उत्तर प्रदेश के मेरठ से निकलकर अब भारतीय अंडर-19 विश्व कप की टीम कप्तानी हासिल करने वाले प्रियम का सफर आसान नहीं रहा है। उन्हें ये सफलता काफी ज्यादा मेहनत के बाद प्राप्त हुई। 19 साल के सलामी बल्लेबाज प्रियम को ने लिस्ट ए क्रिकेट में शतक और प्रथम श्रेणी में दोहरा शतक भी लगाया है। वह देवधर ट्रॉफी में उपविजेता रही भारत सी टीम का हिस्सा भी थे। उन्होंने गत माह भारत बी के खिलाफ फाइनल मैच में 74 रन की पारी खेली थी। इसके अलावा भारत दौरे पर आई अंडर-23 बांग्लादेश टीम के खिलाफ भारतीय अंडर-23 टीम की कप्तानी भी प्रियम गर्ग ने ही की।
प्रियम बचपन से ही भारतीय पूर्व बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर से खासा प्रभावित रहे हैं। 7 साल की उम्र में सचिन को बल्लेबाजी करता देखा उन्होंने क्रिकेटर बनने का मन बना लिया था। वहीं गरीबी के कारण प्रियम के पिता ने उन्हें क्रिकेट खेलने से मना किया। प्रियम के पिता जानते थे कि क्रिकेटर बनने के लिए जितने पैसों की जरूरत होती है वो वह नहीं दे पाएंगे। हालांकि, इसके बाद भी गर्ग ने खेलना जारी रखा, फिर प्रियम को मामा का साथ मिला। मामा ने प्रियम को मेरठ के विक्टोरिया स्टेडियम में कोचिंग दिलाई और इसके बाद प्रियम ने अपने बल पर एक नई पहचान हासिल की
प्रियम के पिता नरेश गर्ग घर का खर्च उठाने के लिए टैक्सी चलाते थे। उन्होंने अपने बेटे को कभी सपने पूरे करने के लिए नहीं रोका और प्रियम ने भी अपने खेल की बदौलत इस टीम में जगह बनाई। प्रियम ने टीम का हिस्सा बनना अपनी मां को डेडिकेट किया। उनकी मां का 8 साल पहले निधन हो गया था।
कोच ने की तारीफ
वहीं उनके कोच रस्तोगी ने कहा, ‘आने वाली पीढी के लिए यह बच्चा एक प्रेरणा है। प्रियम ने जो हासिल किया है, उससे साबित होता है कि लगन होने पर परेशानियां आड़े नहीं आती। घर की जिम्मेदारियों को समझते हुए इसने कम उम्र में खेल में भी परिपक्वता का परिचय दिया है जो काबिले तारीफ है।' भारतीय टीम के तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार और प्रवीण कुमार जैसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों के कोच रहे रस्तोगी ने कहा, ‘इसका खेल ऐसा है कि यह भारतीय सीनियर टीम में जरूर शामिल होगा। घरेलू टूर्नामेंटों में इसका प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा और यह मेहनत से पीछे नहीं हटता।'