उन्होंने कहा कि वह तो एक तरह से प्रायश्चित कर रहे हैं, स्वच्छता का जो कार्य चल रहा है, वह सेवा से ज्यादा प्रायश्चित है । मोदी ने कहा कि महात्मा गांधी ने वर्षो तक अपने आप को देश की आजादी के लिये खपा दिया । उन्होंने अपने नेतृत्व से देश के लिये स्वतंत्रता तो प्राप्त की लेकिन स्वच्छता हासिल नहीं हो पाई । उन्होंने कहा कि हम सभी इसके लिये जिम्मेदार हैं । ऐसे में वह एक बार फिर जोर देना चाहते हैं कि स्वच्छता गांधी की सोच है ।
उन्होंने कहा कि गांव में महिलाओं को जब खुले में शौच के लिये जाना पड़ता है तो उन्हें बहुत पीड़ा होती है । मोदी ने कहा कि कुछ काम सरकार नहीं कर सकती और जो काम सरकार नहीं कर सकती, वह संस्कार कर सकती है । स्वच्छता का विषय संस्कार से जुड़ा है । ऐसे में सरकार एवं संस्कार मिल जाए तो चमत्कार हो सकता है । उन्होंने कहा कि वे सोशल मीडिया से जुड़े व्यक्ति हैं लेकिन जो सूचना परोसी जाती है, वे उसका शिकार नहीं होते हैं ।
जो सूचना उन्हें चाहिए वे उसे ढूंढकर प्राप्त करते हैं । उन्होंने कहा कि आज 25 से 40 वर्ष के बीच की जो पीढ़ी है, उसमें सहज भाव से काम करने की प्रेरणा है । इसमें सामुहिकता का भाव जुड़ जाए तो ताकत बनकर उभरती है। इसे एक मिशन से जोड़ लें तो परिवर्तन आना शुरू हो जाता है । प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की तकदीर तकनीक में है और जो प्रौद्योगिकी युवाओं के पास है, वह भारत की तकदीर से जुड़ा है ।
उन्होंने ‘मैं नहीं हम’ पोर्टल के संदर्भ में कहा कि इसका अर्थ यह नहीं है कि ‘मैं’ को खत्म कर रहे हैं बल्कि ‘मैं’ का विस्तार है । इसका आशय स्व से समष्टि की ओर बढना है क्योंकि आखिर वृहद परिवार में आनंद का अनुभव होता है । मोदी ने कहा कि वह देखते हैं कि भारत युवा प्रौद्योगिकी का शानदार ढंग से उपयोग कर रहा है और वह इसका न केवल अपने लिये कर रहे हैं बल्कि दूसरों के लिये भी कर रहे हैं ।‘‘ मैं इसे शानदार संकेत के रूप में देखता हूं । ’’उन्होंने कहा कि इस दिशा में प्रयास छोटा हो या बड़ा हो, उसे महत्व दिया जाना चाहिए । प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वयंसेवी प्रयासों के माध्यम से कृषि क्षेत्र में बहुत कुछ किया जा सकता है, युवाओं को हमारे उद्यम और किसानों के कल्याण के लिए काम करना चाहिए । उन्होंने यह भी कहा कि आज अधिक लोग कर चुका रहे हैं क्योंकि उन्हें विश्वास है कि उनके पैसे का उपयोग ठीक से और लोगों के कल्याण के लिए किया जा रहा है ।