ईश्वर दुबे
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Bhilai
जिंदगी में अगर आप कुछ अच्छी आदतों को अपना लें तो यकीन मानिए आप लंबे समय तक स्वस्थ बने रह सकते हैं। लेकिन ज्यादातर लोग अपनी सहूलियत के हिसाब से अपनी दिनचर्या बना लेते हैं और यहीं गलती हो जाती है। जब जागो तभी सवेरा वाली कहावत लाइफस्टाइल के रूल्स बनाने के लिए करें न कि इसे लाइफस्टाइल में अमल करने लग जाएं। तो हेल्दी रहने के आज हम कुछ ऐसे टिप्स आपसे शेयर करेंगे जिनकी जितनी जल्द शुरुआत कर देंगे उतना ही अच्छा रहेगा।
1. रात में जल्दी सोना और सुबह सूरज निकलने से पहले उठने का प्रयास करें।
2. उठने के बाद कम से कम दो ग्लास गुनगुना पानी स्क्वॉट पोजीशन में बैठकर पिएं। इससे शौच के दौरान परेशानी नहीं होती।
3. ब्रश करने के बाद आंखों पर ठंडे पानी के छीटें मारें। इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है।
4. सुबह टहलना, साइकिल चलाना, योग जो भी पॉसिबल हो, जरूर करें।
5. व्यायाम के कम से कम आधे घंटे बाद नहाएं। नहाने से पहले तेल से शरीर की मालिश करें।
चाय भी सेहत के लिए उतनी ही फायदेमंद हाेती है
बादाम की चाय में पाेषक तत्व
माेनाेअनसैचुरेटेड फैट
पॉलीअनसैचुरेटेड फैट
मैग्नीशियम
प्राेटीन
फाइबर
विटामिन बी
विटामिन ई
कैल्शियम
जिंग
मैंगनीज
फॉस्फाेरस
बादाम की चाय मिनरल्स और विटामिंस से भरपूर हाेती है। इसके पाेषक तत्वाें काे प्राप्त करने के लिए आप इसे राेजाना पी सकते हैं। इसका सेवन ठंडा या गर्म दाेनाें तरह से किया जा सकता है। ऊपर बताए गए मिनरल्स और विटामिंस के अलावा बादाम की चाय में एंटीऑक्सीडेंट, फाइटाेस्टेरॉल भी हाेता है।
बादाम की चाय पीने के फायदे
बादाम पाेषक तत्वाें से भरपूर हाेता है, इसलिए इसकी चाय काे सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना गया है। अगर आप नियमित रूप से बादाम की चाय पिएंगे, ताे आप हमेशा स्वस्थ रह सकते हैं। इसे सेहत के साथ ही स्किन के लिए भी अच्छा माना जाता है। इसलिए अपनी सेहत और त्वचा काे सेहतमंद रखने के लिए आप बादाम की चाय का सेवन जरूर करें।
. शरीर काे डिटॉक्स करे बादाम की चाय
समय-समय पर शरीर काे डिटॉक्स करना बेहद जरूरी हाेता है। इससे शरीर में जमी गंदगी आसानी से मल के साथ बाहर निकल जाती है। आप बॉडी डिटॉक्सिफाई करने के लिए बादाम की चाय पी सकते हैं। दरअसल, बादाम की चाय पीने से लिवर सही तरीके से कार्य करने में सक्षम हाेता है और शरीर की गंदगी काे निकालने में सहायक हाेता है।
. हीमाेग्लाेबिन बढ़ाए
अगर आपका हीमाेग्लाेबिन कम है या आप शारीरिक रूप से कमजाेर हैं, ताे इस स्थिति में आपकाे बादाम की चाय का सेवन जरूर करना चाहिए। दरअसल, बादाम में आयरन काफी अच्छी मात्रा में हाेता है। इसलिए इसे पीने से खून की कमी की शिकायत दूर हाेती है। अगर आप इसे गुड के साथ बनाएंगे, ताे इसके फायदे बढ़ जाते हैं।
. गठिया की समस्या दूर करे
बादाम की चाय गठिया राेग काे भी दूर करता है। इसके सेवन से तंत्रिका तंत्र काे आराम मिलता है, जिससे गठिया के लक्षणाें में कमी देखने काे मिलती है।
. हार्ट अटैक का खतरा कम करे
बादाम की चाय काे नियमित रूप से पिया जाए, ताे हार्ट अटैक के खतरे काे काफी हद तक कम किया जा सकता है। बादाम की चाय हार्ट अटैक के जाेखिम काे कम करता है। इसके अलावा यह ब्लड प्रेशर काे भी नियंत्रण में रखता है। बादाम की चाय आपके काेलेस्ट्रॉल लेवल काे कंट्राेल करता है और दिल के दौर और स्ट्राेक के खतरे काे कम करता है।
. कैंसर का जाेखिम करे कम बादाम की चाय
बादाम में एंटी ऑक्सीडेंट्स काफी अच्छी मात्रा में हाेता है। यह ऑक्सीडेटिव डैमेज काे कम करता है। साथ ही अगर नियमित रूप से इसका सेवन किया जाए, ताे कैंसर के जाेखिम काे काफी हद तक कम किया जा सकता है।
नई दिल्ली। मिठाईयां और मीठे व्यंजन सभी को पसंद होते हैं पर इसके अधिक सेवन से उन्हें डायबिटीज जैसी बीमारी होने का खतरा भी बना रहता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे में लोगों को शुगर-फ्री मिठाई का सेवन करना चाहिये।
बेसन लड्डू: बेसन, घी और ढेर सारी चीनी से बना बेसन का लड्डू काफी लोगों को पसंद होता है, हालांकि आजकल इसका शुगर-फ्री विकल्प भी उपलब्ध है, जिसमें चीनी बिल्कुल नहीं होती और खाने में यह अच्छा होता है।
खजूर रोल: कैलोरी को लेकर सचेत रहने वाले लोगों के लिए खजूर अच्छा विकल्प है1 आप बादाम के टुकड़ों के साथ खजूर रोल खा सकते हैं, जो आपके स्वास्थ्य के लिए भी बढ़िया है।
अंजीर बर्फी: अंजीर को दुनियाभर में काफी हेल्दी माना जाता है। यह पाचन में सुधार कर मधुमेह को निंयत्रित करता है। इस फल को अंजीर की बर्फी के रूप में भी खाया जा सकता है, जिसमें रिफाइंड शुगर बिल्कुल नहीं होता है। यह मिठाई काजू, बादाम, पिस्ता, अंजीर, घी और श्हद से बनाई जाती है, जो बच्चों और बड़ों दोनों के लिए स्वास्थ्यवर्धक है।
फिनी: फिनी एक पारंपरिक राजस्थानी मिठाई है. यह मुख्य रूप से राजस्थान के बीकानेर में मिलती है. इसे आटे, चीनी और शुद्ध घी से बनता है, लेकिन आजकल शहद से तैयार शुगर-फ्री फिनी भी मिलने लगी है, जिसका आप लुत्फ ले सकते हैं।
लौकी का हलवा: आप इसका सेवन भी कर सकते हैं. इसे सिर्फ एक छोटा चम्मच घी, लौकी, कम वसा वाले दूध, इलायची पाउडर और स्टेविया डालकर बनाया जाता है। खजूर नारियल रोल: यह रोल खजूर, बादाम और एक कप ग्रेट किए हुए नारियल से बनाया जाता है, जिसमें दो ग्राम फाइबर होता है।
खजूर व सेब खीर: यह शुगर फ्री खीर बनाने के लिए आपको बस एक मैश किया हुआ सेब, खजूर और एक छोटा चम्मच अखरोट की जरूरत है।
नई दिल्ली। अगर आप कॉफी पीते हैं तो आपको दिल की बिमारियों का खतरा कम होता है। एक अध्ययन रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि दिन में चार कप कॉफी पीने से दिल की बीमारियों की वजह से होने वाली मौत का खतरा दो तिहाई कम किया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन 20,000 लोगों पर किया है। शोधकताओं ने अध्ययन के दौरान पाया कि कॉफी पीने से शरीर की प्रतिरोधकत क्षमता बढ़ती है। यह दिल की सेहत के लिए अच्छा है और कैंसर से बचाव करती है।
शोधकर्ता ने बताया कि मैं यह सलाह दूंगा कि लोगों को खूब कॉफी पीनी चाहिए। इससे उनका दिल सेहतमंद रहेगा और कैंसर का खतरा भी कम होगा।
यह अध्ययन 20,000 लोगों पर 10 साल तक किया गया1 इसके अलावा पिछले महीने 5,20,000 लोगों पर हुए एक अध्ययन में पाया गया कि कॉफी लीवर की सेहत सुधारने में भी कारगर है।कॉफी में दरअसल, कई तरह के यौगिक पाए जाते हैं, जो शरीर के संपर्क में आते ही एक एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करने लगते हैं हालांकि शोधकर्ताओं ने बहुत ज्यादा कॉफी पीने से भी मना किया है। शोधकर्ताओं के अनुसार दिन में अधिकतम 4 कप कॉफी काफी है। इससे ज्यादा कॉफी पीने से नुकसान पहुंच सकता है।
यूरोपियन फूड सेफ्टी एजेंसी की सलाह मानें तो रोजाना किसी भी व्यक्ति को 0.4 ग्राम से ज्यादा कैफीन का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर आप अगर एस्प्रेस्सो कॉफी पीते हैं तो दिन में 5 कप और अगर इंस्टैंट कॉफी पीते हैं तो 4 कप से ज्यादा कॉफी ना पीयें।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस लोगों को भुलक्कड़ बना रहा है। वायरस से उबरे लोगों की याददाश्त कमजोर हो रही है। वैसे तो यह समस्या हर उम्र के लोगों में देखने को मिली है लेकिन युवाओं में खास तौर पर यह समस्या देखी जा रही है। बीस से तीस फीसदी तक युवा भूलने की बीमारी की जद में है। जबकि पुराने बीमारी से जूझ रहे लोगों में यह समस्या और भी गंभीर बनी हुई है। मरीज रोजमर्रा की चीजों को भी भुलने लगे हैं। वहीं, चीजों को भूलने की समस्या बताने वाले मरीजों का डॉक्टर एमएमएस (मिनी मेंटल स्टेटस) टेस्ट करा रहे हैं जिसमें यादाश्त की कमी से पीड़ित अधिकतर मरीज फेल हो रहे हैं।
नियमित योग करना न सिर्फ शरीर के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है, बल्कि मेंटल हेल्थ को भी ये ठीक रखने में अहम भूमिका निभाता है. आज योग प्रशिक्षिका सविता यादव ने लाइव योगा सेशन में आसान व्यायाम के जरिए खुद की सेहत का ख्याल रखना सिखाया. आइए, जानते हैं कि शरीर को चुस्त दुरुस्त रखने के लिए आप किन छोटे-छोटे अभ्यासों को कर सकते हैं.
सबसे पहले थोड़ी देर पद्मासन या सुखासन में बैठ कर श्वास-प्रश्वास का अभ्यास करें और ध्यान लगाएं व मन को शांत करें. इसके बाद ‘ॐ’ का उच्चारण करें. इसके बाद कपालभाति क्रिया करें. कपालभाति से पहले गहरी लंबी सांस लें. इस दौरान पेट को अंदर की ओर करें और सांस छोड़ते समय पेट को बाहर की तरफ करें. धीमी गति से इसका अभ्यास करें. ऐसा श्वास-प्रश्वास के प्रति सजगता के लिए करना चाहिए.
कपालभाति करने के बाद अपने योगा मैट पर खड़े हो जाएं. इसके बाद अपने हाथों को अपनी कमर पर रखें और दोनों पैरों को चलाएं. इसके लिए एक पैर को स्थिर रखें और दूसरे को आगे ले जाएं. ऐसा ही दूसरे पैर के साथ करें. इसके बाद कदमताल की तरह ही एक-एक पैर को उठाएं लेकिन आराम से इस अभ्यास को करें. ऐसा करने से घुटने ठीक रहेंगे और पैर मजबूत होंगे. साथ ही कमर के दर्द में भी राहत मिलेगी.
हर किसी को जीवन में थोड़ी बहुत चिंता लगी रहती है। फिर चाहें वह लाइफ को लेकर हो या फिर किसी अन्य विषय पर। वहीं बात हो महिलाओं की तो उनके जीवन में भी चिंता बनी रहती है। जैसे रात के खाने के लिए क्या तैयार करें, कैसे टाइम स्पैंड करें, या फिर फिट रहने के लिए क्या करें। ऐसी चिंताएं हमारे मानसिक और शारीरिक सेहत पर बहुत प्रभाव डालती हैं। ऐसे में सेहत का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। योग तनाव को दूर करने और अपने शरीर और दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए बहुत प्रभावी तरीका माना जाता है। तो चलिए जानते हैं कुछ योगा आसन के बारे में जिन्हें आप रोजाना घर पर कर सकते हैं।
1) सेतु बंधासन
इसे ब्रिज पोज के रूप में जाना जाता है, सेतु बंधासन के कई लाभ हैं। आप अपने रोजाना के रूटीन में इस आसन को शामिल कर सकते हैं। ये आसन आपके पोश्चर में सुधार करता है, आपकी छाती, फेफड़े, कंधों और पेट को स्ट्रेच करता है। अगर आपको सांस लेने में समस्या या पुरानी पीठ के निचले हिस्से में दर्द है तो यह रोजाना इसकी प्रेक्टिस करें। इसे करने के लिए पीठ के बल लेटकर शुरुआत करें और बाजुओं को अपनी-अपनी तरफ कर लें। जैसे ही आप सांस लेते हैं, अपने शरीर को फर्श से तब तक उठाएं जब तक कि आपकी छाती आपके चिन को न छू ले। कुछ सेकंड के लिए इस स्थिति में बने रहें फिर सांस छोड़ते हुए वापस सामान्य स्थिति में आ जाएं। ये उन महिलाओं के लिए बहुत अच्छी है जिन्हें सांस लेने में समस्या है या पीठ के निचले हिस्से में पुराना दर्द है।
2) नवासना
ये उन महिलाओं के लिए एकदम सही है जो एक ही स्थान पर बैठकर लंबा समय बिताती हैं। यह हमारे हाथ की मांसपेशियों, जांघों और कंधों को मजबूत करता है और हमारे शरीर में ब्लड फ्लो में भी सुधार करता है। इसे करने के लिए अपनी पीठ के बल लेटकर अपने पैरों को आपस में जोड़कर शुरू करें और हाथ को हाथ पर रखें। अपने हाथों को सीधा करें और अपनी उंगलियों को पंजों की ओर फैलाएं। अब धीरे-धीरे अपनी छाती और पैरों को जमीन से ऊपर उठाएं। ध्यान रखें कि आपका शरीर 'वी' जैसा दिखे। अपने पैरों और छाती को नीचे लाने से पहले इस पॉजिशन को कुछ देर होल्ड करें में रहें। इसे करने से पेट और कोर ताकत के निर्माण के अलावा, यह योग आसन डीप हिप फ्लेक्सर्स का भी काम करता है।
3) हलासन
इसे हल पॉजिशन के रूप में भी जाना जाता है, आपके पूरे सामने के शरीर और जांघों को फैलाता है, साथ ही आपकी पीठ, ग्लूट्स, बाहों और पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करता है। इसे करने के लिए फर्श पर सीधे लेट जाएं और हाथों को साइड में करें। कोर की मांसपेशियों का उपयोग करके धीरे-धीरे अपने पैरों को जमीन से ऊपर उठाएं। आपके कूल्हे फर्श को नहीं छूना चाहिए और पैर 90 डिग्री के कोण पर होने चाहिए। अपने पैरों को अपने सिर के ऊपर ले जाएं और अपने पैर की उंगलियों से फर्श को छूने की कोशिश करें। इसे करने से थायरॉयड ग्रंथि की गतिविधियों को नियंत्रित करता है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद करता है।
इस खबर में हम आपके लिए तिल के तेल के उपयोग का तरीका बता रहे है.
नई दिल्ली। हम आपके लिए तिल के तेल के फायदे लेकर आए हैं. यह होंठों के कालेपन को दूर करने में आपकी मदद कर सकता है. चेहरे की सुंदरता में होंठ भी खास भूमिका निभाते हैं. लेकिन कई बार किसी भी वजह से होठों की रंगत काली पड़ने लगती है. जिसके चलते आपकी खूबसूरती फीकी पड़ने लगती है. ऐसे में आप तिल के तेल की मदद से होठों के कालेपन को दूर करके, इनको गुलाबी रंगत दे सकते हैं.
होंठों पर इस तरह लगाएं तिल का तेल :
1. नारियल और तिल का तेल
आधा चम्मच नारियल का तेल और आधा चम्मच तिल का तेल लें.
अब इन दोनों तेल को आपस में अच्छी तरह से मिक्स कर लें.
इसके बाद इस मिक्सचर को अपने होठों पर लगाकर उंगली के ज़रिये पांच मिनट तक मसाज करें.
मसाज करने के उसे आधे घंटे तक ऐसे ही लगा छोड़ दें.
धीरे-धीरे होठों का कालापन दूर होने लगेगा और होंठ गुलाबी होने लगेंगे.
यह उपाय होठों के कालेपन को दूर करके उन्हें गुलाबी बनाने में मदद करेगा.
2. चीनी और तिल का तेल
एक छोटा चम्मच चीनी लेकर इसको हल्का सा क्रश कर लें.
अब आधा चम्मच तिल का तेल लेकर इसमें चीनी मिक्स करके स्क्रब बना लें.
ध्यान रखें कि चीनी को तेल में मेल्ट नहीं करना है बल्कि दरदरा मिक्सचर बनाना है.
अब इस मिक्सचर को अपने होठों पर अच्छी तरह से लगाएं.
अब करीब तीन-चार मिनट तक उंगलियों की मदद से धीरे-धीरे स्क्रब करें.
इसके बाद सादे पानी से लिप्स साफ़ कर लें.
कुछ दिनों में ही होठों की रंगत गुलाबी होने लगेगी.
3. हल्दी और तिल का तेल
आप आधा चम्मच तिल का तेल लें और इसमें दो चुटकी हल्दी मिलाकर गाढ़ा पेस्ट तैयार कर लें.
इस पेस्ट को अपने होठों पर लगाकर दो मिनट तक उंगली से अपने होठों की मसाज करें.
फिर इसको आधे घंटे तक ऐसे ही लगा रहने दें. इसके बाद साफ़ पानी से धो लें.
इसके कुछ दिनों के इस्तेमाल से ही होठों का रंग गुलाबी होने लगेगा.
यह उपाय होठों के कालेपन को दूर करके उन्हें गुलाबी बनाता है.
इस खबर में हम आपके लिए भस्त्रिका प्राणायाम करने का तरीका और इससे मिलने वाले फायदों के बारे में जानकारी दे रहे हैं.
नई दिल्ली। आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भस्त्रिका प्राणायाम के फायदे. हेल्थ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि जो लोग शारीरिक रूप से ज्यादा सक्रिय होते हैं उन्हें बीमारियों का खतरा कम होता है. योग और प्राणायाम शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं. भस्त्रिका प्राणायाम की मदद से संपूर्ण स्वास्थ्य बेहतर होता है. इसके नियमित अभ्यास से शारिरिक रूप के साथ-साथ मानसिक रूप से भी स्वस्थ्य रह सकते हैं.
भस्त्रिका प्राणायाम को 3 तरीकों से किया जाता है.
शुरुआत में 5 सेकेंड सांस ले और उतनी ही देर में सांस छोड़ें.
दूसरी बार में 5 सेकेंड की जगह केवल 2.5 सेकेंड का वक्त लीजिए.
तीसरे दौर में लगातार सांस लें और छोड़ें, इस प्राणायाम को 5 मिनट करें
भस्त्रिका प्राणायाम करने की विधि :
सबसे पहले शांत वातावरण में पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं.
अब अपनी गर्दन, सिर और शरीर को सीधा रखें.
अब आंखें बंद करें और कुछ देर के लिए अपने शरीर को शिथिल करें.
इस दौरान आपका मुंह बंद रहना चाहिए.
अब हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखें.
धीरे-धीरे सांस खींचें फिर सांस को बलपूर्वक वापस छोड़ें.
भस्त्रिका प्राणायाम के जबरदस्त फायदे
1. याददाश्त बढ़ती है
भस्त्रिका प्राणायाम को नियमित तौर पर किया जाए तो याददाश्त शक्ति को बढ़ाया जा सकता है. इससे हमारी मेमोरी पावर कम नहीं होती है. भस्त्रिका से सूंघने से शक्ति बढ़ती है.
2. कम होती हैं पाचन संबंधी दिक्कतें
जिन लोगों को पेट संबंधी दिक्कतें होती हैं उन्हें भस्त्रिका प्राणायाम जरूर करना चाहिए. इससे अपच, गैस, एसिडिटी जैसी दिक्कतें दूर होती हैं. साथ ही, लोगों का मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है.
3. फेफड़ों को बनाता है मजबूत
आयुर्वेद में तीन प्रकार के दोषों का जिक्र मिलता है जिनमें वात्, पित्त और कफ शामिल हैं. ये योगासन इन तीनों को संतुलित रखने में मददगार है. इस आसन को करने से फेफड़े तो मजबूत होते ही हैं, साथ ही सांस संबंधी दिक्कतें भी नहीं होती हैं.
4. कंजेशन और ब्लॉकेज की समस्या दूर होती है
इस प्राणायाम को करने से छाती से कंजेशन और ब्लॉकेज की समस्या दूर होती है. इसके अलावा गला, नाक और साइनस भी पूरी तरह से क्लियर होता है. इसके नियमित अभ्यास से फेफड़ों में जो ज्यादा बलगम हो जाता है वो भी निकलता है.
5. टॉनिक्स बाहर निकलते हैं
भस्त्रिका प्राणायाम करने से पेट पूरी तरह से फूलता और अंदर जाता है. इससे अंदर की आर्गन की मसाज हो जाती है. इससे शरीर के सभी टॉक्सिन यूरिन के रास्ते से बाहर निकल जाते हैं.
गर्भावस्था में हर महिला को कई नए अनुभवों से गुजरना पड़ता है। गर्भवस्थ शिशु के समुचित विकास के लिए भी मां का स्वस्थ रहना बहुत आवश्यक होता है। गर्भावस्था की अवस्था में किसी भी प्रकार की लापरवाही मां के साथ गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए भी नुकसानदायक हो सकती है। इस अवस्था में शरीर का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। इस समय महिलाओं को शारीरिक के साथ मानसिक तौर पर भी सेहतमंद रहना बहुत आवश्यक होता है। गर्भवती महिलाओं को चिकित्सक खान-पान का ध्यान रखने के साथ ही हल्का व्यायाम करने की सलाह भी देते हैं। इस समय शरीर में कई तरह के हार्मोनल परिवर्तन भी होते हैं। जिससे कई बार मन अशांत या शरीर में असहजता का अनुभव होता है। इसके लिए गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन कुछ आसान से योगासन करने चाहिए। ये आसन गर्भवती महिलाओं की शारीरिक सेहत के साथ मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में बहुत फायदेमंद होते हैं। तो चलिए जानते हैं इस बारे में।
शवासन
इस आसन में पूरे शरीर को आराम मिलता है। इस आसन को करने के लिए एक समतल जगह पर दरी या योगा मैट बिछाकर आराम से पीठ के बल लेट जाएं। अपने दोनों हाथों को शरीर से कुछ दूरी पर रखें और अपने दोनों पैरों को भी फैला लें। शरीर को पूरी तरह से ढीला छोड़ दें। पूरी तरह सांसो पर ध्यान केंद्रित करते हुए आराम से धीरे-धीरे सांस लें। इससे आपकों शारीरिक के साथ मानसिक रूप से भी आराम मिलता है। इस आसन को करने से तनाव से भी राहत मिलती है, इसलिए गर्भावस्था के दौरान होने वाले मूड स्विंग के लिए ये आसन फायदेमंद रहता है।
सुखासन इस आसन को करने के लिए सबसे पहले अपने पैरों को फैलाकर आराम से बैठ जाएं।
1.अब दाएं पैर को मोड़कर बायीं जांघ के नीचे रखें और बाएं पैर को मोड़कर दायीं जांघ के नीचे रखें। ( पलती मारकर बैठना)
2.अपने कंधे और पीठ को बिना को तनाव डालें सीधा रखें।
अब आंखों को बंद कर लें और एक केंद्र बिंदु पर अपना ध्यान टिकाएं।
3. शरीर को ढीला छोड़ दें और आराम से सांस लें।
इस अवस्था में दस मिनट तक रहें।
सुखासन के फायदे और सावधानी-
इस आसन को करने से शरीर में रक्त का प्रवाह अच्छा होता है।
4.ये मानसिक तनाव को दूर करता है साथ ही अनिद्रा से भी राहत मिलती है।
इस आसन को क्षमता अनुसार ही करें।
सुखासन करते समय घुटनों को जमीन पर टिकाकर रखें इससे आपकों आसानी होगी
जानुशीर्षासन:
1.इस आसन को करने के लिए आराम से बैठ जाएं।
अब एक पैर को आगे की ओर फैलाएं और दूसरे पैर को समेटकर रखें।
2.अब अपने धड़ को आगे की ओर झुकाकर अपने पैर के तलवे को छूने की कोशिश करें।
इस अवस्था में शरीर को एक सीन में रखें और कुछ क्षण सांस को रोकने की कोशिश करें।
फायदे और सावधानी:
1.इस आसन को करने से पाचन क्रिया अच्छी होती है और पीठ दर्द में भी आराम मिलता है।
2.मॉर्निंग सिकनेस, थकान और तनाव को कम करने में भी सहायक है।
3.ये शरीर को लचीला बनाता है जिससे नॉर्मल डिलीवरी होने में सहायता मिलती है।
4.इस आसन को करते समय शरीर में ज्यादा दबाव न डालें जितना हो सके अपनी क्षमता अनुसार इस आसन को करें।
5.यदि आपको किसी तरह की परेशानी है तो डॉक्टर की सलाह लेकर ही ये योगासन करें।
दर्द को नजरअंदाज करना लगभग हर भारतीय की आदत में होता है। इस मामले में महिला-पुरुष सब बराबर होते हैं। हाथ-पैरों में दर्द है बाम लगा लिया, सिर में दर्द है, तुरंत दर्दनिवारक दवा खा ली, पेट में दर्द है एंटासिड ले लिया। सामान्यतः कोई भी व्यक्ति अपनी जिंदगी में एक न एक बार तो ऐसे किसी दर्द से गुजरता ही है और अधिकांशतः इस दर्द को बिना कारण जाने, दबाने की कोशिश की जाती है। क्या वाकई ये इतना आसान है? जी नहीं, दर्द कई तरह के हो सकते हैं और इनको टालना बड़ी मुसीबत को आमंत्रण देना साबित हो सकता है। सितंबर माह को अंतरराष्ट्रीय दर्द जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2021 के लिए इसकी थीम है-'माय पेन प्लान', जिसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के दर्द के लिए सटीक और सही उपचार के ऊपर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
कई तरह के दर्द
यूं हममें से अधिकांश लोग कभी न कभी दर्द का अनुभव करते हैं। कभी ये दर्द कुछ ही समय का होता है और साधारण उपायों से वह ठीक भी हो जाता है लेकिन कई बार दर्द अधिक समय तक बना रहता है या बार-बार होता है। ऐसे में इसे नजरअंदाज करना गलत हो सकता है। याद रखें कि दर्द बीमारी नहीं है, मात्र एक लक्षण है, जिसके पीछे के कारण का निदान एवं इलाज आवश्यक है। दर्द को मुख्यतः दो भागों में बांटा जाता है।
एक्यूट: यानी तीखा या चुभने वाला तेज दर्द। यह आमतौर पर किसी चोट के कारण होता है और कम समय में ठीक भी हो जाता है। क्रॉनिक: यह दर्द माइल्ड से सीवियर यानी धीमे से तेज किसी भी तरह का हो सकता है और लंबे समय तक रहता है। यह आमतौर पर किसी बीमारी या समस्या के कारण उभरने वाला लक्षण होता है जिसके इलाज की जरूरत होती है। मतलब यह शरीर में चल रही किसी गड़बड़ का संकेत हो सकता है।
अन्य लक्षण
कई बार दर्द के साथ अन्य शारीरिक या मानसिक लक्षण भी उभरते हैं। इनमें नॉशिया या घबराहट, उल्टी, चक्कर आना, कमजोरी तथा चिड़चिड़ाहट, निराशा, अवसाद, मूड स्विंग्स आदि शामिल हो सकते हैं। दर्द जब लंबे समय तक बना रहता है तो बैचेनी बढ़ने लगती है और जब तक इस दर्द की जड़ में पहुंचकर उस समस्या का इलाज नहीं होता, जिसकी वजह से दर्द पनप रहा है, तब तक शरीर और दिमाग दोनों परेशान रहते हैं।
ये हो सकते हैं दर्द
एक्यूट हो या क्रॉनिक, दर्द शरीर के किसी भी हिस्से में उभर सकता है। आमतौर पर जिस तरह के दर्द की शिकायत लोगों को होती है, उनमें शामिल होते हैं-
पीठ का दर्दकमर या
सिर दर्द
दांतों का दर्द
गर्दन का दर्द
हाथ-पैरों, जोड़ों का दर्द
टखने या एड़ी का दर्द
पेटदर्द
उंगलियों, कलाई का दर्द, आदि
हो सकती हैं ये वजहें
चोट लगने या स्पोर्ट्स इंज्युरी के अलावा दर्द के पीछे छुपी अन्य समस्याएं हो सकती हैं-
किसी प्रकार की सर्जरी
हड्डी, लिगामेंट्स का टूटना या मसल्स का क्षतिग्रस्त होना
कोई ट्यूमर या अन्य प्रकार की ग्रोथ
गहरा घाव
कैंसर का दर्द
ट्राइजेमिनल न्यूरालजिया
नसों को क्षति पहुंचना
किसी प्रकार के छाले या फुंसी आदि
समय पर करें इलाज
बार-बार होने वाले या लंबे समय से रहने वाले दर्द को नजरअंदाज करना गंभीर स्थिति का कारण बन सकता है। इसकी वजह से कोई अंग हमेशा के लिए खराब हो सकता है, उसके काम करने में बाधा आ सकती है या अपंगता भी हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि समय पर दर्द की ओर ध्यान दें और उसका इलाज करवाएं।
सही इलाज जल्दी आराम
एक्यूट दर्द के लिए जहां डॉक्टर चोट को ठीक करने या त्वरित राहत के लिए दवाइयां देते हैं, वहीं क्रॉनिक दर्द के लिए दवाइयों के अलावा गर्म-ठंडा सेक, फिजियोथैरेपी, कुछ विशेष प्रकार के स्टॉकिंग्स या ब्रेसेस पहनने, विशेष इंजेक्शन, प्लाज्मा थैरेपी आदि का भी उपयोग किया जाता है। पहले दर्द के लक्षणों पर काबू किया जाता है इसके बाद जिस भी बीमारी या समस्या की वजह से दर्द हो रहा है उसका इलाज किया जाता है। इसमे बीमारी के प्रकार, शरीर की अवस्था आदि के हिसाब से समय लगता है। इसलिए इलाज कभी भी बीच में न छोड़ें और डॉक्टर ने जो भी सावधानियां रखने को कहा है, उन्हें जरूर ध्यान में रखें। अपने मन से दर्दनिवारक दवाएं न लें, क्योंकि इससे किडनी या लिवर पर बुरा असर पड़ सकता है।
नई दिल्ली। नौकासन का अभ्यास शरीर के लिए कई मायनों में उपयोगी माना जाता है. इसके नियमित अभ्यास से आपके पेट की चर्बी कम होती है और रीढ़ की हड्डी को भी मजबूती मिलती है.
योग का अपना महत्व है. इसके नियमित अभ्यास से आप कई बीमारियों से बच सकते तहैं. योग का सही ढंग से रोजाना अभ्यास करने से आपके शरीर से कई बीमारियां भी दूर होती हैं. वैसे तो योग में तमाम ऐसे आसन हैं, जो अलग-अलग शारीरिक समस्याओं के लिए फायदेमंद माने जाते हैं. लेकिन हम जिस आसन के बारे में आपको जानकारी दे रहे हैं, वो है नौकासन. जी हां नौकासन का अभ्यास शरीर के लिए कई मायनों में उपयोगी माना जाता है. इसके नियमित अभ्यास से आपके पेट की चर्बी कम होती है और रीढ़ की हड्डी को भी मजबूती मिलती है.
क्या है नौकासन?
नौकासन शब्द दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है. नौका का मतलब है नाव और आसन का अर्थ है आसन या सीट. इस योगासन के अभ्यास में आपका शरीर नाव की मुद्रा में हो जाता है. यह आसन मध्यम श्रेणी का योगासन है, जिसका अभ्यास प्राचीन काल से ही किया जा रहा है. नौकासन को अंग्रेजी में बोट पोज कहा जाता है. शुरुआत में इसका अभ्यास करने में थोड़ी कठिनाई हो सकती है, लेकिन रोजाना प्रैक्टिस करने से आप आसानी से इसका अभ्यास कर सकते हैं।
नौकासन करने का सही तरीका :
सबसे पहले समतल जगह पर योगा मैट पर लेट जाएं.
अब दोनों पैरों को एकसाथ जोड़कर रखें एवं हाथों को भी शरीर के पास ही रखें.
लंबी गहरी सांस लें और सांस को छोड़ते हुए हाथ, पैर, छाती, सिर आदि को उठाएं.
हाथ और पैर एकदम सीधे रखें और घुटनों को न मोड़ें.
पैरों को उतना उठाएं कि जबतक पेट में खिंचाव न महसूस होने लगे.
शरीर के पूरे वजन को नितंब पर संतुलित करने का प्रयास करें.
V के आकर में लगभग 10 से 20 सेकंड तक होल्ड रहें.
इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए सामान्य मुद्रा में आएं.
आप इस आसन को रोज 10 से 15 मिनट कर सकते हैं.
नौकासन करने के फायदे :
नौकासन का रोजाना अभ्यास करने से आपके पेट और साइड की चर्बी कम होती है.
नौकासन में आपके पेट और साइड की मांसपेशियां स्ट्रेच होती हैं जिससे आपको वजन कम करने में भी मदद मिलती है.
नौकासन का रोजाना अभ्यास आपकी हैमस्ट्रिंग की मांसपेशियों के लिए बहुत उपयोगी होता है.
इसके अभ्यास से आप हैमस्ट्रिंग क्रैम्प्स की समस्या में भी फायदा पा सकते हैं.
नौकासन का अभ्यास पेट की मांसपेशियों को टोन करने और मजबूत बनाने का काम करता है.
इस आसन का अभ्यास एब्स बनाने में भी बहुत उपयोगी होता है.
नौकासन या बोट पोज का अभ्यास रीढ़ की हड्डी के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है.
इसके नियमित रूप से अभ्यास से आपका ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल होता है.
नौकासन के दौरान रखें यह सावधानियां:
गर्भावस्था और मासिक धर्म में इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए.
यदि पेट से जुड़े कोई ऑपरेशन को ज्यादा समय नहीं हुआ है तो नौकासन न करें.
अस्थमा और दिल के मरीजों को भी इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए.
नई दिल्ली। अगर आप भी किसी दुख का सामना कर रहे हैं और उससे निकलने का रास्ता नहीं दिख रहा है, तो इन थेरेपी को आजमा कर जरूर देखें.
जीवन में सुख-दुख चलते रहते हैं. लेकिन कई बार दुख इतना बड़ा हो जाता है कि समझ ही नहीं आता, उससे कैसे निकला जाए. जब दुख हद से ज्यादा बढ़ जाता है, तो तनाव व अवसाद का कारण बनता है. जिससे मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ जाता है. दुनिया में ऐसा कोई भी शख्स नहीं है, जिसे दुख का सामना ना करना पड़ा हो. लेकिन यह भी जान लीजिए कि ऐसा भी कोई दुख नहीं है, जिससे निकला ना जा सके.
दुख से निकलने में यहां बताई गई थेरेपी मदद कर सकती हैं. आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं.
दुख से निकलने में मदद करने वाली थेरेपी :
वॉकिंग थेरेपी
वॉकिंग थेरेपी एक तरह की एक्सरसाइज है. वॉकिंग थेरेपी के तहत आपको चलने के लिए कहा जाता है. लेकिन यह चलना सामान्य चलना नहीं होता है. आपको प्रकृति के बीच चलाया जाता है और चलते-चलते मनोचिकित्सक आपका दुख जानने और उसे कम करने की सलाह देता है. कुछ लोगों के लिए यह थेरेपी काफी कारगर है, क्योंकि वह चलते हुए खुद को ज्यादा अच्छी तरह व्यक्त कर पाते हैं.
कुकिंग थेरेपी :
तनाव व दुख से उबरने के लिए कुकिंग थेरेपी काफी मददगार देखी गई है. क्योंकि, कुछ लोगों को नयी रेसिपी बनाना काफी पसंद आता है. जिस दौरान वह अपना सारा दुख व तनाव भूल जाते हैं और हल्का महसूस करते हैं.
लाफ्टर योगा :
आप ने सुबह के समय अपने आसपास के पार्क में जरूर कुछ लोगों को देखा होगा, जो खूब तेज-तेज हंसते हैं. दरअसल, इसे ही लाफ्टर योगा कहा जाता है. इससे शरीर में एंडोर्फिन हॉर्मोन रिलीज होता है, जो आपको खुश रहने में मदद करता है. आप इस थेरेपी को ग्रुप में कर सकते हैं.
आर्ट थेरेपी :
कुकिंग थेरेपी की तरह आर्ट थेरेपी भी काम करती है. इस थेरेपी में लोगों को आर्ट के प्रति प्रेरित किया जाता है. उन्हें पेंटिंग, लिखने या कुछ नया बनाने के लिए कहा जाता है. जो कि उनके अंदर की भावनाओं को व्यक्त करता हो. इस तरह वह समय के साथ हल्का और खुशनुमा महसूस करने लगते हैं.
कैसे किया जाता है त्राटक मेडिटेशन, जानें फायदे भी
नईदिल्ली। दिमाग व मन को शांत करने के लिए मेडिटेशन कई तरह से किया जाता है. मेडिटेशन की मदद से ऊर्जा और विचारों को कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है. त्राटक मेडिटेशन भी ध्यान लगाने का एक तरीका है. जो हमारी आंखों की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है. अगर त्राटक के शाब्दिक अर्थ की बात करें, तो इसका मतलब किसी चीज को देखना या घूरना होता है.
त्राटक मेडिटेशन कैसे किया जाता है?
त्राटक मेडिटेशन करने के लिए निम्नलिखित तरीकों को अपनाएं. जैसे-
सबसे पहले ध्यान लगाने की मुद्रा में बैठ जाएं.
अब अपने सामने एक हाथ की दूरी पर मोमबत्ती रखें और उसकी ऊंचाई इस तरह रखें कि मोमबत्ती की बाती आपकी छाती के सामने आए.
आंखों को बंद करके छाती, कंधे, भौहें, गर्दन सभी अंगों को तनावरहित करके आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं.
अब आंखे खोलें और मोमबत्ती की बाती पर बिना पलक झपकाए एकटक देखें. बाती में मौजूद तीनों रंगों पर ध्यान लगाएं.
कुछ सेकंड देखने के बाद आंखें बंद करें और फिर बाती की छवि को याद करें.
कुछ देर बाद फिर से आंखें खोलें और एकटक बाती देखें और फिर आंख बंद करके बाती की छवि का ध्यान करें.
इसी प्रक्रिया को 3 से 4 बार दोहराएं और नियमित अभ्यास से बाती को देखने और छवि बनाने की अवधि बढ़ाएं.
आप बाती की जगह किसी काले कागज, काली बिंदु आदि पर भी ध्यान लगा सकते हैं.
त्राटक मेडिटेशन के फायदे-
आंखों और दिमाग के बीच संबंध स्थापित होता है.
आंखों की मसल्स मजबूत होती है और रोशनी बढ़ती है.
फोकस करने की क्षमता बढ़ती है.
इंसोम्निया व नींद ना आने की समस्या दूर होती है.
नोट- अगर आपको आंखों की कोई समस्या है, तो यह मेडिटेशन ना करें.