शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन की अनुमति लेकर भोपाल आ रहे थे आदिवासी, उन्हें छह किमी दूर भदभदा में रोका
भोपाल के महापौर आलोक शर्मा ने कहा- जैसा कमलनाथ सरकार कर रही, वैसा अंग्रेजों ने भी नहीं किया
भोपाल. मंगलवार को शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए प्रशासन की अनुमति लेकर भोपाल आ रहे आदिवासियों को प्रशासन ने शहर से बाहर भदभदा पर रोक दिया। इस पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नाराज हो गए और आदिवासियों को लेने खुद भदभदा पहुंच गए। उनके ट्रैक्टर में सवार होकर साथ आए और आदिवासियों साथ न्यू मार्केट में धरना प्रदर्शन किया।
दरअसल, आदिवासी वन अधिकारों को लेकर शांति पूर्ण धरना प्रदर्शन करने भोपाल आ रहे थे। इस पर प्रशासन ने रोक दिया। इसकी सूचना पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज को मिली तो वह भड़क गए। उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश में शांति चाहते हो तो उन्हें मत रोको। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने नाराजगी जताते हुए अधिकारियों को चेताया भी। बताया जा रहा है कि ये आदिवासी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की विधानसभा क्षेत्र बुदनी से हैं। शिवराज ने कहा, "आदिवासी भाइयों-बहनों को उनकी मांग रखने और शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करने से जिस तरह कमलनाथ सरकार व स्थानीय प्रशासन ने रोकने का प्रयास किया, वह पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है, संवैधानिक अधिकारों का हनन है। मैं यह होने नहीं दूंगा। मैं उन्हें साथ लेकर धरना स्थल तक जा रहा हूं।"
कांग्रेस सरकार अंग्रेजों से ज्यादा निर्दयी
प्रशासन ने उन्हें रोकने के बाद कहा कि वह पैदल ही भोपाल तक जाएं और शांतिपूर्ण प्रदर्शन करें। प्रशासन ने आदिवासियों को रातीबड़ और भदभदा क्षेत्र में रोका। भोपाल के महापौर आलोक शर्मा ने कहा कि प्रशासन ने आदिवासियों का ट्रैक्टर रोककर उन्हें पैदल भेजकर अन्याय किया। जैसा कमलनाथ सरकार कर रही है, वैसा अंग्रेजों ने भी नहीं किया।
मुख्यमंत्री से मिलकर रखेंगे बात
आदिवासियों के हक को लेकर उन्होंने सरकार से मांग की। इसमें वनाधिकार कानून के तहत पट्टा देने, तेंदू पत्ता के बोनस का पूरा पैसा देना और वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में तब्दील करने समेत कई अन्य मांगें रखी गई है। शिवराज ने आदिवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री से मिलेगा। अगर बात बनी तो ठीक। वरना धरना प्रदर्शन जारी रहेगा।