ईश्वर दुबे
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Bhilai
कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर कर पूछा गया है कि महात्मा गांधी जैसे नोटों पर नेताजी सुभाष चंद्र की तस्वीर क्यों नहीं छापी जा सकती। भारत सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल वाई जे दस्तूर ने मामले में हलफनामा दायर करने के लिए जवाब देने के लिए आठ सप्ताह का समय मांगा।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से उस याचिका पर आठ सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है जिसमें नोटों पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर छापने का निर्देश देने की मांग की गई है। कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर कर पूछा गया है कि महात्मा गांधी जैसे नोटों पर नेताजी सुभाष चंद्र की तस्वीर क्यों नहीं छापी जा सकती। याचिका में 94 वर्षीय याचिकाकर्ता एक हरेंद्रनाथ विश्वास ने दावा किया है कि भारत सरकार (भारत सरकार) ने स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी सुभाष चंद्र के योगदान को उचित मान्यता नहीं दी है।
भारत सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल वाई जे दस्तूर ने मामले में हलफनामा दायर करने के लिए जवाब देने के लिए आठ सप्ताह का समय मांगा। जिसके बाद कोर्ट ने याचिका पर आठ सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए कहा है। मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने अब इस मामले को 21 फरवरी, 2022 के लिए सूचीबद्ध किया है।
2017 में केंद्र ने क्या कहा
2017 में कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा भी इसी तरह की प्रतिक्रिया मांगी गई थी। उस वक्त केंद्र ने कहा था कि उसे नोटों के डिजाइन को बदलने और अन्य राष्ट्रीय नेताओं की छवियों पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से जवाब मांगना होगा। फरवरी 2021 में मद्रास उच्च न्यायालय ने उस याचिका का निपटारा किया था जिसमें भारत सरकार को भारतीय मुद्रा नोटों पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक तस्वीर मुद्रित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। अदालत ने देखा था कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का योगदान अद्वितीय था, लेकिन कहा कि याचिकाकर्ता की प्रार्थना को स्वीकार नहीं किया जा सकता है।