सा तो कभी नही सुना। एक अधिकारी ईवीएम लेकर अपने घर चला गया। एक नहीं ,दो नही, तीन मशीनें। घर रख लीं। रात को पुलिस को खबर मिली तो निर्वाचन आयोग के अफसरों ने उसके घर से जब्त कीं । दूसरा पीठासीन अधिकारी खुल्लमखुल्ला भाजपा के पक्ष में मतदान करा रहा था। पुलिस ने उसे रंगे हाथों गिरफ्तार किया। इस तरह के न जाने कितने अधिकारी इस काम में लगे रहे होंगे? दो अन्य अधिकारी ड्यूटी से हटा दिए गए। दो पुलिस अफसर हटा दिए गए।
मंदिर में कब से चढ़ने लगे पार्टी के चुनाव चिन्ह?
छत्तीसगढ़ में पहले चरण के मतदान में बहुत से मतदान केंद्रों पर ईवीएम मशीनों में खराबी के चलते दो घंटे से लेकर चार घंटे तक मतदान रुका रहा था। उन बूथों के मतदाता देर तक इंतजार करने के बाद घर वापस लौट गए। सैकड़ों मतदाता तो कई किलोमीटर पैदल चलकर वोट डालने आए थे। चुनाव आयोग की पर्याप्त ट्रेनिंग के बाद यह हाल हुआ। इसके बाद मंगलवार को दूसरे चरण के मतदान में भी दो सौ मतदान केंद्रों पर मशीनें खराब हो गईं। दो से तीन घंटे मतदान रुका रहा। लोग मतदान केंद्रों पर आकर लौट गए। भाजपा के एक नेता मतदान पर्ची के साथ पांच सौ रूपए का नोट नत्थी करके मतदाताओं तक पहुंचा रहे थे। पकड़े गए।
इसी पार्टी के एक नेता के घर से चुनाव आयोग के अफसरों ने शराब की पेटियां बरामद कीं। मामला दर्ज हो गया। एक सांसद मतदान केंद्र पर पार्टी के सिंबल वाला गमछा डाल कर दबंगई के साथ गए। शिकायत दर्ज हुई। रमन सिंह मंत्रिमंडल के एक वरिष्ठ मंत्री कुर्ते पर पार्टी का सिंबल लगाकर चले गए। मीडिया के सामने बेशर्मी से बोले ,मंदिर गया था। चाहने वालों ने फूल जेब में दे दिया। मंदिर में फूल की जगह पार्टी के सिंबल कब से चढ़ाए जाने लगे -इसका उनके पास कोई उत्तर नहीं था। इसकी भी शिकायत हुई।