ईश्वर दुबे
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Bhilai
अंतरिक्ष विभाग में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि कोविड-19 महामारी की पहली और दूसरी लहर तथा उसकी वजह से लगे लॉकडाउन के कारण पहले मानवरहित मिशन के प्रक्षेपण में देरी हुई।
भारत के अगले साल मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान का प्रक्षेपण करने की तैयारी में है। जानकारी के मुताबिक सरकार की ओर से अगले साल स्वतंत्रता दिवस के पहले प्रक्षेपण की योजना बनाई जा रही है और इससे पहले दो मानवरहित मिशन भी भेजे जाएंगे। भारत के लिए 2022 अंतरिक्ष की दुनिया में काफी वर्चस्व वाला रह सकता है। गगनयान के प्रक्षेपण से अंतरिक्ष की दुनिया में भारत की धाक भी बढ़ेगी और उसकी गिनती अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक विकसित राष्ट्र के तौर पर होने लगेगी। तो कुल मिलाकर देखें तो भारत के लिए 2022 का साल बेहद महत्वपूर्ण रहने वाला है। हालांकि यह बात भी सच है कि कोविड-19 की वजह से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में देरी जरूर हुई लेकिन अगला साल बेहद सफल रह सकता है।
अंतरिक्ष विभाग में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि कोविड-19 महामारी की पहली और दूसरी लहर तथा उसकी वजह से लगे लॉकडाउन के कारण पहले मानवरहित मिशन के प्रक्षेपण में देरी हुई। उन्होंने कहा कि इसके कारण कच्चे माल की आपूर्ति में अवरोध पैदा हुआ। सिंह ने कहा, ‘‘मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन (गगनयान) का लक्षित प्रक्षेपण 2022 में भारतीय स्वतंत्रता की 75वीं जयंती से पहले करने की योजना है। इससे पहले दो मानवरहित मिशन भेजे जाएंगे।’’ उन्होंने कहा कि पहले मानवरहित मिशन गगनयान (जी1) का परीक्षण प्रक्षेपण अगले साल की दूसरी छमाही की शुरुआत में होने की संभावना है। इसके बाद दूसरे मानवरहित मिशन और पहले मानवयुक्त मिशन को भेजा जाएगा।
सिंह ने कहा कि गगनयान की सफलता के साथ ही भारत, अमेरिका, चीन और रूस की विशिष्ट श्रेणी में शामिल होकर चौथा देश बन जाएगा और अंतरिक्ष क्षेत्र में विश्व में अग्रिम पंक्ति के देशों में शुमार हो जाएगा। सिंह ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि गगनयान के साथ ही शुक्र मिशन, सौर मिशन (आदित्य) और चंद्रयान के लिए भी काम जारी है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी की वजह से विभिन्न मिशन में देरी हुयी और चंद्रयान के अगले साल भेजे जाने की योजना है। अमेरिका के तर्ज पर ही भारतीय अंतरिक्ष उद्योग में प्राइवेट सेक्टर को शामिल करने का फैसला किया गया जो कि आने वाले दिनों में काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। इसरो में एफडीआई को भी मंजूरी दे दी गई है जिससे कि आर्थिक चुनौतियों को भी दूर किया जा रहा है।
माना जा रहा है कि 2040 तक अंतरिक्ष के बाजार में एक बड़ा उछाल देखने को मिल सकता है। यही कारण है कि आने वाले दिनों में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के लिए दायित्व और जिम्मेदारियां बढ़ जाएंगी। वर्तमान में देखें तो स्पेस इंडस्ट्री में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 2% है। लेकिन एक नए खिलाड़ी के तौर पर भारत ने अपनी धाक जरूर जमा ली है। भारत लगातार अपने टेक्नोलॉजी में विस्तार कर रहा है जोकि आने वाले दिनों में फायदा भी पहुंचाएगा। भारत वैसे तो अंतरिक्ष में कई बार अपने सेटेलाइट्स को भेजने में कामयाबी हासिल कर पाया है लेकिन अब तक भारत का कोई यान इंसानों के साथ अंतरिक्ष में नहीं गया है। ऐसे में गगनयान को लेकर बड़ी उम्मीदें हैं।