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महाराष्ट्र में विधायक कैंटीन के कर्मचारी को थप्पड़ मारने की घटना पर डिप्टी सीएम और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने अपनी पार्टी के नेताओं को सख्त हिदायत दी है। उन्होंने कहा कि विधायक जो भी करते हैं, उसकी जिम्मेदारी मुझ पर आती है। इस वजह से सभी को अपने बर्ताव पर नियंत्रण रखना चाहिए।

शिंदे ने सोमवार को कहा कि नेता चाहे कितने भी बड़े पद पर हों, पहले खुद को पार्टी का कार्यकर्ता समझें। सफलता को सिर पर न चढ़ने दें। उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी ने फिर से पार्टी की छवि खराब की, तो उन्हें कार्रवाई के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

शिवसेना के बुलढाणा से विधायक संजय गायकवाड़ ने 8 जुलाई को एक कैंटीन कर्मचारी को थप्पड़ मार दिया था। गायकवाड़ ने खुद इस घटना को स्वीकार किया और कहा कि उन्हें कोई पछतावा नहीं है।

हाल ही में राज्यसभा सदस्य मनोनीत हुए सीनियर एडवोकेट उज्ज्वल निकम ने कहा कि 1993 में मुंबई बम धमाके रोके जा सकते थे। अगर बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त उस गाड़ी के बारे में पुलिस को बता देते जिससे उन्होंने AK-47 बंदूक उठाई थी, तो ये धमाके कभी नहीं होते।

उन्होंने कहा कि धमाकों से कुछ दिन पहले अबू सलेम (गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम का आदमी) हथियारों से भरी एक वैन लेकर संजय दत्त के घर आया था। उसमें हथगोले और AK-47 थी। संजय ने उसमें से कुछ चीजें लीं और फिर लौटा दीं, लेकिन एक AK-47 अपने पास रख ली। इस बारे में पुलिस को जानकारी न देना धमाकों का कारण बना जिनमें इतने सारे लोग मारे गए। निकम ने ये बातें NDTV को दिए एक इंटरव्यू में कहीं।

12 मार्च, 1993 को मुंबई के अलग-अलग इलाकों में 13 सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। इसमें 267 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

ओडिशा के बालासोर स्थित फकीर मोहन ऑटोनॉमस कॉलेज में खुद को आग लगाने वाली 20 साल की स्टूडेंट ने  देर रात दम तोड़ दिया। छात्रा 95 फीसदी झुलस चुकी थी और पिछले 3 दिनों से भुवनेश्वर के AIIMS में जिंदगी की जंग लड़ रही थी।

छात्रा फकीर मोहन कॉलेज में इंटीग्रेटेड BEd कोर्स में सेकेंड ईयर की स्टूडेंट थी। उसने 12 जुलाई को हेड ऑफ डिपार्टमेंट (HOD) के सेक्शुअल हैरेसमेंट से परेशान होकर कॉलेज कैंपस में खुद पर केरोसीन छिड़ककर आग लगा ली थी।

घटना से पहले वह प्रिंसिपल के पास गई थी, लेकिन प्रिंसिपल ने उसे अपनी शिकायत वापस लेने को कहा था। इसके बाद उसने आत्मदाह कर लिया। छात्रा को पहले बालासोर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां से डॉक्टरों ने AIIMS भुवनेश्वर रेफर कर दिया था।

ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने छात्रा की मौत के बाद X पर कहा कि सभी दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी। छात्रा की मौत के बाद AIIMS पहुंची ओडिशा की उप मुख्यमंत्री प्रावती परिदा ने बताया कि ​​​​​​पीड़िता की सोमवार रात लगभग 11:45 बजे मौत हो गई।

 

नई दिल्ली। कोरोना के नए वेरिएंट एक्सएफजी ने फिर चिंता बढ़ा दी है। देश में अब तक 206 एक्सएफजी के केस सामने आ चुके हैं। सबसे ज्यादा केस महाराष्ट्र (89) में हैं, फिर पश्चिम बंगाल (49), तमिलनाडु, केरल, गुजरात और दिल्ली में भी केस मिले हैं। सिर्फ मई महीने में 159 नए केस आए थे।
एक्सएफजी वेरिएंट मध्य प्रदेश में भी तेजी से फैल रहा है। एम्स भोपाल की रिपोर्ट के अनुसार 63 प्रतिशत से ज्यादा केस एक्सएफजी वेरिएंट के हैं। यहां कुल 44 में से 28 सैंपलों में एक्सएफजी वेरिएंट पहचाना गया है। कोरोना का एक्सएफजी वेरिएंट सबसे पहले कनाडा में मिला था और अब तक भारत सहित 38 देशों में फैल चुका है। कोविड के दूसरे वेरिएंट की तरह ही इससे भी सबसे ज्यादा बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों को है।


एक्सएफजी वेरिएंट क्या है?
एक्सएफजी कोविड-19 वायरस का एक रिकॉंबिनेंट वेरिएंट है। इसका मतलब है कि यह वायरस के 2 पुराने वेरिएंट्स, एलएफ.7 और एलपी.8.1.2 के आपस में मिल जाने से बना है। जब कोई व्यक्ति एक साथ दो अलग-अलग वेरिएंट्स से संक्रमित होता है, वायरस उनके जीन को आपस में मिक्स कर सकता है। उसी से इसतरह के वेरिएंट बनते हैं। एक्सएफजी, ओमिक्रॉन फैमिली का ही हिस्सा है, जो 2021 के अंत से पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा फैलने वाला वेरिएंट रहा है। इसे पहली बार कनाडा में पहचाना गया था।

 

भुवनेश्वर। ओडिशा के बालेश्वर जिले में फकीर मोहन कॉलेज की बीएड सेकंड ईयर की छात्रा ने सेक्शुअल हैरेसमेंट से तंग आकर कॉलेज कैंपस में खुद को आग लगा ली। यह दिल दहला देने वाली घटना शनिवार दोपहर करीब 1 बजे हुई और कॉलेज परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे में पूरी वारदात रिकॉर्ड हो गई है। छात्रा को बचाने की कोशिश में एक अन्य छात्र भी झुलस गया। दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां छात्रा की हालत बेहद नाजुक बताई जा रही है। पीड़ित छात्रा और अन्य छात्राओं ने इंटीग्रेटेड बीएड डिपार्टमेंट के एचओडी समीर कुमार साहू पर मानसिक और शारीरिक शोषण के आरोप लगाए थे। आरोप है कि साहू ने एक छात्रा से फिजिकल होने की मांग तक की थी। 30 जून को आधिकारिक शिकायत प्रिंसिपल के पास दी गई थी, जिसके बाद कॉलेज में प्रदर्शन भी हुआ था।

प्रिंसिपल का बयान
इस मामले में कॉलेज के प्रिंसिपल दिलीप कुमार घोष ने कहा, कि छात्रा शनिवार को मुझसे मिलने आई थी। मैंने उसे 20 मिनट तक समझाने की कोशिश की, लेकिन वह बोली अब और इंतजार नहीं कर सकती। कुछ देर बाद पता चला कि उसने खुद को आग लगा ली है। प्रिंसिपल ने बताया कि छात्राओं की शिकायत के बाद इंटरनल कंप्लेंट कमेटी (आईसीसी) बनाई गई थी, जिसने 7 दिन में रिपोर्ट दी थी। लेकिन कुछ छात्र तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे थे।

इन पर हुई कड़ी कार्रवाई
इस मामले में एचओडी समीर कुमार साहू को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। ओडिशा सरकार ने कॉलेज प्रिंसिपल दिलीप घोष को भी सस्पेंड कर दिया है। इसी के साथ प्रिंसिपल को बिना अनुमति शहर छोड़ने से रोक दिया गया है।

सीसीटीवी फुटेज में दर्ज हुआ सारा मामला
छात्रा कैंपस में केरोसीन लेकर पहुंची और खुद पर डालकर आग लगा ली। पास मौजूद एक छात्र ने बचाने की कोशिश की, लेकिन वह भी घायल हुआ। यह सब कॉलेज की निगरानी कैमरों में रिकॉर्ड हो गया है, जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया है।

 

 

नई दिल्ली। Axiom-04 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) गए भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला जल्द ही धरती पर वापसी कर सकते हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने उनके लौटने की जानकारी दी है।

ISRO के अनुसार, शुभांशु 14 जुलाई को अंतरिक्ष से वापसी करेंगे और वो 15 जुलाई को पृथ्वी पर पहुंच जाएंगे। शुभांशु के साथ ISS में गए बाकी 3 अंतरिक्ष यात्री भी स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से वापस आएंगे।

कैलिफोर्निया में होगी वापसी
ISRO ने सोशल मीडिया पर शुभांशु की वापसी की जानकारी देते हुए बताया कि, ISS से ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट की अनडॉकिंग के बाद सभी अंतरिक्ष यात्री अमेरिका के कैलिफोर्निया के पास मौजूद तट पर 15 जुलाई 2025 को दोपहर 3 बजे (भारतीय समयानुसार) पहुंचेंगे।

शुभांशु ने रचा इतिहास
बता दें कि शुभांशु शुक्ला 14 दिन के मिशन पर ISS के लिए रवाना हुए थे। वो ISS में जाने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। वहीं, भारतीय अंतरिक्ष यात्री विंग कमांडर राकेश शर्मा के बाद वो अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं।

ISS में शुभांशु ने कई तरह के एक्सपेरिमेंट भी किए हैं। इसकी जानकारी देते हुए ISRO ने कहा-

गगनयात्री शुभांशु शुक्ला ने भारत के Axiom-04 मिशन के तहत 7 माइक्रोग्रैवटी एक्सपेरिमेंट किए हैं। इनमें से 4 एक्सपेरिमेंट सफल हो गए हैं और बाकी 3 एक्सपेरिमेंट भी कामयाबी के बेहद करीब हैं।

कल से शुरू होगी वापसी की तैयारी
रविवार यानी कल सभी अंतरिक्ष यात्री अपने एक्सपेरिमेंट के सैंपल पैक करना शुरू करेंगे। फ्लाइट सर्जन की देख-रेख में सभी धरती पर वापसी की तैयारी करेंगे। शुभांशु की वापसी का पूरा देश बेहद बेसब्री से इंतजार कर रहा है।

 

 

उदयपुर : उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल की हत्या पर उदयपुर फाइल्स फिल्म बनाई। 26 जून को फिल्म का ट्रेलर रिलीज किया गया। यह फिल्म गत शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज होनी थी। लेकिन जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने इसे विवादित बताते हुए फिल्म पर रोक लगाने की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगा दी।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने रिलीज पर स्टे लगाकर फिल्म के कंटेट पर केंद्र सरकार को निर्णय लेने को कहा। जैसे ही इसकी जानकारी उदयपुर में रह रहीं कन्हैया लाल की पत्नी जशोदा ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर फिल्म रिलीज करवाने की मांग की। पत्र में लिखा कि फिल्म को रिलीज करवा दीजिए ताकि सच्चाई दुनिया के सामने आ सके। यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है और कई संगठन अब फिल्म को रिलीज़ करने की मांग कर रहे हैं।

मैंने खुद देखी वह फिल्म… सच है
जशोदा ने पीएम को पत्र में लिखा कि मैं खुद यह फिल्म (ट्रेलर) देखी है। वह तो उनकी (कन्हैयालाल) हत्या की कहानी है इसमें कुछ भी गलत नहीं है। 3 साल पहले मेरे पति को मारा, अब उसकी कहानी को दबाया जा रहा है। जशोदा ने आगे लिखा कि लोग कह रहे हैं कि फिल्म नहीं आनी चाहिए, लेकिन मैं पूछती हूं- क्यों? हमारे साथ कितना बड़ा अन्याय हुआ है, दुनिया को यह जानने का यह हक है।

पीएम से मिलने का मांगा समय
फिल्म रिलीज करवाने की मांग करते हुए अंत में जशोदा ने पीएम मोदी से मिलने की इच्छा जताई। उन्होंने लिखा कि निवेदन है कि आप हमें मिलने का समय दे दीजिए। मैं अपने दोनों बच्चों के साथ आपसे दिल्ली आकर मिलना चाहती हूं।

फिल्म पर क्या है विवाद?
फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर मुस्लिम संगठनों ने आपत्ति जताई है। उनके वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दलील दी कि इससे सामाजिक सौहार्द बिगड़ सकता है। कोर्ट ने फिलहाल फिल्म की रिलीज पर अंतरिम रोक लगा दी है। इसी के बाद कन्हैयालाल की पत्नी ने यह पत्र लिखा।

क्या है मामला?
28 जून 2022 को उदयपुर के धानमंडी इलाके में टेलर कन्हैयालाल साहू की दुकान पर दो कट्टरपंथियों रियाज अटारी और गौस मोहम्मद ने तलवार से दिनदहाड़े हत्या कर दी थी। वजह महज यह थी कि कन्हैयालाल ने बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में एक पोस्ट की थी, जिन्हें पैगंबर मोहम्मद पर कथित टिप्पणी को लेकर पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। इस घटना ने पूरे देश को हिला दिया था।

21 साल के बेटे यश की प्रतिज्ञा
बता दें कि कन्हैयालाल के बेटे यश साहू पिछले करीब 3 साल से नंगे पांव हैं। उन्होंने अपने बाल नहीं कटवाए। उनका कहना है कि उनकी प्रतिज्ञा है कि जब तक हत्यारों को फांसी नहीं हो जाती, मैं ऐसा ही रहूंगा। भले ही इस घटना के बाद कुछ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार ने कन्हैया लाल के दोनों बेटों को सरकारी नौकरी दे दी है। यश ने बताया कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, तब तक मैं अपने जीवन में कोई आराम नहीं लूंगा।

 

तिरुवनंतपुरम : केरल में आगामी स्थानीय निकाय चुनाव के लिए राजनीतिक पार्टियों में हलचल तेज हो गई है। राजनीतिक पार्टियों ने अपनी-अपनी तैयार भी तेज कर दी है। इसी सिलसिले में शनिवार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में भाजपा के नए राज्य समिति कार्यालय 'मरारजी भवन' का भव्य उद्घाटन किया। इस दौरान अमित शाह ने पार्टी का झंडा फहराया, भवन के सामने पौधा लगाया, फीता काटकर कार्यालय के अंदर प्रवेश किया और पारंपरिक दीप प्रज्ज्वलित कर नए कार्यालय का औपचारिक रूप से उद्घाटन किया। उन्होंने भवन के केंद्रीय हॉल में स्थापित पूर्व भाजपा राज्य अध्यक्ष केजी मरार की कांस्य प्रतिमा को पुष्प अर्पित कर सम्मानित किया।

निकाय चुनाव की तैयारी में भाजपा
भाजपा की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार उद्घाटन के बाद अमित शाह पुथरिकंडम मैदान में एक बड़े वार्ड स्तरीय नेतृत्व बैठक में हिस्सा लेंगे। इसके बाद दोपहर में भाजपा केरल नेतृत्व के साथ एक बंद बैठक होगी, जिसमें स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारियों पर चर्चा की जाएगी। शाम को अमित शाह कन्नूर के लिए रवाना होंगे, जहां वे तलीपारंब में प्रसिद्ध राजराजेश्वर मंदिर का दर्शन करेंगे। इसके बाद वे दिल्ली वापस लौट जाएंगे।

शाह के दौरे से पहले कन्नूर हवाईअड्डे के आसपास ड्रोन पर प्रतिबंध
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कन्नूर जिले के निर्धारित दौरे से एक दिन पहले जिलाधिकारी ने शुक्रवार को यहां हवाईअड्डे के आसपास ड्रोन, पैराग्लाइडर, हॉट एयर बैलून या किसी अन्य मानवरहित हवाई यान के इस्तेमाल पर तीन दिनों के लिए प्रतिबंध लगा दिया।

जिला प्रशासन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि कलेक्टर अरुण के विजयन के लगाया गया प्रतिबंध हवाईअड्डे के आसपास के पांच किलोमीटर के दायरे में लागू होगा। ऐसी कोई भी गतिविधि, जिससे विमान के उतरने या उड़ान भरने में बाधा उत्पन्न हो, उसकी सूचना तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन को देनी होगी।

 

नई दिल्ली:
हर साल लाखों छात्र NEET UG परीक्षा में बैठते हैं ताकि मेडिकल फील्ड में करियर बना सकें, लेकिन बड़ी संख्या में छात्र इस परीक्षा को पास नहीं कर पाते। अगर आप भी NEET में सफल नहीं हो सके हैं और फिर भी मेडिकल क्षेत्र में भविष्य बनाना चाहते हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है। आपके पास अब भी एक बेहतरीन विकल्प मौजूद है - आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग (AIN), गुवाहाटी।

 

 

 

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि भारत का ग्लोबल पॉवर के रूप में उदय उसकी बौद्धिक और सांस्कृतिक गरिमा के उत्थान के साथ होना चाहिए. यह बहुत ही अहम चीजें हैं, क्योंकि ऐसा उदय ही टिकाऊ होता है और हमारी परंपराओं के अनुकूल होता है. एक राष्ट्र की शक्ति उसकी सोच की मौलिकता, मूल्यों की कालातीतता और बौद्धिक परंपरा की दृढ़ता में निहित होती है. यही सॉफ्ट पावर (सांस्कृतिक प्रभाव) है जो दीर्घकालिक होता है और आज की दुनिया में अत्यंत प्रभावशाली है.

औपनिवेशिक मानसिकता से परे भारत की पहचान को फिर से स्थापित करने की बात करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “भारत महज 20वीं सदी के मध्य में बना राजनीतिक राष्ट्र नहीं है, बल्कि यह एक सतत सभ्यता है, चेतना, जिज्ञासा और ज्ञान की प्रवाहित नदी है.”

देशज विचारों को आदिम मानकर छोड़ना गलत
उपराष्ट्रपति ने नई दिल्ली में आयोजित भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) पर पहले सालाना सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “देशज विचारों को केवल आदिम और पिछड़ेपन का प्रतीक मानकर खारिज करना केवल एक व्याख्यात्मक भूल नहीं थी, यह मिटाने, नष्ट करने और विकृत करने की वास्तुकला थी. और अधिक दुखद यह है कि स्वतंत्रता के बाद भी यह एकतरफा स्मरण चलता रहा. पश्चिमी मान्यताओं को सार्वभौमिक सत्य के रूप में पेश किया गया. साफ शब्दों में कहें तो ‘असत्य को सत्य के रूप में सजाया गया.’

उन्होंने सवाल दागते हुए कहा, “जो हमारी बुनियादी प्राथमिकता होनी चाहिए थी, वह तो विचार के दायरे में भी नहीं थी. हम अपनी मूल मान्यताओं को कैसे भूल सकते हैं?” इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, जेएनयू की कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलीपुडी पंडित, प्रो. एमएस चैत्र (आईकेएसएचए के निदेशक), प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय टोली सदस्य, तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.

भारत की बौद्धिक यात्रा में ऐतिहासिक व्यवधानों को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “इस्लामी आक्रमण ने भारतीय विद्या परंपरा में पहला व्यवधान डाला. जहां समावेशन की बजाय तिरस्कार और विध्वंस का मार्ग अपनाया गया. ब्रिटिश उपनिवेशवाद दूसरा व्यवधान लेकर आया, जिसमें भारतीय ज्ञान प्रणाली को पंगु बना दिया गया, उसकी दिशा बदल दी गई. विद्या के केंद्रों का उद्देश्य बदल गया, दिशा भ्रमित हो गई. ऋषियों की धरती बाबुओं की भूमि बन गई. ईस्ट इंडिया कंपनी को ‘ब्राउन बाबू’ चाहिए थे, राष्ट्र को विचारक.”

हमने सोचना और चिंतन करना छोड़ दियाः धनखड़
उन्होंने कहा, “हमने सोचना, चिंतन करना, लेखन और दर्शन करना छोड़ दिया. हमने रटना, दोहराना और निगलना शुरू कर दिया. ग्रेड्स (अंक) ने चिंतनशील सोच का स्थान ले लिया. भारतीय विद्या परंपरा और उससे जुड़े संस्थानों को सुनियोजित ढंग से नष्ट किया गया.”

भारतीय ज्ञान प्रणाली सम्मेलन को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “जब यूरोप की यूनिवर्सिटियां भी अस्तित्व में नहीं थीं, तब भारत की विश्वविख्यात विश्वविद्यालयें- तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला, वल्लभी और ओदंतपुरी- ज्ञान के महान केंद्र के रूप में स्थापित थीं. इनकी विशाल पुस्तकालयों में हजारों पांडुलिपियां थीं.” “ये वैश्विक विश्वविद्यालय हुआ करते थे, जहां कोरिया, चीन, तिब्बत और फारस जैसे देशों से भी विद्यार्थी आया र थे. ये ऐसे स्थल थे जहां विश्व की बुद्धिमत्ता भारत की आत्मा से आलिंगन करती थी.

उपराष्ट्रपति ने ज्ञान को व्यापक रूप में समझने का आह्वान करते हुए कहा, “ज्ञान केवल ग्रंथों में नहीं होता बल्कि यह समुदायों में, परंपराओं में, और पीढ़ियों से हस्तांतरित अनुभव में भी जीवित रहता है. उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि “एक सच्ची भारतीय ज्ञान प्रणाली को शोध में ग्रंथ और अनुभव-दोनों का समान महत्व देना होगा. संदर्भ और सजीवता से ही सच्चा ज्ञान उत्पन्न होता है.”

व्यावहारिक कदमों की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, “हमें तत्काल कार्रवाई की ओर ध्यान देना होगा. संस्कृत, तमिल, पाली, प्राकृत आदि सभी क्लासिकल भाषाओं के ग्रंथों के डिजिटलीकरण की व्यवस्था तत्काल होनी चाहिए.” “ये सामग्री शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए सार्वभौमिक रूप से सुलभ होनी चाहिए. साथ ही, युवाओं को शोध की ठोस विधियों से लैस करने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम भी जरूरी हैं, जिसमें दर्शन, गणना, और तुलनात्मक अध्ययन का समावेश हो.”

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