ईश्वर दुबे
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भोपाल विशेष प्रतिनिधि। सीएम पद से वंचित दावेदार अब मोहन यादव पर साध रहे निशाना जगदीश देवड़ा बने आड़े हाथों आलोचना का माध्यम मध्य प्रदेश की राजनीति में 2023 के विधानसभा चुनावों के बाद जो आशंकाएँ धीरे-धीरे उठने लगी थीं, वे अब सुस्पष्ट रूप में उभरकर सामने आ रही हैं। प्रचंड बहुमत के बाद भाजपा ने जब शिवराज सिंह चौहान के दीर्घकालिक कार्यकाल का समापन कर डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी, उसी क्षण सत्ता संतुलन में बदलाव की आहट महसूस होने लगी थी।
तीन दिग्गज चेहरे पर सत्ता की देहरी पर निराशा
बहुमत स्पष्ट होने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए तीन बड़े नेता प्रबल दावेदार माने जा रहे थे—नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय मीडिया, राजनीतिक विश्लेषण और पार्टी की आंतरिक चर्चाएँ सबका केंद्र यही तीन चेहरे थे। परंतु अंत में निर्णय ने ऐसा मोड़ लिया, जिसे कम ही लोग भांप सके। डॉ. मोहन यादव ‘डार्क हॉर्स’ की तरह उभरे और तीनों दिग्गजों की महत्वाकांक्षाएँ धरी रह गईं। विजयवर्गीय और पटेल को मंत्रिमंडल में स्थान मिला, जबकि तोमर को विधानसभा अध्यक्ष बना दिया गया। महत्वाकांक्षा का स्वाभाविक मलाल भीतर ही भीतर धधकता लावा राजनीति में ऊँचे पद की आकांक्षा स्वाभाविक है। वर्षों से शक्ति-केंद्रों में खड़े इन नेताओं के लिए यह निर्णय एक गहरी व्यक्तिगत निराशा थी। भाजपा का अनुशासन भले ही तत्काल कोई बगावत नहीं होने देता, पर मलाल की आग भीतर ही भीतर सुलगती रही और बुधवार की कैबिनेट बैठक ने इसी धधकती ज्वाला को पहला वेंटिलेशन दे दिया।
कैबिनेट मीटिंग,पहला सार्वजनिक ‘विस्फोट’
बुधवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में जीएसटी संग्रह में कमी का मुद्दा उठा। यही वह क्षण था जब दो वरिष्ठ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल ने अप्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री पर प्रहार करने की कोशिश की। उन्होंने निशाना साधा उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा पर। हालाँकि समझने में देर नहीं लगी कि तीर देवड़ा पर नहीं, बल्कि दे