एक रुपये किलो की चावल योजना चलाकर 'चाउर वाले बाबा' के नाम से विख्यात रमन सिंह 2003 से मुख्यमंत्री पद पर काबिज हैं। रमन सिंह के नाम भाजपा की तरफ से सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री पद (15 साल 10 महीने) पर बने रहने का कीर्तिमान दर्ज है। रमन की नजर अब चौथी बार छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनने पर है। जुलाई 2016 में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस रिकॉर्ड को तोड़ा था, जो उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर बनाया था। आइए नजर डालते हैं रमन सिंह के राजनीतिक सफर पर...
पेशे से आयुर्वेदिक डॉक्टर रहे रमन सिंह ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत पार्षद का चुनाव लड़कर की थी। 1984 में उन्होंने कवर्धा नगर पालिका से पार्षद का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। तब कवर्धा मध्यप्रदेश का भाग हुआ करता था। इसके बाद 1990 में रमन सिंह कांग्रेस के जगदीश चंद्रवंशी को हराकर कवर्धा विधानसभा सीट से विधायक बने।
1993 में वो एक बार फिर विधायक बने। 1998 में उनके राजनीतिक करियर को खत्म माना जाने लगा जब वो विधानसभा का चुनाव हार गए, लेकिन 1999 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन पर भरोसा जताते हुए राजनांदगांव से लोकसभा चुनाव में उतारा और कांग्रेस के दिग्गज नेता मोतीलाल वोरा को हराकर रमन सिंह अटल सरकार में वाणिज्य-उद्योग राज्य मंत्री बने।
छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने के बाद 2002 में रमन सिंह को भाजपा ने प्रदेशाध्यक्ष बनाया। 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के पास रमन के अलावा कोई बड़ा चेहरा नहीं था और उनके नेतृत्व में ही भाजपा ने कांग्रेस को पछाड़कर सत्ता पर कब्जा किया।
रमन सिंह को पहली बार छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनाया गया। तब से लेकर वह लगातार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हुए हैं। वह 2008 से लगातार राजनांदगांव से विधायक है। इस बार भी रमन सिंह ने राजनांदगांव से नामांकन दाखिल किया है। हालांकि इस बार कांग्रेस ने उनके खिलाफ करूणा शुक्ला को उम्मीदवार बनाया है।