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आजीविका मिशन बना मुरई बाई के परिवार की आजीविका का साधन : सब्जी-भाजी की खेती बनी आय का जरिया Featured

By November 13, 2021 292

रायपुर, ग्रामीण क्षेत्रों के महिलाओं को घरों एवं गांव के आस-पास रोजगार उपलब्ध कराकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने हेतु संचालित राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, बस्तर जिले के बकावण्ड विकासखण्ड के ग्राम पंचायत डिमरापाल की मुरई बाई के परिवार के लिए आजीविका का आधार बन गया है। अपने गांव के जय मां लक्ष्मी स्व-सहायता समूह से ऋण के रूप में मिली राशि एवं कुंआ निर्माण के लिए मिले अल्पकालीन कृषि ऋण का लाभ उठाकर उन्होंने अपने खेती-किसानी की दशा और दिशा बदल दी है। कुंआ का निर्माण कराने से बारहमासी सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हुई है। इसका लाभ उठाकर उन्होंने अपने खेतों में बारहमासी फसलों के साथ-साथ सब्जी की खेती को अपनाकर अतिरिक्त आमदनी का जरिया खोज लिया है। अतिरिक्त आमदनी से मुरई बाई के परिवार के जीवन स्तर में सकारात्मक बदलाव आया है।
मुरई बाई स्व-सहायता समूह से जुड़ी है। उन्होंने अपने समूह से अब तक 4 बार में एक लाख 26 हजार रूपए ऋण लिया है। उनके पास जमीन उपलब्ध तो थी परंतु पानी की सुविधा नहीं होने कारण बाड़ी मे कुछ नहीं लगाते थे। उन्होंने कुंआ निर्माण के लिया गया ऋण भी वापस कर दिया है और अब साग सब्जी की खेती से हर महीने लगभग 14 हजार की आमदनी हासिल कर रहीं है। इनके द्वारा मौसम आधारित फसल मंे पत्तागोभी, फूलगोभी, गवारफली, सेम, रबी फसल में आलू, प्याज, बैगन, मिर्ची, ग्रीष्मकालीन फसल में कद्दू, खीरा, लौकी, बरबटी की खेती करने से अतिरिक्त आय होने लगी है।

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