newscreation

newscreation

सरस्वती, नृत्य भाव में गणपति, महिषासुर मर्दिनी, नवदुर्गा, वीणाधारिणी, यम, कुबेर, वायु, इन्द्र, वरूण, प्रणय भाव में युगल, अंगड़ाई लेते हुए व दर्पण निहारती नायिका, शिशु क्रीडा, वादन, नृत्य आकृतियां एवं पूजन सामग्री सजाये रमणी आदि कलात्मक प्रतिमाओं का अचंभित कर देने वाली मूर्तियों का खजाना और आदित्य स्थापत्य कला को अपने में समेटे जगत का अम्बिका मंदिर राजस्थान के मंदिरों की मणिमाला का मोती कहा जा सकता है। मूर्तियों का लालित्य, मुद्रा, भाव, प्रभावोत्पादकता, आभूषण, अलंकरण, केशविन्यास, वस्त्रों का अंकन और नागर शैली में स्थापत्य का आकर्षण इस शिखरबंद मंदिर को खजुराहो और कोणार्क मंदिरों की श्रृंखला में ला खड़ा करता है। मंदिर के अधिष्ठान, जंघाभाग, स्तम्भों, छतों, झरोखों एवं देहरी का शिल्प−सौन्दर्य देखते ही बनता है।
 
जगत का अम्बिका मंदिर राजस्थान में उदयपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर गिर्वा की पहाडि़यों के बीच बसे कुराबड़ गांव के समीप अवस्थित है। मंदिर परिसर करीब 150 फीट लम्बे ऊंचे परकोटे से घिरा है। पूर्व की ओर प्रवेश करने पर दुमंजिले प्रवेश मण्डप पर बाहरी दीवारों पर प्रणय मुद्रा में नर−नारी प्रतिमाएं, द्वार स्तम्भों पर अष्ठमातृका प्रतिमाएं, रोचक कीचक आकृतियां तथा मण्डप की छत पर समुद्र मंथन के दृश्यांकन दर्शनीय हैं। छत का निर्माण परम्परागत शिल्प के अनुरूप कोनों की ओर से चपटे एवं मध्य में पद्म केसर के अंकन के साथ निर्मित है। मण्डप में दोनों ओर हवा और प्रकाश के लिए पत्थर से बनी अलंकृत जालियां ओसियां देवालय के सदृश्य हैं।
 
प्रवेश मण्डप और मुख्य मंदिर के मध्य खुला आंगन है। प्रवेश मण्डप से मुख्य मंदिर करीब 50 फुट की दूरी पर पर्याप्त सुरक्षित अवस्था में है। मंदिर के सभा मण्डप का बाहरी भाग दिग्पाल, सुर−सुंदरी, विभिन्न भावों में रमणियों, वीणाधारिणी, सरस्वती, विविध देवी प्रतिमाओं की सैंकड़ों मूर्तियों से सज्जित है। दायीं ओर जाली के पास सफेद पाषाण में निर्मित नृत्य भाव में गणपति की दुर्लभ प्रतिमा है। मंदिर के पार्श्व भाग में बनी एक ताक में महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उत्तर एवं दक्षिण ताक में भी विविध रूपों में देवी अवतार की प्रतिमाएं नजर आती हैं। मंदिर के बाहर की दीवारों की मूर्तियों के ऊपर एवं नीचे कीचक मुख, गज श्रृंखला एवं कंगूरों की कारीगरी देखते ही बनती है। प्रतिमाएं स्थानीय पारेवा नीले−हरे रंग के पाषाण में तराशी गई हैं।
 
गर्भ गृह की परिक्रमा हेतु सभा मण्डप के दोनों ओर छोटे−छोटे प्रवेश द्वार बनाए गए हैं। गर्भ गृह की विग्रह पटि्टका मूर्तिकला का अद्भुत खजाना है। यहां द्वारपाल के साथ गंगा, यमुना, सुर−सुंदरी, विद्याधर एवं नृत्यांगनाओं के साथ−साथ देवप्रतिमाओं के अंकन में शिल्पियों का श्रम देखते ही बनता है। गर्भ गृह की देहरी भी अत्यन्त कलात्मक है। गर्भ गृह में प्रधान पीठिका पर अम्बिका माता की प्रतिमा स्थापित है।
 
मध्यकालीन गौरवपूर्ण मंदिरों की श्रृंखला में सुनियोजित ढंग से बनाया गया जगत का अम्बिका मंदिर मेवाड़ के प्राचीन उत्कृष्ठ शिल्प का नमूना है। जीवन की जीवंतता एवं आनंदमयी क्षणों की अभिव्यक्ति मूर्तियों में स्पष्ट दर्शनीय है। यहां से प्राप्त प्रतिमाओं के आधार पर इतिहासकारों का मानना है कि यह स्थान पांचवी व छठी शताब्दी में शिव−शक्ति संप्रदाय का महत्वपूर्ण केन्द्र रहा है। इसका निर्माण खजुराहो में बने लक्ष्मण मंदिर से पहले करीब 960 ईस्वी के आसपास माना जाता है। मंदिर के स्तम्भों पर उत्कीर्ण लेखों से पता चलता है कि ग्यारहवीं शताब्दी में मेवाड़ के शासक अल्लट ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। यहां देवी को अम्बिका कहा गया है। धार्मिक महत्व की दृष्टि से यह प्राचीन शक्तिपीठ है।

 

 
मंदिर को पुरातत्व विभाग के अधीन संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है। यद्यपि इस मंदिर को देखने के लिए उदयपुर से पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंचते हैं, तथापि पुरातत्व, मूर्ति एवं शिल्पकला में रूचि रखने वालों के लिए मंदिर का विशेष महत्व है।
 
आखिर हम कब तक उन विधर्मी आक्रांताओं को ढोते रहेंगे जिन्होंने न केवल हमारी अकूत धन दौलत को जमकर लूटा खसोटा वरन् हमारी महान संस्कृति को नष्ट करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। खून की नदियां बहाने वाले इन आक्रांताओं द्वारा हमारे धार्मिक स्थलों को नेस्तनाबूद करने दृष्टि से तोड़ा व ढहाया गया। हमारे ज्ञान के मंदिरों को बुरी तरह जलाया व तहस-नहस किया गया। लाखों सनातन धर्मियों का ऐन-केन-प्रकारेण धर्म परिवर्तन कराया गया। नामालूम कितनी भारतीय नारियों को सतीत्व की रक्षा के लिये अपने को अग्नि के हवाले करना पड़ा। 
 
ऐसे जिन विधर्मी आक्रांताओं ने क्रूरता, निर्ममता की सारी हदें पार कर दी थी उनमें ही एक तुर्क लुटेरा सम्प्रति कुतुबुद्दीन ऐवक का सेनापति बख्तियार बिन खिलजी भी था। भारतीय इतिहास में बख्तियार की कू्ररता, निर्ममता अन्य खूंखार विधर्मी आक्रांताओ की तुलना में इसलिये कहीं अधिक जघन्य, अक्षम्य मानी जाती है कि उसने न केवल सैकड़ों मूर्धन्य शिक्षकों व हजारों विद्यार्थियों को मौत के घाट उतार दिया था वरन् उसने दुनिया के महानतम शिक्षा केन्द्र नालंदा विश्व विद्यालय को तहस-नहस कर उसके ज्ञान के केन्द्र तीन पुस्तकालयों को जलाकर खत्म कर दिया था। 
भारतीय राजधानी पटना से करीब 120 किलोमीटर व राजगीर से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर उसके एक उपनगर के रूप में स्थिति नालंदा विश्व विद्यालय की स्थापना 450-470 ई० के बीच गुप्त शासक के कुमार गुप्त प्रथम ने की थी। इसमें देश ही नहीं दुनिया के अनेक देशों से विद्यार्थी विभिन्न विषयों में अध्ययन हेतु आया करते थे। जिस समय 1999 ई० में बख्तियार बिन खिलजी ने कोई 200 घुड़सवार आतताई लुटेरों के साथ नालंदा विश्व विद्यालय पर हमला बोला था उस समय वहां कोई 20 हजार छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे थे और कोई 200 महान शिक्षक उन्हे शिक्षा देने में लगे थे। देखते ही देखते उसके खूंखार साथी लूटेरों ने निहत्थे शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को गाजर-मूली की तरह काट डाला और तीनों पुस्तकालयों को आग के हवाले कर दिया। इन पुस्तकालयों में उस समय कितनी पुस्तके रही होगी इसकी परिकल्पना सिर्फ  इससे की जा सकती है कि उपरोक्त पुस्तकालय 6 महीने तक घूरे की तरह सुलगते रहे थे। 
 
दुनिया का कोई और देश होता तो हमारे ज्ञान की थाती को राख कर देने वाले आतताई बख्तियार का नाम लेना तो दूर उस पर थूकता तक नहीं। पर आजादी के 70 सालों बाद भी उसके नाम पर स्थापित 'बख्तियारपुर' रेलवे जक्शन उसकी क्रूरता की न केवल चीख-चीख कर गवाही देता है वरन् वो हमारे शासकों के राष्ट्र प्रेम व राष्ट्र के प्रति समर्पण पर भी प्रश्न चिन्ह खड़े करता है। 
 
जो बिहार की धरती कभी शक्ति, ज्ञान का केन्द्र हुआ करती थी। जिस धरती ने यदि कुमार गुप्त, चन्द्र गुप्त, अशोक जैसे सम्राट, चाणक्य जैसे महान विद्वान दिये तो उसी धरती ने महात्मा बुद्ध जैसे बौद्ध धर्म के प्रवर्तक भी दिये। 
 
देश की आजादी के बाद इसी धरती ने देश को जहां डॉ० राजेन्द्र प्रसाद जैसा राष्ट्रपति दिया तो इसी धरती ने देश में समग्र क्रांति के दूत के रूप में बाबू जय प्रकाश नारायण को भी। रामधारी सिंह दिनकर, देवकी नन्दन खत्री तथा नागार्जुन जैसे साहित्य शिरोमणि बिहार की धरती की देन रहे है। 
 
अंतत: अपने एक सहायक के हाथो मौत के घाट उतारे गये आतताई बख्तियार ने जीते जी सोचा भी न होगा कि जिस बिहार धरती को उसने खून से लाल कर दिया था उसी बिहार की धरती एक दिन उसे गाजी बाबा मान पूजा अर्चना करेंगी व हिन्दू महिलायें उसकी भटकती, अशांत रूह से अपने बाल बच्चों के कल्याण की मन्नते मांगेंगी।
 
आजादी के बाद बिहार में न जाने कितनी सरकारें आई गई। कितने मुख्यमंत्री बने बिगड़े पर किसी ने भी क्रूरता की सभी सीमायें लांघने वाले आतताई बख्तियार के नाम पर बने 'बख्तियारपुर' रेलवे जक्शन का नाम बदलने की जहमत नहीं उठाई। 
 
विगत कई वर्षो से बिहार की सत्ता का केन्द्र बिन्दु बने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की न केवल कर्मभूमि 'बख्तियारपुर' बनी हुई है वरन् इनका यही जन्म स्थान भी है। भारतीय इतिहास को कलंकित करने वाले इस क्रूरतम लुटेरे व हत्यारे बख्तियार के बारे में उन्हे जानकारी न हो यह सोचा भी नहीं जा सकता। पर यदि उन्होने भी बख्तियार के नाम पर बने बख्तियारपुर रेलवे जक्शन का नाम बदलने का प्रयास तक नहीं किया तो नि:संदेह यही माना जायेगा कि उन्हे राष्ट्र के खासकर बिहार के मान-सम्मान की कोई चिंता नहीं है। 
 
अब भी समय है नीतीश जी बिना क्षण गंवाये आतताई बख्तियार के नाम पर उसकी कू्ररता की याद दिलाने वाले बख्तियारपुर रेलवे जक्शन का तत्काल नाम बदलने की घोषणा कर दें वरन् ऐसा मौका शायद ही कभी उनके हाथ आयेगा। यह सुकृत्य करने में उन्हे इसलिये और भी आसानी होगी कि उनकी सत्ता में वो भाजपा भागीदार है जो राष्ट्रवाद के नाम पर उन्हे समर्थन व सहयोग देने में पीछे न हटेगी। 
 
- शिवशरण त्रिपाठी

मुंबई। फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे’ को मराठा मंदिर में लगे हुए 23 वर्ष हो गए हैं और उसने यहां अपने प्रदर्शन के, लगातार 1200 हफ्ते पूरे कर लिए हैं। शाहरुख खान और काजोल अभिनित यह फिल्म वर्ष 1995 में रिलीज हुई थी। शाहरुख ने बुधवार को ट्विटर पर इस प्यार के लिए सभी का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने लिखा, ‘‘23 वर्ष पहले शुरू हुआ यह खास सफर आज भी जारी है। आपके प्यार ने राज और सिमरन के प्यार को बड़े पर्दे पर लगातार 1200 हफ्ते तक जिंदा रखा। इतने वर्षों से बिना शर्त के हमसे प्यार करने के लिए शुक्रिया। ‘डीडीएलजे’ के 23 वर्ष..।’’ अदाकारा काजोल ने भी ट्वीट में लिखा, ‘‘1200 हफ्ते पूरे और सफर अब भी जारी है। ‘डीडीएलजे’ को इतने वर्षों तक प्यार देने के लिए आप सभी का शुक्रिया। ‘डीडीएलजे’ कई ... कई वर्षों के लिए...। हम सभी के लिए वह थी, वह है और हमेशा एक खास फिल्म रहेगी।’’आदित्य चोपड़ा के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने वर्ष 2015 में 20 वर्ष पूरे किए थे।

मुंबई। तेलुगु की सुपरहिट फिल्म ‘अर्जुन रेड्डी’ के हिन्दी रीमेक का शीर्षक ‘कबीर सिंह’ होगा। फिल्म में शाहिद कपूर और कियारा आडवाणी मुख्य भूमिका में हैं। यह फिल्म 21 जून 2019 को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। इस फिल्म का निर्देशन संदीप वनगा कर रहे हैं जो इसके तेलुगु संस्करण के भी निर्देशक हैं। इसका निर्माण टी-सीरीज और सिने1 स्टूडियोज़ कर रहे हैं। ।
 
 वनगा ने एक बयान में कहा कि जब हमने हिन्दी पटकथा पर काम शुरू किया तो यह बेहद रोमांचक सफर रहा। ‘कबीर सिंह’ चरित्र के अनुरूप नायक के नाम के रूप में स्वाभाविक रूप से आया। कबीर सिंह में वही बात है जो अर्जुन रेड्डी में थी। इस फिल्म की शुटिंग मुंबई, दिल्ली और मसूरी में होगी। शाहिद इस फिल्म में पांच अलग-अलग लुक में नजर आएंगे और वह पिछले तीन महीने से इसकी तैयारी कर रहे हैं। 

नयी दिल्ली। एक बार फिर फिट हो चुके केदार जाधव ने कहा कि वेस्टइंडीज के खिलाफ बाकी बचे तीन एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों के लिए भारतीय टीम में नहीं चुने जाने के बारे में उन्हें जानकारी नहीं दी गयी जिसके बाद मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद को कहना पड़ा कि इस बल्लेबाज को चोटिल होने के उनके पुराने इतिहास के कारण टीम में नहीं चुना गया। देवधर ट्राफी के बीच में जाधव को भारत ए टीम में जगह दी गई क्योंकि चयनकर्ता उनकी वापसी पर फैसला करने से पहले उनकी फिटनेस परखना चाहते थे।

 
तीन राष्ट्रीय चयनकर्ताओं की मौजूदगी में जाधव ने 25 गेंद में नाबाद 41 रन की पारी खेली और पांच ओवर भी फेंकते हुए अपना दावा पेश किया लेकिन देवधर ट्राफी मैच के दौरान घोषित हुई टीम में महाराष्ट्र के इस खिलाड़ी को जगह नहीं दी गई। जाधव से जब यह पूछा गया कि वेस्टइंडीज के खिलाफ बाकी बचे तीन मैचों में उनके चयन को लेकर किसी तरह की जानकारी दी गई तो उन्होंने कहा, ‘‘मुझे इसकी जानकारी नहीं है।’’ 
 
पुणे के इस 33 साल के खिलाड़ी ने कहा, ‘‘देखते हैं क्या होता है। मुझे यह बताने वाले आप पहले व्यक्ति हैं। मुझे यह देखने कि जरूरत है कि उन्होंने मुझे क्यों नहीं चुना। मैं टीम में नहीं था इसलिए मुझे नहीं पता कि क्या योजना है। संभवत: मैं रणजी ट्राफी में खेलूंगा।’’ प्रसाद ने चयनकर्ताओं का बचाव करते हुए कहा कि जाधव को वापसी के लिये अधिक घरेलू मैचों में खेलना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमने केदार को फिटनेस के उनके इतिहास को देखते हुए नहीं चुना। इससे पहले भी कुछ अवसरों पर उन्होंने फिट होकर वापसी की लेकिन फिर चोटिल हो गये जैसे कि पिछले महीने एशिया कप में हुआ।’’ 

पुणे। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी को वेस्टइंडीज के साथ भारत में होने वाली टी20 मैचों के लिए चुनी गई टीम में शामिल नहीं किया गया है। शुक्रवार को हुई टीम की घोषणा में वेस्टइंडीज के साथ घरेलू मैदानों पर और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ विदेश में होने वाले टी20 मैचों की भारतीय टीम में धोनी को जगह नहीं दी गई है। एक अन्य बड़े फैसले में कप्तान विराट कोहली को वेस्टइंडीज के खिलाफ टी20 मैचों में आराम दिया गया है । उनकी जगह रोहित शर्मा टीम की कप्तानी करेंगे।

शुक्रवार देर शाम एमएसके प्रसाद की अध्यक्षता वाली चयन समिति की बैठक में ये फैसले लिए गए। समिति ने कहा कि धोनी को ‘‘आराम’’ दिया गया है और भारत अब दूसरे विकेटकीपर की जगह भरने पर ध्यान दिया जा रहा है । भारत ने 2007 में धोनी की कप्तानी में टी20 विश्व कप जीता था। लेकिन जब यह पूछा गया कि क्या धोनी का टी20 करियर खत्म हो गया है, प्रसाद ने कहा, ‘‘अभी नहीं।’’।

प्रसाद ने कहा, ‘‘हम दूसरे विकेटकीपर की जगह के लिए अन्य कीपरों को परखना चाहते हैं।’’शुक्रवार को घोषित टीम में शामिल दो विकेटकीपर हैं ऋषभ पंत और दिनेश कार्तिक। ऑस्ट्रेलिया के साथ 21 नवंबर से तीन टी20 मैच खेले जाने हैं। उसके बाद चार टेस्ट मैचों और तीन एक दिवसीय मैचों की ऋंखला खेली जानी है।

वेस्टइंडीज के साथ टी20 मैच के लिए टीम इस प्रकार है– रोहित शर्मा (कप्तान), शिखर धवन, के– एल– राहुल, दिनेश कार्तिक, मनीष पांडेय, श्रेयस अय्यर, ऋषभ पंत (विकेटकीपर), क्रुणाल पांड्या, वाशिंगटन सुन्दर, युजवेंद्र चहल, कुलदीप यादव, भुवनेश्वर कुमार, जसप्रीत बुमरा, खलील अहमद, उमेश यादव और शाहबाज नदीम।

ऑस्ट्रेलिया के साथ टेस्ट मैच ऋृंखला के लिए टीम है– विराट कोहली (कप्तान), मुरली विजय, के– एल– राहुल, पृथ्वी शॉ, चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्या राहाणे, हनुमा विहारी, रोहित शर्मा, ऋषभ पंत, पार्थिव पटेल, आर– अश्विन, रविन्द्र जडेजा, कुलदीव यादव, मोहम्मद शमी, इशांत शर्मा, उमेश यादव, जसप्रीत बुमरा और भुवनेश्वर कुमार ।

 

ऑस्ट्रेलिया के साथ टी20 मैच ऋृंखला के लिए टीम है– विराट कोहली (कप्तान), रोहित शर्मा (उपकप्तान), शिखर धवन, के– एल– राहुल, श्रेयस अय्यर, मनीष पांडेय, दिनेश कार्तिक, ऋषभ पंत (विकेटकीपर), कुलदीप यादव, युजवेंद्र चहल, वाशिंगटन सुन्दर, क्रुणाल पांड्या, भुवनेश्वर कुमार, जसप्रीत बुमरा, उमेश यादव और खलील अहमद।

लंदन। ब्रिटेन की सरकार ने गुरुवार को घोषणा की कि महिलाएं अब जल्द ही ब्रिटिश सेना के किसी भी पद के लिए आवेदन कर सकेंगी, जिनमें एसएएस जैसी प्रतिष्ठित इकाई भी शामिल है। इस फैसले को ‘‘ऐतिहासिक’’ बताते हुए ब्रिटेन के रक्षा मंत्री गेविन विलियमसन ने कहा कि सेना में पहले से ही काम कर रही महिलाएं अब उसमें महत्त्वपूर्ण पदों को संभालकर अपनी भूमिका निभा सकेंगी।

 इस बीच, उन्होंने कहा कि नई भर्ती के तहत महिलाएं उन पदों के लिए दिसंबर से आवेदन कर सकती हैं। इनमें रॉयल मरीन्स जैसी शाखाएं भी शामिल हैं, जिसके बुनियादी प्रशिक्षण अगले साल अप्रैल में शुरू होने जा रहे हैं। प्रशिक्षण मिल जाने के बाद महिला सैनिक ‘स्पेशल एयर सर्विस (एसएएस)’ जैसी सेना की महत्त्वपूर्ण इकाइयों में शामिल होने की कोशिश कर सकती हैं।

वाशिंगटन। अमेरिकी सेना ने शुक्रवार को नए इंटरसेप्टर सिस्टम का परीक्षण किया और मध्यम दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल को सफलतापूर्ण ध्वस्त कर दिया। अमेरिका ने यह नयी प्रणाली जापान के साथ मिल कर विकसित की है। इंटरसेप्टर सिस्टम के तहत ऐसी मिसाइलें आती हैं जो दुश्मन मिसाइल को लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही उसे रोक कर नष्ट कर देती हैं। मिसाइल डिफेंस एजेंसी (एमडीए) ने एक बयान में कहा कि ‘यूएसएस जॉन फिन’ में सवार सैनिकों ने लक्ष्य का सफलतापूर्वक पता लगाया, उसका पीछा किया और एसएम-3 ब्लॉक 11ए मिसाइल से रॉकेट दाग उसे नष्ट कर दिया। यह परीक्षण हवाई के पश्चिमी तट पर किया गया। इससे पहले जून 2017 और जनवरी 2018 में मिसाइल को रोक कर उसे नष्ट करने के दो परीक्षण असफल रहे थे। एमडीए के निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल सैम ग्रीव्स ने कहा, ‘‘ यह एक उम्दा उपलब्धि थी और एसएम-3 ब्लॉक 11 के लिए सुरक्षित वापस लौटना अहम मील का पत्थर है।’’

गाजा सिटी (गाजा पट्टी)। इजराइली सुरक्षा बलों ने शुक्रवार को पांच फिलस्तीनियों की गोली मार कर हत्या कर दी इनमें से चार को गाजा में जबकि एक को वेस्ट बैंक में गोली मारी गई। इसके बाद फिलस्तीनी विद्रोहियों ने दक्षिणी इजराइल में कई रॉकेट दागे। इजराइल के साथ लगी बाड़ पर विरोध प्रदर्शन के बाद गाजा में घातक प्रदर्शन शुरू हो गए।इसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। इस खूनखराबे के कारण मिस्र के मध्यस्थों के मिशन में मुश्किल आने की आशंका है जिसने शांति हासिल करने और गाजा के हमास शासकों और इजराइल के बीच पूर्ण संघर्ष को रोकने के लिए अपनी कूटनीति तेज की है। शुक्रवार देर शाम इजराइली सेना ने कहा कि गाजा से दक्षिणी इजराइली समुदायों पर 10 से 12 रॉकेट दागे गये। इससे पहले हजारों फिलस्तीनी सीमा से लगे पांच स्थानों पर एकत्र हुये और उन्होंने टायर जलाए एवं इजराइल के सैनिकों पर पत्थर, ग्रेनेड और पटाखा बम फेंके। इस पर इजराइली सैनिकों ने भी आंसू गैस के गोले छोड़े और जवाबी कार्रवाई की।

नयी दिल्ली। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) छोड़ने के करीब एक महीने बाद तारिक अनवर शनिवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। सूत्रों ने बताया कि नयी दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात करने के बाद वह पार्टी में शामिल हुए। सूत्रों ने बताया कि अनवर अपने समर्थकों के साथ गांधी से तुगलक लेन स्थित उनके निवास पर मिले जहां उनका पार्टी में स्वागत किया गया। कटिहार लोकसभा सीट से पूर्व सांसद रहे अनवर दोपहर या शाम तक कांग्रेस पार्टी में शामिल होने की औपचारिक घोषणा कर सकते हैं।

राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर शरद पवार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “बचाव” में उतरने के बाद 28 सितंबर को अनवर ने घोषणा की थी कि वह राकांपा से बाहर हो रहे हैं और अपनी लोकसभा सदस्यता भी छोड़ रहे हैं। मीडिया में कहा गया था कि राफेल सौदा मामले में पवार ने मोदी को क्लीन चिट दी है हालांकि पवार ने सफाई दी थी कि मीडिया में उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया और उन्होंने ऐसी कोई क्लीन चिट मोदी को नहीं दी।कांग्रेस की बिहार इकाई के पूर्व अध्यक्ष रहे अनवर ने पवार और दिवंगत पी ए संगमा के साथ मिलकर 1990 में राकांपा बनाई थी। सोनिया गांधी को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) का अध्यक्ष बनाए जाने के विरोध में उन्होंने इस पार्टी का गठन किया गया था। राकांपा इसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर और महाराष्ट्र में भी कांग्रेस के साथ गठबंधन में रही।
 
  • R.O.NO.13286/69 "
  • R.O.NO. 13259/63 " A

Ads

R.O.NO. 13286/69

MP info RSS Feed

फेसबुक