ईश्वर दुबे
संपादक - न्यूज़ क्रिएशन
+91 98278-13148
newscreation2017@gmail.com
Shop No f188 first floor akash ganga press complex
Bhilai
श्योपुर । कूनो नेशनल पार्क में इकलौते बचे शावक को जीवित रखने की चुनौती खड़ी हो गई है। गर्मी से बेहाल चौथे शावक की सेहत भी सही नहीं है। इस शावक काे बचाने के लिए अब बकरी के दूध का सहारा लिया जा रहा है।इसके लिए कूनो नेशनल पार्क में चीताें के बाड़े के पास ही दो बकरियां पाली जा रही है। गौरतलब है, कि 17 सितंबर को नामीबिया से लाकर कूनो सेंक्चुरी में छोड़ी गई ज्वाला (सियाया) चीता ने 23 मार्च को बड़े बाड़े में चार शावकों को जन्म दिया था। मदर्स डे 14 मई तक चारों शावक पूरी तरह हष्ट-पुष्ट थे, क्योंकि मदर्स डे पर कूनो प्रबंधन ने चारों शावकों के साथ अठखेलियां करतीं ज्वाला का वीडियो शेयर किया था। लेेकिन इसके बाद जैसे ही चिलचिलाती धूप अौर झुलसाने वाली लपटों का दौर शुरू हुआ और कूनो के जंगल का पारा 47 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा तो 23 मई को ज्वाला के पहले शावक की माैत की खबर आई। इसके तीसरे दिन यानी 25 मई को दो और शावकों की मौत की जानकारी कूनो प्रबंधन ने दी।चार में से केवल एक चीता शावक जीवित बचा है, वह भी पूरी तरह स्वस्थ नहीं है। चीता शावक ने अपनी मां का दूध पीना तक छोड़ दिया है। ऐसे में कूनो प्रबंधन ने विशेषज्ञों की सलाह पर शावक को बकरी का दूध पिलाना शुरू किया है।करीब चार दिन से शावक को बकरी का दूध पिलाया जा रहा है, इसके लिए कूनो में दो बकरियां बांधी गई हैं, जिनकी देखरेख में वनकर्मी लगाए गए हैं।
अफ्रीका से ज्यादा गर्मी कूनो में, यही जानलेवा साबित हुई
नामीबिया और अफ्रीका के जिन जंगलों से 20 चीताें को कूनो नेशनल पार्क में लाया गया है, उन चीताें को बदले हुए पर्यावरण, भौगोलिक स्थिति के साथ इतनी भीषण गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। बीते 50 साल में अफ्रीका के अधिकतम तापमान 45.5 डिग्री पहुंचा है। अफ्रीका का औसत तापमान 43 से 44 डिग्री रहता है। जबकि कूनो नेशनल पार्क में तापमान 49 से 50 डिग्री तक जा पहुंचता है।पिछले एक सप्ताह से कूनो का तापमान 47 डिग्री तक जा पहुंचा। इसके साथ ही झुलसाने वाली लू का कहर रहा। यही मौसम चीता शावकों के लिए खतरनाक साबित हुआ।
बकरी का दूध सबसे अच्छा इम्युनिटी बूस्टर, बढ़ाएगा रोग प्रतिरोधक क्षमता
जलीयजीव एवं वन्यजीवाें पर कई शोध कर चुके मुरैना के वैज्ञानिक डा. विनायक सिंह तोमर ने बताया, कि एक द्वीप से दूसरे द्वीप पर लाए गए चीताें के लिए कूनो की भाैगोलिग स्थिति, यहां का हवा-पानी व आहार सबकुछ नया है। ऐसे में वयस्क चीते हार्माेनल डिसबेलेंस से पीड़ित हो जाते हैं, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है।छोटे शावकाें के लिए तो यह बदलाव और ज्यादा जोखिमभरा होता है। उनकी उत्तर जीविका को प्रभावित करते हैं। बकरी के दूध में आयरन, बिटामिन, कैल्शियम, पोटेशियम, फास्फोरस जैसे कई तत्व होते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।इतनी गर्मी में चीता शावक को कोई दवा देखा भी नुकसानदायक हो सकता है, संभवत: इसीलिए बकरी का दूध दिया जा रहा है, इससे शावक की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।
- अफ्रीका का तापमान औसत 44 डिग्री रहता है, लेकिन कूनो का तापमान 47 से 49 डिग्री तक पहुंच जाता है। इसी गर्मी व लू के कारण चीता शावकों की सेहत अचानक बिगड़ी। जो चीता शावक जीवित है वह अपनी मां का दूध नहीं पी रहा, इसलिए विशेषज्ञाें की सलाह पर ही उसे बकरी का दूध पिला रहे हैं। चीता शावक डाक्टरों की निगरानी में है।
पीके वर्मा, डीएफओ, कूनो नेशनल पार्क