ई-संपदा: क्षमता सात हजार यूजर्स की और आ रहे हैं 10 हजार

भोपाल । ऑनलाइन रजिस्ट्री के लिए किए गए इंतजाम अब नाकाफी साबित हो रहे हैं। सात हजार की क्षमता वाले सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल रियल टाइम में 10 हजार से अधिक लोग कर रहे हैं। इसका असर यह है कि सर्वर स्लो हो गया है और रजिस्ट्री की रफ्तार कम हो गई है। लोग परेशान हैं। एक रजिस्ट्री होने में दस-दस दिन तक लग रहे हैं। राज्य सरकार के जिम्मेदार इस व्यवस्था पर सात करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी सुधार की बात कर रहे हैं।
राज्य सरकार ने जुलाई 2015 में बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी विप्रो के बनाए ई-संपदा सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल शुरू किया था। विप्रो ही बैक एंड पर एक्टिविटी संभाल रही थी। कंपनी और राज्य सरकार के बीच का अनुबंध मार्च 2023 तक ही था। अब तक आठ करोड़ रुपये हर साल इस व्यवस्था पर खर्च हो रहा था। इसके बाद कंपनी ने एक अन्य निजी कंपनी ऑरन प्रो को तकनीकी सपोर्ट की जिम्मेदारी दी है। कंपनी को डेढ़ करोड़ रुपये का भुगतान वेतन एवं अन्य खर्चों के लिए किया गया है। अलग-अलग कंपनियों को सॉफ्टवेयर की लाइसेंस फीस के तौर पर साढ़े छह करोड़ रुपये का भुगतान हो रहा है। इसके बाद भी राज्य सरकार की ई-रजिस्ट्री की कवायद हवा-हवाई हो गई है। सर्विस प्रोवाइडर्स तो शिकायतें करते-करते थक गए हैं। उन्होंने तो शिकायत करना तक बंद कर दिया है। मध्यप्रदेश रजिस्ट्रेशन एवं स्टाम्प विभाग के महानिरीक्षक पंजीयन एम सेलवेंद्रन का कहना है कि हम सॉफ्टवेयर की खामियों की शिकायतें मिलने पर उन्हें तुरंत दूर करने की कोशिश करते हैं। समस्याएं बढ़ गई हैं। इसे देखते हुए नया सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है।
सॉफ्टवेयर को लेकर रोज ही 100 से अधिक शिकायतें मिल रही हैं। एक सर्विस प्रोवाइडर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 10 से 15 मिनट का काम दो-तीन घंटे में हो रहा है। अक्सर तो एक ही काम में दिनभर लग जाता है। सॉफ्टवेयर की वजह से सर्विस प्रोवाइडर और रजिस्ट्री करने आने वालों को रोजाना दिक्कतें हो रही हैं। आईडी-पासवर्ड सही डालने के बाद भी कई बार लॉग-इन नहीं होता। सॉफ्टवेयर चलते-चलते खुद ही लॉग-आउट हो जाता है। ई-रजिस्ट्री के दौरान सर्वर की दिक्कत के कारण डीडी करप्ट हो जाता है तो कभी ई-साइन और फोटो प्रिंट नहीं होता। डीडी और डॉक्युमेंट के प्रिंट होने की समस्या अलग है। कुल मिलाकर ई-रजिस्ट्री की प्रक्रिया के हर कदम पर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
ई-संपदा सॉफ्टवेयर को लागू करते समय दावा किया गया था कि अब कामकाज पेपरलेस और तुरंत होगा। हालांकि, सॉफ्टवेयर की परेशानी ने इस उद्देश्य को भी भटका दिया है। डीडी बनाने और संबंधित जानकारी फीड करने के बाद भी ई-संपदा पर डेटा सेव नहीं होता और कई-कई बार फॉर्म भरना पड़ता है। फीस और स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान करने में समय लगता है। सॉफ्टवेयर दी गई जानकारी को भी गलत बता देता है। स्टाम्प ड्यूटी की राशि ट्रांसफर होने के बाद भी सॉफ्टवेयर पर अपडेट नहीं होती। इस तरह की समस्याओं की वजह से एक रजिस्ट्री में कभी-कभी दस दिन का समय भी लग रहा है।
मध्यप्रदेश रजिस्ट्रेशन एवं स्टाम्प विभाग ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में 13 लाख 18 हजार रजिस्ट्री की। यानी हर कामकाजी दिन पर औसत चार से पांच हजार रजिस्ट्रियां की गई। विभाग को इससे आठ हजार 890 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। सबसे ज्यादा राजस्व इंदौर से 2084 करोड़, भोपाल से 1158 करोड़, ग्वालियर से 492 करोड़ और जबलपुर से 592 करोड़ रुपये प्राप्त हुआ।

 

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Last modified on Friday, 12 May 2023 16:09

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