उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा मिले वर्ल्ड कप विजेता भारतीय महिला क्रिकेट टीम की फिजियोथेरेपिस्ट आकांक्षा सत्यवंशी से, दी शुभकामनाएं Featured

 

रायपुर : 

 

छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने आज विश्व कप विजेता भारतीय महिला क्रिकेट टीम की फिजियोथेरेपिस्ट रहीं श्रीमती आकांक्षा सत्यवंशी एवं उनके परिजनों के साथ अपने निज निवास पर आत्मीय भेंट की और उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने उन्हें शौर्य के प्रतीक के रूप में गदा भी भेंट किया। जिसपर आकांक्षा ने हर्ष पूर्वक अपने विश्वकप के फाइनल मैच में गदा से जुड़ा एक वाक्या शेयर करते हुए बताया कि वे भी हनुमान जी की भक्त हैं और आखरी मैच में खिलाड़ी राधा यादव और क्रांति गौड़ पूरे समय हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे थे। फिर जब उनकी मैच खेलने की पारी आयी तो उन्होंने एक छोटा सा गदा मेरे हांथों में देकर उसे मैच के अंत तक पकड़े रहने को कहा था और भगवान हनुमान की कृपा हम पर बनी रही और हम विश्व विजेता बन गए।

उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा मिले वर्ल्ड कप विजेता भारतीय महिला क्रिकेट टीम की फिजियोथेरेपिस्ट आकांक्षा सत्यवंशी से, दी शुभकामनाएं

एम्स रायपुर की नौकरी का अवसर छोड़ बनीं महिला टीम की फिजियो
इस अवसर पर उन्होंने उपमुख्यमंत्री से अपने क्रिकेट से जुड़ने के सफर को साझा किया। कैसे एम्स रायपुर की पक्की नौकरी छोड़कर उन्होंने क्रिकेट टीम की फिजियो बनीं। उन्होंने बताया की प्रारंभिक पढ़ाई के बाद रायपुर मेडिकल कॉलेज से फिजियोथेरेपी में स्नातक और कटक से स्नातकोत्तर किया। जिसके बाद उन्होंने कई न्यूरो सर्जन्स के साथ काम किया और उसी वक्त उन्होंने फेसबुक पर अपनी ट्रेवलिंग के शौक के साथ अपनी बक्केट विश लिस्ट शेयर की थी।
उन्होंने कहा उन्हें नहीं पता था कि एक फेसबुक पोस्ट मेरी दुनिया बदल देगा। फेसबुक पोस्ट से मेरे घूमने के शौक को जानकर मेरी सीनियर ने मुझे छत्तीसगढ़ क्रिकेट टीम से जुड़ने का ऑफर दिया और उसी वक्त उनका चयन एम्स रायपुर के लिए भी हुआ था। घर में लोग स्थायी नौकरी के लिए मुझे एम्स जाने के लिए कहा पर माता-पिता और भाई ने उन्हें स्पोर्ट किया और उन्होंने स्थायी नौकरी छोड़ क्रिकेट के साथ अपनी यात्रा प्रारम्भ की एवं छत्तीसगढ़ महिला क्रिकेट टीम की तीनों वर्गों को अपनी सेवाएं दी और उनके अच्छे काम ने उन्हें बीसीसीआई की नजर में ला दिया और सीधे सीनियर भारतीय महिला टीम के साथ उन्हें एक कार्यशाला में कार्य करने का मौका मिला और इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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