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लखनऊ | उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अच्छी कानून व्यवस्था की वजह से प्रदेश में निवेश बढ़ा है, जो प्रदेश कभी दंगा ग्रस्त हुआ करता था और अपराधियों को संरक्षण दिया करता था, वह आज उत्तम प्रदेश के लिए जाना जाता है। लखनऊ पुलिस लाइन में बुधवार को महिला रिक्रूट के दीक्षांत परेड की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सलामी ली। इस दौरान उन्होंने लखनऊ कमिश्नरेट भवन का वर्चुअल शिलान्यास किया। उन्होंने कहा कि पांच साल पहले उत्तर प्रदेश की बदहाल कानून व्यवस्था की पूरे देश में चर्चा होती थी, लेकिन मार्च 2017 में सत्ता परिवर्तन के बाद आज उत्तर प्रदेश की पहचान उत्तम प्रदेश के रूप में होती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में भाजपा की सरकार ने अपने कार्यकाल में पुलिस में डेढ़ लाख भर्तियां पूरी पारदर्शिता के साथ की हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस की क्षमता भी कई गुना बढ़ाई गई है। रेंज स्तर पर साइबर थाने और फॉरेंसिक लैब की स्थापना की गई है। इसके साथ ही प्रदेश के चार जिलों में कमिश्नरेट व्यवस्था लागू की गई है, जिसके बेहतरीन परिणाम भी सामने आ रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2017 से पहले मात्र छह हजार आरक्षियों का रिक्रूट कार्यक्रम हुआ था, लेकिन आज हमने 15,428 आरक्षियों को रिक्रूट किया। 1947 के बाद यूपी पुलिस बल को सबसे ज्यादा बजट दिया ताकि पुलिस बल मजबूत हो सके। आज प्रदेश के लिए बड़ा दिन है। 15428 आरक्षी दीक्षांत परेड में लखनऊ पुलिस में 519 महिला आरक्षी रिक्रूट हुई हैं। प्रदेश की बेटियां प्रदेश के विकास के लिए जो कार्य कर रही हैं आज यह कार्यक्रम उसकी एक झलक है। इससे पहले कार्यक्रम में लखनऊ पुलिस लाइंस में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली 519 महिला रिक्रूट आरक्षियों कि दीक्षांत परेड की मुख्यमंत्री ने सलामी ली। मुख्यमंत्री ने आरक्षियों को कर्तव्य निष्ठा की शपथ दिलाई और बेहतर भविष्य की शुभकामनाएं दी।

 

नई दिल्ली | पंजाब के गृह मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ विवादित बयान देने के बाद कांग्रेस पार्टी के संगठन महासचिव वेणुगोपाल के आवास पर मंगलवार सुबह अहम बैठक हुई। बैठक में पंजाब के चार कैबिनेट मंत्री मौजूद रहे। केसी वेणुगोपाल के आवास पर सुबह करीब 12 बजे हुई इस मुलाकात के दौरान सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रगट सिंह, अमरिंदर सिंह बराड़ और भारत भूषण आशु मौजूद रहे। दरअसल पंजाब के गृह मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने दो दिन पहले ही पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू पर गंभीर आरोप लगाए थे। रंधावा ने सोमवार को कहा था, जब से मैं पंजाब का गृह मंत्री बना हूं तब से पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू मुझसे नाराज हैं।

पंजाब में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए रंधावा ने कहा था कि सिद्धू को कुछ समस्या है। उनके परिवार के साथ सिद्धू के पुराने संबंध हैं। लेकिन जब से वह पंजाब का गृह मंत्री बने हैं। सिद्दू उनसे नाराज हैं। अगर सिद्धू को गृह मंत्रालय चाहिए, तो वो अपना पद छोड़ देंगे और उन्हें ऑफर कर देंगे। रंधावा की इस बयानबाजी के बाद पंजाब कांग्रेस की कलह एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है। इससे पहले नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पर लगातार बयान बाजी कर दे रहे हैं।

गौरतलब है कि पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर दिल्ली में कांग्रेस ने स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक मंगलवार शाम को बुलाई है। इस बैठक से ठीक पहले पार्टी के संगठन महासचिव ने पंजाब कांग्रेस की कैबिनेट मंत्रियों को बुलाकर पंजाब सरकार में चल रही है बयानबाजी को लेकर कांग्रेस के नेताओं को हिदायत दी। हालांकि बैठक के बाद सुखजिंदर सिंह रंधावा ने एक बार फिर सिद्धू पर हमला बोलते हुए कहा कि पार्टी विधानसभा चुनाव से पहले किसी को भी मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित नहीं करेगी। उन्होंने कहा, कांग्रेस पार्टी खुद ही मुख्यमंत्री का चेहरा है।

इससे पहले नवजोत सिंह सिद्धू लगातार कांग्रेस नेतृत्व से विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री चेहरे को घोषित करने की मांग करते रहे हैं। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू लगातार यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि पंजाब को इस बार बारात का दूल्हा बनाना होगा। सिद्धू ने कहा, पिछले चुनाव में मैंने यह मुद्दा आम आदमी पार्टी (आप) के लिए उठाया था। मैं कहता रहा कि बरात घूम रही है, लेकिन दूल्हा कहां है? इसका नुकसान आप को हुआ। इस बार कांग्रेस में यही स्थिति है। पंजाब जानना चाहता है कि उनके लिए रोडमैप किसके पास है? कौन पंजाब को इस कीचड़ से बाहर निकालेगा? मैं आप से पूछता था, लेकिन अब लोग हमसे पूछ रहे कि पंजाब कांग्रेस की बारात का दूल्हा कौन है? जिसके बाद कांग्रेस के कैंपेन कमेटी के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने ये साफ किया था पार्टी में एक चेहरे को आगे कर चुनाव नहीं लड़ा जा सकता। इसलिए संयुक्त लीडरशिप में चुनाव होगा जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता भी शामिल होंगे।

नई दिल्ली | मुस्लिम महिलाओं को नीचा दिखाने के उद्देश्य से 'बुली बाई ऐप' को लेकर चल रहे विवाद के बीच केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि यह 'भारत को बदनाम करने की साजिश है और ऐसा करने वाले कभी सफल नहीं होंगे।' मंत्री ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर सख्त कार्रवाई कर रही है और कहा कि महिलाओं को इस तरह निशाना बनाना अस्वीकार्य है। नकवी ने कहा, "यह देश की मिली-जुली संस्कृति के खिलाफ एक साइबर सांप्रदायिक साजिश है और यह सफल नहीं होगी। इसके पीछे अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। उनकी सांप्रदायिक साजिश का जल्द से जल्द पर्दाफाश किया जाएगा।"

उन्होंने दावा किया कि भारत को बदनाम करने की इस साजिश के पीछे नापाक मंसूबों वाले कुछ लोग हैं लेकिन उन्हें कभी सफल नहीं होने दिया जाएगा। केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था, "गिटहब ने आज सुबह ही यूजर्स को ब्लॉक करने की पुष्टि की। सीईआरटी और पुलिस अधिकारी आगे की कार्रवाई के लिए समन्वय कर रहे हैं।" कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक विशेष समुदाय की महिलाओं को लक्षित करने वाले बुली बाई ऐप पर निष्क्रियता को लेकर सरकार की खिंचाई की और कहा कि यह नफरत के खिलाफ बोलने का समय है और इसमें कोई डर नहीं होना चाहिए।

दिल्ली पुलिस ने सोमवार को सोशल मीडिया दिग्गज ट्विटर से उस अकाउंट के बारे में जानकारी मांगी, जिसने पहले 'बुली बाई' ऐप के बारे में ट्वीट किया और आपत्तिजनक सामग्री को हटाने के लिए कहा। एक अन्य डवलपमेंट में, एक 21 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्र को बुली बाई विवाद के सिलसिले में मुंबई पुलिस की एक टीम द्वारा छापेमारी में बेंगलुरु में पकड़ा गया था। छात्र को मुंबई लाया जा रहा है, लेकिन पुलिस ने अधिक जानकारी नहीं दी। सोशल मीडिया पर अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं के उत्पीड़न और अपमान की एक चौंकाने वाली घटना तब सामने आई जब दिल्ली की एक महिला पत्रकार ने दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उन्हें कुछ अज्ञात लोगों के समूह द्वारा बुली बाई नामक मोबाइल एप्लिकेशन पर निशाना बनाया जा रहा है। बुली बाई गिटहब प्लेटफॉर्म पर बनाई गई है।

नई दिल्ली | केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी ने दावा किया कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव पश्चिम बंगाल से प्रेरणा ले रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की रणनीति राज्य में काम नहीं करेगी। रेड्डी ने यह टिप्पणी तेलंगाना भाजपा अध्यक्ष संजय कुमार की गिरफ्तारी पर की है। रेड्डी ने ट्वीट करते हुए कहा, "केसीआर (के चंद्रशेखर राव) पश्चिम बंगाल से प्रेरणा ले रहे हैं! इस तरह की रणनीति उनकी यहां काम नहीं करेगी।" तेलंगाना की जनता ऐसा नहीं होने देगी। 'हैसटैग बीजेपी तेलंगाना' ऐसे प्रयासों को विफल कर देगा। हमारे लोगों ने पूर्व में रजाकारों और निजामों के अत्याचार से लड़ाई लड़ी है, अगर जरूरत पड़ी तो वे फिर से इसके लिए तैयार हैं।" तेलंगाना पुलिस ने दावा किया कि राज्य के भाजपा अध्यक्ष को रविवार रात एक विरोध प्रदर्शन के दौरान आपदा प्रबंधन अधिनियम के उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

रेड्डी ने ट्वीट करते हुए कहा, टीआरएस सरकार राज्य में पार्टी के विकास से डरी हुई है। झूठे आरोप लगाना और हमारे 'हैसटैग बीजेपी फॉर तेलंगाना' अध्यक्ष श्री 'हैसटैग बंदीसंजय बीजेपी' की गिरफ्तारी केसीआर सरकार के अत्याचार का एक उदाहरण है। संसद के सदस्य तेलंगाना भाजपा अध्यक्ष को रविवार रात उस समय गिरफ्तार किया गया था, जब पुलिस ने राज्य सरकार से सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों के स्थानांतरण से संबंधित आदेश में संशोधन करने की मांग को लेकर उनके विरोध को विफल कर दिया था। रात भर मनाकोंदूर पुलिस स्टेशन में रखे गए सांसद को सोमवार को करीमनगर शहर के पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में स्थानांतरित कर दिया गया। इससे पहले सोमवार दोपहर को भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा ने गिरफ्तारी को लेकर राज्य सरकार द्वारा लोकतंत्र और संवैधानिक अधिकारों की हत्या का एक और उदाहरण करार दिया है।

उन्होंने कहा, "यह तेलंगाना सरकार द्वारा लोकतंत्र और संवैधानिक अधिकारों की हत्या का एक और उदाहरण है। भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं पर इस हमले की भाजपा तीखी आलोचना और निंदा करती है।" तेलंगाना के करीमनगर शहर की एक अदालत ने रविवार रात एक विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस कर्मियों पर हमला करने और आपदा प्रबंधन अधिनियम के उल्लंघन के लिए राज्य भाजपा प्रमुख और सांसद बंदी संजय कुमार को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया, जिसे पुलिस ने नाकाम कर दिया।

लखनऊ| यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक और उपलब्धि अपने नाम किया है। मुख्यमंत्री योगी पिछले पांच माह में यानी पिछले साल अगस्त माह से लेकर तीन जनवरी तक 156 दिनों में सौ से ज्यादा बार जिलों का दौरा कर चुके हैं। उन्होंने हर दौरे में शासन के योजनाओं की धरातल पर हकीकत परखी। साथ ही, कोरोना प्रबंधन, बाढ़ राहत और विकास कार्य सहित लाखों करोड़ों की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री योगी ने पिछले पांच माह में औसतन हर माह 20 जिले का दौरा किया है और विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल हुए हैं। यह स्थिति तब है, जब वह लखनऊ में रोजाना सुबह उच्चाधिकारियों के साथ बैठक के अलावा अन्य शासकीय कार्यों और बैठकों आदि में व्यस्त रहते हैं। दिसंबर माह में ही वह 23 से अधिक जिलों में पहुंचे हैं, जहां उन्होंने योजनाओं का लोकार्पण या शिलान्यास किया है। ऐसे ही नवंबर में उन्होंने 17, अक्तूबर में 13, सितंबर में 32 और अगस्त में 15 जिलों का दौरा किया है। इस साल जनवरी में मुख्यमंत्री योगी पहली जनवरी को रामपुर, दो जनवरी को मेरठ और तीन जनवरी को लखनऊ, अमेठी और लखनऊ का दौरा किया है। प्रदेश में विधानसभा चुनावों को लेकर पिछले करीब छह महीने से सियासी गर्मी है। दूसरे राज्यों के भी विभिन्न दलों के नेता अपने एजेंडे लेकर चुनावी मैदान में उतर चुके हैं, लेकिन उनकी राजनीति ट्विटर और मीडिया में बयानों तक ही सीमित है।

सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने पौने पांच साल में कुछेक जिलों को छोड़ दें तो करीब हर जिले का तीन से चार बार दौरा किया है। 2017 के पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री विशेष मौकों पर ही जिलों के दौरों पर निकलते थे। इसमें भी गौतमबुद्धनगर और अयोध्या सहित कुछ जिले ऐसे थे, जिनमें तत्कालीन मुख्यमंत्री जाने से कतराते थे। मुख्यमंत्री योगी ने पिछले साल अगस्त माह में बाढ़ प्रभावित औरैया, इटावा, वाराणसी, गाजीपुर, बलिया और सितंबर माह में बहराइच, गोंडा, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और महराजगंज सहित कई जिलों का भ्रमण किया था। बाढ़ पीड़ितों को राहत देने के लिए वह खुद धरातल पर उतरे और लोगों को राहत सामाग्री वितरित की। इससे पहले सीएम योगी ने फिरोजाबाद का भी दौरा कर बुखार पीड़ितों से मुलाकात की थी और उन्हें भरोसा दिया कि हर परिस्थिति में सरकार आपके साथ है। योगी ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पिछले साल मई में 26 दिनों में 18 मंडलों और 40 जिलों का दौरा किया था। इस दौरान वह लोगों के सुख-दुख में शामिल हुए और शहरों से लेकर गांवों तक का दौरा किया। साथ ही उन्होंने अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की और इंटीग्रेटेड कोविड कंट्रोल कमांड सेंटर आदि का भी निरीक्षण किया था।

नड्डा ने कहा कि आज, मैं इस लड़ाई में अपनी एकजुटता दिखाने के लिए यहां हूं कि तेलंगाना भाजपा राज्य के लोगों और कर्मचारियों के लिए लड़ रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा इसके खिलाफ लड़ाई लड़ रही है और अंत तक लड़ेगी।

 

तेलंगाना में सत्तारूढ़ के चंद्रशेखर राव की सरकार और भाजपा आमने-सामने है। राज्य के भाजपा अध्यक्ष और सांसद बी संजय कुमार को गिरफ्तार करने के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।  इसके बाद भगवा पार्टी लगातार चंद्रशेखर की सरकार पर हमलावर है। इसी कड़ी में आज भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तेलंगाना पहुंचे और हैदराबाद में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। हैदराबाद के संवाददाता सम्मेलन में जेपी नड्डा ने कहा कि तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व में गैर-प्रजातांत्रिक तरीके से सरकार चल रही है। पिछले 2 दिनों में जो हुआ, ये प्रजातंत्र की हत्या है। एक तरह से तानाशाही है। ये सरकार भ्रष्टाचार में डूबी हुई है, यहां वंशवाद चल रहा है।

नड्डा ने कहा कि आज, मैं इस लड़ाई में अपनी एकजुटता दिखाने के लिए यहां हूं कि तेलंगाना भाजपा राज्य के लोगों और कर्मचारियों के लिए लड़ रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा इसके खिलाफ लड़ाई लड़ रही है और अंत तक लड़ेगी। जब तक हम इस तानाशाही सरकार को, वंशवाद की सरकार को, भ्रष्टाचार में डूबी सरकार को उखाड़ नहीं फेंकते तब तक हम लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने दावा किया कि संजय बंडी ने अपने एमपी कार्यालय में रात को शांतिपूर्ण ढंग से जागरण रखा था। पुलिस ने पहले वहां कर्मचारियों को आने से रोका, गिरफ़्तारियां की। संजय बंडी के ऑफिस में जाकर उनसे हाथापाई करते हुए, कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज करते हुए गिरफ़्तार किया।

 नड्डा ने आगे कहा कि संजय बंडी को गिरफ़्तार करना गैर प्रजातांत्रिक है। जिस तरह से गिरफ़्तारी की गई वो प्रजातंत्र के लिए एक बहुत बड़ी चोट है, उसकी लड़ाई भी हम मानव अधिकार आयोग से लेकर हर जगह लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह केसीआर ने संजय बंड़ी को गिरफ्तार किया है, तो मैं यही कहूंगा कि विनाशकाले विपरीत बुद्धि। ये धर्मयुद्ध है, हम ये धर्म की लड़ाई लड़ेंगे और प्रजातांत्रिक तरीके से निर्णायक मोड़ तक लड़ेंगे।

 

 


कोरोना वायरस संक्रमण के मामले लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं। इसको ध्यान में रखते हुए ही पार्टी ने महिला मैराथन को रद्द करने का निर्णय लिया है। कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश पार्टी प्रभारी प्रियंका गांधी की ओर से दिए गए नारे 'मैं लड़की हूं लड़ सकती हूं' के अंतर्गत इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।

 

लखनऊ। कांग्रेस ने बुधवार को बड़ा फैसला करते हुए महिला मैराथन को स्थगित कर दिया है। आपको बता दें कि पार्टी ने मंगलवार को बरेली में 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' वाली महिला मैराथन का आयोजन किया था, जिसमें भगदड़ मचने की वजह से कई लड़कियां जख्मी हो गईं। इतना ही नहीं कांग्रेस ने इसके पीछे भाजपा की साजिश का अंदेशा भी जताया था। 

कोरोना वायरस संक्रमण के मामले लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं। इसको ध्यान में रखते हुए ही पार्टी ने महिला मैराथन को स्थगित करने का निर्णय लिया है। कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश पार्टी प्रभारी प्रियंका गांधी की ओर से दिए गए नारे 'मैं लड़की हूं लड़ सकती हूं' के अंतर्गत इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कांग्रेस ने कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' मैराथन को स्थगित कर दिया है। आने वाले दिनों में नोएडा, वाराणसी और उत्तर प्रदेश के कई अन्य जिलों में 7 से 8 मैराथन की योजना बनाई गई थी  

 

 

भगदड़ में कई लड़कियां हुईं

 

जख्मी कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने लखनऊ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस तरह के आयोजन होते हैं तो ऐसी कुछ घटनाएं हो जाती हैं। मगर ये नहीं होनी चाहिए। आगे इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति नहीं होगी। वहीं प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अशोक सिंह ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा नेतृत्व वाली सरकार द्वारा रची गई साजिश के कारण ऐसा हुआ। जिला प्रशासन को पता था कि मैराथन दौड़ आयोजित की जा रही है, लेकिन उसने सहयोग नहीं किया।

पंजाब में भगवंत मान होंगे आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार। सूत्रों के हवाले से ये खबर सामने आ रही है। आप की पीएसी की बैठक में ये फैसला हुआ है कि पंजाब में भगवंत मान के चेहरे को सामने रख आम आदमी पार्टी चुनावी मैदान में उतरेगी।

 

पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी पूरे दम खम से मैदान में है। राज्य में अभी किसी भी पार्टी की तरफ से सीएम चेहरे को लेकर कोई सीधी घोषणा नहीं की गई है। लेकिन पंजाब की राजनीति में अपनी ग्रैंड मौजूदगी दर्ज कराने की कवायद में जुटी आप ऐसी पहली पार्टी हो सकती है जो सूबे में मुख्यमंत्री चेहरे का ऐलान करने वाली है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पंजाब में भगवंत मान होंगे आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार। सूत्रों के हवाले से ये खबर सामने आ रही है। आप की पीएसी की बैठक में ये फैसला हुआ है कि पंजाब में भगवंत मान के चेहरे को सामने रख आम आदमी पार्टी चुनावी मैदान में उतरेगी।

ग्रैंड इवेंट के जरिये नाम के ऐलान का कार्यक्रम 

सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल ने भी भगवंत मान के नाम पर मुहर लगा दी है। कहा जा रहा है कि केजरीवाल के कोरोना पॉजिटव आने की वजह से नाम के ऐलान में देरी की गई। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अरविंद केजरीवाल का पंजाब आने का और फिर एक ग्रैंड इवेंट के जरिये भगवंत मान के नाम का ऐलान करने का कार्यक्रम में देरी हो रही है। हालांक पंजाब की आप की मीडिया ईकाई पूरे मामले में चुप्पी साध रखी है और उनका कहना है कि जो भी फैसला होगा वो पार्टी आलाकमान ही तय करेगा।

पीएसी ने किया फैसला

अरविंद केजरीवाल के साथ ही पीएसी के तमाम नेता, राघव चड्डा और जरनैल सिंह जैसे सह प्रभारी और लगातार पंजाब में कैंपेन कर रहे मनीष सिसोदिया जैसे नेताओं को लगता है कि पंजाब की राजनीति में अभी भगवंत नाम ही एक बड़ा नाम है, जिसके चेहरे को आगे रखकर चुनाव लड़ा जा सकता है। 

कौन हैं भगवंत मान 

पंजाब के संगरूर से लोकसभा के सांसद हैं। वो लगातार दो बार इस सीट का प्रतिनिधित्व संसद में कर रहे हैं। राजनीति में आने से पहले भगवंत मान लोकप्रिय हास्त कलाकार रह चुके हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत मनप्रीत बादल की पंजाब पीपल्स पार्टी से की थी लेकिन बाद में आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली।  

 

भाजपा ने साल 2017 के चुनाव में घाटी और पहाड़ी लोगों के बीच में पार्टी को लेकर चल रही धारणाओं को भी बदला और कांग्रेस सरकार के खिलाफ चल रही एंटी इंकमबेंसी का फायदा भी उठाया। आपको बता दें कि 60 सदस्यीय विधानसभा की 20 सीटें पहाड़ी इलाकों में और 40 सीटें घाटी इलाकों में हैं।

 

इम्फाल। मणिपुर में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाला है। ऐसे में यहां पर राजनीतिक दल मतदाताओं को अपने पाले में करने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। पहले के विधानसभा चुनाव की तरफ देखें तो यहां पर कई दलों के बीच मुकाबला होता था लेकिन इस बार का मुख्य मुकाबला भाजपा, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच देखने को मिलेगा। साल 2017 के चुनाव से पहले भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह ने एन बीरेन सिंह को अपने पाले में कर लिया था। जिसकी वजह से मणिपुर जैसे राज्य में भाजपा मजबूत हुई और 2017 के चुनाव में कमाल भी की। हालांकि पार्टी प्रदेश में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, इसके बावजूद एन बीरेन सिंह के दम पर भाजपा ने यहां पर सरकार बनाई। 

इतना ही नहीं भाजपा ने साल 2017 के चुनाव में घाटी और पहाड़ी लोगों के बीच में पार्टी को लेकर चल रही धारणाओं को भी बदला और कांग्रेस सरकार के खिलाफ चल रही एंटी इंकमबेंसी का फायदा भी उठाया। आपको बता दें कि 60 सदस्यीय विधानसभा की 20 सीटें पहाड़ी इलाकों में और 40 सीटें घाटी इलाकों में हैं। इसके अलावा प्रदेश की राजनीति में हमेशा मेतई समुदाय का ही दबदबा देखने को मिलता रहा है और यहां की 63 फीसदी जनसंख्या मेतई है और पूर्व मुख्यमंत्री इबोबी सिंह और मौजूद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह भी इसी समुदाय से आते हैं। इसी बीच मणिपुर के कुछ विशेष राजनीतिक दलों पर एक नजर डाल लेते हैं।

 

भाजपा

 

मणिपुर में इस समय पहली भाजपा सरकार है और इसका गठन करने के लिए कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए एन बीरेन सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी, जो इस वक्त प्रदेश के मुखिया हैं। प्रदेश में एन बीरेन सिंह की सरकार ने विकास के कार्यों के साथ-साथ शांति भी स्थापित की। वरना पहले यहां पर हड़तालें इत्यादि चलती रहती थीं। केंद्र की मोदी सरकार ने पूर्ववर्ती सरकारों की तुलना में पूर्वोत्तर पर बहुत ज्यादा ध्यान दिया है। इतना ही नहीं भाजपा पूर्वोत्तर को भारत का विकास द्वार भी मानती है। हालांकि भाजपा के सामने सबसे बड़ी समस्या अफ्सपा के रूप में रहने वाली है क्योंकि यहां की जनता अफ्सपा से परेशान है और वो भाजपा नेताओं से इसको लेकर जरूर सवाल पूछेगी।

 

असम और अरुणाचल प्रदेश में सरकार बनाने वाली भाजपा मणिपुर में भी अपनी सरकार का गठन करना चाहती थी। ऐसे में पार्टी को एक दमदार नेता की आवश्यकता थी, जो इबोबी सिंह को परास्त कर सके। ऐसे में भाजपा की तलाश एन बीरेन सिंह पर आकर समाप्त हुई। क्योंकि एन बीरेन सिंह ही एकमात्र नेता थे, जो इबोबी सिंह के संकटमोचक रहे थे और फिर उन पर सवाल भी खड़ा किया था। इतना ही नहीं कांग्रेस इबोबी सिंह और एन बीरेन सिंह के बीच के मतभेद को भी समाप्त करना चाहती थी। इसीलिए एन बीरेन सिंह को उपाध्यक्ष नियुक्त कर दिया था। इसके बाद भी विवाद समाप्त नहीं हुआ और मुख्यमंत्री से चल रहे मतभेदों के बीच एन बीरेन सिंह ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया। 

 

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राजनीतिक गलियारों में एन बीरेन सिंह को मणिपुर का हेमंत बिस्वा सरमा माना जाता है, क्योंकि दोनों ही कांग्रेस में रहते हुए संकटमोचक रहे हैं और फिर भाजपा में आने के बाद प्रदेश के मुखिया बने।

 

साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 21 सीटें मिली थी। इसके बावजूद पार्टी ने एनपीएफ, एनपीपी और कुछ सहयोगी दलों की मदद से न सिर्फ सरकार का गठन किया बल्कि पांच वर्षों तक आराम से सरकार भी चलाई। ऐसे में यदि अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा अपनी सत्ता बचा पाने में कामयाब होती है तो एन बीरेन सिंह पार्टी के प्रमुख नेताओं में शामिल हो जाएंगे।

 

कांग्रेस

 

1963 में पहली बार मणिपुर में विधानसभा के चुनाव हुए। पहले ही चुनाव में यहां कांग्रेस की जीत हुई और मैरेम्बम कोइरंग सिंह मुख्यमंत्री बने। सबसे ज्यादा प्रदेश में कांग्रेस की सरकारें रही हैं। मणिपुर को साल 1972 में राज्य का दर्जा मिला था। इसके बाद वहां पर साल 2002 तक राजनीतिक उथल-पुथल बहुत ज्यादा देखने को मिली और 18 सरकारें बदल गईं। इन अस्थिर सरकारों में कांग्रेस, मणिपुर यूनाइटेड फ्रंट, मणिपुर पीपल्स पार्टी, मणिपुर हिल्स यूनियन, जनता पार्टी, मणिपुर स्टेट कांग्रेस पार्टी, समता पार्टी की सरकारें रहीं। ऐसे में कांग्रेस एक स्थिर सरकार बनाना चाहती थी। इसके लिए पार्टी ने साल 2002 में इबोबी सिंह को अपना कप्तान चुना था। ऐसे में उन्हें एक वफादार संकटमोचक की तलाश थी और उनकी तलाश पहली बार चुनाव लड़ रहे एन बीरेन सिंह पर आकर समाप्त हुई। 


उस वक्त एन बीरेन सिंह ने डेमोक्रेटिक रिवॉल्यूशनरी पीपल्स पार्टी से चुनाव लड़ा था और हेइंगांग क्षेत्र से विधायक बने थे। जिसके बाद इबोबी सिंह ने एन बीरेन सिंह को कांग्रेस में शामिल करा लिया था और अपने मंत्रिमंडल में जगह दी। इसी प्रकार उनके दो कार्यकाल पूरे हो गए लेकिन तीसरे कार्यकाल के दौरान इबोबी सिंह और एन बीरेन सिंह के बीच मतभेद भी शुरू हो गया। इसके अलावा इबोबी सिंह ने उन्हें मंत्रिमंडल में जगह भी नहीं दी और फिर वो नाराज होकर कांग्रेस छोड़कर चले गए।

 

इसके बावजूद कांग्रेस का प्रदर्शन साल 2017 में बढ़िया था। उस वक्त पार्टी 28 सीटें जीतने के साथ ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी लेकिन सरकार बना पाने में कामयाब नहीं हो पाई। हालांकि इस बार का मुकाबला भी कांग्रेस के लिए चुनौतियों से भरा रहने वाला है।

 

तृणमूल कांग्रेस

 

आगामी विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस मणिपुर में खुद की पैठ जमाने में जुटी हुई है। इसके लिए वो दूसरे दलों के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कराने की कोशिशों में जुटी हुई है। टीएमसी इस बार अपनी पूरी ताकत के साथ विधानसभा चुनाव लड़ने वाली है। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी को 7 सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि बाद में टीएमसी के विधायक कांग्रेस और भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके अलावा पिछले चुनाव में पार्टी एक सीट ही जीत पाई थी।

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि अमित शाह और प्रधानमंत्री के रिश्ते बहुत अच्छे हैं, शाह ने प्रधानमंत्री पर कोई टिप्पणी नहीं की। सत्यपाल मलिक ने कहा कि उन्होंने मुझे लोगों से मिलते रहने और उन्हें सरकार के प्रयासों को समझाने की कोशिश करने के लिए कहा।

 

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी करने वाले मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को सुर अब बदले-बदले नजर आ रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी को घमंडी कहने वाले सत्यपाल मलिक ने अब उनकी सराहना की और कहा कि वो सही रास्ते पर हैं। सत्यपाल मलिक ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हवाले से उनकी टिप्पणी का गलत मतलब निकाला गया। 

अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट 'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक सत्यपाल मलिक ने कहा कि अमित शाह और प्रधानमंत्री के रिश्ते बहुत अच्छे हैं, शाह ने प्रधानमंत्री पर कोई टिप्पणी नहीं की। सत्यपाल मलिक ने कहा कि उन्होंने मुझे लोगों से मिलते रहने और उन्हें सरकार के प्रयासों को समझाने की कोशिश करने के लिए कहा।

दरअसल, हरियाणा के चरखी दादरी में रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान सत्यपाल मलिक ने कहा था कि कृषि कानूनों को लेकर जब मैं प्रधानमंत्री मोदी जी से मिला तो पांच मिनट के भीतर ही झगड़ा हो गया। वो बहुत घमंड में थे। जब मैंने उनसे कहा कि हमारे 500 लोग मर गए हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि मेरे लिए मरे हैं। इस पर मैंने कहा कि आपके लिए ही तो मरे थे, क्योंकि आप राजा बने हुए हो, इसी बात पर मेरा उनसे झगड़ा हो गया था। सत्यपाल मलिक ने कहा था कि प्रधानमंत्री ने मुझे अमित शाह से मिलने के लिए कहा, जिसके बाद मैं अमित शाह से मिला। उन्होंने कहा कि जब एक कुत्ता मर जाता है तो प्रधानमंत्री शोक संदेश भेजते हैं लेकिन किसानों की मौत पर चुप हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक सत्यपाल मलिक ने सोमवार को इससे इनकार कर दिया और कहा कि अमित शाह ने मुझसे ऐसा कुछ नहीं कहा। उन्होंने मुझे सभी से मिलते रहने को कहा। उन्होंने कहा कि मैंने सार्वजनिक रूप से प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किसानों के लिए उठाए गए कदम की सराहना की और प्रशंसा की। जब वे (गुजरात के) मुख्यमंत्री थे, वे किसान समर्थक थे और चाहते थे कि एमएसपी को वैधानिक दर्जा दिया जाए। लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें गुमराह किया गया। फिर भी जब उन्होंने महसूस किया कि किसान किसी भी कीमत पर कानूनों का समर्थन नहीं करते हैं, तो उन्होंने इसे वापस लेने और माफी मांगने का फैसला किया। यह उनके बड़े दिल को दर्शाता है। वह अब सही रास्ते पर हैं।

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