ईश्वर दुबे
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Bhilai
राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी राजनीति की अगुवाई करने की ममता बनर्जी की सियासी महत्वाकांक्षा बंगाल से बाहर गोवा की अपनी पहली ही चुनावी परीक्षा में डांवाडोल होती दिख रही है। पूर्व मुख्यमंत्री लुइजिनो फेलेरियो सरीखे कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं को तोड़ धूम-धड़ाके के साथ गोवा में तृणमूल कांग्रेस को लांच करने के चार महीने के भीतर ही दीदी को अपनी सियासी प्रतिष्ठा के लिए कांग्रेस से ही गठबंधन की शिद्दत से जरूरत महसूस हो रही है।
दिलचस्प यह है कि तृणमूल कांग्रेस की ओर से गठबंधन के लिए बनाए जा रहे सार्वजनिक दबावों के बावजूद कांग्रेस नेतृत्व ने दीदी को पेशकश का दो हफ्ते बाद भी जवाब देना मुनासिब नहीं समझा है। कांग्रेस गोवा के चुनाव में टीएमसी और उसके सहयोगी साथी एमजीपी के साथ गठबंधन की गुंजाइश से लगातार इन्कार करती आ रही है। गोवा चुनाव के लिए कांग्रेस के प्रभारी वरिष्ठ नेता पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम पिछले दो हफ्ते से टीएमसी और आप को सूबे में वोट कटवा पार्टी बताते हुए गठबंधन को खारिज करते आ रहे हैं और उनका साफ कहना है कि ये दोनों दल भाजपा विरोधी मतों में सेंध लगाकर कांग्रेस का नुकसान कर रहे हैं। गोवा की टीएमसी की चुनाव प्रभारी महुआ मोइत्रा की चिदंबरम के साथ इस रुख को लेकर टविटर पर कई बार सियासी जंग भी हुई, मगर कांग्रेस नेता सूबे में टीएमसी को वोट कटवा से ज्यादा आंकने को तैयार नहीं दिखे।
भाजपा ने उत्पल पर्रिकर को मनाना शुरू कर दिया है। इसी के साथ ही पार्टी ने उन्हें एक ऑफर भी दिया है। जिसके मुताबिक, पार्टी ने उत्पल पर्रिकर से आग्रह किया है कि वो पणजी से विधानसभा चुनाव लड़ने की जिद छोड़ दें। ऐसे में उन्हें बेहतर मौका दिया जा सकता है।
गोवा समेत पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। टिकट न मिलने से नाराज नेताओं ने दल बदलना शुरू कर दिया है। इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नाराज चल रहे हैं क्योंकि उन्हें अपने पिता की परंपरागत सीट पणजी से विधानसभा चुनाव लड़ना है। हालांकि पार्टी ने उन्हें टिकट दिए जाने को लेकर भरोसे में नहीं लिया, जिससे आहत होकर उन्होंने पणजी में चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है।
भाजपा ने दिया ऑफर
प्राप्त जानकारी के मुताबिक भाजपा ने उत्पल पर्रिकर को मनाना शुरू कर दिया है। इसी के साथ ही पार्टी ने उन्हें एक ऑफर भी दिया है। जिसके मुताबिक, पार्टी ने उत्पल पर्रिकर से आग्रह किया है कि वो पणजी से विधानसभा चुनाव लड़ने की जिद छोड़ दें। ऐसे में उन्हें बेहतर मौका दिया जा सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक भाजपा ने उन्हें पणजी के स्थान पर कहीं और से या फिर राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अहम जिम्मेदारी दिए जाने का ऑफर दिया है।
अतनासियो मोंसेरेट को बताया भ्रष्ट
माना जा रहा है कि भाजपा मौजूदा विधायक अतानासियो मोनसेरेट को ही पणजी से विधानसभा चुनाव लड़ाना चाहती है लेकिन उत्पल पर्रिकर ने उनके खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है और तो और मौजूदा विधायक को उन्होंने भ्रष्ट बताया है। जिसकी वजह से पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ऐसे में पार्टी ने उन्हें बेहतर विकल्प का मौका दिए जाने की बात कही है। भाजपा उत्पल पर्रिकर को मनाने के लिए परिवार के सदस्यों का भी सहारा ले रही है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, भाजपा उत्पल पर्रिकर को पणजी से टिकट नहीं देना चाहती है क्योंकि पार्टी ने एक आतंरिक सर्वे कराया था और इस सर्वे के नतीजे बता रहे हैं कि अगर पार्टी ने उत्पल पर्रिकर को टिकट दिया तो शायद वो चुनाव गंवा बैठें।
केजरीवाल ने किया स्वागत
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि मैं पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का सम्मान करता हूं। अगर उनके पुत्र आम आदमी पार्टी में शामिल होने के इच्छुक हों तो उनका स्वागत है। आपको बता दें कि पणजी सीट का प्रतिनिधित्व मनोहर पर्रिकर ने दो दशक से अधिक समय तक किया था। गोवा में विधानसभा चुनाव 14 फरवरी को होगा। भाजपा और कांग्रेस के अलावा आप तथा तृणमूल कांग्रेस भी चुनाव मैदान में है।
आप के राष्ट्रीय संजोयक अरविंद केजरीवाल ने बताया कि 93.3 फीसदी लोगों ने भगवंत मान का नाम लिया। दूसरे स्थान पर नवजोत सिंह सिद्धू थे जिन्हें 3.6 प्रतिशत वोट मिले। ऐसे में पंजाब में आम आदमी पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा भगवंत मान को बनाया जाता है।
मानसा। पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी (आप) ने मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा कर दी है। आपको बता दें कि पार्टी की तरफ से भगवंत मान मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे। आप के राष्ट्रीय संजोयक अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को कहा कि पंजाब चुनाव के लिए पार्टी की तरफ से पंजाब के अगले मुख्यमंत्री और पार्टी का मुख्यमंत्री चेहरा औपचारिक रूप से भगवंत मान हैं। इस दौरान भगवंत मान भावुक हो गए और उन्हें पार्टी नेता राघव चड्ढा समेत सभी नेताओं ने बधाई दी।
केजरीवाल ने बताया कि 93.3 फीसदी लोगों ने भगवंत मान का नाम लिया। दूसरे स्थान पर नवजोत सिंह सिद्धू थे जिन्हें 3.6 प्रतिशत वोट मिले। ऐसे में पंजाब में आम आदमी पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा भगवंत मान को बनाया जाता है। दरअसल, केजरीवाल ने 13 जनवरी को पंजाब की जनता से मुख्यमंत्री पद के लिए अपने पसंदीदा उम्मीदवारों के नाम बताने की अपील की थी।
इस अभियान के तहत पार्टी को 22 लाख से अधिक लोगों की प्रतिक्रियाएं मिलीं। उस वक्त केजरीवाल ने कहा था कि वह आप सांसद भगवंत मान को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करना चाहते थे, लेकिन मान ने यह फैसला पंजाब की जनता पर छोड़ने पर जोर दिया।
बीजेपी अपने सहयोगी दलों को अहमियत दे रही है और लगातार उनके साथ बैठक कर रही है। पूर्वांचल का किला मजबूत करने की कवायद में जुटी बीजेपी को निषाद पार्टी का ही सहारा है। यही वजह है कि अपना दल (एस) को तवज्यो देने के साथ ही संजय निषाद की पार्टी को राजभर से करीब दोगुना ज्यादा सीटें दे रही है। खुद संजय निषाद भी इस बात की पुष्टि कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति में थोड़ा बदलाव किया है। बीजेपी की तरफ से अपनी सहयोगी पार्टी निषाद पार्टी को ज्यादा से ज्यादा तवज्यो देने की कोशिश की जा रही है। बीजेपी की योजना निषाद पार्टी को कुछ सीटें देकर पूर्वांचल के किले को फतेह करने की है। यूपी की सियासी तपिश और गड़बड़ाते समीकरण को लेकर बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। बीजेपी अपने सहयोगी दलों को अहमियत दे रही है और लगातार उनके साथ बैठक कर रही है। पूर्वांचल का किला मजबूत करने की कवायद में जुटी बीजेपी को निषाद पार्टी का ही सहारा है। यही वजह है कि अपना दल (एस) को तवज्यो देने के साथ ही संजय निषाद की पार्टी को राजभर से करीब दोगुना ज्यादा सीटें दे रही है। खुद संजय निषाद भी इस बात की पुष्टि कर रहे हैं।
फाइनल हो गई निषाद पार्टी की सीट
निषाद पार्टी के साथ बीजेपी के सीट बंटवारे की चल रही बात पर सहमति बन गई है। 15 विधानसभा सीटों पर संजय निषाद की पार्टी चुनाव लड़ेगी। सूत्रों के अनुसार, यूपी की कटहरी, ज्ञानपुर, शाहगंज, जयसिंहपुर, गोरखपुर ग्रामीण, मेहदावल, तमकुही राज, नौतनवां, अतरौलिया, बारां, हंडिया, तिंदवारी, काल्पी, सकलडीहा, सुआर, जखनिया सीट निषाद पार्टी के खाते में जा सकती है।
निषाद लगाएंगे बीजेपी की नैया पार
2019 के चुनाव में बीजेपी को सत्ता तक पहुंचाने में निषाद पार्टी की अहम भूमिका रही। वहीं 2017 में ओम प्रकाश राजभर संजय निषाद के कारण ही बीजेपी पर ज्यादा दवाब नहीं बना सके थे। बीजेपी से एक-एक कर ओबीसी नेताओं के सपा में शामिल होने से उसका समीकरण बिगड़ रहा था। 2017 में बीजेपी के सहयोगी रहे ओमप्रकाश राजभर भी अब पाला बदल कर अब सपा की साइकिल चला रहे हैं। ऐसे में बीजेपी को सत्ता तक पहुंचाने में निषाद वोटर अहम भूमिका अदा कर सकते हैं। बीजेपी ने निषाद पार्टी को ज्यादा सीटें देकर पूर्वांचल में सपा की किलेबंदी को रोकने की कोशिश की है।
यूपी चुनाव का कार्यक्रम
उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 403 सीटें हैं और आयोग ने यहां सात चरणों में मतदान कराने की घोषणा की है जिसकी शुरुआत दस फरवरी से होगी और मतगणना 10 मार्च को होगी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में राज्य में भाजपा ने 312 और उसके सहयोगियों ने 13 सीटें जीती थीं जबकि सपा को 47, बहुजन समाज पार्टी को 19 और कांग्रेस को सात सीटों पर जीत मिली थीं। भाजपा की सहयोगी अपना दल (एस) को नौ तथा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) को चार सीटों पर जीत मिली। राष्ट्रीय लोकदल और निषाद पार्टी का भी एक-एक सीट पर खाता खुला था। बाकी निर्दलीय भी जीते थे।
आपको बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी ने जिला गाजियाबाद की साहिबाबाद विधानसभा से पंडित मनमोहन झा को टिकट दिया है। माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के बागी पंडित मनमोहन झा उर्फ गामा को ओवैसी द्वारा टिकट दिए जाने के बाद मुकाबला दिलचस्प हो सकता है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम की एंट्री हो चुकी है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने साफ कर दिया है कि पार्टी ने 100 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इसी के साथ असदुद्दीन ओवैसी ने अब तक उम्मीदवारों की दो सूची जारी कर दी है। पहली सूची में 9 और दूसरी सूची में पार्टी ने 8 उम्मीदवारों का ऐलान किया है। इन दोनों सूची में एकमात्र हिन्दू उम्मीदवार को शामिल किया गया है। ओवैसी के इस फैसले ने सभी को चौंका दिया है।
आपको बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी ने जिला गाजियाबाद की साहिबाबाद विधानसभा से पंडित मनमोहन झा को टिकट दिया है। माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के बागी पंडित मनमोहन झा उर्फ गामा को ओवैसी द्वारा टिकट दिए जाने के बाद मुकाबला दिलचस्प हो सकता है।
कौन हैं पंडित मनमोहन झा ?
मुस्लिमों की बात करने वाले ओवैसी ने ब्राह्मण कार्ड खेलकर सभी को चौंका दिया है। आपको बता दें कि पंडित मनमोहन झा बिहार के रहने वाले हैं और वो छोटी उम्र में ही दिल्ली चले आए थे। उनका परिवार बेहद गरीब था और काम की तलाश में उनके परिवार ने दिल्ली का रुख किया था। पंडित मनमोहन झा की शिक्षा की बात करें तो वो महज 10वीं कक्षा तक की स्कूल गए हैं।
समाजवादी पार्टी से बगावत कर पंडित मनमोहन झा ने ओवैसी का थामन थामा था। अखिलेश यादव की पार्टी में रहते हुए उन्होंने कई पदों पर काम किया है। इतना ही नहीं वो जिला उपाध्यक्ष और साहिबाबाद विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी भी रह चुके हैं। सबसे अधिक मतदाताओं वाली सीट साहिबाबाद के लोग पंडित मनमोहन झा को गामा के नाम से जानते हैं।
ओवैसी ने कहा था कि वो पूरी तरह से उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा था कि वह चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों और नियमों का अनुपालन कर रैलियां आयोजित करेंगे। इसी बीच उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि कोरोना की दूसरी लहर में जिस तरह योगी सरकार लापता रही और जनता को अपने हाल पर छोड़ दिया। उत्तर प्रदेश और गोरखपुर में भी शव नदी में तैर रहे थे, मुझे उम्मीद है कि गोरखपुर के लोग इसे याद रखेंगे और योगी आदित्यनाथ के खिलाफ उचित फैसला लेंगे।
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता एन चंद्रबाबू नायडू मंगलवार सुबह हल्के लक्षणों के साथ कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। एन चंद्रबाबू नायडू ने अपने संपर्क में आने वाले सभी लोगों से जल्द से जल्द कोरोना टेस्ट करवाने की अपील की है। पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्विटर के माध्यम से जानकारी देते हुए बताया कि उनका कोरोना टेस्ट पाजिटिव पाया गया है। उन्होंने खुद को होम क्वारंटाइन कर लिया है और वह कोरोना के पूरी सावधानी बरत रहे हैं। उन्होंने ट्विटर के माध्यम से सभी लोगों से कोरोना के प्रति पूरी सावधानी बरतने का आग्रह करते हुए लोगों से अपना ध्यान रखने की अपील भी की है।
अमृतसर। पंजाब विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद सियासी हलकों का पारा चढ़ गया है। पार्टी प्रत्याशी मतदाताओं को रिझाने, लुभाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। इस बीच चुनाव आयोग की निगाहें भी इन पर हैं। चुनावी रैलियों व जनसभाओं पर रोक की वजह से अब प्रत्याशियों के पास अपनी बात रखने का इंटरनेट मीडिया विकल्प है। प्रत्याशी मतदाताओं को अपनी सोशल साइट्स पर जोड़कर अपनी बात उन तक पहुंचाने को प्रयासरत हैं। इसमें पाया कि नवजोत सिंह सिद्धू ही इंटरनेट मीडिया पर अधिक सक्रिय हैैं और उन्हीं के सर्वाधिक ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पेज पर फालोअर्स हैं। बता दें कि पंजाब में 20 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। परिणाम दस मार्च को घोषित किए जाएंगे।
नवजोत सिंह सिद्धू, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष
विधानसभा हलका पूर्वी से प्रत्याशी
मणिपुर में सत्तारूढ़ भाजपा विधानसभा चुनाव में इस बार अपने दम पर ताकत दिखाने को तैयार है। भाजपा ने 2017 में सहयोगी दलों और निर्दलियों की मदद से पहली बार सत्ता का स्वाद चखा था, लेकिन केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक और मणिपुर चुनाव के लिए भाजपा के प्रभारी अशोक सिंघल ने संकेत दिए हैं कि भगवा पार्टी इस बार अपने दम पर चुनाव लड़ने को तैयार है। हालांकि, भौमिक और सिंघल दोनों ने चुनाव पूर्व गठबंधन की संभावना को पूरी तरह से खारिज नहीं किया।
मणिपुर चुनावों के लिए जल्द ही होगी चुनावों की घोषणा
केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक ने भी कहा कि केंद्रीय नेता जल्द ही मणिपुर चुनावों के लिए उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करेंगे। मणिपुर में पार्टी के नेता और कार्यकर्ता आगामी चुनावों में भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से सक्रिय हैं। पार्टी अपने दम पर बहुमत हासिल करेगी।बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया था। भगवा पार्टी, जिसने 21 सीटें हासिल की थीं, ने गठबंधन की सरकार बनाई।
नई दिल्ली.राज्य सरकार ने 15 दिसंबर के ओबीसी के लिए 27 फीसद आरक्षण रद करने के फैसले को लेकर यह अर्जी दायर की है। इसमें फैसला वापस लेने की मांग की गई है। अब सुप्रीम कोर्ट 19 जनवरी को महाराष्ट्र सरकार की इस याचिका पर सुनवाई करेगा।महाराष्ट्र में स्थानीय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण के मामले में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है। राज्य सरकार ने 15 दिसंबर के ओबीसी के लिए 27 फीसद आरक्षण रद करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर यह अर्जी दायर की है। इसमें फैसला वापस लेने की मांग की गई है। अब सुप्रीम कोर्ट 19 जनवरी को महाराष्ट्र सरकार की इस याचिका पर सुनवाई करेगा। केंद्र पहले ही इस मामले में आदेशों को वापस लेने या संशोधन करने की मांग को लेकर अर्जी दाखिल कर चुका है।
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) प्रमुख शिवपाल यादव ने अपर्णा यादव को नसीहत देते हुए कहा कि उन्हें समाजवादी पार्टी में ही रहना चाहिए और पार्टी के लिए काम करना चाहिए। दरअसल, अपर्णा यादव के भाजपा में जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि अपर्णा यादव लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहती हैं।
लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव के भाजपा में जाने की अटकलों पर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) प्रमुख शिवपाल यादव ने उन्हें नसीहत दी। उन्होंने कहा कि अपर्णा को अभी सपा में ही रहना चाहिए और पार्टी के काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी के लिए पहले काम करें और फिर टिकट की उम्मीद करें।
दरअसल, पिछले कुछ वक्त से अपर्णा यादव के भाजपा में जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि अपर्णा यादव लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहती हैं। लेकिन इस सीट से भाजपा के कई दावेदार हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में अपर्णा यादव ने इसी सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी। इसके बावजूद वो लगातार लखनऊ कैंट इलाके में सक्रिय रहीं और उनकी पहचान एक समाजिक कार्यकर्ता के रूप में होने लगी।
पिछला विधानसभा चुनाव हारने के बाद अर्पणा यादव के कई बार भाजपा में जाने की अटकलें लगाई गईं और उन्होंने इसका खंडन भी किया था लेकिन इस बार उनका जाना लगभग तय माना जा रहा है क्योंकि उनके पिता भाजपा में शामिल हो गए हैं।
अपर्णा यादव जिस सीट से टिकट चाहती हैं भाजपा के लिए वह देना आसान नहीं होगा क्योंकि कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुईं रीता बहुगुणा जोशी अपने बेटे को इस सीट से चुनाव लड़वाना चाहती हैं और उन्होंने पार्टी से अपने बेटे के लिए लखनऊ कैंट का टिकट मांगा है और अगर ऐसा नहीं होता है तो रीता बहुगुणा जोशी के रूप में पार्टी को बड़ा झटका लग सकता है। क्योंकि उनके सपा के साथ संपर्क में होने की अटकलें हैं।
सपा के चिह्न पर उम्मीदवार उतारेंगे शिवपाल
शिवपाल ने अपने भतीजे अखिलेश के साथ चुनावी गठबंधन कर लिया है। ऐसे में शिवपाल के उम्मीदवार सपा के चुनाव चिह्न पर आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। इतना ही नहीं सीट शेयरिंग फॉर्मूला भी तय हो चुका है।
पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर एक बात सामने आती है कि वो किसी के साथ भी नहीं चल सकते हैं। इसे आप कुछ इस तरह से समझ सकते हैं जब मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह थे तब भी उन्होंने अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए थे और फिर चन्नी सरकार पर भी उन्होंने सवाल खड़े किए।
चंडीगढ़। पंजाब में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है। 14 फरवरी को मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे और 10 मार्च को चुनाव परिणाम सामने आएंगे। ऐसे में सत्ताधारी कांग्रेस के सामने अपनी सरकार को बचाने की चुनौती तो है ही उससे बड़ी चुनौती प्रदेश के नेताओं को एकजुट करने की है। क्योंकि पार्टी की प्रदेश इकाई अंर्तकलह से जूझ रही है और दो बड़े खुद को ही मुख्यमंत्री का अगला दावेदार मानते हैं तभी तो मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने हाल ही में अमरिंदर सिंह वाला कार्ड खेलकर पार्टी से मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की बात कही।
CM का चेहरे हो घोषित
मुख्यमंत्री चन्नी ने एक चैनल के साथ बातचीत में कहा था कि कांग्रेस ने जब पिछले चुनाव में मुख्यमंत्री चेहरे को घोषित कर दिया तो उन्हें जीत मिली थी। जबकि उससे पहले उन्होंने कोई चेहरा घोषित नहीं किया था, ऐसे में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। इसलिए पार्टी को मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा कर देनी चाहिए। वहीं दूसरी तरफ प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू सरकार के मुखिया नहीं होने के बावजूद खुद को मुखिया ही समझते हैं और इसका उदाहरण हाल ही में देखा गया।
सिद्धू ने चंडीगढ़ प्रेस क्लब मे आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में अकेले ही कई सारे ऐलान करते हुए पंजाब मॉडल पेश किया था। इस दौरान पंजाब मॉडल से जुड़ा हुआ एक पोस्टर भी दिखाई दिया था, जिसमें मुख्यमंत्री चन्नी नहीं दिखाई दे रहे थे। इस दौरान सिद्धू ने एक बार और साफ की थी कि पंजाब की जनता तय करेगी की मुख्यमंत्री कौन होगा, ना की आलाकमान।
कांग्रेस लगातार सिद्धू पर नकेल कसने की भी कोशिश करती रही है लेकिन हर बार सिद्धू कुछ ऐसा कर देते थे जो पार्टी नेताओं को रास नहीं आता था। सिद्धू की हरकतें दूसरे बड़े नेताओं को नागवार गुजरी हैं और प्रदेश की मेनिफेस्टो कमेटी भी नाराज बताई जा रही है। क्योंकि मेनिफेस्टो कमेटी को लगता है कि अगर सारे फैसले सिद्धू को ही करने है तो फिर उनकी जरूरत ही क्या है। इतना ही नहीं टिकट बंटवारे को लेकर भी सिद्धू और चन्नी के बीच खींचतान जारी है।
भाई को टिकट नहीं दिला पाए चन्नी
चन्नी अपने भाई डॉ. मनोहर सिंह को पार्टी का टिकट नहीं दिला पाए, जिसके बाद उनके भाई ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बनाया है। आपको बता दें कि मनोहर सिंह बस्सी पठाना से चुनाव लड़ना चाहते थे और चन्नी ने उन्हें टिकट दिलाने का प्रयास भी किया लेकिन उनका प्रयास सफल नहीं हो पाया। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सिद्धू नहीं चाहते थे कि पार्टी चन्नी के भाई को टिकट दे। ऐसे में उन्होंने डॉ. मनोहर सिंह की जगह मौजूदा विधायक गुरप्रीत सिंह जीपी की उम्मीदवारी का समर्थन किया था।
अपनी सरकार से नाराज हैं नेता
पिछले दिनों पंजाब दौरे में आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा चूक मामले को लेकर पार्टी सांसद मनीष तिवारी और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुनील जाखड़ ने अपनी ही सरकार को निशाने पर लिया। जिसकी वजह से भी पार्टी की मुश्किलें बढ़ी हैं। हाल ही में मनीष तिवारी ने कहा था कि पंजाब को एक ऐसे मुख्यमंत्री की जरूरत है जो चुनौतियों से निपट सके और कड़े फैसले करने की क्षमता रखता हो। पंजाब को गंभीर लोगों की जरूरत है जिनकी राजनीति सोशल इंजीनियरिंग, मनोरंजन, मुफ्त की रेवड़ी बांटने वाली नहीं हो।
दरअसल, सिद्धू को लेकर एक बात सामने आती है कि वो किसी के साथ भी नहीं चल सकते हैं। इसे आप कुछ इस तरह से समझ सकते हैं जब मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह थे तब भी उन्होंने अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए थे और उनके पार्टी से चले जाने के बाद चन्नी सरकार पर भी उन्होंने सवाल खड़े किए। इतना ही नहीं गृह मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के साथ भी विवाद सामने आ गया। गृह मंत्री ने साफ शब्दों में कहा था कि सिद्धू को कुछ परेशानी है। मैं उनके परिवार के साथ पुराने संबंध साझा करता हूं, लेकिन जब से मैं पंजाब का गृह मंत्री बना हूं, वह मुझसे नाराज हैं। अगर उन्हें गृह मंत्रालय चाहिए, तो मैं पद छोड़ दूंगा और उन्हें इसकी पेशकश करूंगा।
दिल्ली के पार्टी हेडक्वार्टर में बीजेपी की कोर ग्रुप की बैठक चल रही है। कोर कमेटी की बैठक में शुरुआत में पंजाब को लेकर चर्चा होने की जानकारी सूत्रों से प्राप्त हुई है। मणिपुर को लेकर भी एक बैठक है और बताया जा रहा है कि उसके बाद उत्तर प्रदेश को लेकर चार फेज के चुनाव पर मंथन होगा।
दिल्ली के पार्टी हेडक्वार्टर में बीजेपी की कोर ग्रुप की बैठक चल रही है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा समते इस बैठक में बड़े नेता मौजूद हैं। विधानसभा चुनाव और उम्मीदवारों को लेकर इस बैठक में मंथन हो रही है। गृह मंत्री अमित शाह भी बैठक में शामिल होने के लिए पार्टी ऑफिस पहुंच चुके हैं। दावा उसी का मजबूत होगा जो चुनावों में जीत सुनश्चित कर सकता है। यानी की वो उम्मीदवार जिनके जीतने के सबसे ज्यादा चांस हो। किसी भी परिवार से एक ही सदस्य को टिकट देने की बात सामने आ रही है।
पंजाब को लेकर मंथन
कोर कमेटी की बैठक में शुरुआत में पंजाब को लेकर चर्चा होने की जानकारी सूत्रों से प्राप्त हुई है। पंजाब को लेकर 80 उम्मीदवार उतारे जाने हैं। उन उम्मीदावारों के नाम को लेकर चर्चा होगी। कैप्टन अमरिंदर सिंह, सुखदेव सिंह ढींडसा की पार्टी कितनी सीटें मिलेंगी ये बात अभी चल रही है। पंजाब में 117 विधानसभा सीटें है और बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में चुनाव लड़ेगी ये पहले ही जगजाहिर हो चुका है। किन-किन सीटों पर अमरिंदर और ढींडसा की पार्टी के साथ समझौता हो रहा है।
यूपी के चार फेज के उम्मीदवारों पर मंथन
मणिपुर को लेकर भी एक बैठक है और बताया जा रहा है कि उसके बाद उत्तर प्रदेश को लेकर चार फेज के चुनाव पर मंथन होगा। बीजेपी पहले और दूसरे चरण के लिए उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर चुकी है। सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या समेत 107 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया जा चुका है। बीजेपी की लिस्ट देखें तो कुल 107 प्रत्याशियों में से 44 पिछड़ी जाति के हैं। 19 प्रत्याशी अनुसूचित जाति के हैं। इसके अलावा बीजेपी ने दस महिलाओं को टिकट दिया है। 107 में से 63 मौजूदा विधायकों को भी टिकट मिले हैं।
भारतीय शेयर बाजार के लिए वर्ष 2021 एक उल्लेखनीय साल था, क्योंकि इसने वैश्विक अर्थव्यवस्था को कोविड-19 महामारी के बावजूद अच्छी संख्या में मल्टीबैगर स्टॉक और मल्टीबैगर पेनी स्टॉक दिए। कुछ शेयरों ने पिछले एक से दो वर्षों में अपने शेयरधारकों को शानदार रिटर्न दिया। क्वॉलिटी फार्मास्युटिकल्स के शेयर उनमें से एक हैं। आशीष कचोलिया पोर्टफोलियो स्टॉक 25.55 से बढ़कर 768.95 के स्तर (बीएसई पर 14 जनवरी 2022 को बंद कीमत) हो गया है, जो इन 2 वर्षों में लगभग 2900 प्रतिशत की उछाल दर्ज किया है।
पिछले एक महीने में क्वॉलिटी फार्मास्युटिकल्स का शेयर मूल्य 820 से घटकर 768.95 के स्तर पर आ गया है, इस अवधि में लगभग 6 प्रतिशत की गिरावट आई है। हलांकि, पिछले 6 महीनों में इस फार्मा स्टॉक ने 183 से 768.95 के स्तर पर पहुंचा, इस अवधि में लगभग 320 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी तरह पिछले एक साल में आशीष कचोलिया के पोर्टफोलियो का यह स्टॉक 61 से बढ़कर 768.95 के स्तर पर पहुंच गया है, इस छोटे से समय में अपने शेयरधारकों के लिए 1160 फीसदी रिटर्न देने के करीब है। यह फार्मा स्टॉक बीएसई पर 26 दिसंबर 2019 को 25.55 के स्तर पर बंद हुआ था, जबकि यह 14 जनवरी 2022 को 768.95 पर। इस 2 साल के समय में लगभग यह 30 गुना बढ़ गया।
अगर कोई निवेशक ने एक महीने पहले इस शेयर में 1 लाख का निवेश किया होता तो उसका 1 लाख आज 94000 रुपये रह गया होता। हांलाकि अगर वह 6 महीने पहले इस शेयर में 1 लाख का निवेश किया होता तो उसका 1 लाख आज 4.20 लाख हो जाता। वहीं, एक साल में यह 12.60 लाख हो जाता। इसी तरह, अगर किसी निवेशक ने 2 साल पहले इस मल्टीबैगर स्टॉक में 25.55 के स्तर पर एक शेयर खरीदने के लिए 1 लाख का निवेश किया था, तो इसका 1 लाख आज लगभग 30 लाख हो गया होगा
लखनऊ । यूपी में विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद सत्तारूढ़ भाजपा की सरकार के दो मंत्री और एक दर्जन से अधिक विधायकों के सपा में शामिल होने के बाद भाजपा के लिए एक राहत भरी खबर आ रही है। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के समधी हरिओम यादव के भाजपा का दामन थामने के बाद अब उनकी छोटू बहू अपर्णा यादव के भी भाजपा में शामिल होने की चर्चा तेज हो गई है। यह भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि अपर्णा लखनऊ की कैंट विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी हो सकती हैं। इसे लेकर इंटरनेट मीडिया पर खूब संदेश वायरल हो रहे हैं। अपर्णा, मुलायम के छोटे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं।
भाजपा के तीन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान व धर्म सिंह सैनी के पार्टी छोड़कर सपा में शामिल होने के बाद दलबदल को लेकर राजनीतिक दलों के बीच खींचतान जारी है। हालांकि, भाजपा या फिर अपर्णा यादव की ओर से अभी इन चर्चाओं को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है। अपर्णा यादव वर्ष 2017 के विधान सभा चुनाव में लखनऊ के कैंट क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं, लेकिन उन्हें भाजपा प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी से हार का सामना करना पड़ा था। दरअसल, फिरोजाबाद की सिरसागंज सीट से सपा विधायक हरिओम यादव बुधवार को भाजपा में शामिल हो गए थे। हरिओम के भाई रामप्रकाश उर्फ नेहरू की बेटी की शादी मुलायम सिंह के भतीजे रणवीर सिंह से हुई थी। इस घटनाक्रम के बाद मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा के भी भगवा खेमे में शामिल होने के संदेश वायरल हो रहे हैं।
पूर्व आइपीएस अधिकारी असीम अरुण भी रविवार को भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेंगे। वह शनिवार को भी भाजपा मुख्यालय पहुंचे थे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह रविवार को असीम को पार्टी की सदस्यता ग्रहण करायेंगे। कानपुर के पुलिस आयुक्त रहे असीम अरुण पिछले दिनों स्वैच्छिक सेवानिवृत्त योजना (वीआरएस) के तहत वीआरएस लेकर भाजपा का दामन थामने की बात कही थी। वह रविवार को भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत करेंगे। असीम के कन्नौज की सदर सीट से भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने की संभावना है।
उधर, सपा कार्यालय में शुक्रवार को उमड़ी भीड़ के बाद चुनाव आयोग की सख्ती देख पुलिस सक्रिय नजर आई। विक्रमादित्य मार्ग स्थित सपा कार्यालय के बाहर शनिवार को पुलिस ने नोटिस चस्पा किया। राष्ट्रीय अध्यक्ष समाजवादी पार्टी को संबोधित नोटिस में गौतमपल्ली पुलिस की ओर से लिखा है कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता लागू है। इसका समय-समय पर प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है। कोविड महामारी से बचाव के दृष्टिगत सभी प्रकार की रैलियों, जुलूस और मीटिंग पर प्रतिबंध है। ऐसे में चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों तथा कोविड गाइडलाइन का पालन करें। पुलिस ने उद्घोषित कर लोगों से नियमों का पालन करने की अपील की। इस दौरान पुलिस बल के साथ अधिकारी मुस्तैद रहे। चुनाव आयोग को एसीपी हजरतगंज अखिलेश कुमार सिंह और अपर नगर मजिस्ट्रेट प्रथम गोविंद मौर्य ने अपना स्पष्टीकरण सौंप दिया। चुनाव आयोग इस मामले में आगे की कार्रवाई करेगा। आयोग की सख्ती के बाद पुलिस ने शनिवार को अलग-अलग इलाकों में रूट मार्च किया। सपा कार्यालय के बाहर स्थाई पुलिस बल तैनात किया गया है।