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नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर जदयू और भाजपा में गठबंधन पर अब तक सहमति नहीं बन सकी है। इसको देखते हुए जदयू ने शुक्रवार को एलान कर दिया है कि वह अपने उम्मीदवारों की पहली सूची शनिवार को जारी कर देगा। जदयू के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि चरणवार उम्मीदवारों की सूची जारी होगी। पहली सूची शनिवार दोपहर में जारी होगी। त्यागी ने कहा कि भाजपा के साथ समझौते का अब तक कोई संदेश उनके पास नहीं आया है। इसलिए बैठक बुलाकर पहली सूची पर निर्णय लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इसे जारी कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि उम्मीदवारों की 51 सूची तैयार की गई है, पर पहली सूची में ये सभी नाम नहीं होंगे। मालूम हो कि बुधवार को दिल्ली में जदयू राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में पार्टी के 51 उम्मीदवारों की सूची को फाइनल किया गया था। तब, केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने कहा था कि भाजपा से उनकी सकारात्मक बात चल रही है। उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश में साथ चुनाव लड़ने पर जदयू और भाजपा का समझौता हो जाएगा। वहीं, ललन सिंह ने उत्तर प्रदेश के पार्टी अध्यक्ष को कहा था कि एक-दो दिनों के इंतजार के बाद आप उम्मीदवारों की सूची को जारी कर देंगे।

नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। प्रदेश में एक बार फिर भाजपा की योगी सरकार आएगी या अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी? इन सवालों का सही जवाब 10 मार्च को ही मिलेगा। लेकिन उससे पहले अलग-अलग चैनल-एजेंसियों ने उत्तर प्रदेश की सियासत को लेकर सर्वे किया है। उन सभी ओपिनियन पोल्स में यूपी में भाजपा के जीत की भविष्यवाणी की गई है। इसके साथ ही यह भी अनुमान लगाया गया है कि चुनाव नतीजों में भाजपा की सीटें 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के मुकाबले घट सकती है। बता दें कि प्रदेश में 403 विधानसभा सीटों के जीत के कई कारक हैं, उनमें से प्रमुख हैं जातिगत समीकरण। के 'पोल ऑफ पोल' की मानें तो सत्तारूढ़ भगवा पार्टी एक बार फिर बहुमत के साथ जीतेगी। लेकिन साथ ही समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन को राज्य में सबसे बड़ा विपक्ष बनने की भविष्यवाणी की गई है। इसमें यह भी बताया जा रहा है कि 2017 में जीती हुई कई सीटों में से लगभग 60 से अधिक सीटों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भाजपा खो देगी। प्रदेश में चार प्रमुख दावेदारों- बीजेपी, एसपी गठबंधन के साथ रालोद, बसपा और कांग्रेस के प्रदर्शन पर राय दर्ज की है। पार्टियों के चेहरों में क्रमश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमो मायावती और प्रियंका गांधी वाड्रा हैं। किसी भी पार्टी के बहुमत हासिल करने का आधा रास्ता 202 है। बहरहाल, जनमत सर्वेक्षणों ने भविष्यवाणी की कि सत्तारूढ़ भाजपा का प्रदर्शन काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि वह विधानसभा चुनावों में जातिगत समीकरणों को कैसे संतुलित करती है। ऐसा लगता है कि व्यापक हिंदुत्व छत्र के तहत जातिगत दोष रेखाओं को समायोजित करने के भाजपा के प्रयास खतरे में हैं। मालूम हो कि अब तक तीन मंत्रियों समेत 11 ओबीसी विधायक भाजपा छोड़ चुके हैं। इन बागी नेताओं में से अधिकांश सपा-रालोद गठबंधन में शामिल हो गए हैं, उनकी नाराजगी पार्टी के शीर्ष नेताओं की तुलना में आदित्यनाथ पर अधिक है। 2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा 312 सीटों के साथ सत्ता में आई थी, जबकि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा 47 में कामयाब रही थी। मायावती की बसपा को 19 सीटों के साथ संघर्ष करना पड़ा था और कांग्रेस को राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य में सिर्फ सात सीटों के साथ चौथे स्थान पर ले जाया गया था। यूपी की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 14 मई 2022 को खत्म हो रहा है।

चमकौर साहिब पंजाब के रूपनगर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह चमकौर के युद्ध के लिए प्रसिद्ध है, जो गुरु गोविंद सिंह और मुगल साम्राज्य के बीच लड़ा गया था। इस सीट से कांग्रेस ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को एक बार फिर चुनावी मैदान में उतारा। वहीं आप ने डॉ. चरणजीत सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है।

 

जलंधर। शहीदों की धरती कहे जाने वाले चमकौर साहिब से मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने एक बार फिर अपनी ताल ठोकी है। ऐसे में इस सीट पर सभी की नजर रहने वाली है। इतिहास में झांके तो यही पता चलता है कि पंजाब की सियासत कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के इर्द-गिर्द रही है और चमकौर साहिब सीट पर भी साल 2017 से पहले कांग्रेस और शिअद के बीच मुकाबला देखने को मिलता था। इसके बावजूद प‍िछले तीन बार से चरणजीत स‍िंह चन्‍नी जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे हैं। 

आपको बता दें कि चमकौर साहिब पंजाब के रूपनगर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह चमकौर के युद्ध (प्रथम और द्वितीय) के लिए प्रसिद्ध है, जो गुरु गोविंद सिंह और मुगल साम्राज्य के बीच लड़ा गया था।

कैसा है चमकौर साहिब का इतिहास ?

इस सीट से कांग्रेस ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को एक बार फिर चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं आम आदमी पार्टी (आप) ने डॉ. चरणजीत सिंह को जबकि शिअद ने हरमोहन संधू को अपना उम्मीदवार बनाया है। पंजाब की 117 विधानसभा सीटों के लिए 20 फरवरी को मतदान होना है और 10 मार्च को उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा और तय होगा कि सत्ता कांग्रेस के पास रहेगी या फिर किसी और के पास जाएगी।

चरणजीत सिंह चन्नी ने साल 2007 में पहली बार चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस से टिकट मांगा था लेकिन पार्टी ने टिकट देने से इनकार कर दिया था। उस वक्त उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और जीत भी दर्ज की थी। इसके बाद वो शिअद में चले गए और फिर कुछ वक्त बाद उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। इसके बाद साल 2012 और 2017 के चुनाव में जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे। इतना ही नहीं 2015 में चरणजीत सिंह चन्नी को विपक्ष के नेता की भूमिका में रहे हैं। 

आम आदमी पार्टी ने बनाया था त्रिकोणीय मुकाबला

साल 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने चमकौर साहिब सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बनाया था। 2017 से पहले इस सीट पर कांग्रेस और शिअद के बीच टक्कर देखने को मिलती थी लेकिन आम आदमी उम्मीदवार ने पिछले चुनावों में कड़ी टक्कर दी लेकिन वो हार गया। उस वक्त आम आदमी पार्टी उम्मीदवार को दूसरा और शिअद उम्मीदवार को तीसरा स्थान मिला था। इस सीट पर 1985 और 1992 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी। जबकि 1997 और 2002 के चुनाव में शिअद का कब्जा रहा।  

चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के मौजूदा मुख्यमंत्री हैं। पंजाब कांग्रेस में लंबे समय तक चली अंर्तकलह के बाद उन्हें 20 सितंबर 2021 को प्रदेश की कमान सौंपी गई। वे पंजाब के 27वें मुख्यमंत्री बने। इसके साथ ही वह राज्य के पहले दलित मुख्यमंत्री भी हैं। साल 2017 में चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस ने अमरिंदर सिंह को सत्ता सौंपी थी। लेकिन अपमानित महसूस करने के बाद अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद त्याग दिया और कांग्रेस को अलविदा कहते हुए अपनी खुद की पार्टी बना ली। 

क्या चुनाव हार जाएंगे चन्नी ?

हाल ही में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कुछ सर्वेक्षणों का हवाला देते हुए दावा किया था कि अगले महीने होने वाले चुनाव में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को उनके निर्वाचन क्षेत्र चमकौर साहिब में हार का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने ट्वीट किया था कि हमारा सर्वेक्षण दिखा रहा है कि चन्नी जी चमकौर साहिब से हार रहे हैं। टीवी पर ईडी के अफ़सरों को नोटों की इतनी मोटी-मोटी गड्डियां गिनते देख लोग हैरान हैं।

सुप्रिया ऐरन पूर्व मेयर रह चुकी हैं जबकि उनके पति पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन हैं। दोनों आज समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। शामिल होने के साथ ही समाजवादी पार्टी की ओर से शुक्रिया अदा उनको टिकट भी दे दिया गया। अब सुप्रिया ऐरन बरेली कैंट से कांग्रेस नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ेंगी।

 

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य में राजनीतिक सरगर्मियां लगातार जारी है। नेताओं का पाला बदलना भी देखने को मिल रहा है। इन सब के बीच कांग्रेस को आज एक बड़ा झटका लगा है। दरअसल, कांग्रेस की ओर से जिसे बरेली कैंट से प्रत्याशी बनाया गया था। वह आज समाजवादी पार्टी में शामिल हो गईं। यह नेता हैं सुप्रिया ऐरन। सुप्रिया ऐरन पूर्व मेयर रह चुकी हैं जबकि उनके पति पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन हैं। दोनों आज समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। शामिल होने के साथ ही समाजवादी पार्टी की ओर से शुक्रिया अदा उनको टिकट भी दे दिया गया। अब सुप्रिया ऐरन बरेली कैंट से कांग्रेस नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ेंगी।

सुप्रिया ऐरन के बारे में बात करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि उनका पार्टी में स्वागत है। वह पार्टी में बाहर से नहीं आई है बल्कि वह पहले से ही सपा में ही थीं। इसके साथ ही अखिलेश यादव ने दावा किया कि एक बार फिर से उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने जा रही है। जनता समाजवादी पार्टी की तरफ काफी उम्मीद से देख रही है। अखिलेश यादव ने आज भी उत्तर प्रदेश में 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का ऐलान किया। साथ ही साथ योगी सरकार पर जमकर हमला भी किया।

 

अखिलेश यादव ने कहा कि ‘‘वर्ष 2022 में बाइसिकल का नारा साकार करने के लिए सपा आज संकल्प लेती है। आईटी सेक्टर में 22 लाख युवाओं को नौकरी देने का संकल्प लेते हैं, इसके लिए सरकार काम करेगी। जो सरकार 18 लाख लैपटॉप दे सकती है, वो सरकार इस दिशा में देर नहीं लगाएगी। यह नौकरी आईटी सेक्टर वालों को मिलेगी।’’ उन्होंने कहा, जो समाजवादी पार्टी 18 लाख लैपटॉप बांट सकती है उसको 22 लाख रोजगार आईटी के क्षेत्र में देने में समय नहीं लगेगा। आईटी सेक्टर के लिए पहला संकल्प हैं कि 22 लाख युवाओं को इस क्षेत्र में रोजगार दिया जाएगा।

इन सबके बीच असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व में अब तीसरे मोर्चे का भी गठन कर लिया गया है। एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश में बाबू सिंह कुशवाहा और भारत मुक्ति मोर्चा के साथ गठबंधन की घोषणा की है।

 

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के ऐलान के साथ ही सभी राजनीतिक दलों ने अपना दमखम लगाना शुरू कर दिया है। इन सब के बीच अब तीसरे मोर्चे का भी ऐलान हो गया है। वैसे तो उत्तर प्रदेश में मुख्य मुकाबला समाजवादी पार्टी और सत्तारूढ़ भाजपा के बीच मानी जा रही है। बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस भी अपना दम लगा रही हैं। इन सबके बीच असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व में अब तीसरे मोर्चे का भी गठन कर लिया गया है। एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश में बाबू सिंह कुशवाहा और भारत मुक्ति मोर्चा के साथ गठबंधन की घोषणा की है।

गठबंधन के ऐलान के साथ ही ओवैसी ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को लेकर एक फॉर्मूला दिया है। ओवैसी ने दावा किया कि अगर उत्तर प्रदेश में सरकार बनती है तो दो मुख्यमंत्री होंगे, एक ओबीसी समुदाय से और दूसरा दलित समुदाय से। इसके अलावा तीन उप मुख्यमंत्री होंगे जिसमें मुस्लिम समुदाय भी शामिल होगा। आपको बता दें कि इससे पहले ओवैसी ने ओमप्रकाश राजभर के साथ गठबंधन किया था। हालांकि बाद में ओमप्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर लिया।

 

इससे पहले असदुद्दीन ओवैसी की ओर से लगातार दावा किया जा रहा है कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में 100 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। ओवैसी ने कई सीटों के लिए उम्मीदवारों की ऐलान भी कर दिए हैं। ओवैसी की पार्टी की ओर से मुस्लिम बहुल विधानसभा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारे जा रहे हैं। हालांकि ओवैसी की सूची में हिंदू उम्मीदवारों के भी नाम है। इन सबके बीच उत्तर प्रदेश में विपक्ष ओवैसी को भाजपा की बी टीम लगातार बता रहा है।

 


 

कैराना में डोर-टू-डोर कैंपेन करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने वहां की जनता से आगामी चुनाव में भाजपा को वोट देने की अपील की। उन्होंने कहा कि 10 तारीख को कमल के निशान का बटन दबाना है और सुबह 8 बजे वोट देने आप सभी को जाना है। मेरे साथ कैंपेन में मृगांका जी भी आई हैं।

 

मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह ने कैराना में डोर-टू-डोर कैंपेन किया। इस दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं में गजब का उत्साह देखने को मिला और चारो तरफ जय श्री राम के नारों की गूंज सुनाई दी। कैराना की जनता और भाजपा कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह उनका स्वागत किया और मिष्ठान खिलाया। 

मृगांका के लिए किया चुनाव प्रचार

कैराना में डोर-टू-डोर कैंपेन करते हुए अमित शाह ने वहां की जनता से आगामी चुनाव में भाजपा को वोट देने की अपील की। उन्होंने कहा कि 10 तारीख को कमल के निशान का बटन दबाना है और सुबह 8 बजे वोट देने आप सभी को जाना है। मेरे साथ कैंपेन में मृगांका जी भी आई हैं।

आपको बता दें कि भाजपा ने पूर्व सांसद बाबू हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को कैराना से अपना उम्मीदवार घोषित किया है। मृगांका सिंह के पिता कैरान विधानसभा सीट से सात बार विधायक चुने गए हैं। हालांकि मृगांका साल 2017 का विधानसभा चुनाव हार गई थी। उनके खिलाफ समाजवादी पार्टी ने नाहिद हसन को चुनावी मैदान में उतारा था। इसके बाद पार्टी ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी मृगांका पर भी दांव लगाया था।

यहां देखें पूरा चुनाव प्रचार:- 

पार्टी अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने ऐसे 26 सीटों का भी ऐलान कर दिया है जहां जदयू अपना उम्मीदवार उतारेगी। ललन सिंह ने पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को लेकर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि अगर पहले हमें पता होता कि गठबंधन नहीं हो सकती तो हम और बेहतर तैयारी करते।

 

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दल अपनी सक्रियता दिखा रहे हैं। इन सबके बीच बिहार में भाजपा की सहयोगी जदयू भी उत्तर प्रदेश में गठबंधन की कोशिश में थी। हालांकि जदयू और भाजपा के बीच गठबंधन पर बात नहीं बन पाई है। यही कारण है कि अब जनता दल यूनाइटेड की ओर से अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया गया है। पार्टी अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने ऐसे 26 सीटों का भी ऐलान कर दिया है जहां जदयू अपना उम्मीदवार उतारेगी। ललन सिंह ने पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को लेकर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि अगर पहले हमें पता होता कि गठबंधन नहीं हो सकती तो हम और बेहतर तैयारी करते।

हालांकि जदयू की ओर से इस बात पर भी जोर दिया गया है कि उत्तर प्रदेश में अलग-अलग चुनाव लड़ने से बिहार में गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ललन सिंह ने कहा कि चार-पांच महीने पहले केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को उत्तर प्रदेश में भाजपा के साथ गठबंधन करने की जिम्मेदारी दी गई थी। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा से बात भी की थी। आरसीपी सिंह ने भरोसा दिया था कि गठबंधन हो जाएगा। हमने गठबंधन के लिए लंबे समय तक इंतजार किया। लेकिन भाजपा की ओर से शुक्रवार शाम तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया है।

 

ललन सिंह ने कहा कि सकारात्मक जवाब नहीं मिलने की स्थिति में हमने अब अपना उम्मीदवार उतारने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि उत्तर प्रदेश में संजय निषाद और अपना दल के साथ हमारा गठबंधन है। लेकिन उन्होंने जदयू का कहीं भी नाम नहीं लिया। यही कारण है कि हम अब अपने दम पर उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने जा रहे हैं। पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अनुप पटेल ने 51 सूची हमें दिए थे लेकिन आरसीपी सिंह ने इंतजार करने को कहा था। फिलहाल हम 26 सीटों की सूची जारी कर रहे है। 

पणजी | गोवा के लोक निर्माण विभाग के मंत्री दीपक प्रभु पौस्कर ने शुक्रवार को एक विधायक के रूप में मंत्री और भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, दरअसल, उन्हें सांर्वोडम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए टिकट से वंचित कर दिया गया था। साल 2019 में महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी से भाजपा में शामिल हुए पुष्कर ने कहा कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ेंगे। पौस्कर ने कहा, "मैंने आज विधायक पद, मंत्री पद और भाजपा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। मैंने अपने कार्यकर्ताओं के साथ विचार-विमर्श के बाद निर्णय लिया है और मैं सांर्वोडम से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ूंगा।"

भाजपा ने गुरुवार को 34 उम्मीदवारों की सूची की घोषणा की, जिसने पूर्व विधायक गणेश गांवकर को सांर्वोडम विधानसभा का टिकट दिया।

नई दिल्ली | कांग्रेस पार्टी ने वादा किया है कि सत्ता में आने पर वो उत्तरप्रदेश में वो 20 लाख सरकारी नौकरी, हजारों टीचरों की वैकेंसी और परीक्षा फीस को भी माफ करेगी। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि देश और उत्तरप्रदेश की समस्या हिंदुस्तान के हर युवा को मालूम है। कांग्रेस पार्टी युवाओं को भविष्य के लिए चिंतित है इसलिय एक ठोस रणनीति बनाई है, जिसके तहत पार्टी ने युवाओं के लिए घोषणा पत्र तैयार किया है। यूपी में पिछले 5 सालों में 16 लाख युवाओं ने रोजगार खोया है। हर दिन 880 युवा रोजगार खो रहे हैं, क्योंकि देश का पूरा धन देश के बड़े उद्योगपतियों को दिया जा रहा है।

प्रियंका गांधी ने कहा कि यूपी में सबसे बड़ी समस्या भर्ती है। इसलिए हमने इसका नाम भर्ती विधान रखा है। हमारा ये प्रयास रहा है कि जो युवाओं की समस्याएं है उन्हें दूर की जाएगी।

प्रियंका गांधी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आएगी तो शिक्षा का बजट बढ़ाया जाएगा। परीक्षा प्रक्रिया को मुफ्त किया जाएगा। निषादों के लिए मत्स्य पालन, नौका व्यापार के लिए विश्व स्तरीय विद्यालय बनाया जाएगा, ताकि निषाद समाज का विकास हो सके। इसके लिए विश्व स्तरीय खेल अकदमी बनाई जाएगी, ताकि निषाद युवा तैराकी के अपनी रुचि को करियर में बदल सकते। अन्य खेलों के लिए भी खासतौर पर क्रिकेट के लिए अकादमी बनाई जाएगा। गरीब वर्ग के युवाओं की शिक्षा के लिए एक सिंगल विंडो स्कॉलरशिप खोला जाएगा।

उन्होंने कहा कि युवाओं को 20 लाख नौकरी दी जाएगी, इसमें से 8 लाख पदों पर आरक्षण के मध्य से महिलाओं को भी नौकरी मिलेगी। परीक्षाओं में घोटाले दूर किये जायेंगे। यूपी में प्राथमिक स्कूलों में 1 लाख शिक्षक की भर्ती की जाएगी। इसी तरह तमाम खाली पड़ भरे जाएगी। भर्ती प्रक्रिया में फॉर्म भरने की फीस, परीक्षा स्थल तक जाने का शुल्क माफ की जाएगी। पेपर लीक को बंद किया जायेगा ताकि युवाओं को सुविधा हो सकते। आरक्षण के घोटाले रोके जायेगे, सामाजिक न्याय पर्यवेक्षक नियुक्त किये जायेंगे। मत्स्य पालन, नौका व्यापार के लिए विश्व स्तरीय विद्यालय बनाया जाएगा। यूपी के युवाओं को नशा मुक्त करने के लिए नशा मुक्ति केंद्र खोले जाएंगे। जिसका मुख्य केंद्र लखनऊ में होगा। इसके साथ ही 4 केंद्र और होंगे जो युवाओं को नशे की लत से दूर ले जाएंगे। वहीं कांग्रेस पार्टी ने ऐलान किया है कि सरकार बनने पर हर साल उत्तरप्रदेश में वो हर साल यूथ फेस्टिवल आयोजित करेगी।

दरअसल कांग्रेस ने घोषणा पत्र को भर्ती विधान युवा घोषणा पत्र नाम दिया है। इसमें प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों के खाली पड़े 1.5 लाख पद भरने की घोषणा की गई है। माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के 38 हजार पद भरने का वादा किया गया है। उच्च शिक्षा और कॉलेज में खाली पड़े 8000 रिक्त पद भरने की घोषणा है। आंगनबाड़ी कार्यकतार्ओं के 19300 और आगनवाड़ी सहायिकाओं के 27000 रिक्त पदों को भरने की घोषणा की है।

कांग्रेस स्टार्ट एप के लिए 5 हजार करोड रूपए का सीड स्टार्ट अप फंड देगी। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए एग्जाम फीस माफ करने का वादा किया है। कांग्रेस की 20 लाख नौकरियां देने की गारंटी, 8 लाख नौकरियां महिलाओं को दी जाएगी ये कहा गया है।

कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव में युवाओं और महिलाओं पर विशेष जोर दे रही है और उसने घोषणा की है कि वह उत्तर प्रदेश में 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं के बाद अब युवाओं को भी दी जाएगी।

देश में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर केद्रीय चुनाव आयोग की बैठक चल रही है। बैठक के बाद ऐसा माना जा रहा है कि देश में बढ़ते कोरोना के मामले को देखते हुए चुनाव आयोग चुनाव रैलियों और चुनावी जनसभा पर लगी रोक को बढ़ा सकती है। पांच राज्यों में चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद चुनाव आयोग ने 15 जनवरी तक रैलियों और जनसभाओं पर रोक लगाई थी। जिसे बाद में 22 जनवरी तक बढ़ा दिया गया। बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव समेत राज्यों के अधिकारी भी हैं।

8 जनवरी को हुआ था चुनावी तारीखों का ऐलान

चुनाव आयोग ने 8 जनवरी को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में चुनावों की तारीखों की घोषणा की थी। तब कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए 15 जनवरी तक रैलियों पर रोक लगाई गई थी। इस रोक को 22 जनवरी तक बढ़ा दिया गया था।

आयोग ने पार्टियों की इनडोर मीटिंग में 300 लोगों या हॉल की क्षमता के 50% लोगों को शामिल किए जाने की छूट दी गई थी। सिर्फ सोशल मीडिया पर कैम्पेन करने की इजाजत दी गई थी। इस पाबंदी की मियाद आज खत्म हो रही है।

10 फरवरी से शुरू होगी वोटिंग

उत्तर प्रदेश में 7 चरणों में वोटिंग होगी, 10 फरवरी से 7 मार्च तक। उत्तराखंड और गोवा में एक साथ 14 फरवरी को वोटिंग होगी। पंजाब में 20 फवरी को, वहीं मणिपुर, में 27 फरवरी और 3 मार्च को वोट पड़ेंगे। सब जगह नतीजे 10 मार्च को आएंगे।

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