मध्यप्रदेश में भीषण गर्मी के मौसम में अघोषित बिजली कटौती से लोग परेशान हैं। राज्य सरकार की जमकर आलोचना हो रही है और मुख्यमंत्री कमलनाथ को तमाम राजनीतिक पार्टियां घेर रही हैं। इन सब से नाराज मुख्यमंत्री कमलनाथ का गुस्सा मंगलवार को ऊर्जा विभाग के अधिकारियों पर फूट पड़ा।
उन्होंने ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के सामने तीन विधायकों को फोन लगाया और बिजली कटौती की समस्या पर बातचीत की। इसके बाद कमलनाथ अधिकारियों पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि क्या जनप्रतिनिधि, जनता और मीडिया तीनों झूठ बोल रहे हैं और सिर्फ आप लोग सही हैं। इस बात के कोई मायने नहीं हैं कि आपने क्या किया है, मगर बिजली जा रही है और लोग परेशान हो रहे हैं।
कमलनाथ ने कहा कि हर 20-25 मिनट में बिजली गुल हो जाती है और जब हो-हल्ला होता है तो तुरंत फाल्ट ठीक हो जाता है, यह कैसी व्यवस्था है। दरअसल, बिजली की समीक्षा बैठक के लिए बिजली कंपनी के अधिकारी अपनी उपलब्धियों का प्रेजेंटेशन बनाकर लाए थे। वे मुख्यमंत्री को बताना चाहते थे कि उन्होंने व्यवस्था में सुधार लाने के लिए क्या काम किया है। लेकिन, इसके पहले ही कमलनाथ ने उन्हें जमीनी हकीकत से रू-ब-रू करवा दिया। उन्होंने कहा कि आंकड़ों से मूर्ख न बनाएं।
बैठक में मुख्य सचिव एसआर मोहंती, अपर मुख्य सचिव आईसीपी केसरी, विद्युत वितरण कंपनियों के प्रबंध संचालक समेत और लोग भी उपस्थित थे।
नाराज कमलनाथ ने अधिकारियों को इन बातों पर ध्यान देने को कहा-
- ऊर्जा विभाग अपनी कार्यप्रणाली में बदलाव लाए।
- उपभोक्ता के घरों में जाने वाले बिजली के कनेक्शन वाले विद्युत तारों का नियमित मेंटेनेंस हो।
- मेंटेनेंस के लिए होने वाली कटौती की पूर्व सूचना दी जाए और आम उपभोक्ता की सुविधा से मेंटेनेंस का समय निर्धारित हो।
- जून माह तक सभी मेटेंनेंस कार्य को योजनाबद्ध तरीके से पूरा करें।
- अघोषित बिजली कटौती पर रोक और तकनीकी खराबियों को प्रशिक्षित अमले द्वारा तत्काल ठीक करने की चाक-चौबंद व्यवस्था करें।
इधर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने इस मामले पर कहा कि लोग बिजली और पानी जैसी चीजों के लिए परेशान हो रहे हैं। अपनी नाकामी को छुपाने के लिए यह सरकार हर समस्या का ठीकरा भाजपा के सिर फोड़ने के जतन में लगी रहती है। मूलभूत जरूरत की चीजों के लिए प्रदेश के लोगों को परेशान करने वाली इस सरकार को एक दिन भी सत्ता में बने रहने का हक नहीं है।
इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि वे यह कहकर नहीं बच सकते कि बिजली कर्मचारी सहयोग नहीं कर रहे।