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विधानसभा सत्र शुरू होने के 24 घंटे पहले तक तय नहीं हो पाया नेता प्रतिपक्ष

रायपुर। छत्तीसगढ़ में विधानसभा सत्र शुरू होने में सिर्फ 24 घंटे बाकी है, लेकिन भाजपा की ओर से नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं हो पाया है। छत्तीसगढ़ राज्य के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब विधायकों की शपथ का कार्यक्रम तय होने के बाद भी नेता प्रतिपक्ष की घोषणा नहीं हो पाई है।

हाल यह है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने अब तक पर्यवेक्षक तक की घोषणा नहीं की है। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो मध्यप्रदेश और राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष के लिए पर्यवेक्षक की घोषणा होनी है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ के पर्यवेक्षक की घोषणा अटक गई है।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक से बताया कि पहले पर्यवेक्षक के नाम की घोषणा दिल्ली से होगी। जब पर्यवेक्षक यहां आएंगे तब ही नेता प्रतिपक्ष तय होंगे। ये प्रक्रिया कब तक होगी, इस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो पर्यवेक्षक नहीं आने के कारण विधायकों के शपथ के बाद भी नेता प्रतिपक्ष की घोषणा हो सकती है।

वर्ष 2013 में विधायकों के शपथ ग्रहण समारोह से पहले ही कांग्रेस ने टीएस सिंहदेव को नेता प्रतिपक्ष घोषित कर दिया था। विधानसभा अध्यक्ष चुने जाने के बाद गौरीशंकर अग्रवाल ने विधानसभा में भाषण दिया। इसके बाद टीएस सिंहदेव ने विधानसभा को संबोधित किया था। इस दौरान वे बंद गले का कोट पहनकर विधानसभा पहुंचे थे।

रमन-बृजमोहन में फंसा पेच

नेता प्रतिपक्ष के लिए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के बीच पेच फंस गया है। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो करीब 11 विधायकों ने बृजमोहन अग्रवाल को नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए केंद्रीय संगठन से सिफारिश की है। इसमें आदिवासी विधायक ननकीराम कंवर भी शामिल हैं। बृजमोहन अग्रवाल पार्टी विधायकों में सबसे वरिष्ठ हैं और लगातार चुनाव जीत रहे हैं। सूत्रों की मानें तो केंद्रीय नेतृत्व अगर आदिवासी नेता प्रतिपक्ष का प्रस्ताव देता है, तो बृजमोहन खेमा ननकीराम कंवर का समर्थन करेगा।

नेता प्रतिपक्ष के लिए क्या है नियम

विधानसभा सचिव चंद्रशेखर गंगराड़े ने बताया कि विधायकों के शपथ ग्रहण से पहले नेता प्रतिपक्ष की जानकारी देने का कोई प्रावधान नहीं है। विपक्ष के नेता की जब जानकारी दी जाती है, विधानसभा में उसकी सूचना जारी कर दी जाती है। विधानसभा अध्यक्ष के पदभार ग्रहण करने के बाद नेता प्रतिपक्ष की जानकारी आवश्यक होती है। उन्होंने बताया कि चार जनवरी के बाद भी भाजपा की ओर से नेता प्रतिपक्ष की जानकारी दी जा सकती है।

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