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भारत में खुदरा ऋण वृद्धि का अगला चरण आवास ऋण से प्रेरित होगा। साथ ही प्रति उधारकर्ता ऋण में भी उल्लेखनीय वृद्धि आने की उम्मीद है। यह जानकारी वैश्विक फर्म बर्नस्टीन की एक ताजा रिपोर्ट में दी गई है।

500 अरब डॉलर तक की कर्ज की संभावना

रिपोर्ट में कहा गया कि इस वृद्धि का बड़ा हिस्सा किफायती आवास क्षेत्र से आने की संभावना है। लगभग 3 प्रतिशत रिटर्न ऑन एसेट (आरओए) देने वाले किफायती आवास ऋण क्षेत्र में 500 अरब डॉलर तक की कर्ज देने की संभावना है। हालांकि, इसमें सफलता उन ऋणदाताओं को ही मिलेगी, जो अपने ऑपरेटिंग मॉडल को देश के विभिन्न राज्यों में लगातार और बड़े स्तर पर लागू कर सकें।

200 मिलियन से अधिक नए उपभोक्ता जुड़े

पिछले एक दशक में क्रेडिट सेक्टर में सबसे बड़ी वैल्यू क्रिएशन उन संस्थाओं द्वारा की गई जो औपचारिक वित्तीय प्रणाली तक नए ग्राहकों की पहुंच बढ़ाने में सफल रहीं। इस दौरान ऋण प्रणाली में 200 मिलियन से अधिक नए उपभोक्ता जुड़े और उधारकर्ताओं की संख्या कुल कर्ज की तुलना में कहीं तेजी से बढ़ी। इसमें कहा गया कि लगभग 60 प्रतिशत भारतीय श्रम शक्ति के पास ऋण तक पहुंच है, विशेष रूप से मॉर्गेज यानी होम लोन के रूप में। मॉर्गेज एक प्रकार का ऋण है जिसका उपयोग घर, जमीन या अन्य अचल संपत्ति खरीदने या उस पर पैसे उधार लेने के लिए किया जाता है।

मॉर्गेज का सकल घरेलू उत्पाद में योगदान केवल 11 प्रतिशत

भारत में फिलहाल मॉर्गेज का सकल घरेलू उत्पाद में योगदान केवल 11 प्रतिशत है। यह चीन के 30 प्रतिशत और विकसित देशों के 50 प्रतिशत से अधिक के आंकड़े की तुलना में काफी कम है। वहीं, गैर-मॉर्गेज खुदरा ऋण भारत में पहले ही जीडीपी के 30 फीसदी से अधिक तक पहुंच चुका है । यह कई अन्य उभरते और विकसित देशों से अधिक है। रिपोर्ट का अनुमान है कि अगर आने वाले वर्षों में बंधक ऋण में लगातार वृद्धि होती रही, तो वित्त वर्ष 2035 तक देश में 1.5 ट्रिलियन डॉलर का आवास ऋण बाजार बन सकता है।

 

 

आयकर विभाग ने शुक्रवार को आईटीआर-2 और आईटीआर-3 फॉर्म के लिए एक्सेल यूटिलिटीज जारी कर दी है। इसका उपयोग करदाता कर योग्य पूंजीगत लाभ, क्रिप्टो आय और अन्य रिटर्न दाखिल करने के लिए कर सकते हैं। विभाग ने शुक्रवार को सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर इसकी जानकारी दी है।

आयकर विभाग ने पहले केवल आईटीआर-1 और आईटीआर-4 फॉर्म (ऑनलाइन और एक्सेल यूटिलिटी दोनों) जारी किए थे, जिससे निर्दिष्ट आय वर्गीकरण वाले करदाताओं के एक सीमित समूह को अपना आईटीआर दाखिल करने में मदद मिली थी।

आयकर विभाग ने एक पर बताया, "करदाता ध्यान दें! निर्धारण वर्ष 2025-26 के लिए ITR-2 और ITR-3 की एक्सेल यूटिलिटीज़ अब लाइव हैं और फाइलिंग के लिए उपलब्ध हैं।" आयकर विभाग के ई-फाइलिंग आईटीआर पोर्टल के डाउनलोड सेक्शन में आप आईटीआर-2 और आईटीआर-3 यूटिलिटीज डाउनलोड कर सकते हैं। डाउनलोड करने के बाद आपको एक विंडोज जिप फाइल मिलेगी, जिससे एक्सेल फाइल प्राप्त की जा सकती है।

आयकर विभाग की वेबसाइट के अनुसार, 11 जुलाई से आईटीआर-2 उन व्यक्तियों या एचयूएफ की ओर से दाखिल किया जा सकता है जो आईटीआर-1 (सहज) दाखिल करने के पात्र नहीं हैं।

 

 

आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला को अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) के निदेशक मंडल में नियुक्त किया गया है। यूएसआईएसपीएफ ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। कुमार बोर्ड की कार्यकारी समिति के सदस्य के रूप में भी काम करेंगे।

बिड़ला ने कहा इसमें शामिल होना सम्मान की बात

बिड़ला ने कहा कि यूएसआईएसपीएफ की कार्यकारी समिति में शामिल होना मेरे लिए सम्मान की बात है। बहुत कम समय में ही यूएसआईएसपीएफ अमेरिका और भारत के बीच रणनीतिक और आर्थिक संबंधों को आकार देने और मजबूत करने में इसकी बड़ी भूमिका है। दोनों देशों के बीच संवाद, सहयोग और विश्वास को बढ़ावा देने में इसके काम ने एक सार्थक बदलाव लाया है।

बिड़ला समूह अमेरिक में सबसे बड़ा ग्रीनफील्ड निवेशक

आदित्य बिड़ला समूह अमेरिका में सबसे बड़ा भारतीय ग्रीनफील्ड निवेशक है। इसका निवेश 15 अरब डॉलर से अधिक है। साथ ही धातु, कार्बन ब्लैक और रसायनों के क्षेत्र में 15 राज्यों में इसका परिचालन फैला हुआ है। इसकी अमेरिकी सहायक कंपनी नोवेलिस दुनिया की सबसे बड़ी एल्युमीनियम रीसाइक्लिंग कंपनी है। यह अमेरिकी विनिर्माण क्षेत्र को पुनर्जीवित करने और आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

समूह की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है बे मिनेट। इसका अलबामा में 4.1 अरब डॉलर का निवेश है , जो चार दशकों में अमेरिका में पहला पूरी तरह से एकीकृत एल्युमीनियम रोलिंग और रीसाइक्लिंग प्लांट स्थापित करेगा। यह अलबामा के इतिहास में सबसे बड़ा औद्योगिक निवेश होगा।

यूएसआईएसपीएफ की खासियत

यूएसआईएसपीएफ के अध्यक्ष और जेसी2 वेंचर्स के संस्थापक और सीईओ जॉन चैम्बर्स ने कहा कि बिरला के कार्यकारी समिति में शामिल होने से यूएसआईएसपीएफ को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद मिलेगी। यूएसआईएसपीएफ एक गैर-लाभकारी, गैर-सरकारी और गैर-पक्षपाती संगठन है। इसके कार्यालय वाशिंगटन, डीसी और नई दिल्ली में हैं। यूएसआईएसपीएफ के सदस्यों में 10 ट्रिलियन डॉलर से अधिक संयुक्त बाजार मूल्यांकन और 6 मिलियन से अधिक कर्मचारियों वाली वैश्विक कंपनियां शामिल हैं।

 

हैदराबाद: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत की एक टिप्पणी ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति 75 साल का हो जाता है, तो उसे खुद रुक जाना चाहिए और दूसरों के लिए रास्ता छोड़ देना चाहिए. यह बात उन्होंने नागपुर में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में कहीं.

राजनीतिक गलियारे में नई बहसः मोहन भागवत के बयान ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है. राजनीतिक गलियारे में इस बयान के मायने निकाले जा रहे हैं. क्या राजनीति में भी उम्र की एक सीमा तय होनी चाहिए? खास बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अब उस उम्र के करीब पहुंच चुके हैं. पीएम मोदी और मोहन भागवत इस साल सितंबर में 75 साल के हो जाएंगे.

 

हैदराबाद: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने गोशामहल से विधायक राजा सिंह का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. इस्तीफा स्वीकार किए जाने के कुछ ही घंटों बाद राजा सिंह ने एक भावुक बयान जारी कर हिंदुत्व और हिंदू समुदाय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.

राजा सिंह ने कहा, "ठीक 11 साल पहले मैं जनता, देश की सेवा और हिंदुत्व की रक्षा के उद्देश्य से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुआ था." उन्होंने लगातार तीन बार तेलंगाना विधानसभा चुनावों में टिकट देने के लिए पार्टी नेतृत्व का आभार व्यक्त किया.

'व्यक्तिगत लाभ से प्रेरित नहीं था फैसला'
सिंह ने स्पष्ट किया कि इस्तीफा देने का उनका फैसला किसी पद, शक्ति या व्यक्तिगत लाभ से प्रेरित नहीं था. उन्होंने कहा, "यह फैसला किसी पद या स्वार्थ के कारण नहीं लिया गया है. मैं शायद दिल्ली तक उन लाखों बीजेपी कार्यकर्ताओं का दर्द नहीं पहुंचा पाऊंगा जो तेलंगाना में भाजपा की सरकार देखने के लिए दिन-रात प्रयास कर रहे हैं."

'मेरा जन्म हिंदुत्व की सेवा के लिए हुआ है'
अपने जीवन भर के मिशन को दोहराते हुए सिंह ने कहा, "मेरा जन्म हिंदुत्व की सेवा के लिए हुआ है और मैं अपनी अंतिम सांस तक ऐसा करता रहूंगा. मैं हिंदुत्व और सनातन धर्म की रक्षा के लिए हमेशा पूरी निष्ठा से काम करता रहूंगा." उन्होंने अपने संदेश का अंत समाज सेवा और हिंदू समुदाय के अधिकारों के लिए आवाज उठाते रहने के संकल्प के साथ किया.

राजा सिंह का इस्तीफा स्वीकार
इससे पहले बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव अरुण सिंह ने राजा सिंह के पत्र को लेकर कहा, " यह 30 जून, 2025 को लिखे आपके पत्र का संदर्भ है, जो आपने भाजपा तेलंगाना प्रदेश के अध्यक्ष जी किशन रेड्डी जी को पार्टी से अपने इस्तीफे के संबंध में लिखा था.

अरुण सिंह ने कहा कि उपरोक्त पत्र माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के संज्ञान में लाया गया है. आपके द्वारा उल्लिखित विषयवस्तु अप्रासंगिक है और पार्टी की कार्यप्रणाली, विचारधारा और सिद्धांतों से मेल नहीं खाती. माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देशानुसार मैं सूचित करता हूं कि आपका इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया गया है.

 

हैदराबाद: आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने कहा है कि हिंदी का अंधा विरोध उचित नहीं है, खासकर ऐसे दौर में जब भाषा शिक्षा, रोजगार या व्यवसाय में बाधा नहीं रही. उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसा विरोध आने वाली पीढ़ियों की प्रगति में बाधा बन सकता है.

गाचीबावली स्थित GMC बालयोगी स्टेडियम में आयोजित राज्य भाषा विभाग के स्वर्ण जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए पवन कल्याण ने हिंदी को अपनाने की व्यावहारिक आवश्यकता पर जोर दिया, खासकर विभिन्न क्षेत्रों में इसके बढ़ते प्रभाव को देखते हुए.

उन्होंने पूछा, "हम दूसरे देशों में जाकर उनकी भाषाएं सीखते हैं. फिर हिंदी को लेकर इतना डर ​​क्यों है?" उन्होंने आगे कहा, "जब हम अंग्रेजी में आराम से बात कर लेते हैं, तो हिंदी में बात करने में हमें झिझक क्यों होती है?"

हिंदी में डब की जा रही फिल्में
बता दें कि 'दक्षिण संवादम' विषय पर आयोजित इस कार्यक्रम में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश और केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी सहित कई प्रमुख हस्तियां मौजूद थीं. पवन कल्याण ने बताया कि 31 प्रतिशत दक्षिण भारतीय फिल्में हिंदी में डब की जा रही हैं, जिससे अच्छी-खासी कमाई हो रही है.

उन्होंने सवाल किया, "क्या आपको व्यवसाय के लिए हिंदी की जरूरत है या नहीं?" उन्होंने आगे कहा कि हिंदी सीखने का मतलब अपनी पहचान खोना नहीं है.

'हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है'
उन्होंने कहा, "अब्दुल कलाम तमिल थे फिर भी उन्हें हिंदी से प्यार था. हमें सांस्कृतिक गौरव को भाषाई कठोरता से नहीं जोड़ना चाहिए. चाहे कितनी भी भाषाएं हों, हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है. अगर मातृभाषा मां है, तो हिंदी हमारी दादी जैसी है. दूसरी भाषा को अपनाने का मतलब खुद को खोना नहीं, बल्कि साथ मिलकर आगे बढ़ना है."

उन्होंने लोगों से भाषा की राजनीति से ऊपर उठकर सोचने और यह सोचने का आग्रह किया कि अगली पीढ़ी को क्या लाभ होगा. उन्होंने कहा, "हिंदी बोलने से इनकार करना भविष्य के अवसरों के द्वार बंद करने जैसा है."

भारतीय भाषाओं के लिए स्वर्णिम काल
इस दौरान केंद्रीय मंत्री जे किशन रेड्डी ने कहा कि पीएम मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में भारतीय भाषाओं के लिए स्वर्णिम काल चल रहा है.पिछले एक दशक में राष्ट्र विभाग ने हिंदी समेत अन्य भारतीय भाषाओं की सक्रीयता बढ़ाने के लिए अलग-अलग काम किए हैं.

 

भुवनेश्वर: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे आज शुक्रवार को ओडिशा के एकदिनी दौरे पर हैं. दोनों नेता भुवनेश्वर बारामुंडा में आयोजित संविधान बचाओ रैली में शामिल हुए.

भुवनेश्वर में संविधान बचाओ रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि कुछ नया शुरू हुआ है. ओडिशा में 40,000 से अधिक महिलाएं गायब हो गई हैं. आज तक यह पता नहीं चल पाया है कि ये महिलाएं कहां गईं. यहां हर दिन महिलाओं पर अत्याचार होता है. उनके साथ रेप होता है. ओडिशा में हर दिन 15 महिलाओं के साथ दुष्कर्म होता है. आपकी सरकार चौबीसों घंटे केवल आपका खून चूसती है, आपकी जमीन छीनती है.

 

 

उन्होंने कहा कि अडानी ओडिशा की सरकार चलाते हैं, अडानी ही नरेंद्र मोदी को चलाते हैं. जब ओडिशा में जगन्नाथ यात्रा निकलती है, जब जगन्नाथ यात्रा के रथ खींचे जाते हैं, तो लाखों लोग इसे देखते हैं और इसके पीछे चलते हैं. फिर, एक नाटक होता है - अडानी और उनके परिवार के लिए रथ रोक दिए जाते हैं. इससे आपको ओडिशा सरकार के बारे में सब कुछ समझ आ जाएगा. यह ओडिशा सरकार नहीं है, यह अडानी जैसे 5-6 अरबपतियों की सरकार है. इसका लक्ष्य आपकी जमीन, जंगल और भविष्य को छीनना है.

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि मैं कल गुरुवार को बिहार में था. जिस तरह महाराष्ट्र में चुनाव की चोरी की गई, उसी तरह की कोशिश बिहार में की जा रही है. चुनाव चोरी के लिए चुनाव आयोग ने एक नई साजिश रची है. चुनाव आयोग भाजपा की शाखा के रूप में काम कर रहा है, वह अपना काम नहीं कर रहा है. महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच 1 करोड़ नए मतदाता जुड़े. कोई नहीं जानता कि ये मतदाता कौन थे और कहां से आए. हमने चुनाव आयोग से कई बार मतदाता सूची और वीडियोग्राफी उपलब्ध कराने के लिए कहा, लेकिन चुनाव आयोग ने हमें ये उपलब्ध नहीं कराए. वे बिहार में भी वही चोरी करने जा रहे हैं, जो महाराष्ट्र में की गई थी. मैंने भारतीय गठबंधन के नेताओं से कहा कि हम चुनाव आयोग और भाजपा को बिहार चुनाव की चोरी नहीं करने देंगे.

संविधान बचाओ रैली में राहुल गांधी ने कहा कि ओडिशा सरकार का एक ही काम है - राज्य के गरीब लोगों के हाथों से ओडिशा की संपत्ति चुराना. पहले बीजद सरकार ने यही किया और अब भाजपा सरकार यही कर रही है. एक तरफ ओडिशा की गरीब जनता, दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग, किसान और मजदूर हैं, और दूसरी तरफ 5-6 अरबपति और भाजपा सरकार है. यह लड़ाई जारी है. केवल कांग्रेस कार्यकर्ता, ओडिशा की जनता के साथ मिलकर इस लड़ाई को जीत सकते हैं, कोई और नहीं.

इससे पहले राहुल और खरगे के दौरे को लेकर पार्टी ने तमाम तैयारियां की है. इनके दौरे को लेकर कांग्रेस खेमा बहुत उत्साहित है. बता दें, विधानसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी का यह पहला ओडिशा दौरा है. इसके लिए यातायात व्यवस्था चाक-चौबंद है. संविधान बचाओ रैली को लेकर पार्टी कार्यकर्ता जुटने शुरू भी हो गए हैं. वहीं, यह भी पता चला है कि दोनों नेता इस संविधान बचाओ रैली के अलावा क

 

 

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि भारत का ग्लोबल पॉवर के रूप में उदय उसकी बौद्धिक और सांस्कृतिक गरिमा के उत्थान के साथ होना चाहिए. यह बहुत ही अहम चीजें हैं, क्योंकि ऐसा उदय ही टिकाऊ होता है और हमारी परंपराओं के अनुकूल होता है. एक राष्ट्र की शक्ति उसकी सोच की मौलिकता, मूल्यों की कालातीतता और बौद्धिक परंपरा की दृढ़ता में निहित होती है. यही सॉफ्ट पावर (सांस्कृतिक प्रभाव) है जो दीर्घकालिक होता है और आज की दुनिया में अत्यंत प्रभावशाली है.

औपनिवेशिक मानसिकता से परे भारत की पहचान को फिर से स्थापित करने की बात करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “भारत महज 20वीं सदी के मध्य में बना राजनीतिक राष्ट्र नहीं है, बल्कि यह एक सतत सभ्यता है, चेतना, जिज्ञासा और ज्ञान की प्रवाहित नदी है.”

देशज विचारों को आदिम मानकर छोड़ना गलत
उपराष्ट्रपति ने नई दिल्ली में आयोजित भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) पर पहले सालाना सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “देशज विचारों को केवल आदिम और पिछड़ेपन का प्रतीक मानकर खारिज करना केवल एक व्याख्यात्मक भूल नहीं थी, यह मिटाने, नष्ट करने और विकृत करने की वास्तुकला थी. और अधिक दुखद यह है कि स्वतंत्रता के बाद भी यह एकतरफा स्मरण चलता रहा. पश्चिमी मान्यताओं को सार्वभौमिक सत्य के रूप में पेश किया गया. साफ शब्दों में कहें तो ‘असत्य को सत्य के रूप में सजाया गया.’

उन्होंने सवाल दागते हुए कहा, “जो हमारी बुनियादी प्राथमिकता होनी चाहिए थी, वह तो विचार के दायरे में भी नहीं थी. हम अपनी मूल मान्यताओं को कैसे भूल सकते हैं?” इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, जेएनयू की कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलीपुडी पंडित, प्रो. एमएस चैत्र (आईकेएसएचए के निदेशक), प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय टोली सदस्य, तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.

भारत की बौद्धिक यात्रा में ऐतिहासिक व्यवधानों को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “इस्लामी आक्रमण ने भारतीय विद्या परंपरा में पहला व्यवधान डाला. जहां समावेशन की बजाय तिरस्कार और विध्वंस का मार्ग अपनाया गया. ब्रिटिश उपनिवेशवाद दूसरा व्यवधान लेकर आया, जिसमें भारतीय ज्ञान प्रणाली को पंगु बना दिया गया, उसकी दिशा बदल दी गई. विद्या के केंद्रों का उद्देश्य बदल गया, दिशा भ्रमित हो गई. ऋषियों की धरती बाबुओं की भूमि बन गई. ईस्ट इंडिया कंपनी को ‘ब्राउन बाबू’ चाहिए थे, राष्ट्र को विचारक.”

हमने सोचना और चिंतन करना छोड़ दियाः धनखड़
उन्होंने कहा, “हमने सोचना, चिंतन करना, लेखन और दर्शन करना छोड़ दिया. हमने रटना, दोहराना और निगलना शुरू कर दिया. ग्रेड्स (अंक) ने चिंतनशील सोच का स्थान ले लिया. भारतीय विद्या परंपरा और उससे जुड़े संस्थानों को सुनियोजित ढंग से नष्ट किया गया.”

भारतीय ज्ञान प्रणाली सम्मेलन को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “जब यूरोप की यूनिवर्सिटियां भी अस्तित्व में नहीं थीं, तब भारत की विश्वविख्यात विश्वविद्यालयें- तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला, वल्लभी और ओदंतपुरी- ज्ञान के महान केंद्र के रूप में स्थापित थीं. इनकी विशाल पुस्तकालयों में हजारों पांडुलिपियां थीं.” “ये वैश्विक विश्वविद्यालय हुआ करते थे, जहां कोरिया, चीन, तिब्बत और फारस जैसे देशों से भी विद्यार्थी आया र थे. ये ऐसे स्थल थे जहां विश्व की बुद्धिमत्ता भारत की आत्मा से आलिंगन करती थी.

उपराष्ट्रपति ने ज्ञान को व्यापक रूप में समझने का आह्वान करते हुए कहा, “ज्ञान केवल ग्रंथों में नहीं होता बल्कि यह समुदायों में, परंपराओं में, और पीढ़ियों से हस्तांतरित अनुभव में भी जीवित रहता है. उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि “एक सच्ची भारतीय ज्ञान प्रणाली को शोध में ग्रंथ और अनुभव-दोनों का समान महत्व देना होगा. संदर्भ और सजीवता से ही सच्चा ज्ञान उत्पन्न होता है.”

व्यावहारिक कदमों की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, “हमें तत्काल कार्रवाई की ओर ध्यान देना होगा. संस्कृत, तमिल, पाली, प्राकृत आदि सभी क्लासिकल भाषाओं के ग्रंथों के डिजिटलीकरण की व्यवस्था तत्काल होनी चाहिए.” “ये सामग्री शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए सार्वभौमिक रूप से सुलभ होनी चाहिए. साथ ही, युवाओं को शोध की ठोस विधियों से लैस करने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम भी जरूरी हैं, जिसमें दर्शन, गणना, और तुलनात्मक अध्ययन का समावेश हो.”

 

भारतीय नौसेना की वायु रक्षा क्षमता को और अधिक मजबूत करने के लिए DRDO ने एक बड़ा कदम उठाया है. प्रोजेक्ट P044 के तहत DRDO ने बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली को नौसेना युद्धपोतों पर तैनात करने की दिशा में अहम प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके लिए स्टैबलाइज़्ड लॉन्च मैकेनिज्म सिस्टम को समुद्री परीक्षण के लिए एक पोत पर स्थापित किया जाएगा.

यह एक स्वदेशी, अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम है, जो बेहद कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन, हेलीकॉप्टर और लड़ाकू विमानों को नष्ट करने में सक्षम है. यह एयर डिफेंस सिस्टम खासतौर पर युद्धपोतों को आधुनिक हवाई खतरों से बचाने के लिए विकसित किया गया है. सूत्रों के अनुसार V-SHORADS से भारतीय नौसेना की ताकत खासतौर पर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ेगी जहां भू-राजनीतिक तनाव तेजी से बढ़ रहा है.

ये है खासियत
SLMS की खासियत यह है कि जहाज चलते हुए भी यह सिस्टम सही निशाना साध सकेगा. लहरों और हवा की वजह से जहाज हिलता है, लेकिन यह लॉन्चर उस हलचल को कंट्रोल कर मिसाइल को सही दिशा में दागने में मदद करेगा.

हाल ही में DRDO ने सेना, वायुसेना और नौसेना के लिए 28 स्वदेशी हथियार प्रणालियों की सूची रक्षा मंत्रालय को आपातकालीन खरीद के लिए सौंपी है, जिसमें बहुत कम दूरी का एयर डिफेंस सिस्टम भी शामिल है.

नौसेना को बनाएगा और अधिक मजबूत
डिफेंस सूत्रों के अनुसार नौसेना युद्धपोत पर SLMS के परीक्षण पूरे होने के बाद इस सिस्टम को बेड़े के दूसरे युद्धपोतों पर भी तैनात किया जा सकता है. इससे भारतीय नौसेना की मल्टीलेयर एयर डिफेंस सिस्टम को और मजबूती मिलेगी. मौजूदा समय में नौसेना के पास बराक-8 और आकाश मिसाइल जैसी प्रणालियां पहले से तैनात हैं.

दुश्मनों को देगा मुंहतोड़ जवाब
V-SHORADS के कॉम्पैक्ट डिजाइन और लचीलापन के कारण इसे विध्वंसक, फ्रिगेट, कोरवेट और ऑफशोर पेट्रोल वेसल जैसे कई प्लेटफार्म पर लगाया जा सकता है. इससे नौसेना को दुश्मन के ड्रोन, हेलीकॉप्टर और एंटी-शिप मिसाइल जैसे खतरों का जवाब देने में नई ताकत मिलेगी.

यदि समुद्री परीक्षण सफल रहते हैं तो आने वाले समय में V-SHORADS भारतीय नौसेना के बेड़े का अहम हिस्सा बनकर देश की समुद्री सीमाओं को पहले से कहीं अधिक सुरक्षित बनाएगा.

 

 

चेन्नई। आईआईटी मद्रास में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर विदेशी मीडिया की रिपोर्टिंग पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कई विदेशी समाचार एजेंसियों ने भारत को लेकर भ्रामक और तथ्यहीन जानकारी प्रकाशित की है। इसके साथ ही अजित डोभाल ने कहा कि भारत का ऑपरेशन बेहद ही सफल रहा। हमने पाकिस्तान में नौ ठिकानों को निशाना बनाया था। इसमें से एक भी नहीं चूका।

विदेशी मीडिया पर बरसे डोभाल

एनएसए डोभाल ने कहा कि विदेशी प्रेस ने कहा कि पाकिस्तान ने यह किया, वो किया, आप मुझे एक भी फोटो या सबूत दिखाइए जिसमें भारत में किसी इमारत को नुकसान हुआ हो, एक कांच तक टूटा हो... उन्होंने बातें लिख दीं और छाप दीं। उन्होंने आगे कहा कि विदेशी मीडिया द्वारा जारी की गईं सैटेलाइट तस्वीरों में 10 मई से पहले और बाद में पाकिस्तान के 13 एयरबेस दिखाए गए, चाहे वह सरगोधा हो, रहीम यार खान हो या चकलाला। मैं सिर्फ वही बता रहा हूं जो उन्होंने अपनी रिपोर्टिंग में छापा। हममें यह क्षमता है कि अगर हम चाहें तो पाकिस्तान के एयरबेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

पूरे ऑपरेशन में 23 मिनट लगे- अजीत डोभाल

एनएसए अजीत डोभाल ने कहा कि हमें अपनी स्वदेशी तकनीक विकसित करनी होगी। ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र यहां किया गया था। हमें इस बात पर गर्व है कि इसमें कितनी स्वदेशी सामग्री थी, हमने पाकिस्तान के आर-पार नौ आतंकवादी ठिकानों पर निशाना साधने का फैसला किया, ये सीमावर्ती इलाकों में नहीं थे। हम कोई भी निशाना नहीं चूके। हमने इसके अलावा कहीं और निशाना नहीं साधा। यह उस बिंदु तक सटीक था जहां हमें पता था कि कौन कहां है? पूरे ऑपरेशन में 23 मिनट लगे। आप मुझे एक भी तस्वीर बताइए जिसमें भारत की तरफ से हुआ कोई नुकसान दिखाई दे रहा हो। एनएसए अजीत डोभाल ने कहा कि हम एक ऐसे देश और ऐसी सभ्यता से ताल्लुक रखते हैं, जो हजार वर्षों से संकटग्रस्त, लहूलुहान और अपमानित रही है। हमारे पूर्वजों ने बहुत कुछ सहा है... मुझे नहीं पता कि इस सभ्यता को जीवित रखने और राष्ट्र की इस धारणा को जीवित रखने के लिए उन्होंने कितने अपमान, अभाव और कष्ट सहे होंगे। राष्ट्र, राज्य से अलग होता है। भारत, एक राष्ट्र के रूप में सहस्राब्दियों से अस्तित्व में है। अब से 22 साल बाद जब हम अपनी आजादी के 100 साल पूरे कर रहे होंगे, तब आप अपने करियर के शीर्ष पर होंगे।

यह था ऑपरेशन सिंदूर

दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ। इस हमले में 26 लोगों की बर्बर तरीके से हत्या कर दी गई। उनकी हत्या करने से पहले उनकी धार्मिक पहचान की गई। इन मृतकों में अधिकांश पर्यटक शामिल थे। इसके बाद भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में कई आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। इसमें 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। यही नहीं, पाकिस्तानी सेना के नौ एयरबेस भी ध्वस्त हो गए। हालांकि, बाद में पाकिस्तान सरकार का एक डोजियर लीक भी लीक हुआ, जिसमें यह खुलासा हुआ कि भारतीय सशस्त्र बलों ने इससे भी ज्यादा ठिकानों को निशाना बनाया था। यह सैन्य कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में की गई थी।

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