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10वीं -12वीं में 10% से अधिक बच्चों को सीधे प्रवेश नहीं, एडमिशन लेने वाले रहें अलर्ट Featured

माध्यमिक शिक्षा मंडल ने स्कूलों में भेजी नियमावली
स्कूल संचालकों व प्राचार्यों को प्रवेश संबंधी नियम बताए गए
भिलाई. स्थानांतरण प्रकरण को छोड़कर 10वीं और 12वीं कक्षा में बिना औपचारिकताएं पूरी किए 10 फीसदी से अधिक बच्चों को प्रवेश नहीं दिया जा सकेगा। ऐसा करते हैं तो स्कूल संचालक को स्टॉफ और फर्नीचर की अतिरिक्त व्यवस्था करनी होगी और इसके बाद माध्यमिक शिक्षा मंडल से विशेष अनुमति लेनी होगी। औपचारिकताएं पूरा नहीं करेंगे को छात्रों का प्रवेश अमान्य हो जाएगा। इसकी सारी जिम्मेदारी स्कूल के संचालकों और प्राचार्यों की होगी। इस मामले में पालकों को भी अलर्ट रहने की जरूरत है। गड़बड़ी होने पर नतीजा बच्चे भुगतेंगे।
इस तरह किया जाएगा 10 फीसदी का आकलन
उदाहरण स्वरूप किसी स्कूल में कक्षा 9वीं में पास छात्रों की संख्या 100 हैं और कक्षा में 10वीं में अनुत्तीर्ण छात्र 20 और श्रेणी सुधार के 10 छात्र हैं। इस तरह कक्षा में 130 छात्र होंगे। इसका 10 फीसदी 13 होता है। अर्थात अधिक से अधिक 13 छात्रों को वहां सीधे प्रवेश दिया जा सकेगा। इससे अधिक होने पर संस्था को माशिमं से जारी सारी औपचारिकताओं को पूरा करना होगा। तभी प्रवेश को पूरा माना जाएगा।
ऐसे स्कूल जहां 10वीं और 12वीं में छात्रों की संख्या 45 से कम है, तो ऐसी परिस्थिति में दोनों कक्षाओं में छात्रों की संख्या 45 होते तक 10 फीसदी वाले नियम को शिथिल किया जा सकता है। प्राचार्य या संस्था के संचालक छात्रों की संख्या 45 होने तक अपनी संस्था में छात्र-छात्राओं को प्रवेश दे सकेंगे। उन्हें विशेष अनुमति की जरूरत नहीं पड़ेगी।
10 फीसदी से अधिक छात्र-छात्राओं को बोर्ड कक्षा में प्रवेश देने की अनुमति मांगने पर माध्यमिक शिक्षा मंडल की एक समिति संस्था की जांच करेगी। वहां पाए जाने वाले संसाधनों की एक रिपोर्ट बनाएगी। इससे पहले संस्था के संचालक को एक विशेष प्रोफार्मा में आवेदन देना होगा। संबंधित अनुविभागीय अधिकारी से अभिप्रमाणित भी कराना होगा। इसकी पूर्ति के बाद मान्यता दी जा सकेगी।
पूरक और क्रेडिट योजना के अंतर्गत उत्तीर्ण होने वाले छात्र-छात्राओं को बोर्ड कक्षा में प्रवेश के लिए परिणाम जारी होने के 15 दिन के भीतर अगली कक्षा में प्रवेश लेना होगा। इसके बाद विशेष परिस्थितियों में ही उन्हें प्रवेश दिया जा सकेगा। उन्हें प्रवेश के दौरान होने वाली सारी परेशानियों के लिए छात्र-छात्राएं या उनके अभिभावक ही जिम्मेदार होंगे।

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