ईश्वर दुबे
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Bhilai
विभिन्न जानकारी के जरिए समाज में जगा रहा अलख
जांजगीर-चांपा। यह अभियान समाज सेवक स्व.हिंन्छाराम खरे, स्व.गणेशराम खरे एवं देहदानी स्व.मनोज कुमार खरे” की स्मृति में चलाया जा रहा है। अभियान के निदेशक धर्मेंन्द्र कुमार खरे के मार्गदर्शन में कृषि वैज्ञानिक चंन्द्रशेखर खर एवं श्रीमती सुमनशेखर खरे द्वारा गांजर घास जागरूकता अभियान 16 अगस्त से 01 सितंबर तक चलाया गया।
अभियान के तहत ग्राम पचरी, जर्वंे, सपिया, जैजैपुर में लोगांे को गाजर घास याने पार्थेनियम हमारे देश में 1955 में दृष्टिगोचर होने के बाद यह विदेशी खरपतवार 35 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में फैल चुका है। देश के विभिन्न भागों में विभिन्न नामों जैसे कांग्रेस घास, सफेद टोपी, घटक चांदनी, गंधी बूटी आदि नामों से जाना जाता है। कैसे पहचानें गाजर के पौधे के समान दिखने वाला एक वर्षीय शाकीय पौधा जिसकी लंबाई 1.0 से 1.5 मीटर तक हो सकती है। तना रोयेदार अत्यधिक शाखा युक्त होता है। एक पौधा 25000 बीज उत्पन्न करता है जो बहुत ही हल्के और पंखयुक्त होता है। यह प्रकाश एवं तापमान के प्रति उदासीन होने के कारण पूरे वर्ष भर उगता एवं फलता फूलता रहता है। इस कारण से यह जैवविविधता एवं पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है, पार्कों, खेतों, रोड एवं रेलवे लाईनों के किनारों, सामुदायिक एवं परती भूमि पर कब्जा, मनुष्य और जानवरों के स्वास्थ्य के लिए खतरा के साथ फसलों के उत्पादन को भी प्रभावित करता है। कार्यक्रम के आयोजन में सतीश सोनवानी, शिवप्रसाद, सीएम देव, राजा शर्मा सहित सरपंच, उपसरंपच, पंचों समस्त सामाजिक, पदाधिकारियों, कृषकों, महिलाओं व बच्चों का विशेष योगदान रहा।