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किडनी रोग एक गंभीर रोग है, जिसमें सही समय पर इलाज नहीं मिलने पर रोगी की मृत्यु तक हो सकती है। किडनी की बीमारी में डायलिसिस से पहले होम्योपथी से भी उपचार संभव है। होम्योपथी में किडनी रोग के लिए बहुत सारी दवाएं हैं, जो रोगी के शारीरिक और मानसिक लक्षण देख कर दी जाती हैं। किडनी की बीमारी से बचने के लिए नियमित रूप से पानी पीने और खानपान पर ध्यान देने की जरूरत होती है। किडनी के अलावा फेफड़ों की बीमारी का भी होम्थोपथी में बेहतर इलाज उपलब्ध है। हैनिमेनियन एजुकेशन रिसर्च फोरम ने क्लासिकल होम्योपथी से फेफड़े और गुर्दों की विभिन्न बीमारियों के इलाज के बारे में बताया। साथ ही कहा कि होम्योपथी विभिन्न हृदय रोगों में भी कारगर है। होम्थोपथी सुरक्षित और प्राकृतिक है। इसमें किसी प्रकार की लत की भी कोई संभावना नहीं है। हृदय रोगों की रोकथाम और दिल के दौरे के बाद रोगियों का प्रबंधन करने में भी होम्थोपथी कारगर है। साथ ही होम्योपथी की दवाएं दिल के दौरे के विभिन्न कारणों जैसे कलेस्ट्रॉल में वृद्धि और उच्च रक्तचाप को रोकती है।
जानकारों के अनुसार यदि कोई मरीज ऐलोपैथिक दवाएं लेने के साथ होम्योपथी का उपचार कर रहा है तो इस बारे में डॉक्टरों को जरूर बताना चाहिए। चिकित्सक की सलाह के बिना ऐलोपैथिक दवाएं लेना बंद न करें। न ही होम्योपथी की दवाएं साथ में लें। उन्होंने बताया कि मेजर हार्ट अटैक में होम्योपथी की दवाएं कारगर नहीं हैं। यदि दिल का दौरा पड़ चुका है तो ऐलोपैथिक दवाओं के साथ ही इलाज करना चाहिए।

अगर आप अधिकतर समय व्‍हाइट ब्रेड और पास्‍ता खाते हैं तो इसे बंद कर दें यह आपकों बीमार बना सकता है। खानपान का भी सेहत पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ब्रेड और पास्‍ता कभी कभी-कभी खाने में कोई खतरा नहीं है पर अगर आप अक्‍सर नाश्‍ते में ब्रेड या पास्‍ता ही खाते हैं तो यह आपके लिए चिंता का कारण हो सकता है। एक हालिया अध्‍ययन में यह दावा किया गया है कि व्‍हाइट ब्रेड और पास्‍ता का सेवन अवसाद का शि‍कार बना सकता है।
अध्‍ययन रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि व्हाइट ब्रेड और पास्ता में पाये जाने वाले कार्बोहाइड्रेट आपके भीतर चिड़चिड़ापन और चिंता बढ़ा सकते हैं।
एक अध्ययन के अनुसार सफेद ब्रेड, चावल और पास्ता जैसी खाने की चीजें आपको अवसाद का शिकार बना सकती हैं। वहीं इस खतरे को अनाज और हरी सब्जियां कम कर सकती हैं। सफेद ब्रेड और सफेद चावल खाने से शरीर में हार्मोनल प्रतिक्रिया होती है जो ब्लड शुगर लेवल को घटाती है जिसके कारण चिड़चिड़ापन, थकान और डिप्रेशन के कई लक्षण लोगों में आने लगते हैं।
शोध के मुताबिक ब्रिटेन में प्रति 100 में से 3 लोग अवसाद के शिकार हैं जो कि सफेद ब्रेड और पास्ता जैसे बुरे कार्बोहाइड्रेट्स की वजह से भी होते हैं। इन बुरे कार्बोहाइड्रेट्स की वजह से मोटापा, थकान और अनिद्रा जैसी बीमारियों के खतरे बढ़ सकते हैं।

रात में गहरी नींद सोने से सुबह हम तरोताजा महसूस करने के साथ ही स्वस्थ भी रहते हैं। वहीं नींद की कमी से कई बिमारियों को खतरा बढ़ जाता है। यह देखा गया है कि कई बार नींद नहीं आती या अगर आप रात के समय कम सोते हैं और सोने के बाद बार-बार आपकी नींद खुल जाती है, तो सावधान हो जाएं क्योंकि एक अध्ययन की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि यह आपके याद रखने की क्षमता को पूरी तरह नष्ट कर सकती है।
ना केवल मानसिक, बल्क‍ि यह शारीरिक सेहत के लिए भी ठीक नहीं है। अध्ययनकर्ताओं का दावा है कि इससे डिमेंशिया बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
एक किताब में कुछ ऐसा ही दावा किया गया है.
किताब को लिखने वाले न्यूरोलॉजिस्ट का कहना है कि सोने के दौरान हमारा मस्त‍िष्क बहुत से काम करता है. जैसे कि यादों को संचित करने और उन्हें संभालने जैसे काम करता है। डिमेंशिया एक ऐसी बामारी है, जिसमें आप चीजों को भूलने लगते हैं, आप का मूड बदलने लगता है, काम में आपका मन नहीं लगता और साथ ही आप चिड़चिड़े भी हो जाते हैं। कम नींद आपके दिमाग पर बुरा असर डालती है, जिसके चलते व्यक्ति में सोचने-समझने जैसी संज्ञानात्मक क्षमता के साथ चीजों को याद रखने की क्षमता भी कम होने लगती है। एक अध्ययन में यह भी सामने आया कि कम नींद की वजह से कैंसर होने की आशंका भी बढ़ जाती है।
इन बीमारियों से बचने
सोने का एक समय बनाएं
हर दिन एक ही समय पर सोएं और उसी समय के अनुसार उठें। इस तरह से अपका दिमाग एक समय पर सोने और उठने का आदि हो जाएगा और आपकी नींद अच्छी होने लगेगी।
देर रात खाने से बचें
रात में सोने से लगभग 3 घंटे पहले तक कुछ ना खाएं क्योंकि देर रात खाते ही लेट जाने से खाना डाइजेस्ट नहीं हो पाता, जिस कारण सोने के बाद बार-बार आपकी आंख खुलती रहती है और आप सुकुन की नींद नहीं ले पाते।
सोते समय लाइट्स बंद रखें
रोशनी का हमारे नींद पर बहुत असर पड़ता है। इसलिए सोने से पहले सभी लाइट्स को जरुर बंद करें. क्योंकि अंधेरे में नींद अच्छी आती है।
दोपहर में ना सोएं।
जिन लोगों को रात के समय ठीक से नींद नही आती वो लोग दोपहर में कभी ना सोएं।

धनिया पत्ती और उसके बीज हमें सेहमंद बनाये रखते हैं। खाने में भले ही मिर्च-मसाला न हो लेकिन अगर धनिया पत्ती से डाल दी जाये तो स्वाद बढ़ जाता है। क्या आप जानते हैं धनिया सिर्फ खाने की खूबसूरती और स्‍वाद ही नहीं बढ़ाता बल्‍कि इसका पानी आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बेहद गुणकारी है। धन‍िया के पानी में पोटैश‍ियम, कैल्‍श्यिम, विटामिन सी और मैग्‍नीजियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है और ये सभी तत्‍व बीमारियों को कोसों दूर रखते हैं। धनिये का पानी पीने के ढेरों फायदे हैं जिनमें से कुछ के बारे में हम आपको यहां पर जानकारी दे रहे हैं।
वजन कम करता है
अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो धनिये के बीज का इस्‍तेमाल करने से फायदा होगा। इसके लिए आप तीन बड़े चम्‍मच धनिये के बीज एक गिलास पानी में उबालें। जब पानी आधे से कम हो जाए तो इसे छान लीजिए। इस पानी को रोजाना दो बार पीने से वजन घटने लगेगा।
कॉलेस्ट्रोल से छुटकारा
धनिया में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो शरीर से कॉलेस्ट्रॉल कम कर उसे कंट्रोल में रखते हैं। रिसर्च के अनुसार अगर किसी को हाई कॉलेस्ट्रॉल की श‍िकायत है तो उसे धनिया के बीज उबालकर उस पानी को पीना चाहिए।
भगाए पेट की बीमारियां
अगर आपको पेट से संबंधित कोई समस्या है तो दो कप पानी में धनिये के बीज, जीरा, चाय पत्ती और शक्कर डालकर अच्छे से मिला ले। इस पानी को पीने से एसिडिटी में आराम मिलता है! पेट में दर्द होने पर आधा गिलास पानी में दो चम्मच धनिया के बीज डालकर पीने से पेट दर्द से राहत मिलती है।
बढ़ाए डाइजेशन
हरा धनिया पेट की समस्याओं को दूर कर पाचनशक्ति बढ़ाता है। धनिए के ताजे पत्तों को छाछ में मिलाकर पीने से बदहजमी, मतली, पेचिश और कोलाइटिस में आराम मिलता है।
डायबिटीज से आराम
धनिए को मधुमेह नाशी यानी कि डायबिटीज को दूर भगाने वाला माना जाता है. इसका पानी पीने से खून में इंसुलिन की मात्रा नियंत्रित रहती है।
नकसीर की दवा
हरे ताजे धनिया की लगभग 20 ग्राम पत्तियों के साथ चुटकी भर कपूर मिला कर पीस लें और रस छान लें। इस रस की दो बूंदें नाक के छेदों में दोनों तरफ टपकाने से और रस को माथे पर लगा कर हल्का-हल्का मलने से नाक से निकलने वाला खून बंद हो जाता है।
आंखों के लिए फायदेमंद
धनिया के बीज आंखों के लिए भी फायदेमंद हैं। धनिया के थोड़े से बीज कूट कर पानी में उबालें। इस पानी को ठंडा करके मोटे कपड़े से छान लें और इसकी दो बूंदे आंखों में टपकाने से जलन, दर्द और पानी गिरना जैसी समस्याएं दूर होती हैं।
पीरियड्स की प्रॉब्‍लम
धनिया महिलाओं में पीरियड्स संबंधी समस्याओं को दूर करता है। अगर पीरियड्स साधारण से ज्यादा हो तो आधा लीटर पानी में लगभग 6 ग्राम धनिए के बीज डालकर खौलाएं। इस पानी में चीनी डालकर पीने से फायदा होगा।
मुहांसों में फायदेमंद
धनिया त्वचा के लिए भी फायदेमंद है। धनिए के जूस में हल्दी पाउडर मिलाकर चेहरे पर लगाएं और कुछ देर बाद धो लें। दिन में दो बार इस लेप का इस्तेमाल करने से बहुत जल्दी मुहांसों और दाग-धब्बों से छुटकारा मिलेगा और चेहरे की सुंदरता भी बढ़ेगी घमौरियां होने पर धनिया के पानी से नहाना चाहिए।

मोतियाबिंद की समस्या पहले सिर्फ बुजुर्गों में ही पायी जाती थी लेकिन आजकल ये युवाओं ओर बच्चों को भी अपना शिकार बना रही है। अगर आप किसी बीमारी से ग्रस्त हैं तो उसका असर भी आपके आंखों की रोशनी पर होता है जिससे मोतियाबिंद की समस्या होती है। आंखिर क्या है मोतियाबिंद
हमारी आंख की पुतली के पीछे एक लेंस होता है। पुतली पर पड़ने वाली लाइट को यह लेंस फोकस करता है और रेटिना पर ऑब्जेक्ट की साफ इमेज बनाता है। रेटिना से यह इमेज नर्व्स तक और वहां से दिमाग तक पहुंचती है। आंख की पुतली के पीछे मौजूद यह लेंस पूरी तरह से साफ होता है , ताकि इससे लाइट आसानी से पास हो सके।
कभी-कभी इस लेंस पर कुछ धुंधलापन आ जाता है , जिसकी वजह से इससे गुजरने वाला प्रकाश का रास्ता बंद हो जाता है। इसका नतीजा यह होता है कि पूरी लाइट पास होने पर जो ऑब्जेक्ट इंसान को बिल्कुल साफ दिखाई देता है,अब कम लाइट पास होने की वजह से वही ऑब्जेक्ट धुंधला नजर आने लगता है। लेंस पर होनेवाले इसी धुंधलेपन की स्थिति को मोतियाबिंद कहा जाता है। यह क्लाउडिंग धीरे - धीरे बढ़ती जाती है और मरीज की नजर पहले से ज्यादा धुंधली होती जाती है। मोतियाबिंद के कारण हो सकती हैं ये बीमारियां।
मधुमेह
मधुमेह शरीर के दूसरे अंगों जैसे गुर्दे और हृदय की ही अनेक बीमारियों का कारण ही नहीं है बल्कि आंखों पर भी कई प्रकार से इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। मधुमेह के लगभग 80 प्रतिशत रोगियों को जीवन में आंखों की किसी न किसी समस्या का सामना अवश्य करना पड़ता है। आंखों की इन समस्याओं में प्रमुख हैं− डायबेटिक रेटिनोपैथी, मोतियाबिंद तथा काला मोतिया। मधुमेह के कारण होने वाली इन बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है कि मधुमेह के रोगी समय−समय अपनी आंखों की जांच कराते रहें और कोई भी दिक्कत सामने आते ही उसका इलाज करवाना शुरू कर दें। कुछ मरीजों में लैंस में धुंधलापन आ जाता है, उसकी पारदर्शिता खत्म हो जाती है इसे डायबिटिक कैटरैक्ट कहते हैं।
यूवाइटिस
यूवाइटिस एक प्रकार की सूजन है जो यूवेइआ में होते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं जिनमें ट्रामा या संक्रमण भी एक हैं। इस बीमारी के कोई भी ज्ञात कारण नहीं है। मोतियाबिंद की समस्या उन लोगों में ज्यादा होती है जो जो यूवाइटिस से ग्रस्त होते हैं। यूवाइटिस अमेरिका, यूरोप और अन्य विकसित देशों में तेजी से फैल रही है। भारत में भी इस बीमारी के मरीजों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है। दुनिया में यूवाइटिस को कैंसर से भी खतरनाक माना जा रहा है।
मायोपिया में मोतियाबिंद का खतरा अधिक
जो लोग उच्च निकट दृष्टि दोष (मायोपिया) से प्रभावित होते हैं उनमें मोतियाबिंद का खतरा कहीं अधिक होता है। डॉक्टर के मुताबिक बचपन में देखने की क्षमता का विकास होता और किशोरावस्था में आंख की लंबाई बढ़ती है लेकिन निकट दृष्टि दोष होने की वजह से यह कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में आंख में जानेवाला प्रकाश रेटिना पर केंद्रित नहीं होता। इसी वजह से तस्वीर धुंधली दिखाई देती है। इस दोष को कॉंटैक्ट लेंस या सर्जरी से ठीक कराया जा सकता है।

अक्सर महिलाएं हर महीने होने वाले पीरियड्स के दर्द से परेशान रहती हैं। इस दर्द से राहत पाने के लिए वो कभी पेनकिलर का भी सहारा लेती हैं। अगर आप भी दर्द से राहत पाने के लिए पेनकिलर लेती हैं तो सावधान हो जायें। ये आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में जानते हैं 5 ऐसे आसान घरेलू उपाय जो आपको हर महीने आने वाले इस दर्द से राहत पहुंचा सकते हैं।
तेजपत्ता
बहुत कम ही लोगों को पता होता है कि तेजपत्ता पीरियड्स के दर्द के अलावा सेहत से जुड़ी आपकी कई परेशानियों को खत्म कर सकता है। बता दें, महावारी के दौरान होने वाले दर्द को दूर करने के लिए कई महिलाएं इसका इस्‍तेमाल करती हैं.
हॉट बैग
अगर पीरियड्स के दौरान आपके पेट में बहुत दर्द हो रहा है तो आप राहत पाने के लिए हॉट बैग का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके लिए आपको हॉट बैग पेट के उस हिस्से पर रखना है जहां आप दर्द महसूस कर रही हों.
कैफीन से करें परहेज
कैफीन का अधिक सेवन शरीर में एसिडिटी की संभावना बढ़ा देता है। इसकी वजह से भी आपको परेशानी हो सकती है। ऐसे में इस खास समय कैफीन का सेवन कम करें।
नमक से बनाएं थोड़ी दूरी
पीरियड्स में ब्लॉटिंग होना स्वाभाविक बात है। ऐसे में अगर आप पीरियड्स से कुछ समय पहले ही नमक का सेवन कम कर देती हैं तो आपकी किडनी को अत्यधिक पानी निकालने में मदद मिलने के साथ आपको दर्द में भी राहत मिलेगी।
तले भोजन से करें परहेज
महावारी के दौरान होने वाले दर्द को कम करने के लिए सबसे पहले खाने पर थोड़ा नियंत्रण करें। इस समय खास तौर पर तले भोजन से परहेज करें। हरी सब्जियों के साथ फल भी आहार में शामिल करें।
एक्‍सरसाइज को रूटीन में करें शामिल
अपने डेली रूटीन में हल्‍की एक्‍सरसाइज को शामिल करने से आपको दर्द में राहत मिलेगी। एक्‍सरसाइज करने से आपकी ब्लॉटिंग की समस्या कम हो जाएगी। ब्लॉटिंग की वजह से ही दर्द महसूस होता है। ऐसे में हल्का व्यायाम करने से आप राहत का अनुभव करेंगी।

अस्थमा फेफड़ों की एक गंभीर बीमारी होती है। अस्थमा के मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। अस्थमा में श्वास नलियों में सूजन आ जाती है और श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है। बाहरी और आंतरिक अस्थमा दो तरह का होता है। बाहरी अस्थमा धूल जैसे बाहरी एलर्जिक चीजों के कारण होता है। वहीं, आंतरिक अस्थमा में सांसों के जरिए रासायनिक तत्वों के शरीर में अंदर जाने से होता है। अस्थमा की बीमारी का सही समय पर इलाज न किया जाए तो ये जानलेवा साबित होता है। अस्थमा की बीमारी में लो-सोडियम डायट बहुत असरकारक होती है। अस्थमा की बीमारी का सही समय पर इलाज न किया जाए तो ये जानलेवा साबित होता है। अस्थमा की बीमारी में लो-सोडियम आहार लें।
ऐसे करें उपचार
अस्थमा की बीमारी में लो-सोडियम डायट बहुत फायदेमंद साबित होती है। अस्थमा की समस्या होने पर रोजाना सेंधा नमक खाने से आराम मिलता है। इसके साथ ही नमक के पानी से गरारा करने से सूजन, दर्द, सूखी खांसी आदि में राहत मिलता है। इसके अलावा ताजा और फ्रोजन सब्जियों को बिना सॉस के खाने से फायदा होता है। वहीं, ड्राई फ्रूट्स भी अस्थमा को ठीक करने में सहायक होता है।
लक्षण
बलगम वाली खांसी या सूखी खांसी आना
सीने में जकड़न होना।
व्यायाम के दौरान स्‍वास्‍थ्‍य और ज्‍यादा खराब हो जाना।
जोर-जोर से सांस लेने से थकान होना।
सांस लेने में कठिनाई होना।
सांस लेते समय आवाज आना।
ठंडी हवा में सांस लेने से हालत गंभीर होना।
कारण
कारखानों, वाहनों से निकलने वाले धुंआ से
सर्दी, फ्लू, धूम्रपान, मौसम में बदलाव के कारण
एलर्जी वाले फूड्स से
पेट में एसिड की मात्रा अधिक होने से
दवाइयों, शराब के सेवन से
आनुवांशिक कारण से

सेहतमंद रहने और खाने को स्वादिष्ट बनाने में नमक की अहम भूमिका होती है। नमक का सही मात्रा में सेवन करना अच्छी सेहत के लिए बहुत जरूरी होता है। नमक के सेवन में थोड़ी भी कमी या अधिकता सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है। आइए जानते हैं नमक से शरीर पर किस तरह का असर होता है।
बिना पका हुआ नमक खाने से सेहत को नुकसान-
नमक के अधिक सेवन से ब्लड प्रेशर, मोटापा और अस्थमा तक होने की संभावना रहती है लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि बिना पका हुआ नमक खाने से दिल और किडनी की बीमारी होने का खतरा भी अधिक होता है।
खाने पर नमक छिड़कना सेहत के लिए खतरनाक
पके हुए खाने पर ऊपर से नमक छिड़क कर खाने से कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल, पकने के बाद नमक में मौजूद आयरन आसानी से एब्जॉर्ब हो जाता है जबकि, कच्चे नमक के सेवन से शरीर पर प्रेशर पड़ता है, जिससे ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाती है।
क्या नमक का कम सेवन भी हानिकारक है?
जिस तरह नमक का अधिक सेवन शरीर को नुकसान पहुंचाता है, ठीक उसी तरह शरीर में नमक की कमी होने से भी शरीर को नुकसान पहुंचता है
कितना नमक जरुरी
हर व्यक्ति को एक दिन में सिर्फ 2 छोटे चम्मच ही नमक का सेवन करना चाहिए। वहीं, जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की समस्या है उनको दिनभर में सिर्फ आधे चम्मच नमक का ही सेवन करना चाहिए।
नमक के अधिक सेवन से प्यास कम और भूख ज्यादा लगती है। इससे ये साफ पता चलता है कि नमक का अधिक सेवन सेहत को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है।

मधुमेह यानी डायबिटीज से पीड़ित लोगों को दिल की बीमारियों के साथ ही कई और गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। टाइप-2 डायबिटीज वाले लोगों में लगभग 58 प्रतिशत मौतें हृदय संबंधी परेशानियों के कारण ही होती हैं। मधुमेह के साथ जुड़े ग्लूकोज के उच्च स्तर से रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है, जिससे रक्तचाप और नजर, जोड़ों में दर्द तथा अन्य परेशानियां हो जाती हैं।
चिकित्सक के अनुसार, टाइप-2 मधुमेह सामान्य रूप से वयस्कों को प्रभावित करता है, पर अब यह बीमारी युवाओं में भी तेजी से बढ़ रही है। मधुमेह के कारण युवा गुर्दे की क्षति और हृदय रोग के साथ-साथ कई :रोगों के शिकार हो सकते हैं।
युवाओं के मधुमेह से ग्रस्त होने का कारण प्रोसेस्ड और जंक फूड का सेवन है। मोटापा तथा निष्क्रियता। समय पर ढंग से जांच न कर पाना और डॉक्टर की सलाह का पालन न करना भी रोग को बढ़ा सकता है।
वहीं लोगों में धारणा है कि टाइप-2 मधुमेह वाले युवाओं को इंसुलिन की जरूरत नहीं होती है, इसलिए ऐसा लगता है कि यह भयावह स्थिति नहीं है पर ऐसा सोचना गलत है। इस स्थिति में तत्काल उपचार और प्रबंधन की जरूरत होती है। टाइप-2 डायबिटीज वाले युवाओं में कोई शुरुआती लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। यदि कुछ दिखते भी हैं, तो वे आमतौर पर हल्के हो सकते हैं।
इस प्रकार की बीमारी से बचने के लिए युवा अपनी जीवनशैली में बदलाव ला सकते है।
खाने में स्वस्थ खाद्य पदार्थ ही शामिल करें।
प्रतिदिन तेज रफ्तार में टहलें।
अपने परिवार के साथ अपने स्वास्थ्य और मधुमेह व हृदय रोग के जोखिम के बारे में बात करें।
यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे छोड़ने की पहल करें।

ज्यादातर घरों में अदरक रोजाना इस्तेमाल होता है। खाने का स्वाद बढ़ाने से लेकर अचार में इस्तेमाल होने वाला अदरक सर्दी खांसी में भी इसका सेवन किया जाता है। आयुर्वेद में भी अदरक की कई खूबियां बताई गई हैं। आप सबने इसके फायदों के बारे में तो बहुत सुना लेकिन कुछ लोगों के लिए यह जहर के रूप में काम करता है।
सबसे पहले जो लोग अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं, उन लोगों को अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि अदरक भूख कम करता है, जो वजन कम करने में मदद करता है। तो अगर आप वजन बढ़ाना चाहते हैं तो इसका सेवन से आप पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
हीमोफीलिया से ग्रसित लोगों के लिए अदरक का सेवन जहर के समान होता है, क्योंकि अदरक खाने से खून पतला होने लगता है, जो उनके शरीर के लिए अच्छा नहीं होता है। ऐसे लोगों को अदरक से कोसों दूर रहना चाहिए।
प्रेग्नेंसी के शुरूआती दौर में महिलाओं के लिए अदरक का सेवन करना अच्छा होता है, क्योंकि यह मॉर्निंग सिकनेस और कमजोरी को दूर करने में मदद करता है। वहीं आखिरी तिमाही महीनों में प्रेग्नेंट महिलाओं को अदरक के सेवन से बचना चाहिए, क्योंकि इसके सेवन से प्रीमेच्योर डिलीवरी और लेबर का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है।
जो लोग नियमित दवाइयों पर रहते हैं, ऐसे लोगों को अदरक खाने से बचाव करना चाहिए। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दवाइयों में मौजूद ड्रग्स जैसे बेटा-ब्लॉकर्स, एंटीकोगुलैंट्स और इंसुलिन अदरक के साथ मिलकर खतरनाक मिश्रण बनाते हैं, जो शरीर को हानि पहुंचाते है।

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