लोकसभा क्षेत्र में साढ़े सात हजार लोगों को सर्विस और पोस्टल बैलेट हुए थे जारी, 1551 ने मतदान ही नहीं किया
वोटर हुए जागरूक, पर जिन्होंने शपथ ली और दिलाई वे हो गए फेल, स्वीप कार्यक्रम में खुद नहीं हो पाए जागरूक
जांजगीर-चांपा. लोगों को मतदान के लिए जागरूक करने के लिए चुनाव आयोग की ओर से जागरूकता अभियान चलाया गया। इसके लिए हर चुनाव से पहले क्षेत्र में करोड़ों रुपए खर्च किए गए। अधिकारियों और कर्मचारियों ने लोगों को मतदान करने की शपथ दिलाई, लेकिन खुद मतदान नहीं किया। जिन्होंने किया भी उनमें से कई ऐसे थे, जिनके वोट निरस्त हो गए। आंकड़े इसी ओर इशारा कर रहे हैं। 7500 लोगों को सर्विस और पोस्टल बैलेट जारी किया गया था, जिसमें से 5494 लोगों ने ही मतदान किया। उसमें भी पढ़े लिखे लोगों के 824 वोट तो रिजेक्ट हो गए।
आजादी के बाद से हुआ अब तक सबसे ज्यादा मतदान
शत प्रतिशत मतदान हो सके इसकी जिम्मेदारी सरकारी तंत्र को दी जाती है। स्वीप कार्यक्रम के तहत विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिता आयोजित की गई, गांव गांव में चौपाल लगाकर मतदान का अधिकार और कर्तव्य बताया गया। विभिन्न प्रकार के आयोजन किए गए, चुनाव के दौरान कहीं पर भी प्रशासनिक आयोजन हुए वहां पर मतदान करने के लिए जरूर आह्वान किया गया। स्पेशल टीम बनाई गई प्रेरित करने के लिए नाच गाना से भी प्रभावित करने का प्रयास किया गया।
सभी सरकारी विभाग द्वारा इसके नाम पर खर्च भी किया गया। इसका असर यह हुआ कि लोग तो जागरूक हो गए। उन्होंने मतदान भी किया यही वजह थी कि आजादी के बाद पहली बार जांजगीर-चांपा लोक सभा में लगभग 65 प्रतिशत मतदान हुआ जो 2014 की तुलना में 4 प्रतिशत अधिक था लेकिन वोटिंग को बढ़ाने वाले अफसर और कर्मचारी जानकारी के अभाव में 824 वोट को रिजेक्ट करा बैठे।
महिला बाल विकास विभाग जागरूकता रैली फेल
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जागरूकता के नाम पर औपचारिकता ही निभाई। नवरात्र के दौरान लोगों को जागरूक करने के लिए कलश रैली निकाली। जिसमें आम लोगों की सहभागिता ही नहीं रही। बल्कि रैली में केवल उस विभाग के अधिकारी व कर्मचारी बस ही दिखे। इसके बाद इसी विभाग द्वारा छतरी रैली भी निकालकर दिखावा किया गया। इस विभाग के दोनों कार्यक्रमों में कोई भी लोगों की सहभागिता नहीं रही।
2127 लोगों ने मतदान ही नहीं किया
जिला निर्वाचन कार्यालय द्वारा जिले के जवान, आर्मी, सीआरपीएफ आदि के 1 हजार 902 जवानों व उनकी पत्नी को सर्विस वोटर जारी किया था, जबकि 5 हजार 495 अन्य सरकारी अफसरों को पोस्टल बैलेट इशु किया। इनमें से 2 हजार 127 लोगों ने वोट नहीं डाले। 5 हजार 494 लोगों ने वोट डाले जिसमें 4 हजार 670 वोट ही वैध रहे, जबकि अधिकारी कर्मचारियों की लापरवाही से 824 वोट रद्द हाे गए। 29 ने नोटा में वोट दिया।