ईश्वर दुबे
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Bhilai
बलिया | यूपी के बलिया में बीजेपी के विधायक सुरेन्द्र सिंह ने एक बार फिर दिया विवादित बयान दिया है. इस बार इनके निशाने पर जया बच्चन है. बीजेपी विधायक ने जया बच्चन पर चुटकी लेते हुए कहा कि यही कलयुग का असली स्वरूप है. पहले तो त्यागी, तपस्वी और साधक ही आशीर्वाद या श्राप दिया करते थे लेकिन अब नर्तकी भी श्राप देने लगी है. यही नही बीजेपी विधायक ने कांग्रेस के सीनियर लीडर दिग्विजय सिंह द्वारा 70 साल की उम्र में 25 साल की लड़की से शादी करने को लेकर निशाना साधते हुए कहा दिया कि लड़कियों की शादी की उम्र जरूर 21 साल होना चाहिए लेकिन इसके साथ ही साथ एक और कानून बनाना चाहिए कि 50 साल के बाद पुरुषों को भी शादी नही करनी चाहिए. यह भी एक सामाजिक कुरीति है और सामाजिक बंधन का एक अपराध है. बीजेपी विधायक ने दावा किया कि हमारी सरकार दोनों कर रही है.
दिग्विजय सिंह पर भी साधा निशाना
यूपी के बैरिया सीट से बीजेपी के विधायक सुरेन्द्र सिंह ने आज बैरिया में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए जय बच्चन का बयान जिसमे उन्होंने बीजेपी के सांसद और विधायकों के बुरे दिन जल्द आने वाली है के सवाल का जवाब देते हुए आज कहा है कि यह कलयुग है. पहले तो आशीर्वाद या श्राप त्यागी, तपस्वी और साधक दिया करते थे लेकिन अब नर्तकी भी श्राप देने लगी है. यही असली कलयुग का स्वरूप है. अपने विवादित बयानों के जरिये सुर्खियों में बने रहने के आदि बीजेपी विधायक सुरेन्द्र सिंह यही नही रुके उन्होंने बीजेपी सरकार द्वारा लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने के सवाल पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह द्वारा 70 साल की उम्र में 25 साल की ज्योति से शादी करने का उदाहरण देने हुए यहां तक कह दिया कि लड़कियों की शादी की उम्र जरूर 21 वर्ष होनी चाहिए. लेकिन इसके साथ ही साथ एक और कानून बनना चाहिए ? कि 50 वर्ष के बाद पुरुषों और बुजुर्गों की भी शादी नही होनी चाहिए ? यह भी एक सामाजिक कुरीति है.
दिग्विजय सिंह ने 70 के उम्र में 25 साल की लड़की से की शादी
बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह ने कहा कि क्योकि हमारे नेता लोग, जैसे दिग्विजय सिंह को देखें ही होंगे वो 70 साल की उम्र में 25 साल की ज्योति से कोई शादी करता है तो यह सामाजिक बंधन का एक अपराध है. हमारी सरकार दोनों पर हमारी सरकार कर रही है और यह होना भी चाहिए.
Uttarakhand Assembly Election 2022: कांग्रेस नेता हरीश रावत ने दिल्ली में राहुल गांधी के आवास पर पार्टी नेतृत्व के साथ उत्तराखंड कांग्रेस नेताओं की बैठक के बाद कहा कि कदम, कदम बढ़ाए जा, कांग्रेस के गीत गए जा.
मैं उत्तराखंड में चुनाव प्रचार का चेहरा बनूंगा.
दिल्ली में बैठक के बाद हरीश रावत ने कहा कि ''कांग्रेस अध्यक्ष के पास हमेशा ये विशेषाधिकार रहा है कि चुनाव के बाद पार्टी बैठती है, कांग्रेस अध्यक्ष को नेता के संबंध में अपनी राय देते हैं और कांग्रेस अध्यक्ष नेता तय करती हैं. कैंपेन कमेटी के चेयरमैन के रूप में मैं चुनाव का नेतृत्व करूंगा.''
हरीश रावत के ट्वीट ने कांग्रेस की मुश्किलों को बढ़ा दिया था
बता दें कि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत के ट्वीट ने कांग्रेस की मुश्किलों को बढ़ा दिया था. हरीश रावत ने बुधवार को तीन ट्वीट किए. इसमें से एक में लिखा, 'समुद्र में तैरना है, हाथ बंध गए हैं, सोच रहा हूं कि समुद्र में उतरूं कि नहीं, विश्राम करूं'. इसके बाद रावत के भविष्य को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जाने लगीं. कुछ ने कहा कि रावत कांग्रेस से इस्तीफा देकर नई पार्टी बनाएंगे तो कुछ ने कहा कि यह उनकी प्रेशर टैक्टिस है. वजह जो भी रावत के ट्वीट के बाद कांग्रेस हरकत में आई. आज उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से दिल्ली में बैठक हुई.
भोपाल: मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने चेतावनी दी है। नरोत्त्तम मिश्रा ने कहा है कि यूपी के चुनाव के परिणाम के बाद ओवैसी को ढूंढते रह जाओगे। नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि ओवैसी की धमकी और भाजपा का रिश्ता शेर के बच्चों की तरह है। सियारों से दहशत खाएंगे तो फिर सोचिए जंगल में कैसे रह पाएंगे।
वे मंच से कहते हैं, 'मैं तो उन पुलिस के लोगों से कहना चाहता हूं, याद रखना मेरी बात को। हमेशा योगी मुख्यमंत्री नहीं रहेगा और हमेशा मोदी प्रधानमंत्री नहीं रहेगा। हम मुसलमान वक्त के तिमार से खामोश जरूर हैं, मगर याद रखो हम तुम्हारे जुल्म को भूलने वाले नहीं हैं। हम तुम्हारे जुल्म को याद रखेंगे। अल्लाह... अपनी ताकत के जरिए तुम्हारी अंतिम को नेस्तनाबूद करेंगे और हम याद रखेंगे। हालात बदलेंगे। जब कौन बचाने आएगा तुमको? जब योगी अपने मठ में चले जाएंगे, मोदी पहाड़ों में चले जाएंगे। जब कौन आएगा? हम नहीं भूलेंगे।'
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि ओवैसी की धमकी और बीजेपी का रिश्ता शेर के बच्चों की तरह है। सियारों से दहशत खाएंगे और अब आप ही सोच लीजिये कि वे जंगल में कैसे रह पाएंगे। उत्तर प्रदेश के चुनावों परिणामों के बाद ओवैसी कहीं नहीं दिखेंगे। नरोत्तम मिश्रा ने आगे कहा कि ओवैसी जाति की राजनीति करते हैं और बीजेपी सबका साथ सबका विश्वास में विश्वास रखती है और इसी पर जन की सेवा करना चाहती है।
मुंगेर | मुंगेर में गंगा पर पुल बनकर तैयार हो गया है. इस पुल का लोकार्पण 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी के जयंती के दिन होना था. कार्यक्रम को लेकर सारी तैयारियां कर ली गई थी. लेकिन कार्ड छपने के बाद इसका लोकार्पण फिलहाल टाल दिया गया है. वहीं इस उद्घाटन कार्यक्रम में बेगूसराय के सांसद व केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को आमंत्रित नहीं किया गया. हालांकि बाद में उनका नाम जोड़ना पड़ा.
मुंगेर में गंगा- सड़क पुल का शिलान्यास वर्ष 2002 में तत्कालिक प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था. रेल पुल पर आवागमन जारी है लेकिन सड़क पुल का उद्घाटन 25 दिसंबर को होना था. इस कार्यक्रम में खगड़िया के सांसद चौधरी महबूब अली कैसर और मुंगेर के सांसद सह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को भी आमंत्रित किया गया लेकिन अतिथि की सूची से बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह का ही नाम गायब कर दिया गया.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मुंगेर गंगा पुल के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल होने वाले थे. गिरिराज सिंह का नाम लिस्ट से गायब हुआ तो मामले ने तूल पकड़ा. जिसके बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने खुद ही इस समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया. बता दें कि 25 दिसंबर को ही मुंगेर में गंगा नदी पर बने पुल का उद्घाटन होना था. इस कार्यक्रम का उद्घाटन नीतीश कुमार व नितिन गड़करी करने वाले थे.
25 दिसंबर के कार्यक्रम को टाल दिया गया है. लेकिन इस कार्यक्रम में जिन गनमाण्यों को आमंत्रित किया गया था उनमें उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद व रेणु देवी के अलावा ललन सिंह, कैसर, मंत्री सम्राट चौधरी, स्थानीय जनप्रतिनिधि एन.के.यादव, संजीव कुमार, प्रणव कुमार समेत कई अन्य चेहरे थे लेकिन गिरिराज सिंह का नाम नहीं शामिल किया गया था.
बता दें कि मुंगेर से अलग हुए बेगूसराय और खगड़िया को मुंगेर से जोड़े रखने के लिए तीनों जिलों के लोग मुंगेर गंगा नदी पर पुल बनाने की मांग काफी समय से करते आए थे. इस पुल से बेगूसराय का भी उतना ही लेना-देना है, जहां के सांसद गिरिराज सिंह हैं.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जनविश्वास यात्रा शुक्रवार को बहराइच जनपद में पहुँची जहां योगी ने लोगों से कहा कि पिछले पांच वर्ष के दौरान भाजपा की सरकार ने जो कार्य किए हैं, उस पर आपका विश्वास पाने के लिए यह यात्रा आई है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस ने आक्रांता सालार मसूद को मार गिराने वाले महाराजा सुहैलदेव को कभी सम्मान नहीं दिया। योगी ने बहराइच में कहा कि महाराज सुहैलदेव के नाम पर कोई संस्थान होना एक सपना था,लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे हकीकत में बदल दिया। उन्होंने कहा कि महाराज सुहैलदेव और महर्षि वाल्मीकि के नाम पर मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास किया जा चुका है तथा महाराज सुहैलदेव का भव्य स्मारक भी बनाया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जनविश्वास यात्रा शुक्रवार को बहराइच जनपद में पहुँची जहां योगी ने लोगों से कहा कि पिछले पांच वर्ष के दौरान भाजपा की सरकार ने जो कार्य किए हैं, उस पर आपका विश्वास पाने के लिए यह यात्रा आई है। उन्होंने कहा कि आज ही 75 जनपदों के लिए 500‘हेल्थ वेलनेस सेंटर’ और 250 आयुष केन्द्रों का उद्घाटन किया गया है जो चिकित्सा क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि विदेशी आक्रांता सालार मसूद को मार गिराने वाले महाराज सुहैलदेव को सम्मान देने का काम भाजपा की सरकार ने ही किया है। उन्होंने कहा कि महाराज सुहैलदेव के अनुयायी कभी किसी के आगे नहीं झुक सकते। वहीं, देवरिया पहुंची जनविश्वास यात्रा के दौरान आयोजित सभा को वर्चुअल रूप से संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि भाजपा सरकार में उत्तर प्रदेश विकास का नया इतिहास लिखा जा रहा है और भाजपा सरकार में गांव, गरीब, किसान, नौजवान सभी के हित के काम हो रहे हैं।
मौर्य ने कहा कि भाजपा सरकार में कोरोना काल में सभी जरूरतमंदों के घर मुफ्त राशन दिया गया। उन्होंने कहा कि 2022 में भाजपा फिर से सरकार बनाएगी। उन्होंने लोगों से भाजपा को अगले चुनाव में फिर से सत्ता में लाने की अपील की। फतेहपुर पहुंची भाजपा की जनविश्वास यात्रा में उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा ने कहा किपहले तो विपक्ष के नेता अपनी यात्रा में मंदिर नहीं जाते थे, भजन कीर्तन वालों से दूर रहते थे और भगवा पहनने वालों को देख लें तो उन्हें ‘‘करंट’’ ही लग जाता था। उन्होंने कहा कि भाजपा ने ‘सबका साथ सबका विकास’ के मंत्र के आधार पर सरकार चलाई है जबकि पिछली सरकारें कुछ विशेष लोगों के तुष्टीकरण में लगी रहती थीं।
प्रयागराज: यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र हर राजनीतिक दल और नेता अपने-अपने समीकरण दुरुस्त करने में जुटा है। इस बीच कांग्रेस को रायबरेली की विधायक अदिति सिंह के भाजपा में शामिल होने के बाद प्रयागराज में भी तगड़ा झटका लगा है। तीन बार से विधायक राजेन्द्र त्रिपाठी पार्टी का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हो गए हैं। राजेंद्र त्रिपाठी ने लखनऊ भाजपा कार्यालय में भाजपा ज्वाइनिंग कमेटी के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। वह अभी प्रयागराज से सिटिंग एमएलए हैं।
जानकारों के मुताबिक उनका ऐसे अचानक पार्टी छोड़ना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है। राजेन्द्र त्रिपाठी तीन बार विधायक बनने के साथ ही यूपी कांग्रेस के मंत्री भी रह चुके हैं। जानकारों का कहना है कि इससे पहले जब रायबरेली सदर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहीं अदिति सिंह ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा था तब उसे भी पार्टी के लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा था। प्रयागराज के विधायक राजेन्द्र त्रिपाठी के जाने से यह नुकसान और बड़ा हो गया है।
कांग्रेस का संगठन इस इलाके में कमजोर हुआ है। गौरतलब है इससे पहले 2017 के चुनाव में पार्टी की वरिष्ठ नेता रहीं रीता बहुगुणा जोशी भी भाजपा में शामिल हो गई थीं। उनके बाद प्रयागराज में राजेन्द्र त्रिपाठी कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण थे। विधायक राजेन्द्र त्रिपाठी के साथ ही बसपा के पूर्व विधायक कृष्ण पाल सिंह राजपूत, पूर्व आईएएस गुरबचन लाल, राष्ट्रीय लोक दल के प्रदेश महामंत्री मुनिदेव शर्मा समेत कई नेताओं ने भी भाजपा की सदस्यता ली है। मुनिदेव को रालोद अध्यक्ष अजीत सिंह का काफी करीबी माना जाता था।
इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा आगामी विधानसभा चुनावों को टालने के अनुरोध पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि जब चुनाव आयोग आदर्श आचार संहिता लागू करती है, तो उसे ही यह तय करना होगा कि चुनाव कब होंगे. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान कोविड-19 की तीसरी लहर की बढ़ती आशंका के मद्देनजर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से चुनावी रैलियों पर रोक लगाने और आगामी विधानसभा चुनावों को टालने पर विचार करने का आग्रह किया था.
कोर्ट ने कहा था कि यदि संभव हो सके तो फरवरी में होने वाले चुनावों को एक-दो महीने के लिए टाल दिया जाए, क्योंकि जीवन रहेगा तो चुनावी रैलियां, सभाएं आगे भी होती रहेंगी और जीवन का अधिकार हमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में मौलिक अधिकार के रूप में प्राप्त है. जस्टिस शेखर कुमार यादव ने गुरुवार को एक मामले में याचिकाकर्ता की जमानत अर्जी मंजूर करते हुए कहा था, कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के मरीजों की संख्या बढ़ रही है और तीसरी लहर आने की आशंका है.
उन्होंने कहा कि इस भयावह महामारी को देखते हुए चीन, नीदरलैंड, जर्मनी जैसे देशों ने पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन लगा दिया है. उन्होंने कहा कि दूसरी लहर में हमने देखा कि लाखों की संख्या में लोग संक्रमित हुए और लोगों की मौत हुई. उन्होंने कहा, "ग्राम पंचायत और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के कारण बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हुए और उनकी मौत हुई. अब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव नजदीक है, जिसके लिए सभी पार्टियां रैलियां, सभाएं आदि करके लाखों लोगों की भीड़ जुटा रही हैं, जहां कोविड प्रोटाकॉल का पालन किसी रूप में संभव नहीं है. इसे समय रहते नहीं रोका गया तो परिणाम दूसरी लहर से कहीं अधिक भयावह होंगे.
जस्टिस यादव ने कहा कि इसे समय रहते नहीं रोका गया तो परिणाम दूसरी लहर से कहीं अधिक भयावह होंगे. उन्होंने चुनाव आयुक्त से इस प्रकार की रैलियों, सभाओं पर तत्काल रोक लगाने और राजनीतिक दलों को चैनल और अखबारों के माध्यम से प्रचार करने का आदेश देने का अनुरोध किया. कोर्ट ने कोविड-19 वैक्सीनेशन अभियान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उनसे अनुरोध किया कि भयावह महामारी की स्थिति को देखते हुए कड़े कदम उठाएं और रैलियां, सभाएं रोकने एवं आसन्न चुनावों को टालने पर विचार करें क्योंकि "जान है तो जहान है."
मध्यप्रदेश में वैक्सीन की दोनों डोज नहीं लगाने पर न्यू ईयर सेलिब्रेशन नहीं कर सकेंगे। इसके निर्देश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिए हैं। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने गुरुवार को बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना के हालात की समीक्षा की है। उन्होंने बताया कि सीएम के निर्देश है कि वैक्सीन के दोनों डोज लगाने वाले ही न्यू ईयर सेलिब्रेशन कर सकेंगे। यह सुनिश्चित किया जाएगा। फिलहाल, किसी तरह की कोई अन्य पाबंदी लगाने का निर्णय नहीं लिया गया है।
इसके साथ ही जिम ऑनर को भी सुनिश्चित करना होगा कि उनके यहां आने वाले लोगों को वैक्सीन के दोनों डोज लगे हों। सारंग ने कहा कि मध्यप्रदेश से सटे राज्यों में कोरोना के मरीज बढ़े हैं। अभी तक सुखद खबर है कि प्रदेश में ओमिक्रॅान का मरीज नहीं मिला है।
कॉलेज छात्रों को दोनों डोज लगाना अनिवार्य
मंत्री ने बताया कि इंजीनियर एवं मेडिकल कॉलेज में आने वाले सभी छात्रों को भी वैक्सीन के दोनों डोज लगवाना जरूरी है। साथ ही, जिम एवं भीड़ जमा होने वाले स्थानों पर भी जाने वाले सभी लोगों को दोनों डोज लगवाना होगा। कोचिंग में भी आने वाले पात्र छात्रों को दोनों डोज लगाना सुनिश्चित करने को कहा गया है।
अभी पांबदी लगाने का फैसला नहीं
मंत्री ने कहा कि मास्क को लेकर रोको-टोको अभियान चलाया जाएगा। सभी जिलों में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी लोग मास्क का अनिवार्य रूप से उपयोग करें और लगाएं। अभी किसी तरह की पाबंदी लगाने पर निर्णय नहीं लिया गया है।
पॉजिटिव मरीजों के आइसोलेशन की व्यवस्था सरकार करेगी
मंत्री ने कहा कि पॉजिटिव मरीज मिलने पर होम आइसोलेशन के साथ ही हर जिले में इंस्टीट्यूशनल आइसोलेशन में रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि जहां घर में आइसोलेशन की अलग से व्यवस्था नहीं है। या जिन घरों में लोग ज्यादा हैं, उन्हें इंस्टीट्यूशनल आइसोलेशन में रखा जाएगा। जहां उनकी सभी प्रकार की व्यवस्था सरकार करेगी।
इलाहाबाद: उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। लेकिन उससे पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय की एक टिप्पणी ने तमाम नेताओं सहित खुद चुनाव आयोग को भी सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने चुनाव आयोग को चुनावी रैलियों पर प्रतिबंध लगाने और कोविड के खतरे के कारण यूपी विधानसभा चुनाव स्थगित करने का "सुझाव" दिया है। ये पहली बार नहीं है जब न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव अपनी टिप्पणियों को लेकर सुर्खियों में आए हैं।
जमानत याचिका में अपने 23 दिसंबर के आदेश में, न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने न केवल इलाहाबाद उच्च न्यायालय प्रशासन से प्रत्येक अदालत कक्ष में सुनवाई के मामलों की संख्या को कम करने का आह्वान किया, बल्कि यह भी सुझाव दिया कि चुनाव आयोग और भारत सरकार को राजनीतिक रैलियों पर प्रतिबंध लगाने और यूपी विधानसभा चुनाव स्थगित करने पर विचार करना चाहिए। ऐसा सुझाव उन्होंने कोविड के खतरे के कारण दिया।
उन्होंने मुफ्त कोविड टीकाकरण कार्यक्रम के लिए मोदी सरकार की प्रशंसा करते हुए टिप्पणी की, और अदालत के रजिस्ट्रार को भारत के चुनाव आयोग और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार-जनरल को सुझावों के साथ अपने आदेश की एक प्रति भेजने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने जिस मामले में ये "सुझाव" दिए थे, वह यूपी संगठित अपराध रोकथाम अधिनियम के तहत आरोपी एक व्यक्ति की जमानत याचिका से संबंधित था।
कौन हैं जस्टिस शेखर कुमार यादव
57 वर्षीय न्यायाधीश को दिसंबर 2019 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था और मार्च 2021 में उन्होंने स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। अपनी पदोन्नति से पहले, उन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य के लिए स्थायी वकील, भारत संघ के लिए अतिरिक्त स्थायी वकील और यूपी की अदालतों में रेलवे के लिए स्थायी वकील का पद संभाला था। वह वर्तमान में उच्च न्यायालय की इलाहाबाद पीठ के न्यायाधीश और कौशांबी जिले के प्रशासनिक न्यायाधीश हैं।
न्यायमूर्ति यादव सामान्य मामलों में निर्णय देते समय अपनी अतिरिक्त टिप्पणियों के लिए पहले भी कई बार चर्चा में रहे थे।
न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की इन टिप्पणियों ने भी बटोरी थीं सुर्खियां-
1 सितंबर को, शेखर कुमार यादव ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि "वैज्ञानिकों का मानना है कि गाय ही एकमात्र जानवर है जो ऑक्सीजन छोड़ती है"। उन्होंने संसद से गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने और गोरक्षा को "हिंदुओं का मौलिक अधिकार" घोषित करने का भी आह्वान किया था।
ये टिप्पणी यूपी गोहत्या अधिनियम के तहत गायों की चोरी और तस्करी के आरोपी एक व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज करते हुए की गई थी। आदेश में यह टिप्पणी शामिल थी कि कैसे अकबर जैसे मुस्लिम शासकों ने गोहत्या पर प्रतिबंध लगाया था, और यह कि गोरक्षा "भारतीय संस्कृति का पर्याय" है। कोर्ट के इस आदेश ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं और सोशल मीडिया पर लोगों ने इस पर अपने विचार रखे थे।
साइबर अपराध पर यूपी पुलिस को लगाई फटकार
इसी साल जून में, एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के बैंक खाते से धोखाधड़ी से पैसे निकालने के आरोपी एक व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति यादव ने "साइबर अपराध को गंभीरता से नहीं लेने" के लिए यूपी पुलिस को फटकार लगाई थी। उन्होंने साइबर अपराध के लिए दर्ज एफआईआर की संख्या, जांच की स्थिति, बरामद धन और इस तरह के अपराध को नियंत्रित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर एक विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी।
"राम, कृष्ण, रामायण, गीतो, वाल्मीकि, और वेद व्यास" को मिले "राष्ट्रीय सम्मान और विरासत का दर्जा"
अक्टूबर में, न्यायमूर्ति यादव ने एक फैसले में एक और विवादास्पद "सुझाव" दिया, जिसमें सरकार से "भगवान राम, भगवान कृष्ण, रामायण, भगवद्गीता, महर्षि वाल्मीकि, और महर्षि वेद व्यास" को "राष्ट्रीय सम्मान और विरासत का दर्जा" देने के लिए एक कानून लाने पर विचार करने के लिए कहा। उन्होंने यह भी टिप्पणी की थी कि "भगवान राम हर नागरिक के दिल में निवास करते हैं और भारत उनके बिना अधूरा है"। देवताओं की "अश्लील तस्वीरें बनाने" के आरोपी एक व्यक्ति को जमानत देते समय ये टिप्पणियां की गई थीं। उन्होंने सुझाव दिया कि "भारत की सांस्कृतिक विरासत पर बच्चों के लिए स्कूलों में अनिवार्य पाठ" होने चाहिए।
अकबर और जोधाबाई अंतरधार्मिक विवाह के "अच्छे उदाहरण"
न्यायाधीश ने अंतर-धार्मिक विवाह पर भी टिप्पणी की थी। उन्होंने अकबर और जोधाबाई को अंतरधार्मिक विवाह के "अच्छे उदाहरण" के रूप में बताया था। उन्होंने ये टिप्पणी यूपी के धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की थी जिस पर एक लड़की को अपहरण और जबरन इस्लाम में परिवर्तित करने का आरोप था।
उन्होंने यह भी कहा कि "यदि बहुसंख्यक समुदाय का कोई व्यक्ति अपमान के बाद अपने धर्म से धर्मांतरण करता है, तो देश कमजोर हो जाता है।" उन्होंने डॉ बीआर अंबेडकर को "पीड़ा और अपमान" के कारण दूसरे धर्म में परिवर्तित होने वाले व्यक्ति के उदाहरण के रूप में बताया था।
गरीबों, विकलांगों और महिलाओं का ब्रेनवॉश करते हैं बाहरी लोग
न्यायमूर्ति यादव ने 20 जुलाई को अपने आदेश में कहा था, "हमारे पास गरीबों, विकलांगों और महिलाओं के बाहरी लोगों द्वारा ब्रेनवॉश किए जाने के बाद धर्मांतरण की खबरें आती हैं। सबसे बुरी बात यह है कि इन प्रथाओं को देश के बाहर के तत्वों द्वारा वित्त पोषित किया जाता है और पूरी तरह से राष्ट्र को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से किया जाता है।"
स्वतंत्र देव सिंह भारतीय जनता पार्टी, उत्तर प्रदेश के वर्तमान अध्यक्ष हैं। उत्तर प्रदेश के चुनाव की बागडोर फिलहाल इनके ही हाथ में हैं। किस तरह चुनाव के लिए कार्यकर्ताओं को दिशा-निर्देश देने हैं, किस तरह रैलियों का आयोजन करना हैं। पार्टी के अंदर हर तरह की चीजों को व्यवस्थित रखता स्वतंत्र देव सिंह की ही जिम्मेदारी हैं।
जब जब बात उत्तर प्रदेश चुनाव की होती हैं तो अपने आप ही भाजपा के लिए स्वतंत्र देव सिंह की भूमिका बढ़ जाती हैं। विपक्ष के आरोपो का बड़ी ही बेबाकी से स्वतंत्र देव सिंह जवाब देते हैं। अब एक बार फिर से राजनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं ऐसे में सभी पार्टियां ऐड़ी-चोटी का जोर जनता को वोट के लिए लुभाने में लगा रही हैं। जहां मौजूदा योगी सरकार पर विपक्ष किसान आंदोलन, लखीमपुर खीरी हिंसा, बेरोजगारी, मंहगाई जैसे मुद्दों को लेकर हमलावर हैं तो वहीं स्वतंत्र देव सिंह अपने जवाबों से विपक्ष के दांत खट्टे कर रहे हैं। आइये आपको बताते हैं आखिर कौन हैं स्वतंत्र देव सिंह और कैसा रहा है इनका राजनीतिक सफर।
स्वतंत्र देव सिंह भारतीय जनता पार्टी, उत्तर प्रदेश के वर्तमान अध्यक्ष हैं। उत्तर प्रदेश के चुनाव की बागडोर फिलहाल इनके ही हाथ में हैं। किस तरह चुनाव के लिए कार्यकर्ताओं को दिशा-निर्देश देने हैं, किस तरह रैलियों का आयोजन करना हैं। पार्टी के अंदर हर तरह की चीजों को व्यवस्थित रखता स्वतंत्र देव सिंह की ही जिम्मेदारी हैं। इससे पहले वह पूर्व परिवहन और प्रोटोकॉल राज्य मंत्री और उत्तर प्रदेश सरकार में बिजली राज्य मंत्री रह चुके हैं। उन्हें 16 जुलाई 2019 को उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। यूपी के मिर्जापुर जिले के जमालपुर ब्लॉक के ओरी गांव में जन्मे स्वतंत्र देव सिंह बुंदेलखंड के जालौन जिले के उरई में काम करने के लिए जाने जाते हैं। सिंह जो बिना राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से आते हैं, अपने परिवार के पहले व्यक्ति थे जो आरएसएस में शामिल हुए और बाद में भाजपा के कार्यकर्ता बनें। उसके लिए यह सफर बहुत संघर्षों से भरा रहा हैं लेकिन अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने अपना संघर्ष जारी रखा और आज उत्तर प्रदेश के एक महत्वपूर्ण नेता हैं, जिन्हें जनता का अपार समर्थन प्राप्त हैं।
निजी जीवन
सिंह का जन्म मिर्जापुर के ग्राम-उड़ी, जमालपुर में एक बहुत ही विनम्र परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा अपने गांव ओरी के एक प्राथमिक विद्यालय से शुरू की। उन्हें खेलों में बहुत रुचि थी और वे अपने स्कूल की कुश्ती टीम के कप्तान थे। उन्होंने झांसी के बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से विज्ञान स्नातक (बीएससी) की डिग्री प्राप्त की। अपने कॉलेज के दिनों में वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़ गए, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध एक दक्षिणपंथी अखिल भारतीय छात्र संगठन है। स्वतंत्र देव सिंह ने 1986 से पहले एक हिंदी भाषा के दैनिक समाचार पत्र में एक पत्रकार के रूप में अपनी यात्रा शुरू की, जब वे एक प्रचारक के रूप में आरएसएस में शामिल हुए।
राजनीतिक सफर
स्वतंत्र देव सिंह की यात्रा 1986 में शुरू हुई जब वे एक प्रचारक के रूप में आरएसएस में शामिल हुए। उन्होंने संगठन के लिए जड़ स्तर पर काम करना शुरू किया। 1988-99 में, सिंह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के सदस्य बने और उसी के महासचिव (संगठन) बनाए गए। अपने अत्यधिक परिश्रम और निरंतर प्रयासों के कारण वे संगठन के भीतर एक जाना माना चेहरा बन गए। 1991 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) की कानपुर इकाई का प्रभारी बनाया गया, जो भारतीय जनता पार्टी (BJP) की युवा शाखा है।
1994 में, स्वतंत्र देव सिंह को बुंदेलखंड युवा मोर्चा का प्रभारी बनाया गया और वे 1996 के युवा मोर्चा के महासचिव चुने जाने तक इस पद पर बने रहे। उनके महान संगठनात्मक कौशल को देखते हुए उन्हें फिर से उसी कर्तव्य से पुरस्कृत किया गया। बाद में, उन्हें 2001 में भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया।
2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान यूपी और बिहार में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक रैलियों का मुख्य रणनीतिकार और प्रभारी बनाए जाने पर उन्हें भारी लोकप्रियता मिली। उन्होंने बड़ी राजनीतिक रैलियों को आसानी से प्रबंधित किया और शीर्ष नेतृत्व हमेशा उनके परिणामों से संतुष्ट था।
2017 के राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा के भारी अंतर से चुने जाने के बाद स्वतंत्र देव सिंह योगी आदित्यनाथ सरकार में स्वतंत्र प्रभार के साथ पूर्व परिवहन मंत्री थे।[2] सिंह ने 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जब उन्हें मध्य प्रदेश में पार्टी मामलों का प्रभारी बनाया गया। पार्टी ने 29 लोकसभा सीटों में से 28 पर जीत हासिल की।
स्वतंत्र देव सिंह को शीर्ष नेतृत्व द्वारा 16 जुलाई 2019 को भाजपा यूपी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।
चरणजीत सिंह चन्नी ने ऐलान कहा कि पंजाब सरकार ने जनरल कैटेगरी कमीशन बनाने का फैसला लिया है और ये कैबिनेट में पास हो गया है। मोटर व्हीकल टैक्स एक्ट में मिनी बस और टैक्सियों का 31.12.21 तक का टैक्स माफ कर दिया गया है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल लगातार पंजाब का दौरा कर रहे हैं। इसी कड़ी में आज वह अमृतसर पहुंचे और हाल के दिनों में हुई बेअदबी की घटनाओं और लुधियाना की जिला कोर्ट में ब्लास्ट को लेकर पंजाब सरकार पर निशाना साधा है। अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और कांग्रेस पर सीधा निशाना साधा। केजरीवाल ने चन्नी सरकार को कमजोर सरकार बता दिया और कहा कि यह लोग आपस में ही लड़ रहे हैं। यह पंजाब को संभालने के लिए नहीं बने हैं। केजरीवाल ने कहा कि अभी कुछ दिन पहले बेअदबी की घटना हुई थी और उसके कुछ दिन बाद ही ब्लास्ट हो गया। जनता को लग रहा है कि चुनाव के ठीक पहले इस तरह की घटनाएं साजिश के तहत पंजाब का माहौल खराब करने के लिए की जा रही हैं।
केजरीवाल ने आगे कहा कि आज पंजाब में बहुत कमजोर सरकार है, ये लोग आपस में ही लड़ रहे हैं और इनके पास पंजाब को संभालने के लिए समय ही नहीं है। जब तक मजबूत और प्रतिबद्ध सरकार नहीं होगी तब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे। वही बिक्रम मजीठिया के बहाने पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने भी अरविंद केजरीवाल पर पलटवार किया है। चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि अरविंद केजरीवाला ने कोर्ट में माफीनामा जमा कराया, अरविंद केजरीवाल मजीठिया से माफी मांग कर भाग गया, वो भगोड़ा है।
इसके साथ ही चरणजीत सिंह चन्नी ने ऐलान कहा कि पंजाब सरकार ने जनरल कैटेगरी कमीशन बनाने का फैसला लिया है और ये कैबिनेट में पास हो गया है। मोटर व्हीकल टैक्स एक्ट में मिनी बस और टैक्सियों का 31.12.21 तक का टैक्स माफ कर दिया गया है। पंजाबी संगीत को दुनियाभर में पसंद किया जा रहा है, इसको बढ़ावा देने के लिए पंजाब सरकार फिल्म एंड टेलीविजन डेवलपमेंट काउंसिल बनाने जा रही है।
नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर करने का मुद्दा उठाया है। देश के गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरीखे नेता पहले ही इसकी मांग कर चुके हैं। संघ जनवरी महीने में पांच से सात जनवरी तक समाज के विभिन्न क्षेत्र में कार्यरत विविध संगठन के प्रमुख पदाधिकारियों की समन्वय बैठक करने वाला है। इसकी जानकारी देते हुए एक ट्वीट किया, जिसमें हैदराबाद का नाम भाग्यनगर लिखा है।
आरएसएस ने सुनील आम्बेकर के हवाले से अपने ट्वीट में लिखा, 'अखिल भारतीय समन्वय बैठक : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से सम्बंधित समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्र में कार्यरत विविध संगठन के प्रमुख पदाधिकारियों की समन्वय बैठक अगले माह 5 से 7 जनवरी, 2022 को भाग्यनगर (हैदराबाद), तेलंगाना में आयोजित हो रही है।' आपको बता दें कि इस बैठक में बीजेपी भी शामिल होगी। पिछले साल जब हैदराबाद में नगर निगम के चुनाव हो रहे थे तो प्रचार के दौरान उत्तर प्रदेश केमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर करने का मुद्दा उठाया था।
उनके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस मुद्दे को अपने भाषणों में जगह दी। प्रचार के दौरान सीएम योगी ने कहा था कि अगर फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या किया जा सकता है, इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया जा सकता है, तो हैदराबाद का भी नाम भाग्यनगर रखा जा सकता है। केंद्र में जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है उसके बाद से देश में कई शहरों और सड़कों के नाम बदले गए हैं। यूपी की योगी सरकार ने पहले अयोध्या और इलाहाबाद का नाम बदलकर अयोध्या और प्रयागराज रखा। इतना ही नहीं, मुलगसराय स्टेशन का नाम बदलकर भी पंडित दीन दयाल उपाध्या स्टेशन रखा गया। वहीं, दिल्ली में औरंगजेब रोड का नाम बदलकर डॉ अब्दुल कलाम मार्ग रखा गया।
नई दिल्ली । गोवा में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 40 सदस्यीय सदन में 17 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, लेकिन न तो वह सरकार बना पाई और न ही अपने सदस्यों को एकजुट रखने में कामयाब हो पाई, जिससे उसके पास मौजूदा सीट की संख्या गिरकर मात्र दो रह गई है। हालांकि पार्टी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले खुद को मजबूत दिखाने की कोशिश कर रही है और उसका कहना है कि विधायकों के पार्टी छोड़कर जाने से वह विचलित नहीं है।
गोवा प्रदेश कांग्रेस समिति के कार्यवाहक अध्यक्ष एलेक्सो रेजिनाल्डो लौरेंको भी उन विधायकों में शामिल हो गए, जिन्होंने पिछले पांच साल में पार्टी छोड़ी है। उल्लेखनीय है कि पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पिछले सप्ताह आठ उम्मीदवारों के नामों की पहली सूची की घोषणा की थी, जिसमें लौरेंको का भी नाम शामिल था। लौरेंको के इस्तीफे से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की गोवा इकाई के चुनाव प्रभारी देवेंद्र फडणवीस ने कहा था, ‘‘कांग्रेस तीन पहियों वाली एक ‘रिक्शा पार्टी’ बनकर रह गई है और जल्द ही वह केवल दो विधायकों के साथ एक ‘साइकिल पार्टी’ में बदल जााएगी।’’ फडणवीस ने भविष्यवाणी की थी कि प्रतापसिंह राणे भी कांग्रेस छोड़ देंगे, लेकिन वह अब भी कांग्रेस में हैं।
कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका 2019 में लगा था, जब विपक्ष के तत्कालीन नेता चंद्रकांत कावलेकर के नेतृत्व में 10 विधायकों का एक समूह पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गया था। विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे निकट आ रहे हैं, एक के बाद एक और विधायक पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद गोवा के मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे कांग्रेस और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले पहले नेता थे। उन्होंने विधायक के तौर पर शपथ लेने के कुछ ही देर बाद इस्तीफा दे दिया था। उनके बाद सुभाष शिरोडकर और दयानंद सोप्ते ने भी पार्टी छोड़ दी।
ये तीनों नेता उपचुनाव में बीजेपी के टिकट पर फिर से निर्वाचित हुए। हाल में पूर्व मुख्यमंत्रियों लुइजिन्हो फलेरियो और रवि नाइक ने भी कांग्रेस की सदस्यता छोड़ दी। पार्टी में अब केवल प्रतापसिंह राणे और दिगम्बर कामत बचे हैं। ये दोनों भी पूर्व मुख्यमंत्री हैं।
देहरादून. कांग्रेस हाई कमान ने उत्तराखंड के तमाम दिग्गज कांग्रेसी नेताओं को दिल्ली तलब कर लिया है. सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर आ रही है कि गुरुवार को देर शाम तक उत्तराखंड कांग्रेस के सभी बड़े नेता दिल्ली पहुंचेंगे और इसके बाद हाई कमान के साथ विचार विमर्श होगा. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल जैसे नेता दिल्ली जाएंगे और शुक्रवार को आलाकमान के साथ उस विवाद को लेकर बातचीत हो सकती है, जो उत्तराखंड के चुनाव कैंपेन कमेटी के प्रभारी हरीश रावत के बुधवार के सिलसिलेवार ट्वीट्स के बाद खड़ा हुआ.
सोशल मीडिया पर हरीश रावत ने पार्टी के भीतर गुटबाज़ी को लेकर दुख जताते हुए लिखा था कि उनके संगठन के लोग ही उनके काम में अड़चन बन रहे हैं. रावत की नाराज़गी उनके अधिकारों में हस्तक्षेप और पाबंदियों को लेकर रही है, जिसके बारे में रावत ने साफ संकेत देते हुए लिखा था कि वह राजनीति से संन्यास या कांग्रेस पार्टी से अलग होने के बारे में विचार कर रहे हैं. एक तरह से कांग्रेस को चेतावनी देते हुए रावत ने लिखा था कि वह नये साल में कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं. इसके बाद से ही उत्तराखंड की राजनीति में हड़कंप सा मचा हुआ है.
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हरीश रावत के ट्वीट्स के जवाब में एक ट्वीट करते हुए लिखा, 'आप जो बोते हैं, वही काटते हैं. हरीश रावत जी, आपको भविष्य के उद्यमों (अगर कुछ हैं भी तो) के लिए शुभकामनाएं.' बता दें कि इससे पहले भाजपा ने कटाक्ष करते हुए बुधवार को कहा था कि हरीश रावत कांग्रेस पार्टी के लिए उत्तराखंड के कैप्टन अमरिंदर सिंह हो सकते हैं.
रावत के ट्वीट्स के बाद हालांकि प्रीतम सिंह की ओर से बयान आया था कि उन्हें रावत की नाराज़गी का कारण पता नहीं है. माना जा रहा है कि कांग्रेस की आपसी गुटबाज़ी और अंतर्कलह का कारण विधानसभा चुनाव में टिकटों का बंटवारा है और उत्तराखंड कांग्रेस के दोनों प्रभावशाली गुट इसे वर्चस्व की लड़ाई बना चुके हैं. अब बात आलाकमान तक पहुंच रही है और एक बार फिर चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस के भीतर फूट साफ तौर पर सामने आ रही है.