जांजगीर-चांपा। आगामी एक सितंबर को हरितालिका व्रत उचित एवं प्रशस्त है क्योंकि उस दिन प्रातः 8.26 को तृतीया तिथि प्रवेश कर रहा जो क्षयपूर्वक रात्रि 4.56 तक रहेगा।
1 सितम्बर को ही मध्यान्ह में हस्त नक्षत्र प्रातः 11.10 बजे प्रवेश कर रहा। व्रतोद्यापन चंद्रिका के अनुसार हस्त नक्षत्र युक्त तृतीया तिथि ही व्रत के लिए ग्राह्य है। व्रत की मान्यताओं के संबंध में राष्ट्रीय सचिव अखिल भारतीय ज्योतिष एवं वास्तु परिषद डॉ.अनिल तिवारी ने बताया की सुहागिनें जहां अपने पति की लंबी आयु के लिए तीज का व्रत रखती हैं, वहीं अविवाहित लड़कियां अच्छा वर प्राप्त करने के लिए यह व्रत करती हैं। यूं तो हरतालिका तीज देश के कई राज्यों में मनाई जाती है, लेकिन छत्तीसगढ़ में इस त्योहार का उत्साह दोगुना हो जाता है। मानसून के मौसम का स्वागत करने के लिए छत्तीसगढ़ और उत्तरी भारत में तीज त्योहार (छत्तीसगढ़ी में तीजा) मनाया जाता है। पति की लंबी उम्र की कामना और परिवार की खुशहाली के लिए सभी विवाहित महिलाएं निर्जला उपवास रखती है और शाम को तीज माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा के बाद वे पानी और भोजन लेती है।