ईश्वर दुबे
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Bhilai
नई दिल्ली |भारत सबसे फेमस देशों में से एक है, जो तरह-तरह की भाषाओं, अलग-अलग सिनेमाघरों, खाना और पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल प्रथाओं के पॉजिटिव प्रभावों के लिए जाना जाता है। जब स्वास्थ्य की बात आती है, तो कुछ ऐसी भारतीय प्रथाएं हैं जो आसानी से फॉलो की जा सकती हैं और आपके शरीर को फिट और ठीक रहने में मदद करती हैं। तो चलिए जानते हैं पूराने समय की आदतों के बारे में।
जमीन पर बैठ कर खाना
कई भारतीय परिवार ऐसे हैं जो आज भी जमीन पर बैठकर खाना खाते हैं। वास्तव में, यदि आप किसी गुरुद्वारा या मंदिर में जाते हैं, तो वहां भी जमीन पर बैठा कर खाना खिलाया जाता है। जमीन पर बैठकर खाना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह आपके पाचन तंत्र के लिए अच्छा होता है। खाना लेने के लिए आगे की ओर झुकना और पीछे की ओर जाना आपके पैंक्रियाज की धीरे से मालिश करता है और पाचन तंत्र को उत्तेजित करता है। साथ ही ऐसा करने से आपका ध्यान पूरी तरह से खाने पर रहेगा और आप कितना खा रहे हैं इस बात का भी ध्यान रहेगा।
हाथ से खाना
हम में से ज्यादातर लोग आज भी अपनी रोटी और चावल हाथों से खाते हैं। ऐसा माना जाता है कि हाथों से खाना खाने से व्यक्ति अपनी सभी इंद्रियों के माध्यम से खाना खाता है। आप सूंघ सकते हैं, छू सकते हैं, चख सकते हैं, आवाज कर सकते हैं और देख सकते हैं कि आप क्या खा रहे हैं। यह खाने के स्वाद को बढ़ाता है और इसलिए आप हाथ से खाने के बाद हमेशा संतुष्ट महसूस करेंगे। हालांकि हाथ से खाने से पहले ये सुनिश्चित करें की आपके हाथ अच्छी तरह से धुले हों।
मुंबई। अभिनेत्री आलिया भट्ट पर हिन्दू धर्म की परंपराओं का मजाक उड़ाने के आरोप में एफआईआर दर्ज किया गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार बीते दिनों एक्ट्रेस का विज्ञापन कन्यादान में परम्पराओं पर सवाल उठाए हैं। अपने इस टीवी एड की वजह से आलिया भट्ट की समस्या और मुश्किलों में इजाफा होता जा रहा है। दरअसल इस विज्ञापन के सामने आते ही आलिया पर हिन्दू धर्म की परंपराओं का मजाक उड़ाने का आरोप लगने लगा। रिपोर्ट्स के अनुसार अब इस विज्ञापन को लेकर आलिया भट्ट के खिलाफ मुंबई के सांताक्रूज थाने में शिकायत दर्ज कराई गई हैं। खबरों के अनुसार शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि आलिया भट्ट ने हिन्दू भावनाओं को आहत किया है और कन्यादान को प्रतिगामी तरीके से दिखाया है। इस मामले में मान्यवार कंपनी और आलिया भट्ट के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है। इस विज्ञापन में आलिया भट्ट को दुल्हन के रूप में दिखाया गया है। वह शादी के मंडप में बैठी हैं और सवाल करती हैं कि मैं क्या कोई दान की चीज हूं?
नई दिल्ली। रागी पोषक तत्वों से भरपूर ऐसा अनाज है जिसमें कैल्शियम, विटामिन्स, फाइबर और कार्बोहाइड्रेड मौजूद होता है जो अच्छी सेहत के लिए जरूरी है। फाइबर से भरपूर यह अनाज ना सिर्फ आपका वज़न कंट्रोल करता है, बल्कि पाचन को भी दुरुस्त रखता है। रागी का इस्तेमाल इडली बनाने में और आंटे के साथ मिलाकर रोटी बनाने में भी किया जाता है। सुबह नाश्ते में इसका सेवन किया जाए तो आप पूरा दिन एनर्जेटिक महसूस करते हैं। इतने उपयोगी अनाज के बॉडी को कौन-कौन से फायदे हो सकते हैं आइए जानते हैं।
रागी के फायदे
कैल्शियम की कमी पूरा करता रागी का आटा:
किसी भी अनाज की तुलना में रागी के आटे में कैल्शियम सबसे ज्यादा पाया जाता है, जो हड्डियों और दांतों को मज़बूत करता है। इसके अलावा ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम में भी यह बहुत ही उपयोगी है।
शुगर कंट्रोल करता है:
अगर आप शुगर के पेशेंट है और आपकी शुगर कंट्रोल नहीं रहती तो आप रागी के आटे का सेवन करें। रागी में हाई पॉलीफेनोल और डायटरी फाइबर भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं जिससे बॉडी में शुगर के स्तर को कंट्रोल किया जा सकता है। इसका सेवन नाश्ते से लेकर डिनर तक में करना फायदेमंद है।
तनाव कम करता है यह अनाज:
रागी में भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सिडेंट मौजूद होता है जो तनाव को कम करने में मददगार है। एंग्ज़ायटी, डिप्रेशन और अनिद्रा का बेहतरीन उपचार करती है रागी।
वज़न कंट्रोल करती है रागी:
रागी में मौजूद फाइबर जल्दी डाइजेस्ट नहीं होते और घंटों तक आपका पेट भरा रहता है और आप ओवर इटिंग से बच जाते हैं। इसके सेवन से आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगती और आपका वेट कंट्रोल में रहता है।
पोषक तत्वों का खज़ाना है:
रागी में आयरन भरपूर मात्रा में मौजूद होता है जो एनीमिया का उपचार करता है। बॉडी में हीमोग्लोबिन कम है तो रागी का सेवन करें। रागी को अंकुरित करके खा लिया जाए तो इससे विटामिन C का लेवल बढ़ जाता है। इसमें मौजूद आयरन बॉडी में आसानी से डाइजेस्ट हो जाता है और ब्लड में आसानी से घुलने लगता है।
अगर आप ने भी इस महामारी के दौर में घर से काम किया है, तो इस खबर को पढ़ना ना भूलें. आपके दिल के लिए बहुत जरूरी है.
नई दिल्ली | कोविड-19 महामारी की शुरुआत से ही दुनियाभर में अधिकतर लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं. हालांकि, यह कदम महामारी के विस्तार को रोकने के लिए काफी जरूरी है, लेकिन फिर भी इसके नकारात्मक प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, काफी देर तक काम करने के कारण लोगों में हार्ट डिजीज और स्ट्रोक के कारण होने वाली मौतों में इजाफा हुआ है. डब्ल्यूएचओ और इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन के द्वारा Environmental International में प्रकाशित अनुमान के अनुसार, काम करने के ज्यादा घंटों के कारण स्ट्रोक और ischemic heart disease से 2016 में करीब 7,45,000 मौतें हुई हैं. जो कि साल 2000 से 29 प्रतिशत ज्यादा है.
वर्क फ्रॉम होम के कारण बढ़ा इन दिल की बीमारियों का खतरा:
नोएडा स्थित Jaypee Hospital के Department of Interventional Cardiology (Adult) के डायरेक्टर डॉ. बी. एल. अग्रवाल का कहना है कि महामारी में घर से काम करना भी एक समस्या बन रही है. क्योंकि घर से काम करने के कारण लोगों को पहले से ज्यादा देर तक कंप्यूटर स्क्रीन के आगे काम करना पड़ रहा है. इन दिनों ना सिर्फ काम करने के घंटे बढ़ गए हैं, बल्कि तनाव भी बहुत ज्यादा बढ़ा है. घर से काम करने के वर्किंग टाइमिंग भी अक्सर अस्वस्थ होती हैं. क्योंकि, लोगों को अपने टाइम जोन से विपरीत अपने काम के घंटे बढ़ाने पड़ रहे हैं. इन सभी वजहों के साथ अस्वस्थ डाइट, शारीरिक गतिविधि में कमी, धूम्रपान और अपर्याप्त नींद के कारण शरीर में तनाव बढ़ रहा है.
एक्सपर्ट के मुताबिक, पहले से कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (खासतौर से हार्ट फेलियर) और डायबिटीज व मोटापे जैसे कोरोनरी डिजीज का खतरा बढ़ाने वाले कारकों से पीड़ित लोगों में कोविड-19 के कारण होने वाली मौतों का खतरा काफी बढ़ा है. लेकिन इसी के साथ cardiomyopathy/myocarditis/Acute Coronary Syndromes जैसी कुछ दूसरी कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का विकास भी उन लोगों में बढ़ा है, जो पहले इससे ग्रसित नहीं थे.
वर्क फ्रॉम होम करने वाले युवाओं को अपनाने चाहिए ये टिप्स:
डॉ. बी. एल. अग्रवाल के मुताबिक, वर्किंग प्रोफेशनल इस समय दो महामारी का सामना कर रहे हैं, पहली कोरोनावायरस और दूसरी एंग्जायटी. आइए विश्व हृदय दिवस पर हम दिल को स्वस्थ रखने वाले कुछ टिप्स के बारे में जानते हैं.
रोजाना ताजे फल और हरी सब्जियां खाना ना भूलें.
रोजाना पर्याप्त मात्रा में नींद लें. सोने से पहले अपना स्क्रीन टाइम घटा लें और रात में भारी खाना खाने से बचें.
अपने काम के घंटों को निश्चित करें. इसके साथ ही फैमिली और घर के कामों के लिए भी समय निकालें और इस अनुशासन पर टिके रहने की कोशिश करें.
रोजाना नियमित रूप से 30-45 मिनट एक्सरसाइज जरूर करें.
दिमाग को रिलैक्स करने के लिए गेम खेलें, किताब पढ़ें, गाने सुनें, योगा करें.
नियमित रूप से हेल्थ चेकअप करवाना ना भूलें.
नई दिल्ली| इन दिनों छोटी सी उम्र में लोगों को दिल संबंधी परेशानी के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आज यानी 29 सितंबर को वर्ल्ड हार्ड डे है। ऐसे में हम आपको कुछ ऐसे योग आसन बताने वाले हैं, जिन्हें आप रोजाना कर सकते हैं। ये आसन दिल स्वास्थ्य के लिए अच्छे हैं। आइए जानते हैं।
1) ताड़ासन
दिल की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के साथ मस्तिष्क में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाकर तनाव कम करता है। ताड़ासन को करने के कई फायदे हैं जैसे ये रीढ़ संबंधी समस्याओं से निजात दिलाने में कारगर है। इसे नियमित तौर पर करने से ये शरीर की पॉजिशन ठीक रखता है। इसके अलावा जांघ, घुटने और एड़ियां मजबूत बनती हैं। कई बुजुर्गों और इन दिनों युवाओं में पैरों में लड़खड़ाहट की समस्या देखी गई है। ऐसे में रोजाना इस आसन को करने से ये दिक्कत दूर होती है। हालांकि अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर, चक्कर, पैरों की नसों में सूजन की शिकायत हो तो इस आसन को न करें।
2) मंडुकासन
ये आसन छाती की मांसपेशियों को खोलता है, जिससे ब्लड फ्लो में धमनियों पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ता और ब्लड प्रेशर कम होता है। ये आसन इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ावा देकर ब्लड शुगर को सामान्य रखता है। इसके अलावा ये मस्तिष्क में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाकर तनाव का स्तर भी घटाता है। लेकिन अगर आपको घुटनों और कमर में दर्द की शिकायत हो या पेट की सर्जरी हुई हो तो मंडुकासन डॉक्टर की सलाह पर करें।
3) कटिचक्रासन
दिल संबंधी परेशानी से दूर रखता है ये आसन। इसे करने से रक्त प्रवाह स्मूद बनाता है। साथ ही ये आसन कोलेस्ट्रॉल के स्तर में कमी लाकर हार्ट अटैक से बचा कर रखता है। अगर आप कमर और उसके आसपास के हिस्सों में जमी चर्बी घटाने का सोच रहे हैं तो ये आसन काफी असरदार है। रोजाना इसकी प्रेक्टिस करने से रीढ़ को लचीला बनाए रखने में मदद मिलती है और कब्ज की समस्या दूर होती है। ये आसन ब्लड शुगर को भी नियंत्रित रखता है। अगर आपके पेट का ऑपरेशन हुआ है या आपको स्लिप डिस्क की शिकायत है तो इस आसन को न करें।
4) वज्रासन
ये आसन स्ट्रेस हार्मोन 'कॉर्टिसोल' के फ्लो को घटाकर ब्लड फ्लो को स्मूद बनाता है। ये दिल की गति को भी नियंत्रित रखता है। इसे करने से जांघों और पिंडलियों की नसें-मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इसे करने से पाचन तंत्र अच्छा रहता है और पीठ-पैर दर्द में आराम मिलता है। रीढ़ की हड्डी सीधी रखने में मदद करता है। अगर आपके घुटनों में दर्द है या टखने में चोट लगी हो तो वज्रासन न करें। साथ ही बवासीर के मरीज भी इस आसन को करने से बचें।
नई दिल्ली| देश में इस समय मौसमी बुखार (इन्फ्लूएंजा) के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है। मौसम बदलने के साथ होने वाले फ्लू की चपेट में अक्सर लोग आ ही जाते हैं। इन्फ्लूएंजा वायरस अत्यधिक संक्रामक होता है। सितंबर के आखिरी सप्ताह और अक्टूबर में हर साल देश में फ्लू के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिलती है। इस समय देश में कोविड-19 का भी दौर चल रहा है, ऐसे में लोगों को और भी सतर्क हो जाने की आवश्यकता है। कुछ आसान से उपायों को प्रयोग में लाकर फ्लू के हर बार होने वाले संक्रमण से बचाव किया जा सकता है। फ्लू एक श्वसन संक्रमण है, यह संक्रमण किसी को भी हो सकता है। कुछ लोगों में यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का भी कारण बन सकता है। सामान्यतौर पर फ्लू के संक्रमण की स्थिति में लोगों को बुखार, शरीर में दर्द, नाक बहने, खांसी आने, गले में खराश के साथ थकान की समस्या हो सकती है। आइए उन उपायों के बारे में जानते हैं जिनको प्रयोग में लाकर फ्लू के संक्रमण से खुद को सुरक्षित किया जा सकता है।
प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाएं
कोरोना संक्रमण की तरह ही फ्लू से बचाव के लिए भी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखना सबसे आवश्यक माना जाता है। मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली आपके शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करती है। वहीं यदि आप बीमार भी हो जाते हैं तो यह लक्षणों की गंभीरता को कम करने में सहायक होती है। अपनी इम्युनिटी बढ़ाने के लिए रात में कम से कम 7 से 9 घंटे की नींद जरूर लें। इसके अलावा, नियमित व्यायाम के साथ पौष्टिक आहार का सेवन जरूर करें।
साफ-सफाई का ध्यान रखना आवश्यक
उचित स्वच्छता की आदतें फ्लू से बचाव कर सकती हैं। फ्लू वायरस बेहद संक्रामक है, यह खांसने, छींकने या बात करने के दौरान निकलने वाली ड्रॉपलेट के माध्यम से 6 फीट के भीतर खड़े किसी व्यक्ति में फैल सकता है। इससे बचाव के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना आवश्यक है। संक्रमण के मौसम में लोगों से पर्याप्त दूरी बनाकर रखें, नाक और मुंह को ढक कर रखें। इसके अलावा जिस जगह पर आप बैठते हैं उसकी साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें, जिससे सतह के माध्यम से संक्रमण के प्रसार को रोका जा सके।
फ्लू का टीकाकरण जरूर कराएं
हर साल फ्लू का टीका लगवाएं, टीकाकरण कराने से बीमारी की गंभीरता और अवधि को कम किया जा सकता है। 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को इसकी जटिलताओं का उच्च जोखिम होता है, ऐसे में फ्लू वैक्सीनेशन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। हाथों की स्वच्छता का ध्यान रखना आवश्यक
कोरोना संक्रमण की ही तरह फ्लू संक्रमण से भी बचाव के लिए आपको हाथों की स्वच्छता बनाकर रखनी चाहिए। चूंकि फ्लू का वायरस सतह पर रह सकता है, इसलिए नियमित रूप से अपने हाथ धोने की आदत डालें। खाना बनाने और खाने से पहले यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। फ्लू और कोरोना दोनों से बचाव के लिए हैंड सेनिटाइजर का प्रयोग करते रहें या साबुन और पानी से अपने हाथों को समय-समय पर धोते रहें।
मुंबई| चाउमीन, मनचूरियन में अक्सर आपने हरी प्याज को देखा होगा। इसका स्वाद बेहद ही स्वादिष्ट लगता है। आप भी घर में अक्सर हरी प्याज की सब्जी बनाती होंगी या फिर किसी चायनीज डिश को गार्निश करने के लिए इस्तेमाल करती होंगी। रोजाना में खाई जाने वाली प्याज की तुलना में इसका स्वाद थोड़ा हल्का होता है। हालांकि, ये न केवल स्वाद में अच्छी होती हैं बल्कि पोषक तत्वों से भी भरपूर होती हैं। हरी प्याज को आप अपनी रोजाना की डाइट में शामिल कर सकते हैं। आइए जानते हैं रोजाना की डाइट में हरी प्याज को शामिल करने के फायदे।
आंखों के लिए अच्छा होता है
हरी प्याज में ल्यूटिन और जेक्सैन्थिन जैसे कैरोटेनॉयड्स होते हैं जो हमारी आंखों की सुरक्षा करते हैं। यह आंखों के लिए भी एक अच्छा विकल्प है क्योंकि इसमें विटामिन ए होता है जो आपकी आंखों को स्वस्थ रखने और सामान्य रोशनी बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है।
वेट लॉस के लिए अच्छा होता है
हरी प्याज पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। साथ ही इसमें कैलोरी और फैट का स्तर बहुत कम होता है। यह निश्चित रूप से वजन घटाने में आपकी मदद कर सकता है। इसके अलावा इसमें फाइबर होता है जो वास्तव में आपके शरीर के लिए स्वस्थ होता है और वजन घटाने को बढ़ावा देता है।
नईदिल्ली। अगर आपसे ये सवाल किया जाए कि फल और सब्जियों के छिलके को फेंक देती हैं या फिर इस्तेमाल भी करती हैं, तो आपका जवाब क्या हो सकता है? शायद, आप बोलेंगे कि लगभग फल और सब्जियों के छिलके और डंठल को फेंक ही देते हैं। लेकिन, अगर आपसे यह बोला जाए कि आप उन्हीं छिलके और डंठल से एक से एक बेहतरीन रेसिपीज बना सकती हैं, तो फिर आपका जवाब क्या होगा? जी हां, अगर आप भी आलू, गाजर, नींबू, चुकंदर आदि फल और सब्जियों के छिलके को बेकार समझकर फेंक देती हैं, तो आपको भी इस लेख को ज़रूर पढ़ना चाहिए क्योंकि, हम आपको उन्हीं छिलके और डंठल से तैयार होने वाली कुछ रेसिपीज के बार में बताने जा रहे हैं, तो आइए जानते हैं।
आलू के छिलके
शायद, आपको मालूम हो, अगर नहीं मालूम है तो आपको बता दें कि आलू के छिलके में पोटैशियम की मात्रा पाई जाती है। इसलिए छिलके भी शरीर के लिए बेहद ही फायदेमंद भी माने जाते हैं। ऐसे में अगर आप आलू के छिलके को फेंक देती है, तो आप उसे स्नैक के रूप में इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके लिए छिलके को एक से दो बार अच्छे से साफ करके छिलके में नमक, चाट मसाला, लाल मिर्च पाउडर आदि चीजों को मिलाकर बेक करके स्नैक के रूप में इस्तेमाल कर सकती हैं।
खट्टे फलों के छिलके
खट्टे फलों के छिलके भी रेसिपीज में आसानी से उपयोग के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं। नारंगी, नींबू आदि खट्टे फलों के छिलके को आप अचार बनाने या फिर सलाद ड्रेसिंग के रूप में भी इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके अलावा किसी भी भोजन को खट्टा करने के लिए आप नींबू के छिलके को आसानी से इस्तेमाल कर सकती हैं। कई लोग नींबू के छिलके को पोटली में बांधकर चावल का स्वाद बढ़ाने के लिए भी इस्तेमाल करते हैं।
गाजर के छिलके
शायद, आपको मालूम हो, अगर नहीं मालूम है, तो आपको बता दें कि गाजर की तरह इसके छिलके भी फाइबर और बीटा-कैरोटिन से भरपूर होते हैं। ऐसे में आप इसके छिलके को ज़रूर इस्तेमाल करना चाहेंगी। गाजर के छिलके को अच्छे से साफ करके आप सूप, सलाद या फिर जूस आदि बनाने में आसानी से इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके अलावा इसे स्मूदी बनाने में भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
नई दिल्ली | डायबिटीज, हृदय और मानसिक रोगों से आसानी से सुरक्षित रहा जा सकता है, बस इसके लिए आपको आहार में कुछ बदलाव करने की आवश्यकता है। हम सभी बचपन से सुनते आ रहे हैं, ''एन एप्पल अ डे कीप्स द डॉक्टर अवे"। यानी कि रोजाना सिर्फ एक सेब खाकर आप कई प्रकार की गंभीर बीमारियों के जोखिम को कम सकते हैं। सेब कई प्रकार के पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए आवश्यक मानी जाती हैं। सेब में पर्याप्त मात्रा में फाइबर, विटामिन और खनिजों की मात्रा पाई जाती है, जो डायबिटीज जैसे गंभीर रोगों के खतरे को कम करते हुए आपको स्वस्थ रखने में मदद कर सकती हैं। ज्यादातर लोगों को भोजन से पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता है, इसकी पूर्ति के लिए सप्लीमेंट्स लेने की आवश्यकता हो सकती है। हालांकि सप्लीमेंट्स की जगह फलों का सेवन करना ज्यादा अच्छा विकल्प हो सकता है। विशेषकर सेब खाना आपके लिए सबसे लाभकारी हो सकता है। एक सामान्य आकार के सेब से पर्याप्त मात्रा में कैलोरी (95), कार्ब्स (25 ग्राम), फाइबर (4 ग्राम) विटामिन सी (दैनिक आवश्यकता का 14 प्रतिशत), पोटेशियम (दैनिक आवश्यकता का 6 प्रतिशत) और विटामिन-के (दैनिक आवश्यकता का 5 प्रतिशत) प्राप्त किया जा सकता है।
हृदय को स्वस्थ रखने में सहायक है सेब
हृदय रोग मौजूदा समय में सबसे तेजी से बढ़ती हुए बीमारियों में से एक है। रोजाना सेब का सेवन करने वाले लोगों में इस गंभीर रोग के विकसित होने का खतरा कम होता है। सेब में घुलनशील फाइबर होता है जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक है। इसके अलावा सेब में फ्लेवोनोइड एपिक्टिन नामक यौगिक भी पाया जाता है जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है। हाई ब्लड प्रेशर को हृदय रोगों का मुख्य कारण माना जाता है।मधुमेह रोगियों के लिए सेब खाने के फायदे
डायबिटीज के लिए फायदेमंद है सेब
डायबिटीजसे ग्रसित लोगों को अपने लिए फलों का चयन करना कठिन हो सकता है, ऐसे लोग रोजाना सेब खा सकते हैं। सेब का सेवन करने वाले लोगों में टाइप-2 डायबिटीज का खतरा कम होता है। यदि मधुमेह के रोगी सेब के जूस का सेवन करते हैं तो उनमें टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा सात फीसदी तक कम हो जाता है।
दिमाग के लिए फायदेमंद है सेब
मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के साथ कई प्रकार के मानसिक रोगों के खतरे को कम करने में सेब का सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। सेब में क्वेरसेटिन नामक एक एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता जो मस्तिष्क के स्वास्थ को बढ़ावा देता है। इसके अलावा एक अन्य अध्ययन से पता चलता है कि सेब का सेवन करने वाले लोगों में अल्जाइमर रोग और डेमेंशिया का खतरा कम होता है।
नईदिल्ली। आज हम आपके लिए कसूरी मेथी के फायदे लेकर आए हैं. कसूरी मेथी खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ ही स्वास्थ्य के लिए भी बेहद ही फायदेमंद होती है. कसूरी मेथी का सेवन करने से आप कई तरह की बीमारियों से सुरक्षित रह सकते हैं. आयुर्वेद में कसूरी मेथी के कई फायदों के बारे में उल्लेख किया गया है. जाने माने आयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार, कसूरी मेथी का नियमित सेवन आपको कई बीमारियों से बचाए रखता है. यह महिलाओं की सेहत के लिए बढ़िया मानी गई है.
क्या है कसूरी मेथी
देश के मश्हूर आयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी बताते हैं कि मेथी के पत्तों को सुखाकर कसूरी मेथी बनाई जाती है. मेथी का पौधा फैबासी परिवार से संबंध रखता है. इसकी पत्तियों और बीजों का उपयोग गरम मसाले के रूप में किया जाता है. स्वाद के साथ-साथ इसमें कई औषधीय गुण भी मौजूद होतें हैं. इसमें पाए जाने वाले औषधीय गुण पाचन से जुड़ी समस्याओं को ठीक कर सकते हैं और मधुमेह को नियंत्रित कर सकते हैं.
कसूरी मेथी के फायदे
1. इंफेक्शन से बचाती है
कसूरी मेथी में विटामिन-सी और आयरन होता है, जो त्वचा को इंफेक्शन से बचाता है. साथ ही उन बैक्टीरिया को भी नष्ट करता है, जिसके कारण मुंहासों की समस्या होती है.
2. एनीमिया में लाभकारी
महिलाओं में खून की कमी यानी एनीमिया की बीमारी को अक्सर देखा जाता है. कसूरी मेथी को अपने खाने का हिस्सा बनाएं. मेथी का साग खाने से भी एनीमिया की बीमारी में लाभ मिलता है.
3. ब्रेस्टफीड कराने वाली मांओं के लिए फायदेमंद
ब्रेस्टफीड कराने वाली महिलाओं के लिए भी कसूरी मेथी काफी फायदेमंद रहती है. कसूरी मेथी में पाया जाने वाल एक तरह का कंपाउंड, स्तनपान करवाने वाली महिलाओं के ब्रेस्ट मिल्क को बढ़ाने में मदद करता है.
4. . पेट के इंफेक्शन से बचाती है
अगर आप पेट की बीमारियों से बचना चाहते हैं तो कसूरी मेथी को खाने का हिस्सा बनाएं. कसूरी मेथी हार्ट, गैस्ट्रिक और आंतों की समस्याओं को भी ठीक करती है.
5. बालों की सेहत के लिए फायदेमंद
कसूरी मेथी का उपयोग बालों की कई समस्याओं को दूर करने के लिए भी किया जाता है. इसमें पाए जाने वाले प्रोटीन, लेक्टिन और निकोटिन जैसे पोषक तत्व बालों के विकास के साथ ही बालों को मजबूत करने में भी कारगर साबित हो सकते हैं. इसके अलावा, यह बालों की जड़ों को मजबूती प्रदान करने और बालों को घना करने में भी फायदेमंद है.
नई दिल्ली | जब बात हेल्दी खाने की आती है तो कुकिंग ऑयल का आपकी सेहत पर गहरा असर पड़ता है। सिर्फ खाने में तेल की मात्रा ही नहीं, बल्कि यह भी जरूरी है कि कौन सा तेल इस्तेमाल किया जा रहा है। अगर आप मोटापा, हृदय रोग और अन्य बीमारियों से बचने के लिए बेस्ट कुकिंग ऑयल ढूंढ रहीं हैं तो आपके लिए सरसों का तेल एक बेहतर विकल्प हो सकता है। यह भारतीय खासतौर से उत्तर भारतीय घरों में इस्तेमाल होने वाला कॉमन कुकिंग ऑयल है। केवल स्वाद ही नहीं, ये अपने स्वास्थ्य संबंधी लाभों के लिए भी जाना जाता है।
क्या होने चाहिए एक हेल्दी कुकिंग ऑयल में गुण
1. पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड
पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड कुकिंग ऑयल का एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। यह आपको ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी ऐसिड देता है, जो स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी है। आम तौर पर यह प्लांट-बेस्ड ऑयल में पाया जाता है। सरसों के बीज से बनने वाले मस्टर्ड ऑयल में भरपूर मात्रा में पूफा पाया जाता है। सरसों के तेल में लगभग 21 प्रतिशत पूफा की मात्रा पाई जाती है।
2. स्मोक पॉइंट
हर ऑयल का स्मोक पॉइंट वह तापमान हैं, जो तय करता है कि आपको तेल को पकाना कब बंद कर देना चाहिए। यदि इस तापमान से ज्यादा तेल को पकाया जाएगा, तो वह अपने पौष्टिक तत्वों को खोकर हानिकारक रसायन उत्पन्न करने लगता है। सरसों के तेल का स्मोक पॉइंट 249 डिग्री सेल्सियस है, जो एक अच्छे कुकिंग ऑयल का गुण होता है। सरसों तेल में कई ऐसे पोषण तत्व हैं, जो आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं। यह मूफा, पूफा, सैचुरेटेड फैट, प्रोटीन और अन्य माइक्रो-न्यूट्रीएंट्स से भरपूर है। जिससे वजन बढ़ने, हृदय रोग या अन्य समायाओं का खतरा नहीं होता। सरसों के बीजों से बना सरसों का तेल फ़ाइबर और स्टार्च के रूप में कार्बोहाइड्रेट देता है जो आपको एनर्जेटिक रखता है। यह आपके पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है, जिससे वजन कम करने में भी मदद मिलती है।
अपने आहार में सरसों का तेल इस्तेमाल करने के फायदे
1. यह माइक्रोबियल ग्रोथ को रोकता है
अध्ययनों द्वारा पता चल है कि सरसों के तेल में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो आपके शरीर में बैक्टीरीया के विकास को रोक सकता है। एक टेस्ट-ट्यूब अध्ययन के अनुसार, सफेद सरसों का तेल एस्चेरिचिया कोलाई , स्टैफिलोकोकस ऑरियस और बैसिलस सेरेस सहित कई खतरनाक बैक्टीरिया को रोकने में कारगर है। यह आपको स्वस्थ रखता है।
2. दिल की सेहत के लिए अच्छा है
सरसों का तेल मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड (MUFA) से भरपूर होता है। इस फैटी ऐसिड को कई तरह के लाभों से जोड़ा गया है, खासकर जब हृदय स्वास्थ्य की बात आती है। अध्ययनों से पता चलता है कि यह ट्राइग्लिसराइड , ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं। ये सभी हृदय रोग के जोखिम को कम करता है।
नई दिल्ली| पिछले दो-तीन दशकों में दुनियाभर में कई तरह के कैंसर के मामलों में तेजी से इजाफा देखने को मिला है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो जिस तरह से हमारी जीवनशैली खराब होती जा रही है, यह कई प्रकार के गंभीर रोगों को जन्म दे सकती है। प्रोस्टेट कैंसर की समस्या भी ऐसी ही है।
प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण
डॉक्टरों के मुताबिक प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती चरणों के दौरान अक्सर कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं, हालांकि स्क्रीनिंग के माध्यम से कैंसर का पता लगाया जा सकता है। जिन पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर होता है, उनमें निम्न प्रकार के लक्षण देखे जा सकते हैं।
पेशाब करने में कठिनाई।
रात के समय में बार-बार पेशाब की इच्छा होना।
मूत्र या वीर्य के साथ रक्त आना।
पेशाब करते समय दर्द।
अगर प्रोस्टेट बढ़ गया है तो बैठने में दर्द होना।
कमर में तेज दर्द।
वजन कम होना और थकान महसूस होना।
प्रोस्टेट कैंसर क्यों होता है?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक आमतौर पर ग्रंथि की कोशिकाओं में विशिष्ट परिवर्तन के कारण प्रोस्टेट कैंसर विकसित हो सकता है। प्रोस्टेट ग्रंथि में कैंसर कोशिकाओं को प्रोस्टेटिक इंट्रापीथेलियल नियोप्लासिया (पिन) कहा जाता है। 50 वर्ष से अधिक आयु के 50 फीसदी पुरुषों में पिन की समस्या का खतरा रहता है। कुछ डॉक्टरों का मानना है कि प्रोस्टेट की कोशिकाओं के डीएनए में होने वाले बदलाव के कारण प्रोस्टेट कैंसर हो सकता है। जिन लोगों के परिवार में किसी को यह समस्या रह चुकी हो उनमें प्रोस्टेट कैंसर विकसित होने का खतरा अधिक होता है।
प्रोस्टेट कैंसर का क्या इलाज है?
डॉक्टरों के मुताबिक प्रोस्टेट कैंसर का उपचार कई अन्य कारकों के अलावा इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर किस चरण में है? कैंसर के निदान के लिए डॉक्टर डिजिटल रेक्टल इग्जाम, प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन टेस्ट, एमआरआई जैसे परीक्षण कराने की सलाह दे सकते हैं। यदि स्थिति तेजी से बढ़ रही है तो सर्जरी के माध्यम से प्रोस्टेट को निकाला जा सकता है। कुछ रोगियों को रेडिएशन या हार्मोन थेरपी की भी आवश्यकता हो सकती है।
प्रोस्टेट कैंसर से कैसे बचाव करें?
डॉक्टरों के मुताबिक कुछ बातों को ध्यान में रखते हुए प्रोस्टेट कैंसर से बचाव किया जा सकता है। विभिन्न प्रकार के फल, सब्जियां और साबुत अनाज का सेवन करें। फलों और सब्जियों में कई विटामिन और पोषक तत्व होते हैं जो आपको स्वस्थ रखने में सहायक हो सकते हैं। वजन को नियंत्रित रखें और नियमित रूप से व्यायाम करें। सबसे जरूरी चीज, यदि आपमें प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत इस बारे में डॉक्टर की सलाह ले लें।
नई दिल्ली। शुगर ऐसी बीमारी है जिसके मरीज़ों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, कोरोनाकाल में इस बीमारी में इज़ाफ़ा हुआ है। भारत में फिलहाल करीब 7.7 करोड़ लोग शुगर से पीड़ित हैं, जबकि लगभग 8 करोड़ लोग प्री-डायबिटीज से पीड़ित हैं। अनुमान है कि 2030 तक यह आंकड़ा 10.1 करोड़ तक पहुंच जाएगा। दुनिया में चीन ऐसा देश है जहां सबसे ज्यादा शुगर के मरीज़ है। उसके बाद भारत डायबिटीज की राजधानी बन गया है, जहां 50 फीसदी लोगों को पता ही नहीं कि वो शुगर से पीड़ित हैं। यह ऐसी बीमारी है जो खराब लाइफस्टाइल और खान-पान की वजह पनपती है।
इस बीमारी को कंट्रोल करना है तो डाइट पर कंट्रोल रखना जरूरी है। डाइट को कंट्रोल करके ही ब्लड में शुगर के स्तर को कंट्रोल किया जा सकता है। शुगर के मरीज़ों को बॉडी में वीकनेस ज्यादा रहती है इसलिए उन्हें हर 3-4 घंटे बाद ऐसी चीज़ों का सेवन करना चाहिए जिससे उनकी भूख शांत रहे, बॉडी की कमज़ोरी दूर रहे और शुगर भी कंट्रोल रहे। शुगर कंट्रोल करने के लिए ड्राई फ्रूट्स बेहद उपयोगी है, जो बॉडी को एनर्जी देते हैं, साथ ही उसके सेवन से शुगर भी कंट्रोल रहती है। आइए जानते हैं शुगर के मरीज़ों के लिए पिस्ता, मूंगफली, अखरोट, बादाम जैसे ड्राईफ्रूट फायदेमंद हैं।
इस खबर में हम आपके लिए ऐसे फूड्स के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिसका सेवन आपकी त्वचा के लिए बेहद लाभकारी होता है.
अगर आप भी रुखी त्वचा को प्राकृतिक रूप से चमकदार बनाना चाहते हैं तो ये खबर आपकी मदद कर सकती है. इसके लिए आपको कुछ फूड्स का सेवन करना होगा. इसके साथ ही पानी का सेवन भरपूर मात्रा में करना चाहिए, क्योंकि यह त्वचा की कोशिकाओं को फिर से हाइड्रेट करता है और होमियोस्टैसिस को बनाए रखता है. ये त्वचा की उम्र बढ़ने से रोकता है और आपकी सभी कोशिकाओं को सक्रिय और कार्यशील रखता है.
हेल्थ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि पर्याप्त पानी नहीं पीने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है, जिससे त्वचा की कई समस्याएं हीती हैं, इनमें रूखी त्वचा भी शामिल है. इसलिए भरपूर मात्रा में पानी जरूर पीएं. रूखी त्वचा से छुटकारा पाने के लिए सही स्किन केयर रूटीन के साथ हेल्दी फूड्स का सेवन करना भी जरूरी है. इस खबर में बताए जा रहे फूड न केवल हमारे स्वास्थ्य को बल्कि हमारी त्वचा को भी हेल्दी रखने में मदद करते हैं.
त्वचा को हाइड्रेड रखने वाले फूड
1. टमाटर का सेवन
स्किन के लिए टमाटर बेहद लाभकारी है. इसमें विटामिन सी और लाइकोपीन होता है, जो एक एंटीऑक्सीडेंट है. ये त्वचा को जवां बनाए रखता है और उम्र बढ़ने से बचाता है.
2. गाजर का सेवन
गाजर बीटा कैरोटीन और विटामिन ए के सबसे अच्छे स्रोतों में से एक हैं. ये दोनों विटामिन फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करते हैं. ये त्वची की उम्र बढ़ने से रोकते हैं.
3. सोया का सेवन
शाकाहारी फूड्स में, ये सबसे अधिक मात्रा में प्रोटीन प्रदान करता है. सोया में आइसोफ्लेवोन्स की मात्रा अधिक होती है, जो कोलेजन को बेहतर करके झुर्रियों को रोकने में मदद कर सकता है.
4. फिश का सेवन
मछली ओमेगा -3 फैट का एक अच्छा स्रोत है, जो हमारे शरीर द्वारा निर्मित नहीं होते हैं, लेकिन कोशिका झिल्ली के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं. आप सप्ताह में दो बार फिश खा सकते हैं.
5. अंडे का सेवन
अंडे का सेवन भी सेहत के साथ त्वचा के लिए भी लाभकारी है. अंडे सल्फर और ल्यूटिन का अच्छा स्रोत हैं, जो त्वचा की नमी और लोच बनाए रखने में मदद करते हैं. आप अपने नाश्ते में अंडे को शामिल कर सकते हैं.