ईश्वर दुबे
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सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक सीट बंटवारे के तहत अनुप्रिया पटेल की अपना दल को 14 सीटें और संजय निषाद की निषाद पार्टी को 17 सीटें दी जा सकती है। बाकी की सभी सीटों पर भाजपा अपना उम्मीदवार उतारेगी। हालांकि खबर यह भी है कि दोनों दल 30-30 सीट पर अड़े हुए हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा लगातार अपनी तैयारी कर रही है। इन सबके बीच अपनों के ताबड़तोड़ इस्तीफो ने कहीं ना कहीं पार्टी की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। हालांकि, पार्टी अपने सहयोगियों के साथ चुनावी मैदान में फिर से पूरी दमखम के साथ उतरने के लिए तैयार है। आज उम्मीदवारों के नाम को फाइनल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा कार्यालय में एक बड़ी बैठक हो रही है। इससे पहले पार्टी ने अपने सहयोगी दलों को भी साथ रखने की कोशिश की है। खबर के मुताबिक भाजपा की अपने सहयोगी दलों के साथ सीट बंटवारे पर सहमति बन गई है।
सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक सीट बंटवारे के तहत अनुप्रिया पटेल की अपना दल को 14 सीटें और संजय निषाद की निषाद पार्टी को 17 सीटें दी जा सकती है। बाकी की सभी सीटों पर भाजपा अपना उम्मीदवार उतारेगी। हालांकि खबर यह भी है कि दोनों दल 30-30 सीट पर अड़े हुए हैं। जबकि भाजपा ने साफ कह दिया है कि हम इससे ज्यादा सीट नहीं दे सकते है। अपना दल ने 2017 के चुनाव में 11 सीटों पर लड़ा था जिसमें से 9 जीतकर विधायक बने थे। इस बार उसे 3 सीटें ज्यादा दी जा रही है। पिछली बार ओमप्रकाश राजभर को भाजपा ने 8 सीटें दी थी। हालांकि, ओमप्रकाश राजभर इस बार भाजपा के साथ नहीं हैं। भाजपा के साथ इस बार संजय निषाद है।खबर यह भी है कि भाजपा बागियों को मनाने में जुट गई है। स्वतंत्र देव सिंह और सुनील बंसल को बागियों को मनाने की जिम्मेदारी दी गई है। हालांकि इनमें से कई नेता ऐसे भी हैं जिनका टिकट इस बार कट सकता था। चुनाव को देखते हुए कई नेता पार्टी का जहां दामन छोड़ रहे हैं तो वहीं कई दूसरे नेता पार्टी में शामिल हो रहे हैं। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी भी अपने गठबंधन के सहयोगियों के साथ लगातार चुनावी मंत्रणा कर रही है। खबर यह भी है कि समाजवादी पार्टी ने भी अपने गठबंधन की सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे पर बना ली है।
1970 के दशक में युवाओं की पसंदीदा क्लासिक बाइक येज्दी एक बार फिर से धमाल मचाने को तैयार है। महिंद्रा की मदद से इसका नया मॉडल ‘येज्दी रोड किंग’ आज लॉन्च होने वाला है। येज्दी रोडकिंग में 334cc का सिंगल सिलेंडर इंजन मिल सकता है। ये जावा पेरक में दिख चुका है। ये इंजन 30 bhp की मैक्स पॉवर और 32.74 Nm का पीक टॉर्क जनरेट करेगा। इसमें ग्राहक को 6-स्पीड का गियर बॉक्स मिल सकता है। इतना ही नहीं, इस मोटरसाइकिल में आगे की तरफ 21 इंच का स्पोक व्हील और 17 इंच का व्हील पीछे मिलेगा। वहीं दोनों तरफ डिस्क ब्रेक भी होंगे। इसकी कीमत 1.60 लाख रुपए तक हो सकती है।
भारत में येज्दी बाइक्स 1960 के दशक के अंत में बाजार में आई थी, इसे लोगों के बीच खूब पसंद किया गया और 1990 दशक के अंत तक इसका प्रोडक्शन होता रहा। येज्दी रेंज एक ऐसी वर्सेटाइल बाइक रही, जिसमें रोडकिंग, क्लासिक, CL II, मोनार्क आदि जैसी बाइक्स शामिल हुआ करती थीं, भारत में येज्दी बाइक्स का एक अलग ही क्रेज रहा है, अक्सर बॉलीवुड फिल्मों में बड़े-बड़े कलाकारों द्वारा इन बाइक्स को देखा गया है।इस बाइक को लॉन्च होने के बाद इसका सीधा और कड़ा मुकाबला रॉयल एनफील्ड 350 (2 लाख रुपए) से हो सकता है।
पुरानी और नई येज्दी में अंतर- क्लासिक लीजेंड्स ने भारत में इससे पहले चेक ब्रांड - जावा को एक बार फिर से लोगों के बीच लाकर नई पहचान दी, यही नहीं कंपनी ने UK स्थित BSA मोटरसाइकिल ब्रांड को भी इसमें शामिल किया। पुरानी और नई येज्दी बाइक्स में कुछ समानता देखने को मिल सकती है
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तिरुवनंतपुरम | भाजपा की केरल यूनिट ने इलाज के लिए मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के अमेरिका के आगामी दौरे पर बुधवार को उन पर निशाना साधा है। जब से यह खबर सामने आई कि विजयन 15 जनवरी को अमेरिका के लिए रवाना होंगे और अपनी अज्ञात बीमारी के लिए विशेषज्ञ उपचार के बाद 29 जनवरी को ही लौटेंगे। तब से सोशल मीडिया सीपीआई-एम के दोहरे मानकों को उजागर करने वाले ट्रोल्स से भरा हुआ है।
बुधवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने विजयन का मजाक उड़ाते हुए कहा, क्या यह यहां सीपीआई-एम नहीं है, जो अमेरिका पर यहां कम्युनिस्ट सरकार को गिराने की कोशिश करने का आरोप लगा रही है। सुरेंद्रन ने बुधवार को पार्टी की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा, "अगर ऐसा है, तो विजयन अपने इलाज के लिए अमेरिका क्यों भाग रहे हैं।"
संयोग से विजयन के पूर्ववर्ती, चाहे वह ई.के. नयनार या वी.एस. अच्युतानंदन भी चिकित्सा उपचार के लिए पश्चिमी देशों का दौरा किया करते थे। उस समय सोशल मीडिया व्यावहारिक रूप से अनुपस्थित होने के कारण, राजनीतिक विरोधियों ने सीपीआई-एम के दोहरे मानकों को उजागर करने के लिए पोस्टर निकालने पर भरोसा किया जाता था, खासकर चुनाव के समय में ऐसा किया जाता था। अब बेहद सक्रिय सोशल मीडिया के साथ, पोस्टर गायब हो गए हैं और इसके बजाय यह ट्रोल हैं जो अच्छी संख्या में सामने आए हैं।
देहरादून| उत्तराखंड के दो दिवसीय दौरे पर दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री और वरिष्ठ आम आदमी पार्टी नेता मनीष सिसोदिया ने विधानसभा टिहरी के कुठठा गांव में जनसंपर्क अभियान चलाया। इस मौके पर उन्होंने आम जनों से मुलाकात कर अपनी पार्टी को वोट देने के लिए आग्रह किया। इससे पहले, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने एक पत्रकार वार्ता को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इस बार उत्तराखंड की जनता कांग्रेस और भाजपा के गठबंधन को खत्म कर देगी, जो 21 साल से चला आ रहा है। उन्होंने कहा, उत्तराखंड की जनता ने अपने खून पसीने की मेहनत से एक नया राज्य बनाया था क्योंकि लखनऊ से उत्तराखंड की दूरी बहुत ज्यादा थी और वहां बनी योजनाएं यहां नहीं पहुंच पाती थी। जब अलग राज्य बना तो उसका फायदा उत्तराखंड की आम जनता को बिल्कुल नहीं हुआ। इसका फायदा मिला बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं को, एक की सरकार बनती तो फायदा दूसरा उठाता। आम जनता गुस्सा करके दूसरे को सत्ता में लेकर आती तो पहला फायदा उठाता था लेकिन अब जनता के पास एक विकल्प है। जनता के पास अरविंद केजरीवाल की राजनीति है, उनके पास सबूत हैं, क्योंकि उत्तराखंड के लोग जो दिल्ली रहते हैं, वे गांव गांव यहां मैसेज लेकर आ रहे हैं कि दिल्ली की जनता ने केजरीवाल को 5 साल का मौका दिया और उन्होंने वह कर दिखाया जो कांग्रेस और भाजपा नहीं कर पाए। मनीष सिसोदिया ने टिहरी डैम का हवाला देते हुए पूछा कि टिहरी डैम से बाकी राज्यों को बिजली जा सकती है, दिल्ली को मुफ्त बिजली मिल सकती है तो फिर टिहरी के लोगों को मुफ्त बिजली क्यों नहीं मिल सकती।
लखनऊ | यूपी भाजपा के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, (जिन्होंने मंगलवार को राजनीतिक तूफान खड़ा करते हुए इस्तीफा दे दिया था) ने कहा है कि हालांकि उन्होंने अभी तक भाजपा नहीं छोड़ी है और समाजवादी पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं, लेकिन उनकी वापसी का कोई सवाल ही नहीं है। उन्होंने बुधवार को संवाददाताओं से कहा, "मैंने भाजपा को खारिज कर दिया है और वापस जाने का कोई सवाल ही नहीं है।" उन्होंने कहा, "मैंने केवल एक मंत्री के रूप में इस्तीफा दिया है। मैं जल्द ही भाजपा छोड़ दूंगा। अभी मैं समाजवादी पार्टी में शामिल नहीं हो रहा हूं।" मौर्य ने कहा कि उनके इस्तीफे ने भाजपा में तूफान खड़ा कर दिया है और पार्टी को हिला कर रख दिया है। उन्होंने आगे कहा, "मैं आज और कल अपने लोगों से बात करूंगा। मैं शुक्रवार को अपने अगले राजनीतिक कदम का खुलासा करूंगा। मैं आपको अपना फैसला भी बताऊंगा और मेरे साथ कौन आएगा।" रिपोर्ट्स के मुताबिक, मौर्य को अपना फैसला बदलने के लिए मनाने के लिए बीजेपी ने प्रयास किए थे और कुछ वरिष्ठ नेताओं ने उनके इस्तीफे के बाद उनसे फोन पर बात भी की थी।
हैदराबाद | आंध्र प्रदेश सीआईडी ने बुधवार को सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के बागी सांसद के. रघु राम कृष्ण राजू को उनके खिलाफ पिछले साल दर्ज देशद्रोह के एक मामले में 17 जनवरी को पेश होने का निर्देश दिया है। सीआईडी अधिकारियों की एक टीम ने नरसापुरम के सांसद को हैदराबाद में उनके आवास पर नोटिस दिया है। उन्हें सीआईडी क्षेत्रीय कार्यालय गुंटूर में जांच अधिकारी के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया है। जांच अधिकारी के नाम जारी नोटिस में कहा गया है कि सांसद के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए, 505, 124-ए, 120-बी के तहत सीआईडी थाने में दर्ज मामले में जांच और पूछताछ के लिए सांसद की मौजूदगी जरूरी है।
मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी और वाईएसआरसीपी सरकार के खिलाफ कुछ टिप्पणी करने के बाद राजू के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। पुलिस ने उन्हें 14 मई को हैदराबाद स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया था और उन्हें गुंटूर ले गई थी। दिल की बाईपास सर्जरी कराने वाले सांसद ने आरोप लगाया कि उन्हें राज्य पुलिस हिरासत में प्रताड़ित किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने बाद में उन्हें जमानत दे दी थी, यह देखते हुए कि उनकी मेडिकल जांच की रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि हिरासत में उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया हो सकता है। कोर्ट ने उनसे जांच में सहयोग करने को भी कहा था।
इस बीच, राजू ने संक्रांति पर पूछताछ के लिए पेश होने के लिए कहने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ निजी बदले की भावना से मामला दर्ज किया गया है। पत्रकारों से बात करते हुए, लोकसभा सदस्य ने पूछा कि सरकार के कुशासन और भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने के लिए उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला कैसे दर्ज किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि देशद्रोह से संबंधित धारा बेकार है और इसे खत्म कर दिया जाना चाहिए।
वाईएसआरसीपी सांसद ने आरोप लगाया कि सरकार डर गई थी क्योंकि उन्होंने घोषणा की थी कि वह गुरुवार को नरसापुरम जाएंगे और संक्रांति मनाने के लिए दो दिनों तक वहां रहेंगे। राजू ने दोहराया कि वह जल्द ही सांसद पद से इस्तीफा देंगे, क्योंकि वाईएसआरसीपी उन्हें अयोग्य घोषित करने में विफल रही है। उन्होंने पहले ही घोषणा कर दी है कि वह उपचुनाव लड़ेंगे।
नई दिल्ली | केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक के मामले में कांग्रेस पर सीधा हमला बोलते हुए पूछा है कि पंजाब की कांग्रेस सरकार के किस नेता ने अधिकारियों को यह आदेश दिया था कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा को जानबूझकर खतरे में डाला जाए और तमाम सूचना और अलर्ट के बावजूद उन्हें सुरक्षित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जाए। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने एक निजी चैनल द्वारा किए गए स्टिंग का हवाला देते हुए दावा किया कि पंजाब पुलिस के अधिकारी प्रधानमंत्री की सुरक्षा भंग होने की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों, पंजाब के प्रशासन और सरकार को देते रहे, लेकिन प्रधानमंत्री की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सरकार की तरफ से कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया , कोई कदम नहीं उठाया गया।
भाजपा मुख्यालय में मीडिया से बात करने के दौरान उन्होंने पंजाब के तत्कालीन डीजीपी के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि पूरी व्यवस्था और रूट सुरक्षित है, ऐसा संदेश प्रधानमंत्री की सुरक्षा टीम को डीजीपी ने क्यों दिया?
कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए स्मृति ईरानी ने पूछा कि पंजाब की कांग्रेस सरकार के वो आलाधिकारी कौन है जो सारी सूचनाएं और अलर्ट की जानकारी मिलने के बावजूद प्रधानमंत्री को सुरक्षा देने के लिए जरूरी कदम नहीं उठा रहे थे। उन्होंने सीधा हमला बोलते हुए कहा कि पंजाब की कांग्रेस सरकार के किस नेता ने अधिकारियों को यह आदेश दिया था कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा को पंजाब में खंडित किया जाए?
उन्होंने 5 जनवरी को पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि कांग्रेस ने जानबूझकर प्रधानमंत्री को असुरक्षित माहौल में रखा और यह न सिर्फ निंदनीय है बल्कि दंडनीय भी है।
केंद्रीय मंत्री ने प्रधानमंत्री के सुरक्षा प्रोटोकॉल और इसके टूटने के बारे में पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा प्रियंका गांधी को ब्रीफ करने पर सवाल उठाते हुए कहा कि जो सूचना सिर्फ सुरक्षा या जांच एजेंसियों तक ही सीमित होनी चाहिए उसके बारे में एक प्राइवेट नागरिक , जो कि गांधी परिवार का हिस्सा है, को सारी जानकारी क्यों दी गई।
जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित किए पैनल के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि न्यायालय के निर्देश पर टिप्पणी करना उचित नहीं है। उनके द्वारा गठित किए गए पैनल के तथ्य जब सामने आएंगे तब वो पार्टी के निर्देश पर ही इस पर कोई टिप्पणी करेंगी।
लखनऊ | उत्तर प्रदेश के 11 जिलों की 58 विधानसभा के लिए दस फरवरी को मतदान होगा। पश्चिमी यूपी में भाजपा का 2017 का प्रदर्शन देखे तो यहां से इन्हें 54 सीटें मिली थीं। लेकिन इस बार चुनाव में चुनौतियां अलग हैं। तो इनके सामने गढ़ बचाने की चुनौती रहेगी। वहीं विपक्षी दलों को किसान आंदोलन से मिली संजीवनी से क्या उनका वजूद बच पाएगा। यह तो परिणाम आने पर पता चलेगा। 2017 के चुनाव में पश्चिमी यूपी में मेरठ विधानसभा में 7 में 6 भाजपा के खाते में गयी थीं। जबकि एक सीट भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी को हराने वाले सपा के रफीक अहमद के खाते में गयी थी। मुजफ्फरनगर में सभी सीटें भाजपा के खाते में गयी थीं।
शामली की तीनों सीटों में से दो पर भाजपा और एक पर सपा को विजयी मिली थी। बागपत की तीन में से दो सीटों पर भाजपा और एक पर रालोद ने जीत दर्ज की थी। हालांकि बाद में छपरौली विधायक ने भी भाजपा ज्वाइन कर ली थी। गाजियाबाद की पांचों सीट भाजपा के खाते में चली गई थीं। हापुड़ की तीन विधानसभा सीटों में दो पर भाजपा और एक पर बसपा के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। गौतमबुद्धनगर की तीनों और बुलंदशहर की सातों सीट भाजपा के खाते में चली गई थीं। अलीगढ़ की भी सभी सात सीटों पर भाजपा जीत गई थी। आगरा में सभी नौ और मथुरा की पांच से चार सीटे भाजपा को जबकि एक सीट पर बसपा ने विजय पायी थी।
2017 के चुनाव में सपा और कांग्रेस ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था। रालोद और बसपा अकेले ही चुनाव मैदान में थे। लेकिन इस बार चुनाव में स्थिति अलग है। रालोद और सपा एक साथ हैं। बसपा और कांग्रेस अकेले दम पर लड़ रहे हैं। इस बार पश्चिम के इन जिलों में किसान आंदोलन का असर होने की वजह से मुकाबले कड़े हो गए हैं।
मेरठ के प्रवीण चौधरी कहते हैं यहां पर कानून व्यवस्था बड़ा मुद्दा रहा है। लोगों के पशुओं की चोरी थमी है। लोगों की बहन बेटियों को लोग परेशान करते थे, वह भी कम हुआ है। एक तरफा कार्रवाई नहीं होती है। इसलिए यह सरकार वापस होगी।
यहीं के रहने वाले जुबेर का कहना है इस सरकार ने आपस में लड़वाने का काम किया है। किसानों को बहुत परेशानी से गुजरना पड़ा है। बहुत परेशानी के बाद इन लोगों ने आंदोलन वापस लिया है। इसका असर तो चुनाव में दिखेगा।
मुजफ्फरनगर के रहने वाले गिरीश कहते हैं कि पश्चिमी यूपी में पहले कानून व्यवस्था एक बड़ा मुद्दा हुआ करता था, उससे कुछ सुकून मिला है। बहुत सी व्यवस्थाएं इस सरकार में ठीक हुई है। इसका फायदा इसी सरकार को मिलेगा।
मेरठ के वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक सुनील तनेजा कहते हैं कि पश्चिमी यूपी में मुद्दे सेकेण्ड्री होते हैं। यहां धुव्रीकरण का खेल रहता है। अभी स्थानीय स्तर के जो जनप्रतिनिधि है उनसे लोगों की नाराजगी है। प्रत्याषी बड़ा फैक्टर इनके बदलने से स्थिति अलग होगी। हां पिछली बार की मिली सीटों की अपेक्षा इस बार भाजपा को नुकसान जरूर होगा।
पश्चिमी यूपी के जानकारों की मानें तो इस विधानसभा चुनाव में सपा और रालोद की दोस्ती की भी परीक्षा होगी। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद रालोद से छिटका वोट बैंक किसान आंदोलन के बाद एकजुट माना जा रहा है। दोनों पार्टियों के समर्थक मुजफ्फरनगर दंगे भुलाकर साथ तो आए हैं, पर बूथ पर यह कितना कारगर होंगे, यह आने वाले समय में ही साफ होगा।
वरिष्ठ पत्रकार समीरात्मज मिश्र का कहना है कि पश्चिमी यूपी में अगर 2017 तुलना में देखेंगे तो 2013 में जो समीकरण बने थे। जाटों का मुस्लिमों से जो अलगाव हुआ था। उसका फायदा भाजपा को मिला था। मुस्लिम वोटर कई पार्टियों में भी बंटे थे। कई जातियां भी भाजपा के पक्ष में थीं। जाट गुर्जर यहां पर प्रभावी हैं। किसान आंदोलन के बाद हालात बदले हैं। जाट बिरादरी इस आंदोलन की अगुवाई कर रही थी। 2013 के पहले जो महेन्द्र सिंह टिकैत के जमाने जो मुस्लिम जाट एकता दिखती थी। वही स्थित बन रही है। हलांकि अन्य कुछ जातियां और समुदाय अभी भी भाजपा के पक्ष में दिख रहे हैं। अगर जाट मुस्लिम एकजुटता दिखी तो भाजपा को नुकसान होगा।
लखनऊ । योगी सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा भाजपा छोड़े जाने के बाद पार्टी डैमेज कंट्रोल में जुड़ गई है। दिल्ली में जमे केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व ने न सिर्फ अपने पाले को मजबूत करने का प्रयास किया, बल्कि विपक्षी खेमे में भी सेंध तेज कर दी है। इससे विपक्षी खेमे में खलबली मच गई है। इसका असर ये हुआ कि मुलायम परिवार के बेहद करीबी कहे जाने वाले सिरसागंज विधायक हरिओम यादव और सहारनपुर की बेहट विधानसभा सीट से विधायक नरेश सैनी ने दिल्ली में भाजपा की सदस्यता ले ली। इसी तरह हाल ही में सपा में शामिल होने वाले आगरा की एत्मादपुर सीट से बसपा के पूर्व विधायक डा. धर्मपाल सिंह भी भाजपा में शामिल हो गए।
लखनऊ| चुनाव आयोग की ओर से फीजकिल रूप से प्रचार पर प्रतिबंध लगाने के बाद राजनीतिक दलों ने अब चुनावी प्रचार के लिए संगीत बनाना शुरू कर दिया है। इससे स्थानीय प्रतिभाओं को अपना हुनर दिखाने का मौका मिला है।
यूपी बीजेपी के सोशल मीडिया हेड अंकित चंदेल ने कहा कि पार्टी ने आधिकारिक तौर पर कोई गाना नहीं बनाया है, लेकिन सदस्य अपने दम पर गाने रिलीज करने के लिए आगे आए हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा के पास प्रतिबद्ध और प्रतिभाशाली कार्यकर्ता हैं। उनमें से कुछ गायक हैं और उन्होंने प्रचार के लिए गाने तैयार किए हैं। पार्टी ने कुछ गीतों का चयन किया है जो पार्टी के कार्यक्रमों और बैठकों में बजाए जाएंगे।
गोरखपुर के भोजपुरी गायक सूरज मिश्रा व्यास ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समर्थन में एक गाना जारी किया है।
उन्होंने कहा कि 2017 के विधानसभा चुनावों के बाद, मैंने योगी आदित्यनाथ पर एक गाना रिकॉर्ड किया, 'सगरो यूपी वालों को ऊपर मिलाल बा, योगी बाबा जैसा सीएम दमदार मिलाल बा' (यूपी को योगी जैसे शक्तिशाली मुख्यमंत्री में उपहार मिला है)। गाने को 3.5 लाख से अधिक बार देखा गया।
व्यास ने कहा कि मैं केवल बीजेपी के लिए गाने बना रहा हूं। योगी आदित्यनाथ के लिए मेरी नई रचना 'विकास देख कर दिल हुआ दीवाना, सुनो जी फिर से योगी जी को लाना' है। गाने को सलेमपुर के डॉ शशिकांत मिश्रा ने संगीतबद्ध किया है।
भोजपुरी सिंगर दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने भी 'आयेंगे तो योगी ही' गाना रिलीज किया है।
संदीप आचार्य का गाना 'यूपी में गुंडई करोगे तो औकात दिखा दूंगा, गोरखपुर वाले बाबा हैं, घर नीलाम करूंगा' भी लोकप्रिय हो गया है।
समाजवादी पार्टी ने अपनी म्यूजिक लाइब्रेरी भी खड़ी कर दी है।
सपा नेता सुनील यादव ने एक गाना जारी किया है जिसमें लिखा है, 'चिंता छोड़ो 22 की, तैयारी करो सफाई की"।
समाजवादी पार्टी के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष, धर्मेंद्र सोलंकी ने कहा कि इस चुनाव के लिए हमने अब तक जारी किए गए कुछ गीतों में 'बटन दबेगा साइकिल का, सुल्तान बदलने वाला है, 22 में यूपी का परिणम बदलने वाला है' और 'आएगा जब नतीजा अखबार देख लेना, इस बार साइकिल की ऱफ्तार देख लेना'।
राज्य में भूखे मवेशियों की समस्या पर उनका एक गीत भी है, जिसमें लिखा है, 'चाहे कुछ भी तुम कर लो जुगाड़ बाबाजी, तुमको वापस करेंगे तेरे सांड बाबा जी'।
पूर्व एसपी एमएलसी आशु मलिक, जिन्होंने कम से कम पांच गीतों की रचना की है, उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ता अभियान के लिए अपने दम पर गाने बना रहे है और यह चलन जोर पकड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि हमने एक गाना जारी किया है, 'जनता पुकारती है अखिलेश आया', जबकि एक और गीत पितृसत्ता मुलायम सिंह यादव की प्रशंसा में, 'तेरी अलग सबसे यहां बात मुलायम' है।
इस बीच, कांग्रेस काफी हद तक सोशल मीडिया पर पहले से ही लोकप्रिय 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' थीम सॉन्ग के भरोसे है।
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के मामले स्थिर हो गए हैं और जल्द ही इनके कम होने की उम्मीद है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संक्रमण दर से मामलों के चरम पर पहुंचने का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।
नयी दिल्ली। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के मामले स्थिर हो गए हैं और जल्द ही इनके कम होने की उम्मीद है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संक्रमण दर से मामलों के चरम पर पहुंचने का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता और कहा कि दिल्ली में बुधवार को 25000 के आसपास नए मामले आ सकते हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘‘ मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की दर स्थिर है और मामले भी स्थिर हो गए हैं।
अस्पताल में अब भी बिस्तर (बेड) खाली हैं।’’ मुंबई के साथ परिदृश्य की तुलना करते हुए, मंत्री ने कहा कि वहां मामलों में गिरावट शुरू हो गई है और यहां भी जल्द ऐसा होने की संभावना है। उन्होंने आश्वासन दिया कि अगर दो-तीन दिन में संक्रमण के मामले कम हो गए तो, पाबंदियां हटा दी जाएंगी। राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को संक्रमण से 23 मरीजों की मौत हो गई थी।
इस महीने में 11 दिन में 93 लोगों की अभी तक संक्रमण से मौत हो चुकी है, जबकि पिछले पांच महीने में दिल्ली में संक्रमण से 54 लोगों की मौत हुई थी। दिसंबर में नौ, नवंबर में सात, अक्टूबर में चार, सितंबर में पांच, अगस्त में 29 संक्रमितों की मौत हुई थी। वहीं, जुलाई में 76 लोगों की संक्रमण से जान गई थी। जैन ने कहा, ‘‘गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को ज्यादा परेशानी हो रही है, जबकि कोरोना वायरस के इलाज के लिए अधिक लोग अस्पताल नहीं आ रहे हैं।
मणिपुर में वर्तमान में बीजेपी की सरकार है। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में किसी को भी बहुमत नहीं मिलने के बाद बीजेपी ने एन बीरेन सिंह को साधते हुए राज्य पर कब्जा किया था। जबकि 28 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस सत्ता हासिल करने में कामयाब नहीं हो पाई थी।
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग की तरफ से कर दिया गया है। 60 विधानसभा सीटों को समेटे पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में दो चरणों में वोटिंग होगी। मणिपुर में 27 फरवरी और 3 मार्च को चुनाव होंगे और 10 मार्च को नतीजे आएंगे। कोरोना महामारी के मद्देनजर चुनाव आयोग ने इस बार सख्त प्रोटोकॉल बनाए हैं और 15 जनवरी तक रैली, रोड शो और पदयात्रा पर रोक लगा रखी है। मणिपुर में वर्तमान में बीजेपी की सरकार है। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में किसी को भी बहुमत नहीं मिलने के बाद बीजेपी ने एन बीरेन सिंह को साधते हुए राज्य पर कब्जा किया था। जबकि 28 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस सत्ता हासिल करने में कामयाब नहीं हो पाई थी।
बीजेपी-कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर
एबीपी न्यूज और सीवोटर ने मतदाताओं के मूड को भांपने के लिए एक सर्वे किया। एबीपी न्यूज-सीवोटर ओपिनियन पोल के मुताबिक, बीजेपी और कांग्रेस आगामी चुनावों के लिए करीबी मुकाबले में दिख रहे हैं और मणिपुर में इस बार त्रिशंकु विधानसभा के आसार बन सकते हैं। एबीपी न्यूज-सीवोटर ओपिनियन पोल से पता चलता है कि बीजेपी के लिए सीटों की अनुमानित सीमा 23-27 है, जबकि कांग्रेस को 22-26 सीटें मिल सकती हैं, जिससे सत्तारूढ़ पार्टी को कड़ी टक्कर मिल सकती है।
बीजेपी के सामने सत्ता बचाने की चुनौती
राज्य में सत्ता पर काबिज बीजेपी के सामने सत्ता को बचाने की चुनौती है। बीजेपी ने इसके लिए कमर कस ली है और इस चुनाव में जीत के लिए 40 सीटों का लक्ष्य भी रखा है। लेकिन गौर करने वाली बात है कि साल 2017 के चुनाव में राज्य में अपने सबसे बेहतरीन प्रदर्शन के जरिये भी बीजेपी केवल 21 सीट जीत सकी थी। वो और बात है कि छोटे और स्थानीय दलों को साथ लाकर बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब हो गई थी।
चेहरे की कमी से जूझ रही कांग्रेस
इन पांच साल में कांग्रेस ने खुद मजबूत बनाने की कोशिश की, पर पार्टी विधायकों और नेताओं के पार्टी बदलने से प्रयास बहुत कामयाब नहीं हुआ। पार्टी की सबसे बड़ी कमी यह है कि उसके पास स्थानीय स्तर पर बड़े चेहरों की कमी है। क्योंकि, तीन बार के मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी पार्टी की ताकत और कमजोरी दोनों हैं।
टीएमसी की भी मौजूदगी बनाएगी मुकाबले को त्रिकोणीय
मणिपुर के चुनावी समर में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस भी दो-दो हाथ करने को तैयार है। साल 2012 के चुनाव में टीएमसी को सात सीटों पर जीत हासिल हुई थी। लेकिन अगले बार के चुनाव में टीएमसी कोई खास सफलता हासिल नहीं कर सकी थी और महज 1 सीट पर उसे संतोष करना पड़ा था। लेकिन पश्चिम बंगाल में जीत की हैट्रिक लगाने के बाद टीएमसी मणिपुर में भी पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रही है।
नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश में अपराधमुक्त सुशासन की अवधारणा को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहला लक्ष्य बनाया है और इस बात का वह अपनी हर रैली और भाषण में जिक्र भी करते हैं। सीएम योगी दावा करते हैं कि उनकी सरकार में एक भी सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ। यूपी के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अक्सर इस दावे पर सवाल उठाते रहते हैं। एक आयोजन में भी अखिलेश ने योगी के 'दंगामुक्त प्रदेश' के दावे पर सवाल उठाए। अखिलेश ने कहा कि एनसीआरबी के आंकड़े देख लीजिए।
हमने जब एनसीआरबी यानी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़े उठाए तो देखा कि योगी सरकार के पहले साल में तो दंगों की घटनाएं दर्ज हुईं लेकिन उसके बाद ये आंकड़ा शून्य ही रहा। एनसीआरबी पर 2020 तक का आंकड़ा मौजूद है। 2018, 2019 और 2020 में उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक दंगे की एक भी घटना दर्ज नहीं की गई। जबकि उससे पहले 2017 में घटनाएं दर्ज हुईं।
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती मई 2007 से मार्च 2012 तक मुख्यमंत्री रहीं। इस दौरान (2007 से 2011 तक) यूपी में दंगों की 616 घटनाएं हुईं, जिनमें 121 लोग मारे गए।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव मार्च 2012 से मार्च 2017 तक मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान (2012 से 2016 तक) यूपी में 815 सांप्रदायिक दंगे हुए। इन दंगों में 192 लोगों की मौत हुई।
मार्च 2017 से योगी आदित्यनाथ सीएम हैं। यूपी में दंगों की 195 घटनाएं हुई थीं। उन घटनाओं में 44 लोग मारे गए थे। इसके बाद 2018, 2019 और 2020 में एक भी सांप्रदायिक दंगे नहीं हुए।
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 10 साल में देश में सांप्रदायिक दंगों के 6 हजार 800 मामले सामने आए हैं। सबसे ज्यादा 823 मामले 2013 में और 822 मामले 2017 में दर्ज हुए थे। 2011 से 2017 के दौरान देश में सांप्रदायिक दंगों में 707 लोगों की जान चली गई। 2018 के बाद से एनसीआरबी ने सांप्रदायिक दंगों में मरने वालों का आंकड़ा देना बंद कर दिया। एनसीआरबी के मुताबिक, 2020 में 62 लोगों की हत्या सांप्रदायिक कारणों से हो गई थी।
जालंधर । पंजाब मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का आमजनता से जुड़ाव उनकी सामाजिक सरोकारिता का उदाहरण है समय-समय पर ऐसे काम करते हैं जिससे जनता को वह अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब रहते हैं। मुख्यमंत्री चन्नी सोमवार को जब चंडीगढ़ से सड़क मार्ग से मोगा के लिए रवाना हुए तो चंडीगढ़ में सड़क दुर्घटना में घायल पुलिस कर्मचारी को देखकर उन्होंने अपना काफिला रुकवा लिया तथा तुरंत दौड़कर पुलिस कर्मचारी के पास पहुंचे। पुलिस कर्मचारी को उन्होंने उठाया और पूछा कि क्या वह सकुशल है? पुलिस कर्मचारी ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वह बिल्कुल ठीक है। मुख्यमंत्री चन्नी जब पुलिस कर्मचारी को उठा रहे थे तो उस समय उनकी मदद के लिए चंडीगढ़ पुलिस के कर्मचारी भी आगे आए। इस अवसर पर कुछ कैमरे वाले भी मौके पर पहुंच गए थे परंतु मुख्यमंत्री ने उन्हें कहा कि वह इस समय घायल पुलिस कर्मचारी का हाल पूछने व उन्हें उठाने के लिए आए हैं। कैमरे वालों से वह बाद में बात करेंगे।
मुख्यमंत्री चन्नी ने मोगा जाते हुए रास्ते में एक ढाबे पर रुक कर चाय पी और ढाबे वाले से कुछ समय बातचीत भी की। बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री चन्नी ने ढाबे वाले से पूछा कि उन्हें किस प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ढाबे वाले ने मुख्यमंत्री को कुछ व्यावहारिक परेशानियों के बारे में बताया। मुख्यमंत्री ने ढाबे वाले से कहा कि वह भी एक आम आदमी हैं तथा जमीन से जुड़े रहते हैं। वह हर समय यह जानने की कोशिश करते हैं कि आम जनता को किस-किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है और सरकार किस तरह उनका समाधान कर सकती है।