ईश्वर दुबे
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Bhilai
होम्योपैथी को प्राचीन चिकित्सा पद्धति माना जाता है। कभी-कभी अनहेल्दी लाइफस्टाइल के चलते शरीर में कई विकार जन्म ले लेते हैं। इसके अलावा जब हम कई ऐसी चीजें खा लेते हैं, जो मौसम या हमारे शरीर के अनुकूल नहीं होती, तो शरीर में विषैले पदार्थ या टॉक्सिक बनने लग जाते हैं। ऐसे में बॉडी से टॉक्सिक निकालने के लिए होम्योपैथी में कई पौधे और प्राकृतिक चीजों से बनी ऐसी खुराक दी जाती है, जिससे कि शरीर से विषैले पदार्थ निकल सके। होम्योपैथी चिकित्सा में विभिन्न रोगों का इलाज करने के लिए पौधों और खनिजों जैसे प्राकृतिक पदार्थों की छोटी-छोटी खुराकों का उपयोग होता है। इस प्राचीन पद्धति से बुखार, खांसी, गठिया और डायबिटीज जैसी बीमारियों का इलाज किया जाता है।
ऑटो-इम्यून डिजीज : एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करता है। ये हैं रूमेटाइड आर्थराइटिस, सीलिएक डिजीज, सोजोग्रेन सिंड्रोम, एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस, एलोपेसिया आदि।
अपक्षयी रोग : एक ऐसी बीमारी जिसमें बॉडी टिश्यू या शरीर के विभिन्न अंग काम करने बंद कर देते हैं। इनमें ऑस्टियोआर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियां शामिल हैं।
मासिक धर्म संबंधी विकार : मासिक धर्म संबंधी विकार ऐसी समस्याएं हैं, जो एक महिला के सामान्य मासिक धर्म यानी पीरियड्स पर असर डालती है। इसमें डिसमेनोरिया, मेनोरेजिया, एमेनोरिया, प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम आदि हैं।
मानसिक रोग : ये ऐसे लोग हैं, जिनमें व्यक्ति के विचारों, भावनाओं, व्यवहार या मनोदशा पर नेगेटिव असर पड़ता है। इनमें ऑटिज्म, बाइपोलर डिसऑर्डर, डिप्रेशन आदि बीमारियां शामिल हैं।
तीव्र या मौसमी रोग : तीव्र या मौसमी बीमारियां अचानक शुरू होती हैं। मौसमी बीमारियां विभिन्न मौसमों के दौरान पर्यावरण की स्थिति में बदलाव के कारण उत्पन्न होते हैं। इनमें बुखार, सामान्य जुखाम, गले में संक्रमण, डायरिया, फ्लू, एलर्जी आदि को रिकवर किया जा सकता है।