ईश्वर दुबे
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Bhilai
रायपुर : दूध के सही दाम न मिलने से महासमुंद जिले के गोड़बहाल गांव में पशुपालन लगभग खत्म हो रहा था, लेकिन वहां के सरपंच व ग्रामीणों ने हार नहीं मानी। सरपंच श्री सादराम पटेल ने पहल कर पांच समिति बनाया, दूध से बनने वाले उत्पादों के लिए कुछ ग्रामीणों को ट्रेनिंग दिलायी और आज ये सभी पनीर, खोआ, दही, पेड़ा और राबड़ी को बेचकर अच्छी कमाई कर रहे है। पिथौरा में दुग्ध उत्पाद विक्रय केंद्र नाम से दुकान भी डाली है। गोड़बहाल गौठान में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) में दुग्ध प्रसंस्करण केंद्र स्थापित किया। इसके अलावा माटीकला, पेवर ब्लॉक के साथ महिला समूह वर्णित कम्पोस्ट के साथ ही स्थानीय बाज़ार की मांग अनुसार मसाले, पापड़, अचार, आदि सामग्रिया का उत्पादन कर अपनी आमदनी में अतिरिक्त इजाफा कर रही है।
महासमुंद जिले के पिथौरा से तक़रीबन आठ किलोमीटर दूर गोड़बहाल गाँव में पुरुषों ने पाँच सहकारी समिति द्वारा बनायी। एक समिति में 70 ग्रामीण जुड़े है। इस समिति से जुड़े गोड़बहाल गाँव के ग्रामीण बताते हैं, हमारे गाँव में गाय भैस का दूध समिति अधिक दाम में ख़रीद रही है। समिति से जुड़े लोगों को फ़ायदा हो रहा है। वहीं दुग्ध उत्पाद सामग्री जो शुद्व पनीर बेच रहे वो 340 रुपए किलो, खोवा 320, पेड़ा 360, दही 70 और रबड़ी 340 रुपये किलो की दर से बेच रहे है। माह में सब खर्च के बाद 70 से 80 हजार का मुनाफ़ा हो रहा है।
कलेक्टर श्री निलेशकुमार क्षीरसागर ने डीएमएफ मद से समिति को 2000 लीटर का बल्क मिल्क कूलर उपलब्ध कराया गया है। इससे दूध ख़राब होने की चिंता से मुक्ति मिल गयी है। बिजली अचानक चली जाने पर यह कई घंटे काम करता है और दूध ख़राब नहीं होता है। कलेक्टर ने कहा है कि ज़िले की अधिकांश आबादी खेती किसानी से जुड़ी हुई है। दुग्ध उत्पादन को लेकर स्थिति बहुत अधिक मजबूत हुई है। ज़िले में बढ़ते दुग्ध उत्पादन को देखते हुए सभी पशुपालक खुश हैं। वहीं, उनकी आय बढ़ी है इससे उनकी आर्थिक स्थिति भी बेहतर हुई है। पशु चिकित्सा के क्षेत्र में एन.जी.ओ. के माध्यम से जिले में गोवर्धन सेवा एवं एकीकृत पशुधन विकास केन्द्रो का संचालन किया जा रहा है जिससे पशुओं को उत्तम व समय पर चिकित्सा सुविधा के साथ-साथ नस्ल सुधार कार्य में भी अच्छे परिणाम मिल रहे है। भविष्य में इस सुविधा का अन्य क्षेत्रो में विस्तार किये जाने का प्रयास किया जाएगा। गौठान गोड़बहाल रिपा में दुग्ध प्रसंस्करण केंद्र इसका उदाहरण है। यह ज़िला आकांक्षी ज़िला में शामिल है। दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य विकास निगम ने हाथ बढ़ाया है। जो निश्चित तौर पर पशुपालकों के लिए मददगार साबित हो रहा है।
रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा आदिवासियों को अपनी परंपराओं के बारे में कहने-सुनने का मंच दिलाने के लिए तीन दिवसीय जनजातीय वाचिकोत्सव-2023 आयोजित की गई है। द्वितीय दिवस के आहुत कार्यक्रम में जनजातीय समुदायों के प्रबुद्धजनों ने जनजातीय तीज-त्यौहार, जनजातीय जीवन संस्कार संबंधी एवं जनजातीय समुदाय की उत्पत्ति संबंधी वाचिक परंपरा के संबंध में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हम आस्तिक है न नास्तिक है, हम हैं वास्तविक।
आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान नवा रायपुर में वाचिकोत्सव के दौरान जनजातीय तीज-त्यौहार एवं वाचिक परंपरा, जनजातीय जीवन संस्कार (जन्म, विवाह, मृत्यु इत्यादि) संबंधी वाचिक परंपरा एवं जनजातीय समुदाय की उत्पत्ति संबंधी धारणा एवं वाचिक परंपरा विषय पर प्रदेशभर से आए हुए आदिवासी समुदाय के प्रबुद्धजनों ने कहा कि विभिन्न बोलियां में बोलने वाले लोग हैं और उनके क्षेत्र अनुसार उनकी बोली है। इन समुदाय में उनके आदि पुरूष या पूर्वजों के द्वारा बताई गई कथा, कहानी, लोकोक्ति, देवी-देवताओं की स्तुति विभिन्न अवसरों पर पर्व मनाया जाता है।
जनजातीय जीवन संस्कार में वाचिक परंपरा के संबंध में जनजातीय समाज के लोगों ने सामुदायिक वाचिक परंपरा का अनुसरण करने के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। प्रदेशभर से आए आदिवासी समाज के प्रबुद्धजनों ने कार्यशाला में जनजातीय समुदाय की उत्पत्ति के संबंध में इन समुदायों में उनके आदि पुरूष या पूर्वजों के द्वारा बताई गई कथा, कहानी, लोकोक्ति के माध्यम से लोक गीतों आदि के पीछे छुपी हुई उनकी अवधारणा, मान्यताएं, कहानियों के संबंध में अवगत कराया।
इस अवसर पर जनजातीय आयोग की सदस्य श्रीमती अर्चना पोर्ते, नेशनल बुक ट्रस्ट नई दिल्ली के श्री पंकज चतुर्वेदी, कोण्डागांव निवासी श्रीमती जयमती कश्यप, डॉ. वेदवती मंडावी, श्री प्रमोद पोटाई नारायणपुर सहित अनेक विषय-विशेषज्ञ, प्रबुद्धजन एवं आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।
रायपुर : छत्तीसगढ़ में तेन्दूपत्ता संग्रहण वर्ष 2023 के दौरान अब तक 12 लाख 27 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण किया जा चुका है, जो लक्ष्य के 75 प्रतिशत के करीब है। ज्ञातव्य है कि राज्य में चालू वर्ष के दौरान 16 लाख 72 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता के संग्रहण का लक्ष्य रखा गया है। वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में वनांचल के आदिवासी-वनवासियों द्वारा तेंदूपत्ता का संग्रहण कार्य तेजी से जारी है।
प्रबंध संचालक राज्य लघु वनोपज संघ श्री अनिल राय से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य में अब तक संग्रहित मात्रा में से वनमण्डल बीजापुर में 73 हजार 99 मानक बोरा तथा सुकमा में एक लाख 19 हजार 243 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण शामिल है। इसी तरह वनमण्डल दंतेवाड़ा में 15 हजार 630 मानक बोरा, जगदलपुर में 20 हजार 971 मानक बोरा, दक्षिण कोण्डागांव में 18 हजार 608 मानक बोरा तथा केशकाल में 24 हजार 963 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण हुआ है। वनमण्डल नारायणपुर में 18 हजार 485 मानक बोरा, पूर्व भानुप्रतापपुर में 90 हजार 649 मानक बोरा, पश्चिम भानुप्रतापपुर में 32 हजार 196 मानक बोरा, तथा कांकेर में 33 हजार 342 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण हो चुका है।
इसी तरह वनमण्डल राजनांदगांव में 60 हजार 569 मानक बोरा, खैरागढ़ में 24 हजार 49 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण हुआ है। बालोद में 19 हजार 17 मानक बोरा, कवर्धा में 32 हजार 97 मानक बोरा, वनमण्डल धमतरी में 20 हजार 584 मानक बोरा, गरियाबंद में 77 हजार 570 मानक बोरा, महासमुंद 70 हजार 78 मानक बोरा तथा बलौदाबाजार 15 हजार 949 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण किया गया है। वनमण्डल बिलासपुर में 25 हजार 200 मानक बोरा, मरवाही 10 हजार 683 मानक बोरा, जांजगीर-चांपा में 6 हजार 881 मानक बोरा, रायगढ़ में 49 हजार 23 मानक बोरा, धरमजयगढ़ में 70 हजार 861 मानक बोरा, कोरबा में 43 हजार 705 मानक बोरा तथा कटघोरा में 56 हजार 844 मानक बोरा का संग्रहण हुआ है। इसी तरह वनमण्डल जशपुर में 27 हजार 291 मानक बोरा, मनेन्द्रगढ़ 22 हजार 530 मानक बोरा, कोरिया में 15 हजार 626 और सरगुजा में 20 हजार 595 मानक बोरा, बलरामपुर में 71 हजार 156 मानक बोरा, सूरजपुर में 39 हजार 148 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण हो चुका है।
रायपुर : ऑपरेशन थियेटर में मशीनों की बीप-बीप की आवाज बहुत धीमे से कानों में पड़ती है। लेकिन अबूझमाड़ के 5 हजार वर्ग किलोमीटर इलाके में अब इस आवाज को हर कोई सुन सकेगा। कभी नक्सल आतंक की वजह से गोलियों की थर्राहट पर अब ये आवाजें भारी पड़ने वाली हैं क्योंकि अबूझमाड़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ओरछा में 24 मई बुधवार से ऑपरेशन थियेटर शुरू हो गया है। यहां ऑपरेशन थियेटर की सुविधा शुरू होना इस इलाके के आदिवासियों के लिये किसी सपने से कम नहीं है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम को इस उपलब्धि के लिये बधाई दी है।
बड़ी बात ये कि ओटी शुरू होने के पहले दिन ही 30 मरीजों के ऑपरेशन किये गये। यहां रहने वाले आदिवासियों को ये सुविधा करीब 35 साल बाद मिली है। ओरछा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 1989 में शुरू हुआ था। तब से यहां वनांचल में रहने वाले आदिवासियों को ऑपरेशन के लिये जगदलपुर, जिला मुख्यालय नारायणपुर या फिर महाराष्ट्र जाना पड़ता था।
एक महीने के रिकॉर्ड समय में बना ऑपरेशन थियेटर- अबूझमाड़ के निवासी ओरछा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ऑपरेशन थियेटर का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। खास बात रही कि ये ऑपरेशन थियेटर मात्र एक महीने के रिकॉर्ड में तैयार किया गया है। जिला खनिज न्यास निधि से उक्त ऑपरेशन थियेटर स्वीकृत किया। जिसे बनाने के लिये दिन-रात काम किया गया। नारायणपुर के तत्कालीन कलेक्टर ऋतुराज रघुवंशी ने बताया कि अबूझमाड़ क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों को वहां सब कुछ उपलब्ध है क्योंकि वे प्रकृति के नजदीक बहुत सीमित जरूरतों में रहते हैं। वहां उनके लिये बाजार है, राशन उपलब्ध है लेकिन उनके पास तक स्वास्थ्य सुविधाएं ले जाना बहुत जरूरी था। ऑपरेशन थियेटर बनने से वहां के आदिवासियों का विश्वास शासन-प्रशासन के प्रति और मजबूत होगा।
पहले दिन किये गये ये ऑपरेशन- ऑपरेशन थियेटर के शुरू होते ही पहले दिन में रिकॉर्ड 30 ऑपरेशन किये गये। जिनमें महिला नसबंदी के 13, पुरुष नसबंदी के 8, सिस्ट के 3, हाइड्रोसिल के 2, एमपीटी के 2, इनसीजन ड्रैनेज का 1 और हॉर्निया का 1 ऑपरेशन शामिल है। ऑपरेशन के लिये विशेषज्ञ डॉक्टर्स को बुलाया गया। डॉक्टर्स की टीम में नारायणपुर, कोण्डागांव जिला के विशेषज्ञों को बुलाया गया। ऑपरेशन के पहले दिन सीएमएचओ डॉ टी आर कुंवर, डॉ एस नागुलन, डॉ टीना, डॉ गायत्री मौर्य, डॉ केशव साहू, डॉ सुखराम दोरपा, डॉ वल्लभ ठक्कर और अन्य चिकित्सीय सहयोगियों द्वारा सहयोग किया गया।
जल्द मिलेंगी ये सुविधायें- ओरछा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ऑपरेशन थियेटर शुरू होने के बाद जल्द ही चिकित्सीय सेवाओं और सुविधाओं का विस्तार होने वाला है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का नया भवन बनकर तैयार है, जल्द ही नये भवन में ओपीडी की सुविधा मिलने लगेंगी। पुराने भवन में ऑपरेशन और भर्ती के लिये सुविधाएं भी बढ़ाई जायेंगी। स्वास्थ्य केंद्र में जल्द ही बल्ड बैंक खुलेगा। मरीजों की जांच के लिये सोनोग्राफी की सुविधा भी जल्द मिलने वाली है। जिससे डॉक्टर्स को डायग्नोस करने में आसानी होगी और मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पायेंगी।
अबूझमाड़ नारायणपुर जिले का सुदूर वनांचल इलाका है जो बहुत बड़े इलाके करीब 5 हजार वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों और नक्सल आतंक की वजह से बुनियादी सुविधाएं पहुंचाना बहुत मुश्किल काम था। लेकिन बीते चार साल में नक्सल घटनाओं में कमी के कारण यहां के लोगों के लिये बहुत सी सुविधायें पहुंचाई गयी हैं। अबूझमाड़ के निवासियों के लिये सबसे बड़ी सुविधा मसाहती सर्वे से भी मिली। अभी तक इस इलाके में कोई सर्वे नहीं हो पाया था जिससे हितग्राहियों तक शासकीय योजनायें पहुंचाने में मुश्किलें आतीं थी। लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर मसाहती सर्वे पर बड़ी तेजी से काम किया गया और शासन की योजनाएं अबूझमाड़ के लोगों तक पहुंचने लगी हैं।
बस 14545 डॉयल करिये और घर पहुंचेगा मितान
रायपुर : राशन कार्ड बनवाने के लिये नगरीय निकायों के चक्कर काटना अब बीते जमाने की बात हो गयी है। राशन कार्ड पात्र हितग्राहियों को अब घर बैठ ही मिलेगा। शुक्रवार को मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर राशन कार्ड को मितान योजना में शामिल किया गया है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने स्वयं ट्वीट कर ये जानकारी प्रदेश वासियों को दी। मुख्यमंत्री ने लिखा कि आप सबको बताते हुए खुशी हो रही है कि अब हमने राशन कार्ड को मितान योजना में शामिल करने का निर्णय लिया है। अब राशन कार्ड बनवाने के लिए घर बैठे 14545 पर कॉल कर मितान को घर बुलाना है। मितान योजना मितान योजना नागरिकों के बीच इतनी लोकप्रिय हो चुकी है कि मुख्यमंत्री के ट्वीट करने के बाद करीब 3 हजार से अधिक लोगों ने राशन कार्ड बनवाने के लिये उक्त नंबर पर संपर्क किया। पहले ही दिन मितानों ने 7 हितग्राहियों को राशन कार्ड उनके निवास पर जाकर सौंपे।
अब तक करीब 90 हजार दस्तावेज घर पहुंचाये गये- छत्तीसगढ़ शासन की मुख्यमंत्री मितान योजना के तहत शहरी क्षेत्रों में लोगों को घर बैठे शासकीय सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही है। योजना के तहत अब तक करीब 90 हजार से अधिक नागरिकों ने घर बैठे ही अपने जरूरी शासकीय दस्तावेज प्राप्त किए हैं। मुख्यमंत्री मितान योजना के अंतर्गत अब तक लगभग 1 लाख 89 हजार से अधिक नागरिकों ने मितान योजना के टोल फ्री नम्बर 14545 पर सम्पर्क कर शासकीय दस्तावेजों को प्राप्त करने के संबंध में जानकारी हासिल की है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देशन में एवं नगरीय प्रशासन विकास विभाग द्वारा नागरिकों को सरकारी दस्तावेज बनवाने हेतु घर पहुँच सेवा ’मुख्यमंत्री मितान योजना’ की शुरुआत 01 मई 2022 से प्रदेश के सभी 14 नगर निगमों में प्रारंभ की गई थी।
ये सेवायें घर बैठे मिल रहीं - मितान योजना के अंतर्गत प्राप्त सेवाओं में अब राशन कार्ड भी घर बैठे मिलेगा। अब तक जन्म प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र में सुधार, मृत्यु प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र में सुधार, मूल निवासी प्रमाण पत्र, विवाह पंजीकरण और प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, अन्य पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्र, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र, दुकान और स्थापना पंजीकरण संबंधी दस्तावेज, भूमि की रिकार्ड की नकल, भूमि सूचना (भूमि उपयोग), आधार कार्ड पंजीकरण, (5 वर्ष तक के बच्चों का) आधार कार्ड में पता एवं मोबाइल नंबर में सुधार, पैन नम्बर प्राप्त करने हेतु आवेदन पत्र, पैन अपडेट एवं डुप्लीकेट इत्यादि सेवाएं घर बैठे मितान सेवा से प्राप्त किए जा सकते हैं। इस सेवा से लोगों को श्रम, समय और धन की बचत हो रही है साथ ही प्रमाण पत्रों को प्राप्त करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने से भी निजात मिल रही है। वास्तव में छत्तीसगढ़ में मितान योजना से नागरिक सुविधाओं का विस्तार हुआ है और मितान की सेवाओं से नागरिकों को घर बैठे ही शासकीय सुविधाएं मिल रही हैं ।
ऐसे होती है प्रक्रिया- मुख्यमंत्री मितान योजना से लाभान्वित होने के लिये आवेदक मितान की सेवा के लिये टोल-फ्री नंबर 14545 पर कॉल करता है। इसके बाद अप्वाइंटमेंट बुक किया जाता है। अप्वाइंटमेंट बुक करने के बाद आवेदक को बुकिंग की जानकारी के साथ एक एसएमएस प्राप्त होता है। इसके बाद तय समय और तारीख को मितान आवेदक के घर पहुंचकर आवश्यक दस्तावेज प्राप्त करते हैं। मितान घर पहुंचकर टैबलेट के माध्यम से दस्तावेजों को सत्यापित कर पोर्टल पर अपलोड करते हैं। इसके बाद सत्यापित दस्तावेजों को संबंधित विभागों को ऑनलाइन भेजे जाते हैं जो आवेदक से संबंधित दस्तावेज की समीक्षा के बाद प्रमाण पत्र जारी करते हैं। प्रमाण पत्र जारी होने के बाद मितान एजेंट द्वारा प्रमाण पत्र आवेदक के घर पहुंचा दिया जाता है।
रायपुर : बीते साढ़े चार सालों में हमने छत्तीसगढ़ में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए ऐसी उद्योग नीति बनाई है जिसकी वजह से एनपीए की आशंका ही नहीं है। हमारे यहां सस्ती और पर्याप्त जमीन है। बिजली विपुल मात्रा में उपलब्ध है। सबसे अच्छा आयरन ओर और अन्य संसाधन हमारे यहां हैं। यहां के लोग मेहनतकश और ईमानदार हैं। सड़क नेटवर्क अच्छा है। देश के सभी शहरों से शानदार एयर कनेक्टिविटी है। इस लिहाज से निवेश की सबसे अच्छी संभावनाएं यहां हैं। इसके चलते बड़ी संख्या में बाहर से निवेश यहां हो रहा है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने यह बात नई दिल्ली के लीला होटल में आयोजित मिंट इंडिया पब्लिक पालिसी समिट में चर्चा के दौरान कही। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की पहचान पहले नक्सल हिंसा को लेकर थी। हमने तेज आर्थिक विकास के माध्यम से तथा छत्तीसगढ़ की सुंदरता और सांस्कृतिक समृद्धि को सामने लाकर इस पहचान को बदल दिया। हमने नक्सल इलाकों में विकास, विश्वास और सुरक्षा का वातावरण तैयार किया है। सभी वर्गों को बेहतर आय का अवसर प्रदान किया है जिससे छत्तीसगढ़ निवेश के लिए सबसे बेहतर जगहों में से एक बन गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के समय में छत्तीसगढ़ के किसानों को सबसे ज्यादा कीमत मिल रही है। पिछले साढ़े चार साल से तुलना करें तो दोगुनी धान खरीदी हुई है। मिलेट हम खरीद रहे हैं। पहले लोग गांव से शहर जाते थे अब शहर से गांव आ रहे हैं। अब शहरों की सुविधाएं गांव में मिल रही हैं। बुनियादी सारी सुविधाएं अब गांव में मिल रही है जिससे पलायन रूका है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 44 प्रतिशत जंगल है। यहां लघु वनोपज होते हैं। पहले इसकी उचित कीमत नहीं मिलती थी। हमने उचित कीमत दिलाई। सीमार्ट के माध्यम से भी इसके वितरण की व्यवस्था कराई। वैल्यू एडीशन से अच्छा पैसा मिल रहा है। इससे आय में अच्छी वृद्धि हो रही है। इससे पलायन रूका है। टूरिज्म के हिसाब से देखें तो यहां जो नेचर है बेमिसाल है। चाहे बस्तर जाएं या सरगुजा जाएं, इतना खूबसूरत है कि वर्णन मुश्किल है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए बढ़िया इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को बढ़िया किया। हाट बाजारों में फोकस किया। वहां निःशुल्क जांच और दवा उपलब्ध कराई। शिक्षा के क्षेत्र में चाहे मेडिकल कालेज खोलने की बात हो अथवा अच्छे स्कूल खोलने की, हमने इसे आरंभ किया।
विश्वास जीता, विकास किया और सुरक्षा दी, इस तरह बस्तर में किया कार्य- हमने लोगों का विश्वास जीता, विकास किया और सुरक्षा दी। हमने अपने लोगों से निरंतर संवाद किया। इसका बहुत अच्छा असर हुआ। लोहांडीगुडा में टाटा के लिए जमीन अधिग्रहित की गई थी। उस जमीन को हमने लौटाया। आदिवासियों की उपज खरीदी की व्यवस्था की। वनोपजों की खरीदी की उचित व्यवस्था की। कैंपों में गये, जवानों से मिले। इससे आम जनता से सुरक्षा जवानों का भी संवाद बढ़ा। संवाद से बड़ा बदलाव हुआ और इससे आपसी विश्वास बढ़ा जिससे सुरक्षा कायम हुई। अब लोगों के पास ट्रैक्टर है। आर्थिक स्थिति सुधरने से बड़ा बदलाव आया है। बस्तर के नौजवानों को हमने अवसर प्रदान किये। दंतेवाड़ा में डैनेक्स हमने आरंभ किया है जिसके माध्यम से 1500 लड़कियां काम करती हैं। नौजवानों को काम मिलेगा तो वो हथियार क्यों उठाएंगे।
दर्शकों ने भी मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल से प्रश्न पूछे- एक दर्शक ने मुख्यमंत्री से प्रश्न पूछा- कका मैं विवेक शुक्ला, चूंकि मैं छत्तीसगढ़ से हूँ इसलिए आपको कका बोल रहा हूँ। छत्तीसगढ़ में आप राम को भांजा कहते हैं राम वन गमन पर्यटन परिपथ बना रहे हैं। ऐसा क्यों। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के बारे में जो धारणा बाहर बनी हुई है उसे बदलना था। अपनी सांस्कृतिक पहचान को दुनिया को बताना था। हमने यह तय किया। हमने कौशल्या माता के मंदिर का सौंदर्यीकरण किया, विस्तार किया। हमारे यहां भांजे का पैर छूते हैं क्योंकि भगवान श्रीराम हमारे भांजे हैं। हमारी परंपरा है कि जब मिलते हैं तब राम-राम कहते हैं जब विदा लेते हैं तो राम कहते हैं। श्रीराम ने अपने वनवास का सबसे ज्यादा समय छत्तीसगढ़ में गुजारा। हमने इसलिए राम वन गमन पर्यटन परिपथ विकसित किया। हम लोग पहले चरण में 9 जगहों पर इसे चिन्हित कर विकास कर रहे हैं। राम हमारी छत्तीसगढ़ी संस्कृति में बसे हैं। हमने गायों की सेवा की है। हमने 10 हजार गौठान बनाये हैं और यहां 2 रुपए किलो के हिसाब से गोबर खरीद रहे हैं। जब गोबर खरीदने जाते हैं तो गाय की सेवा भी हो जाती है।
रविवि जहां उपाधि वितरण समारोह में गया, वहां 74 प्रतिशत लड़कियां थीं- अंशुमन चौधरी ने पूछा कि महिलाओं के लिए क्या कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कल ही मैं रविवि में उपाधि वितरण समारोह में गया था। वहां 74 प्रतिशत लड़कियां थी जिन्हें डिग्रियां बांटी गई। हर जगह महिलाएं शिक्षा में अग्रणी हैं। हमारी सरकार ने बंद हुए स्कूलों को पुनः आरंभ किया। नक्सल हिंसा की वजह से जो स्कूल बंद हुए, उन्हें हमने पुनः आरंभ किया। हमने स्वामी आत्मानंद स्कूल आरंभ किये हैं ताकि अंग्रेजी शिक्षा को भी बढ़ावा मिल सके।
अब घर बैठे बनवाए जा सकेंगे राशन-कार्ड
राशन-कार्ड बनवाने के लिए डायल करना होगा टोल फ्री नंबर 14545
नागरिक सुविधाओं में लगातार हो रही बढ़ोतरी
लोगों को घर बैठे ही मिल रहा है शासकीय योजनाओं का लाभ
रायपुर : रीपा के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र के लोगो को विभिन्न प्रकार की गतिविधियों एवं उत्पादन के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में इस पार्क की स्थापना की गई है। योजनांतर्गत 2 करोड़ रु प्रति औद्योगिक पार्क के मान से राशि स्वीकृत की गई है। बस्तर संभाग के बस्तर, दन्तेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, कांकेर सुकमा ,एवं कोंडागांव जिले के प्रतिभागी शामिल हुए।
मुख्यमंत्री ने रीपा से जुड़े महिला स्वसहायता समूह को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में किये जा रहे प्रयासों की सराहना की।
इस अवसर पर बस्तर जिले के प्रभारी मंत्री श्री कवासी लखमा, बस्तर सांसद श्री दीपक बैज, पूर्व सांसद श्री नन्द कुमार साय, संसदीय सचिव श्री रेखचन्द जैन , विधायक कोंडागाँव श्री मोहन मरकाम, श्री राजमन बेंजाम , श्री लखेश्वर बघेल चन्दन कश्यप इंद्रावती विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री राजीव शर्मा ,मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ प्रदीप शर्मा महापौर शफिरा साहू, आयुक्त बस्तर श्री श्याम धावड़े आई जी बस्तर रेंज श्री सुन्दर राज पी, रीपा के राज्य प्रमुख डॉ गौरव कुमार सिंह, कलेक्टर श्री विजय दयाराम के, जिला पंचायत सीईओ श्री प्रकाश सर्वे सहित अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस अवसर पर अपने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि बस्तर के आदिवासी जननायक में से एक रहे वीर गुंडाधुर ने भूमकाल जैसे महान विद्रोह का नेतृत्व किया। आज उनकी प्रतिमा स्थापित कर उनके योगदान को चिरस्थाई बनाने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय परिसर में प्रतिमा स्थापित होने से हमारे युवा भी उनके अदम्य साहस और वीरता से परिचित हो सकेंगे। बस्तर क्षेत्र में स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आदिवासी संस्कृति के संरक्षण संवर्धन के लिए बस्तर के आदिवासी नायक सदैव मुखर रहे और अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। सरकार भी बस्तर सहित समूचे छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति को सहेजने लिए संकल्पित होकर कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण मद से स्वीकृत राशि दस लाख से निर्मित शहीद वीर गुण्डाधुर की मूर्ति के अनावरण के दौरान मुख्यमंत्री श्री बघेल ग्राम नेतानार से पहुंचे वीर गुंडाधुर के परिजनों में उनके परपोते जयदेव नाग, पुनु नाग, दुलारू नाग, परदेसी नाग से भी मुलाकात की।
इस अवसर पर उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा, बस्तर सांसद श्री दीपक बैज, बविप्रा के अध्यक्ष श्री लखेश्वर बघेल, बविप्रा के उपाध्यक्ष श्री विक्रम मंडावी,पूर्व सांसद श्री नंद कुमार साय, संसदीय सचिव श्री रेखचन्द जैन, विधायक नारायणपुर श्री चंदन कश्यप, संजरी बालोद विधायक श्रीमती संगीता सिन्हा,महापौर श्रीमती सफीरा साहू, नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती कविता साहू,इंद्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री राजीव शर्मा, संभागायुक्त श्री श्याम धावड़े, आईजी श्री सुंदरराज पी., कलेक्टर श्री विजय दयाराम के. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री जितेन्द्र मीणा सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण उपस्थित थे।
शहीद वीर गुण्डाधुर-
शहीद वीर गुंडाधुर ने आदिवासियों की धरती को बचाने के लिए अंग्रेजों के विरुद्ध ‘भूमकाल’ आंदोलन 1910 का नेतृत्व किया था । भूमकाल आंदोलन भूमकाल का अर्थ भूमि में कम्पन या भूकंप से है। भूमकाल एक ऐसा आंदोलन था जिसने सम्पूर्ण बस्तर को हिलाकर रख दिया था। इस आंदोलन के पीछे अनेक कारण थे इनमें वन नीति, अनिवार्य शिक्षा, धर्म परिवर्तन, बेगारी प्रथा, नौकरशाही आदि प्रमुख था। भूमकाल विद्रोह की इतनी सूक्ष्म योजना तैयार की गई थी कि आदिवासियों ने तीर-धनुष और भाला-फरसा के साथ अंग्रेजी सेना का डटकर मुकाबला किया। यही कारण है आज छत्तीसगढ़ के साथ-साथ पूरा देश वीर गुंडाधुर के शौर्य को जानने लगा है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा वीर गुण्डाधुर की स्मृति में साहसिक कार्य और खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए गुण्डाधुर सम्मान स्थापित किया है।
रायपुर : निक्षय मित्र टीबी मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के तहत 6 माह तक मरीजों का ईलाज चलने के दौरान पोषण आहार दिया जाएगा जिसमें जनभागीदारी के द्वारा टीबी मरीजों को पोषण आहार प्रति माह 1 हजार रुपये के दर पोषण किट दी जा रही है निक्षय रथ के माध्यम से जागरूक किया जा रहा
रायपुर : मुख्यमंत्री बघेल ने प्रतिमा अनावरण के उपरांत कहा कि छत्तीसगढ़ की अस्मिता, स्वाभिमान और सम्मान की प्रतीक है छत्तीसगढ़ महतारी। उन्होंने कहा कि सभी जिलों में छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा लगाई जा रही है ताकि लोगों में अपनी संस्कृति को लेकर चेतना जागृत की जा सके। अपने तीज-त्यौहार, लोक परम्पराओं को जानने-समझने का भावी पीढ़ी को पर्याप्त अवसर मिले, यही हमारा प्रयास है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए संकल्पित होकर कार्य कर रही है। छत्तीसगढ़ के परंपरागत तिहारों का आयोजन किया जा रहा है। तीजा-पोरा, अक्ती, हरेली छेरछेरा जैसे लोक जीवन के तिहारों को व्यापक स्तर पर मनाने की सार्थक पहल हुई है। बोरे-बासी को आज पूरा देश जानने लगा है। आदिवासी नृत्य महोत्सव, देवगुड़ी का कायाकल्प, आदिवासी परब सम्मान निधि जैसी पहल के माध्यम से जनजातीय संस्कृति को सम्मान दिलाने का काम किया गया है।
इस अवसर पर उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा, बस्तर सांसद श्री दीपक बैज, बविप्रा के अध्यक्ष श्री लखेश्वर बघेल, बविप्रा के उपाध्यक्ष श्री विक्रम मंडावी, संसदीय सचिव श्री रेखचन्द जैन, विधायक नारायणपुर श्री चंदन कश्यप, पूर्व सांसद श्री नन्द कुमार साय, महापौर श्रीमती सफीरा साहू, नगर पालिक निगम की अध्यक्ष श्रीमती कविता साहू, इंद्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री राजीव शर्मा, अक्षय ऊर्जा प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री मिथिलेश स्वर्णकार, कमिश्नर श्री श्याम धावड़े, आई जी श्री सुंदरराज पी., कलेक्टर श्री विजय दयाराम के. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री जितेंद्र मीणा सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण व अधिकारी उपस्थित थे।
रायपुर : मुख्यमंत्री बघेल ने प्रतिमा अनावरण के उपरांत कहा कि छत्तीसगढ़ की अस्मिता, स्वाभिमान और सम्मान की प्रतीक है छत्तीसगढ़ महतारी। उन्होंने कहा कि सभी जिलों में छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा लगाई जा रही है ताकि लोगों में अपनी संस्कृति को लेकर चेतना जागृत की जा सके। अपने तीज-त्यौहार, लोक परम्पराओं को जानने-समझने का भावी पीढ़ी को पर्याप्त अवसर मिले, यही हमारा प्रयास है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए संकल्पित होकर कार्य कर रही है। छत्तीसगढ़ के परंपरागत तिहारों का आयोजन किया जा रहा है। तीजा-पोरा, अक्ती, हरेली छेरछेरा जैसे लोक जीवन के तिहारों को व्यापक स्तर पर मनाने की सार्थक पहल हुई है। बोरे-बासी को आज पूरा देश जानने लगा है। आदिवासी नृत्य महोत्सव, देवगुड़ी का कायाकल्प, आदिवासी परब सम्मान निधि जैसी पहल के माध्यम से जनजातीय संस्कृति को सम्मान दिलाने का काम किया गया है।
इस अवसर पर उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा, बस्तर सांसद श्री दीपक बैज, बविप्रा के अध्यक्ष श्री लखेश्वर बघेल, बविप्रा के उपाध्यक्ष श्री विक्रम मंडावी, संसदीय सचिव श्री रेखचन्द जैन, विधायक नारायणपुर श्री चंदन कश्यप, पूर्व सांसद श्री नन्द कुमार साय, महापौर श्रीमती सफीरा साहू, नगर पालिक निगम की अध्यक्ष श्रीमती कविता साहू, इंद्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री राजीव शर्मा, अक्षय ऊर्जा प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री मिथिलेश स्वर्णकार, कमिश्नर श्री श्याम धावड़े, आई जी श्री सुंदरराज पी., कलेक्टर श्री विजय दयाराम के. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री जितेंद्र मीणा सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण व अधिकारी उपस्थित थे।
रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज झीरम घाटी शहादत दिवस के अवसर जगदलपुर के लालबाग स्थित झीरम मेमोरियल में झीरम घाटी के शहीदों को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और उन्हें नमन किया। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि नक्सलवाद के खिलाफ सर्वाेच्च कुर्बानी देने वाले शहीदों की शहादत को बेकार नहीं जाने देंगे, साल वनों के द्वीप बस्तर क्षेत्र को नक्सलवाद से मुक्त कर फिर से शांति का टापू बनाएंगे।
मुख्यमंत्री ने झीरम घाटी शहादत दिवस पर झीरम मेमोरियल पहुंचकर शहीदों को दी श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री श्री बघेल सहित जनप्रतिनिधियों ने इस अवसर झीरम के शहीदों की याद में दो मिनट का मौन रखा और उपस्थित सभी लोगों को प्रदेश को पुनः शांति का टापू बनाने की शपथ दिलाई। इस दौरान मुख्यमंत्री श्री बघेल ने झीरम घाटी के शहीदों के परिजनों से मुलाकात की और शॉल-श्रीफल भेंट किया।
श्रद्धांजलि सभा
श्रद्धांजलि सभा
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए कहा कि झीरम घाटी की घटना को दस बरस हो गए हैं। हर साल हम लोग झीरम के शहीदों को नमन करते है और जब भी 25 मई आता है, हम सब का दिल भर जाता है। जो बच गए उन्होंने घटना को अपनी आंखों से देखा। वे बताते थे कि घटना कितनी भयावह थी। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि इस घटना में शहीद हुए नेताओं ने परिवर्तन की बात कही थी। जिसका शुभारंभ सरगुजा से हुआ था। हमारे नेता कहते थे कि किसानों, आदिवासियों, युवाओं और महिलाओं के जीवन में परिवर्तन लाना है। परिवर्तन का संकल्प लेने वाले हमारे सभी बड़े नेता हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने झीरम में अपनी शहादत दी है।
झीरम की घटना को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी राज्यसभा की सदस्य श्रीमती फूलो देवी नेताम निकली और उन्होंने कहा कि यह बंद करो। वो एक बहादुर महिला हैं। जब हमारे नेताओं को चारों ओर से घेर लिया गया था। शहीद महेंद्र कर्मा निकले और नक्सलियों से कहा कि बेकसूरों को मारना बंद करो, गोलियां चलाना बंद करो। तुम्हारी दुश्मनी मुझसे है। मैं आत्मसमर्पण करता हूँ। मैं बस्तर टाइगर, मैं महेंद्र कर्मा इस प्रकार की बात उन्होंने कही। महेंद्र कर्मा ने माफी नहीं माँगी, अपने प्राणों की आहुति दे दी। किसके लिए, बस्तर के लिए, प्रदेश के लिए, लोकतंत्र के लिए, हम सबके लिए। अपनी जान देकर अपनों को बचाने का उनका संकल्प कितना बड़ा था, यह समझा जा सकता है।
झीरम घाटी शहादत दिवस
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि जिस नव निर्माण के पवित्र उद्देश्य के लिए हमारे नेताओं ने परिवर्तन यात्रा की थी, उस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए हमने लगातार परिश्रम किया है। हमने विकास, विश्वास और सुरक्षा की नीति से नक्सलियों को चंद इलाकों तक ही समेट दिया है। उन्होंने कहा कि हमने अपनी योजनाओं और नीतियों से बस्तर का विकास सुनिश्चित किया। हमने शिक्षा, स्वास्थ्य, आदिवासी संस्कृति के संरक्षण सहित अन्य विकास कार्यों को गति दी और बेहतर कार्य कर दिखाया है।
झीरम घाटी शहादत दिवस की दसवीं बरसी पर उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा, लोकसभा क्षेत्र बस्तर के सांसद श्री दीपक बैज, बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री लखेश्वर बघेल, उपाध्यक्ष श्री विक्रम मंडावी, संसदीय सचिव श्री रेखचन्द जैन, विधायक श्री मोहन मरकाम, श्रीमती संगीता सिन्हा, श्री चंदन कश्यप, महापौर जगदलपुर श्रीमती सफीरा साहू, नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती कविता साहू, इंद्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री राजीव शर्मा, कमिश्नर श्री श्याम धावड़े, आईजी श्री सुंदरराज पी. कलेक्टर श्री विजय दयाराम के., वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री जितेंद्र मीणा सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
शहीदों के परिजनों से मुलाकात के दौरान भावुक हुए मुख्यमंत्री - मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने झीरम घाटी के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के उपरांत शहीदों के परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने परिजनों को शॉल-श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया। शहीदों के परिजनों से चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री भावुक हो गए। मुख्यमंत्री ने सभी का कुशल क्षेम जाना। मुख्यमंत्री ने परिजनों से कहा कि आप सभी ने बहुत बड़ा त्याग किया है। छत्तीसगढ़ सरकार हर पल आपके साथ खड़ी है।
रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज यहाँ शहीद गुण्डाधुर कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र कुम्हरावंड जगदलपुर में महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) के बस्तर संभाग स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला में शामिल हुए। रीपा के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को विभिन्न प्रकार की गतिविधियों एवं उत्पादन के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में इस पार्क की स्थापना की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि रीपा के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजन किए जा रहे हैं। अब युवाओं को काम की तलाश में बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी। योजनांतर्गत 2 करोड़ रूपए प्रति औद्योगिक पार्क के मान से राशि स्वीकृत की गई है। बस्तर संभाग के बस्तर, दन्तेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, कांकेर सुकमा एवं कोंडागांव जिले के प्रतिभागी शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने रीपा से जुड़े महिला स्व-सहायता समूह को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। बस्तर संभाग के सभी 32 विकासखंड के मान से कुल 64 रीपा स्वीकृत किए गए हैं। पूरे प्रदेश में 300 रीपा संचालन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने बस्तरिया रीपा के स्मृति चिन्ह का विमोचन किया।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि पिछले चार वर्षों के दौरान सुराजी गांव योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी के क्रियान्वयन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्व-सहायता समूहों द्वारा मछली पालन, कुक्कुट पालन, मशरूम उत्पादन किया जा रहा है। पिछले तीन साल के भीतर साढ़े पांच हजार गौठान स्वावलंबी हो गए हैं। गौठान समिति के दौरान गोबर क्रय किया जा रहा है। गौठान को डे केयर सेंटर विकसित किया गया है। प्रदेश के गौठानों में 28 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार किए गए हैं। गोबर बिक्री करने वाले हितग्राहियों के बैंक खाते में राशि सीधे अंतरित की जा रही है। इसी तरह लघु वनोपज की बिक्री, तेंदूपत्ता, संग्राहकों के खाते में भी आनलाईन पैसा ट्रांसफर किया जा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा 67 प्रकार के वनोपज की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही है। इसके अलावा कोदो, कुटकी, रागी भी समर्थन मूल्य पर खरीदी कर रहे हैं। ग्रामीण उत्पाद को बेचने के लिए प्रत्येक जिले में सी-मार्ट की स्थापना की गई है। सी-मार्ट के जरिए बाजार उपलब्ध कराया जा रहा है। अब गौठान को वाई-फाई से कनेक्ट कर रहे हैं। बस्तर, सरगुजा जैसे वनांचल क्षेत्रों में किसानों की संख्या में वृद्धि हुई है। अब प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान समर्थन मूल्य पर खरीदी का निर्णय लिया है।
ज्ञात हो कि बस्तर जिले में मशरूम स्पॉन ईकाई उत्पादन, काजू प्रसंस्करण, तिखुर प्रसंस्करण, लघु धान्य (कोदो, कुटकी, रागी) प्रसंस्करण, मसाला प्रसंस्करण, सुगंधित चावल मिलिंग, इमली कण्डी उत्पादन, रेशम धागाकरण, ओवन बैग निर्माण, पोहा उत्पादन, खादी कपड़ा एवं रेशम कपड़ा बुनाई एवं प्रशिक्षण, मुर्गी दाना एवं पशु आहार उत्पादन, बेकरी ईकाई एवं प्राकृतिक गोबर पेंट इत्यादि का उत्पादन कार्य हितग्राहियों के द्वारा किया जा रहा है।
कार्यशाला में बस्तर जिले के प्रभारी मंत्री श्री कवासी लखमा, मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ प्रदीप शर्मा, रीपा के नोडल अधिकारी श्री डॉ गौरव कुमार सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर बस्तर सांसद श्री दीपक बैज, पूर्व सांसद श्री नन्द कुमार साय, संसदीय सचिव श्री रेखचन्द जैन, विधायक कोंडागाँव मोहन मरकाम, विधायक श्री चन्दन कश्यप, श्री राजमन बेंजाम, बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री लखेश्वर बघेल, बविप्रा के उपाध्यक्ष श्री विक्रम मंडावी, इंद्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री राजीव शर्मा, अक्षय ऊर्जा विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री मिथलेश स्वर्णकार, महापौर श्रीमती शफिरा साहू, सभापति कविता साहू, संभागायुक्त बस्तर श्री श्याम धावड़े आई जी बस्तर रेंज श्री सुन्दरराज पी, रीपा के नोडल अधिकारी डॉ गौरव कुमार सिंह, कलेक्टर श्री विजय दयाराम के., वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री जितेंद्र मीणा, जिला पंचायत सीईओ श्री प्रकाश सर्वे सहित अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद थे।