नमक और काली मिर्च के पाउडर को मिलना है और उसका सेवन करें आप चाहे तो बने मिश्रण को फ्रिज में रख कर बाद में भी जूस के रूप में सेवन कर सकते हैं.

3. नींबू का जूस

नींबू के अंदर साइट्रिक एसिड मौजूद होता है. ऐसे में यदि आप किडनी स्टोन में नींबू के जूस का सेवन करते हैं तो इससे भी समस्या दूर हो सकती है. आप कटोरी में दही लें और उसमें एक चम्मच नींबू का रस मिलाएं अब स्वाद अनुसार नमक मिलाकर मिश्रण को अच्छे से चलाएं और उसका सेवन करें ऐसा करने से किडनी की पथरी की समस्या से राहत मिल सकती है.

 

 

बीजापुर : जब हम किसी गाँव की कल्पना करते हैं तो हमारी आंखों के सामने झोपड़ी और घास-फूंस से बने कच्चे मकान की तस्वीर उभरने लगती हैं। विगत 4 सालों में बीजापुर जिले में यह तस्वीर बदलते हुए दिख रही है, ऐसा हम इसलिए भी कह रहे हैं चूंकि प्रधानमंत्री आवास योजना से 3 हजार से अधिक आवास स्वीकृत किया गया है जिनमें से 24 सौ पक्का मकान बनकर तैयार हैं। हमसे कोई कहे शासन की किसी योजना ने पूरे गांव की तस्वीर बदल दी है, तो एका-एक इस बात पे यकीन करना मुश्किल होगा, यह कहानी है विकासखंड बीजापुर की ग्राम पंचायत रेड्डी की। जहाँ विगत चार वर्षों में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण अंतर्गत 101 हितग्राहियों ने अपना पक्का मकान बनाकर अपने सपने पूरे किये हैं। हितग्राहियों के मकान बनने से जहां एक ओर सुव्यवस्थित व सुंदर गांव की कल्पना साकार हो रही है। वहीं महात्मा गांधी नरेगा योजना से इन परिवारों को अपना घर बनाने के लिए 95 दिवस का रोजगार भी मिला।
जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री रवि कुमार साहू ने बताया कि जिले में तमाम विपरीत परिस्थितियों के बाद भी ग्राम पंचायत रेड्डी ने 101 आवास पूर्ण कर लिया है। यह आंकड़ा इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इनके आश्रित ग्राम कोटेर जो कि नदी के उस पार है । इस गांव में बरसात के सीजन में कार्य करने हेतु आवश्यक निर्माण सामग्री पूर्व ही ले जाना पड़ता है या फिर नदी सूखने के बाद इस ग्राम में कुल 50 आवास बनाये गए हैं, ग्रामीणों की अपने आवास पूर्ण करने की इच्छाशक्ति के अलावा इस ग्राम पंचायत के प्रशासनिक अमले की कड़ी मेहनत के चलते ही ग्राम पंचायत रेड्डी अब खुशहाल व संवरने लगा है। वित्तीय वर्ष 2022-23 मे प्रतीक्षा सूची में शेष बचे 70 प्रधानमंत्री आवास पंजीयन और जियोटैग प्रक्रिया चल रही है।

भारत में साल दर साल आर्थराइटिस, जोड़ों में दर्द और सूजन की गंभीर समस्या लोगों में बढ़ रही है। आर्थराइटिस को गठिया भी कहते हैं। यह रोग सामान्य तौर पर उम्र बढ़ने के साथ शरीर को प्रभावित करता है। हालांकि कम उम्र के लोगों को भी अब आर्थराइटिस की समस्या होने लगी है। आर्थराइटिस की इसी समस्या के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल विश्व आर्थराइटिस दिवस मनाया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को आर्थराइटिस के खतरे को कम करने के लिए खानपान पर भी विशेष ध्यान देने की सलाह देते हैं।

गठिया में फायदेमंद खाद्य सामग्री -

सेब का सेवन

आर्थराइटिस के जोखिम को कम करने के लिए सेब का सेवन फायदेमंद है। सेब में टैनिन नामक का फेनोलिक यौगिक पाया जाता है जो गठिया की शिकायत को दूर करने में असरदार है।

विटामिन सी युक्त फल

विटामिन सी युक्त फलों का सेवन भी गठिया की समस्या में फायदेमंद है। अर्थराइटिस की शिकायत होने पर रोगी मौसमी, संतरा, कीवी, नींबू, बैरीज, जामुन आदि फलों का सेवन कर सकते हैं। हालांकि मरीज के लिए विटामिन सी युक्त फलों के सेवन का एक सही समय है। सुबह या शाम में ये फल न खाएं, अन्यथा दर्द बढ़ जाता है। दिन के समय ही फल का सेवन करें।

गठिया में फायदेमंद सब्जियां

आर्थराइटिस के मरीज के लिए कुछ सब्जियों का सेवन लाभकारी है। लहसुन, अदरक, ब्रोकली, पालक, टमाटर और कद्दू गठिया रोग में फायदेमंद होता है।

मछली

जोड़ो के दर्द, गठिया की शिकायत होने पर रोगी को मछली का सेवन करना चाहिए। ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्त मछली में एंटी इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी होती है जो सूजन को कम करने में मदद करती है।

गठिया के मरीज न खाएं ये चीजें

ठंडा

अत्यधिक ठंडा खाद्य पदार्थ या ठंडे पानी के सेवन से परहेज करें।

मैदा

मैदा युक्त चीजें, जैसे बिस्किट, स्नैक्स और चिप्स आदि गठिया के मरीजों के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। मैदा फैट बढ़ाता है और गैस की समस्या करता है।

बदलती जीवनशैली और खानपान में लापरवाही की वजह लोग इन दिनों कई समस्याओं का शिकार होते जा रहे हैं। लाइफस्टाइल में लगातार हो रहे बदलावों के चलते आजकल बीपी, डायबिटीज जैसी बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। इसी बीच अब मांसपेशियों के जुड़ी एक गंभीर और दुर्लभ बीमारी ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) को लेकर एक अच्छी खबर सामने आई है। हाल ही में सामने आई कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो देश के वैज्ञानिक इस गंभीर बीमारी के विशिष्ट इलाज के लिए शोध कर रहे हैं। वर्तमान में इस गंभीर बीमारी का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है, लेकिन अब उम्मीद है कि शोध के जरिए वैज्ञानिक जल्द ही इसके सहायक उपचार विधियों को प्रयोग में लाएंगे। इस शोध का मुख्य मकसद देश में ही डीएमडी का सस्ता इलाज विकसित करना है। तो चलिए जानते हैं क्या है ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी और इसके लक्षण-

क्या है ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी

ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) एक जेनेटिक डिसऑर्डर है, जो मांसपेशियों को कमजोर बना देती है। इस बीमारी में शरीर में मौजूद डिस्ट्रोफिन नामक एक प्रोटीन में बदलाव होने लगता है, जिससे यह स्थिति उत्पन्न होती है। यह बीमारी आमतौर पर 2 से 3 साल के बच्चों में ज्यादा देखने को मिलती है। वहीं, महिलाओं के मुकाबले पुरुष इस बीमारी के ज्यादा शिकार होते हैं। लक्षणों की बात करें तो ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के हर व्यक्ति में अलग-अलग लक्षण नजर आते हैं।

ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लक्षण

मुख्य रूप से मांसपेशियों को प्रभावित करने वाली इस बीमारी के लक्षण बचपन में ही नजर आने लगते हैं। आमतौर पर इस बीमारी से पैर और शरीर का निचला हिस्सा अधिक प्रभावित होता है। इसके अलावा इस बीमारी के पीड़ित व्यक्ति को पेट की साइड होने वाली मसल्स को ज्यादा तकलीफ होती है। ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के अन्य लक्षणों में कुछ निम्न हैं-

सीढ़ियां चढ़ने में मुश्किल होना

चलने में परेशानी होना

बार-बार गिरना

हृदय-फेफड़ों की समस्या

ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का इलाज

मौजूदा समय में तो इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। वर्तमान में को नियंत्रित करने के लिए दवाइयों और सर्जरी की मदद ली जाती है। इसके अलावा फिजियोथेरपी और व्यायाम के माध्यम से भी इस बीमारी के गंभीर परिणामों से काफी हद तक बचा जा सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों द्वारा इस पर की जाने वाली शोध के यह उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही भारत में इस बीमारी का सस्ता इलाज उपलब्ध होगा।

उठना तक में कठिनाई होना

शारीरिक गतिविधि करने में मुश्किल होना

ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का इलाज
मौजूदा समय में तो इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। वर्तमान में को नियंत्रित करने के लिए दवाइयों और सर्जरी की मदद ली जाती है। इसके अलावा फिजियोथेरपी और व्यायाम के माध्यम से भी इस बीमारी के गंभीर परिणामों से काफी हद तक बचा जा सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों द्वारा इस पर की जाने वाली शोध के यह उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही भारत में इस बीमारी का सस्ता इलाज उपलब्ध होगा।

 

 

राजनांदगांव : गुड मार्निंग राजनांदगांव कार्यक्रम की खुशनुमा सुबह में आज पुष्प वाटिका हंसते-मुस्कुराते चेहरों से गुलजार हुई। कलेक्टर श्री डोमन सिंह की पहल पर आज पुष्प वाटिका में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाने जिला प्रशासन तथा खेल एवं युवा कल्याण विभाग की ओर से आयोजित गुड मार्निंग राजनांदगांव अंतर्गत बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। बदली हुई फिजां में ठंड के बावजूद बच्चे, युवाओं एव बुजुर्गों ने सक्रियतापूर्वक कार्यक्रम में भाग लिया। आर्टिस्टिक रोप स्किपिंग में युवा बच्चों ने ऊर्जा एवं शक्ति से भरपूर बेहतरीन रोप स्किपिंग की, तो वहीं डांस एक्सरसाईज में बच्चे एवं महिलाएं सभी जमकर झूमे। उल्लास एवं ऊर्जा से भरे युवाओं की टोली ने उत्साहपूर्वक विभिन्न शारीरिक गतिविधियों में भाग लिया। लाफ्टर योग के माध्यम से बच्चों को तनाव मुक्त करने तथा अच्छे स्वास्थ्य के लिए खुश रहने के लिए खूब हंसाया। खेलने-कूदने का लो संकल्प स्वस्थ रहने का है सही विकल्प के साथ सभी ने खूब कसरत की। बचपन की यादों को ताजा करते हुये टेढ़े-मेंढ़े रास्ते पर इरादे हैं, मजबूत के अंतर्गत सबने जिग-जैग दौड़ लगाई। गुड मार्निंग राजनांदगांव कार्यक्रम के जोश एवं जज्बे का आलम यह रहा कि दिव्यांगजन भी अपनी ट्राइसाकिल में कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे। कोविड-19 संक्रमण के बाद स्वास्थ्य के प्रति सजगता लाने की यह कोशिश रंग ला रही है। शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ ही तनाव को दूर रखने एवं खुश रहने की प्रवृत्ति को विकसित करने के लिए भी प्रेरित किया गया। कलेक्टर श्री डोमन सिंह ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा माह के प्रथम शनिवार स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाने के लिए लगातार यह आयोजन किया जा रहा है तथा लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। विशेष बात यह है कि जिला मुख्यालय के साथ ही जनपद मुख्यालय, ग्राम पंचायत मुख्यालय में भी गुड मार्निंग राजनांदगांव कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है और लोग बड़ी संख्या में इस कार्यक्रम से जुड़ रहे हैं। हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर में भी योग एवं प्राणायाम कराया जा रहा है। राजनांदगांव की पहचान हॉकी से है और आज यहां सभी ने हॉकी का खेल भी उत्साह के साथ खेला है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए शारीरिक गतिविधियां खेल तथा योग-प्राणायाम जरूरी है। स्वस्थ एवं तंदुरूस्त रहने के लिए स्वस्थ जीवन शैली को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाएं।

कलेक्टर  सिंह के साथ ही सभी ने हॉकी एवं मिलिट्री रोप में हाथ आजमाएं और दम-खम दिखाया। इस अवसर पर आयुष विभाग द्वारा इस अवसर पर स्वास्थ्यवर्धक काढ़े की व्यवस्था की गई थी तथा अंकुरित चना, मंूग तथा फल का नाश्ता दिया गया। जिले के अधिकारी एवं कर्मचारी भी उत्साहपूर्वक इस कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर नगर निगम आयुक्त डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी, एसडीएम श्री अरूण वर्मा, संयुक्त कलेक्टर श्री खेमलाल वर्मा, डिप्टी कलेक्टर सरस्वती बंजारे, सहायक खेल श्री ए एक्का, तहसीलदार श्री प्रफुल्ल गुप्ता, प्रभारी अधिकारी खेल श्रीमती उषा चटर्जी, दिग्विजय स्टेडियम प्रबंधक श्री रणविजय सिंह, डीएमसी श्री सतीश ब्यौहारे, पतंजलि योग के श्री मनोज तिवारी, श्री पुरूषोत्तम साहू अन्य अधिकारी-कर्मचारी बड़ी संख्या में जनसामान्य उपस्थित थे। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी श्री मृणाल चौबे ने विभिन्न खेलों का संचालन किया। कार्यक्रम में रूद्राक्षम वेलफेयर सोसायटी के सदस्यों की सहभागिता रही तथा आस्था मूकबधिर शाला के बच्चों ने योग एवं प्राणायाम किया।
उल्लेखनीय है कि गुड मॉर्निंग राजनांदगांव का आयोजन माह के प्रथम शनिवार को जिला प्रशासन तथा खेल एवं युवा कल्याण के तत्वावधान में किया जा रहा है। जिसमें विविध खेल गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। आयोजन में योग-प्राणायाम, कराते, रोप स्कीपिंग, जू-जित्सु, वुशु, टग ऑफ वॉर, स्केटिंग, जिम बॉल, थेरा बैंड, मिलीट्री रोप, एडवांस फिजिकल एक्सरसाईज विथ बोसु बॉल जैसे खेलों के साथ-साथ योग, व्यायाम का आयोजन किया जा रहा है। इसके साथ ही जिले के सभी विकासखंड मुख्यालयों, सभी ग्राम पंचायतों और सभी हेल्थ वैलनेस सेंटर में भी गुड मॉर्निंग राजनांदगांव कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।

वजन कम करना हर किसी के लिए आसान नहीं होता, लेकिन अगर आप एक खट्टे फल से तैयार किया हुआ जूस पिएंगे तो फिटनेस हासिल हो सकती है.

वजन कम करने के लिए आप को अक्सर मीठी चीजों से दूर रहने को कहा जाता है, क्योंकि शुगर फैट में बदल जाते हैं और फिर वजन तेजी से बढ़ने लगता है, लेकिन क्या कभी आने सोचा है कि खट्टी चीजों का सेहत पर कैसा असर पड़ेगा. आज हम एक ऐसे फल की बात करेंगे जिसका टेस्ट काफी खट्टा और चटपटा होता है, लेकिन इसकी मदद से पेट और कमर की चर्बी काफी हद तक कम की जा सकती है.
इमली का जूस न सिर्फ टेस्टी होता है, बल्कि ये हमारी शरीर के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है. इसमें माइल्ड ड्यूरेटिक प्रॉपर्टीज पाई जाती है जिससे बॉडी टॉक्सिंस को बाहर निकालने में मदद मिलती है. चूंकि इसमें फाइबर पाया जाता है, इसलिए पेट काफी देर तक भरा हुआ महसूस होता है और फिर भोजन कम करने के कारण वजन घटने लगता है.
इमली का जूस डाइजेशन के लिए भी बेतरीन होता है, अगर पाचन तंत्र सही रहेगा तो वजन कम करना बेहद आसान हो जाएगा. साथ ही इस ड्रिंक की मदद से बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी घटाया जा सकता है, जो फिटनेस के लिए बेहद जरूरी है.

इस तरह बनाएं इमली का जूस

इसके लिए आप सबसे पहले इमली को अच्छी तरह से साफ पानी से धो लें और अब इसके बीजों को निकाल लें. अब 2 ग्लास पानी को उबालें और इसमें इमली को मिलाकर थोड़ी देर और गर्म कर लें. अब इसे छन्नी की मदद से ग्लास में छान लें और ठंडा होने का इंतजार करें. अब आप इसे पी जाएं. रेगुलर इस ड्रिंक को पिएंगे तो फिटनेस साफ नजर आने लगेगी.

 

कवर्धा : प्रदेश के गांव और छोटे शहरों में रहने वाले विद्यार्थियों की प्रतिभा अब निखरने लगी है। यहां के बच्चे कभी अंग्रेजी बोलने में घबराते थे, अब शासन की स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे सहजता से अंग्रेजी में बाते करना सीख रहे है। अंग्रेजी अंर्तराष्ट्रीय भाषा होने के कारण बच्चे और अभिभावकों के मन में अंग्रेजी के उच्च शिक्षा को लेकर मन में चिंता बनी हुई थी। लेकिन अब सपनों की राह में अंग्रेजी शिक्षा रूकावट नहीं बनेगी। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए स्वामी आत्मानंद उतकृष्ठ अंग्रेजी माध्यम स्कूल की संकल्पना की और इसे मूर्त रूप प्रदान किया। जो अब सकार रूप ले रही है। जिसका लाभ विद्यार्थियों को मिलने लगा है।

छत्तीसगढ़ में गांव से लेकर छोटे शहरों के बच्चों में असिमित प्रतिभा है, लेकिन अभिभावक के पास छोटे शहरों में सर्व सुविधायुक्त अंग्रेजी स्कूल नहीं होने और अधिक शुल्क होने के कारण शिक्षा दे पाना संभव नहीं था। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की इस नीति से इस बाधा को तोड़ दिया। उन्होंने न केवल अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई ही नहीं बल्कि उच्च गुणवत्ता के साथ अंग्रेजी की पढ़ाई प्रारंभ कराई। स्वामी आत्मानंद स्कूल केवल बडे़ शहरों में ही नहीं बल्कि ग्रामीण और वनांचल क्षेत्रों में खोले गए। गांव के बच्चे को अंग्रेजी में शिक्षा ग्रहण कराने के लिए इसका दायरा गांव तक बढ़ाया गया। सर्व सुविधायुक्त लाईब्रेरी की व्यवस्था स्कूल में की गई। इसके अलावा स्कूल में शारीरिक विकास के लिए बेहतर खेल परिसर भी तैयार किया गया है। स्कूल में आधुनिक सुविधा वाले प्रैक्टिकल लैब भी स्थापित की गई है। बच्चों को पढ़ाने के लिए स्मार्ट बोर्ड का उपयोग किया रहा है। इससे बच्चे आडियों विजुअल प्रद्धिति से अध्ययन कर रहे है। जिससे उन्हें विषय के समझने में आसानी हो रही है और ग्रहण क्षमता बेहतर हुई है।
स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ठ अंग्रेजी माध्यम स्कूल में अध्यनरत हिमांशु सेन ने बताया कि हमारे स्कूल में अंग्रेजी माध्यम से अध्ययन-अध्यापन की सुविधा का विशेष ध्यान रखा गया है। स्कूलों में अत्याधुनिक लाइब्रेरी, लैब, कम्प्यूटर और साइंस लैब के साथ ही खेल एवं कलात्मक गतिविधियों सहित सुविधायुक्त खेल मैदान की भी पूरी सुविधा उपलब्ध है। स्कूल में मिलने वाली उच्च स्तरीय सुविधा एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर सेजेस की छात्रा ललिता कश्यप ने कहा कि यहां स्कूल भवन, कक्षाएं काफी अच्छी है, साथ ही पुस्तकालय तथा विभिन्न प्रयोगशालाओं की व्यवस्था भी की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे स्कूल में इतनी सारी सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध हो रही है इसके लिए वे मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल का धन्यवाद करतीं हैं। गजेन्द्र भारती ने बताया कि पहले वे निजी स्कूल में पढ़ाई करते थे, जहां की फीस ज्यादा थी इसलिए वे सेजेस कवर्धा में दाखिला लिया। यहां आकर उन्हें हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौंका मिला।

स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल में बच्चो का बन रहा नया भविष्य

नई पीढी के उज्ज्वल भविष्य के लिए जिले के सभी विकासखंडों में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल प्रारंभ किया गया है। जिले में 6 स्वामी आत्मानंद स्कूल संचालित है। इसमें 1 स्वामी आत्मानंद हिन्दी माध्यम स्कूल भी संचालित है। विद्यार्थियों को कक्षा 1 ली से 12 वीं तक अंग्रेजी माध्यम में उच्च शैक्षणिक मापदण्डो के आधार पर चयनित शिक्षकों के द्वारा अध्यापन कराई जा रही है। जहां अकादमीक के साथ-साथ गैर आकादमीक गतिविधी खेल कुद, कला, एवं कम्प्यूटर आधारित शिक्षा प्रदान की जा रही है। जिले में शीघ्र 05 नए स्वामी आत्मानंद स्कूल खोला जाएगा। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इसकी घोषणा की है।
बच्चों के सपनों को साकार करने में स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूल नए आयाम गढ़ेगा। साथ ही पूरे प्रदेश और देश में ये मिसाल पेश करेगा, और इस स्कूल से अब नई उम्मीद जताई जा रही है। जहां पिछड़े ग्रामीण इलाकों के बच्चों को भी अच्छी उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने में छत्तीसगढ़ सरकार सफल हो रही है। शिक्षा के क्षेत्र में जिले की तस्वीर बदली है।

 

दुर्ग :  मुख्य चिकित्सा एंव स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जे.पी. मेश्राम व सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधिक्षक डा.योगेश कुमार शर्मा के सफल मार्गदर्शन मे एवं डॉ. दिव्या श्रीवास्तव नोडल अधिकारी आर.बी.एस.के, जिला प्रोग्राम मैनेजर पद्माकर शिंदे के नेतृत्व मे आज डी.ई.आई.सी जिला चिकित्सालय, दुर्ग में चिकित्सालय के स्पेशिलिस्ट चिकित्सक डा. समीत राज प्रसाद शिशु रोग विशेषज्ञ, एस.एम.सी हार्ट इंस्टीटयुट के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अजय चौरसिया एंव डा.गौरव जैन के सहयोग से चिरायु का जन्मजात हृदय रोग स्क्रीनिंग शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित 34 बच्चों का जॉच किया गया, जिसमे से सर्जरी हेतु 3 बच्चों को चिन्हांकित किया गया। 1 वर्ष बाद 16 बच्चों को पुनः जॉच किया जाना है, 15 बच्चों का ईको जॉच नार्मल पाया गया।
इसके अलावा अन्य बीमारी के 9 बच्चे का पंजीयन हुआ। जिसमे 3 बच्चों को नेत्र संबधी समस्या थी जिन्हे चश्मा हेतु पंजीकृत किया गया,1 जन्मजात बधिरता के बच्चे का ई.एन.टी विभाग के विशेषज्ञ डॉ. रिनु तिवारी द्वारा आगे उपचार हेतु परामर्श एंव ट्रॉमेटिक मोतियाबिंद का 1 बच्चा मिला जिसका जिला चिकित्सालय के नेत्र विभाग के नेत्र विशेषज्ञ द्वारा उपचार हेतु परामर्श तथा 4 अन्य बीमारी के बच्चो को शिशु रोग विशेषज्ञ द्वारा परामर्श एंव उपचार हेतु पंजीकृत किया गया।
अप्रैल 2022 से अब तक 69 बच्चो का चिरायु योजना के अंर्तगत डी.ई.आई.सी मे पंजीकृत आयुष्मान भारत योजना के तहत जिसमे 5 बच्चे का कॉकलियर इंप्लांट हुआ है जिनका निरंतर स्पीच थैरेपी डी.ई.आई.सी मे दिया जा रहा है ताकि वह बच्चे अन्य सामान्य बच्चों की तरह सुन पायेंगे व सामान्य जिन्दगी जी पायेगे। 35 बच्चे का जन्मजात हृदय रोग की जटील सर्जरी कराई गयी। जिला चिकित्सालय दुर्ग मे नेत्र विभाग के नेत्र सर्जन डॉ. कल्पना जेप द्वारा 8 बच्चों का जन्मजात मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया, 11 बच्चों का कटे-फटे होठ एंव तालु का, 10 बच्चों की हर्निया एंव युरोजनाईटल की सर्जरी निःशुल्क कराई गई है। 69 बच्चे जिनको जन्मजात विकृती थी, वे चिरायु की मदद से अब सामान्य जिन्दगी जी सकेंगे। इस केम्प को सफल बनाने में डी.ई.आई.सी टीम एंव चिरायु दल का विशेष योगदान रहा।

अच्छी सेहत के लिए नियमित रूप से व्यायाम करने के साथ-साथ हेल्दी डाइट का होना भी बहुत जरूरी है। हेल्दी डाइट की बात आती है तो बहुत से लोग ये नहीं समझ पाते हैं कि उन्हें कौन से फूड्स डाइट में शामिल करने चाहिए। कई बार इसी चक्कर में सेहत के लिए जरूरी चीजें छूट जाती हैं। इसमें कुछ हेल्दी सीड्स भी शामिल हैं। ये सीड्स सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं। ये पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। ये आपको कई बीमारियों से दूर रखने में मदद करते हैं।

अलसी के बीज

अलसी के बीज में ओमेगा -3 फैटी एसिड होता है। इसके अलावा भी इसमें कई अन्य पोषक तत्व होते हैं। इसमें पोटैशियम, विटामिन बी, कैल्शियम, जिंक, कॉपर और आयरन आदि होता है। इनका सेवन आपको कब्ज, डायबिटीज, एसिडिटी, कैंसर और हदय संबंधित समस्याओं से बचाने का काम करता है। अलसी के बीज का इस्तेमाल बहुत सी महिलाएं फेस मास्क और हेयर मास्क के रूप में भी करती हैं।

तिल

तिल की तासीर गर्म होती है। सर्दियों के मौसम में तिल का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद है। ये शरीर को गर्म रखने में मदद करता है। इसमें ओमेगा फैटी एसिड-6 होता है। ये बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। इसमें प्रोटीन और कैल्शियम भी होता है। इसका सेवन आप कई तरह से कर सकते हैं। आप तिल की खीर, लड्डू और गजक बनाकर सेवन कर सकते हैं।

चिया सीड्स

चिया सीड्स को अधिकतर सलाद, सूप और स्मूदी आदि में शामिल किया जाता है। इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड, प्रोटीन, फाइबर और प्रोटीन होता है। इसका सेवन करने से तेजी से वजन घटाने में भी मदद मिलती है। आप वजन घटाने वाली डाइट में भी चिया सीड्स शामिल कर सकते हैं।

कद्दू के बीज

कद्दू के बीज का सेवन भी स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा होता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। इसमें फाइबर, मैग्नीशियम और विटामिन होता है। इन बीजों का सेवन करने से आप दिनभर एनर्जेटिक रहते हैं। ये डायबिटीज के खतरे को कम करने में मदद करता है। इसमें आयरन भी भरपूर मात्रा में होता है।

सनफ्लॉवर सीड्स

सनफ्लॉवर बीज में विटामिन, मिनरल्स और कॉपर भरपूर मात्रा में होता है। इसका सेवन करने से हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में मदद मिलती है। रोजाना इन बीजों का सेवन तनाव को कम करने में मदद करता है। ये बीज त्वचा को भी हेल्दी बनाए रखने में मदद करते हैं।

 

छत्तीसगढ़ : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रविवार को पुलिसकर्मियों के साथ नया साल मनाने के लिए पहुंचे। इस दौरान उन्होंने 10 नवनिर्मित थानों का वर्चुअल उद्घाटन भी किया। इन थानों का निर्माण पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन ने ढाई-ढाई करोड़ रुपये की राशि से किया है। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि, सुरक्षा व्यवस्था, अपराधों के नियंत्रण के साथ-साथ कोरोना काल मे मानवता की सेवा करने में हमारे जवानों ने देश में उदाहरण प्रस्तुत किया है।

रायपुर के पुलिस लाइंस स्थित परेड मैदान में हुए नव वर्ष मिलन समारोह में हर साल की तरह इस बार भी मुख्यमंत्री बघेल पहुंचे। उन्होंने कहा कि, बस्तर इलाके में नक्सली अब छोटे से क्षेत्र में सिमट कर रह गए हैं। हमारे जवानों ने आदिवासियों और वनवासियों का विश्वास जीतने में सफलता पाई है। पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स के साहस, समर्पण और बहादुरी से बस्तर के अंदरूनी क्षेत्रों में सड़क, पुल-पुलिया निर्माण संभव हो सका है।

इस दौरान मुख्यमंत्री ने प्रदेश भर से आए जवानों से अलग-अलग बात भी की। दंतेश्वरी फाइटर्स की सुनैना पटेल से उन्होंने कहा कि, लोगों से उनकी भाषा मे बात करें, इससे अपनापन बढ़ेगा। सुनैना ने बताया अब बस्तर अंचल में लोग पुलिस कैंप खोलने की मांग करते हैं। नक्सली रह चुके एएसआई ने बताया कि पहले जंगल में भटकते थे। अब वे हल्बी और गोंडी में लोगों को शासन की योजनाओं की जानकारी देते हैं।

बीजापुर के एएसआई रामलाल ने बताया कि कैंप खुले हैं। पुलिस पर लोगों का विश्वास बढ़ा है। अब नक्सलियों के सड़क काटने की घटनाएं भी नहीं हो रही हैं। इस पर सीएम ने मुख्य सचिव को अंदरूनी इलाकों में कैंप लगाकर राशनकार्ड, आधार कार्ड, वनाधिकार पत्र बनवाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि, अंदरूनी इलाकों में लोगों तक शासन की योजनाओं का लाभ पहुंच रहा है।

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