ईश्वर दुबे
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इंदौर/भोपाल. मध्यप्रदेश समेत देशभर के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को देखते हुए भारत सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। अब पीजी की पढ़ाई के दौरान छात्रों के लिए जिला अस्पतालों में तीन महीने की प्रैटिक्स अनिवार्य की जाएगी इसके लिए मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआई) जल्द ही अधिसूचना जारी करने वाली है। अगले सत्र से निजी व सरकारी मेडिकल कॉलेजों के लिए यह व्यवस्था लागू होगी। इसका फायदा यह होगा कि जिला अस्पतालों में इमरजेंसी ड्यूटी, वार्ड ड्यूटी व ओपीडी के लिए डॉक्टर मिल जाएंगे। एमसीआई का यह प्रयोग सफल रहा तो आगे चलकर प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी पीजी डॉक्टरों को 3 से 6 महीने के लिए इन अस्पतालों में पदस्थ किया जाएगा। इसका मकसद यह है कि यह डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों को अच्छे से समझ सकें। इसका फायदा यह होगा कि पीजी के बाद अनिवार्य ग्रामीण सेवा बंधपत्र या सरकारी सेवा के तहत यहां पदस्थ होने पर उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में होनी वाली बीमारियां, अस्पतालों में संसाधन और अन्य हालातों का ज्ञान रहेगा।
यह होगा फायदा
- जिला अस्पतालों में इलाज के लिए डॉक्टर मिल सकेंगे।
- इनकी पदस्थापना से सर्जरी व एनेस्थीसिया में भी मदद मिलेगी।
- ओपीडी व इमरजेंसी में मरीजों को जल्दी इलाज मिलेगा।
प्रदेश के छह सरकारी कॉलेजों में एमडी-एमएस की सीटें - 693
प्रदेश के निजी कॉलेजों में पीजी सीटें - 307
प्रदेश में जिला अस्पताल - 51
एक समय पर पीजी करने वाले कुल छात्र - 3000
पीजी छात्रों को तीन महीने के लिए जिला अस्पतालों में पदस्थ किया जाएगा। इसके लिए जल्द ही अधिसूचना जारी होने वाली है। - डॉ. वीके पॉल, चेयरमैन, बीओजी (एमसीआई)