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कांग्रेस के 24 प्रत्याशी और भाजपा के 14 मंत्रियों के सामने बागी मुसीबत बनें

By November 13, 2018 374
  • जातिवाद, एंटीइंकम्बेंसी की वजह से बागियों को क्षेत्रों में मजबूती मिल रही
  • दिग्विजय सिंह का कहना है कि भाजपा के मुकाबले उनकी पार्टी में बागी कम, कहा- हमें चिंता नहीं

भोपाल .  मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में नाम वापसी की आखिरी तारीख 14 नवंबर को सिर्फ एक दिन बचा है और अभी तक अपनी पार्टियों के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकने वाले कई बागी पटरी पर नहीं लौट पाए हैं। इस कारण भाजपा-कांग्रेस दोनों का ही टेंशन बढ़ गया है। कांग्रेस को सबसे ज्यादा परेशानी मालवा-निमाड़ और ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में हो रही है। राज्य में 28 नवंबर को मतदान होगा और परिणाम 11 दिसंबर को आएंगे।

 

 

यहां करीब दो दर्जन बागी ऐसे हैं, जो पार्टी प्रत्याशियों को सीधी चुनौती दे रहे हैं। हालांकि पार्टी महासचिव दिग्विजय सिंह का कहना है कि भाजपा के मुकाबले उनकी पार्टी में बागी कम हैं और जो हैं उन्हें भी एक-दो दिन में मना लेंगे। वहीं बागियों और दमदार निर्दलीय प्रत्याशियों के कारण भाजपा के 14 मंत्रियों की राह मुश्किल हो रही है। जातिवाद, एंटीइंकम्बेंसी के कारण यहां बागियों को ताकत मिली है। ज्यादातर मंत्री ऐसे हैं, जो कई चुनाव से जीतते आ रहे हैं। इसलिए इनकी सीटों पर पार्टी पीएम मोदी, अमित शाह के दौरे रखने की तैयारियों में जुटी है।

 

      एंटी इंकम्बेंसी के कारण सीट बचाने की जुगत में गली-गली प्रचार

 

      कांग्रेस का सिरदर्द

 खरगोन : भगवानपुरा सीट से विजय सिंह सोलंकी के सामने केदार डाबर बागी बनकर चुनौती दे रहे हैं। डाबर के पिता चिड़ाभाई चार बार विधायक रहे हैं, इसलिए उनकी क्षेत्र में अच्छी खासी पैठ है।

  • बड़वानी : रमेश पटेल के सामने बागी राजेंद्र मंडलोई निर्दलीय खड़े हैं। भाजपा ने प्रेम सिंह पटेल को उतारा है जो रमेश के चाचा हैं।
  • पंधाना : यहां छाया मोरे के सामने बागी रूपाली बारे निर्दलीय लड़ रही हैं। मोरे पंधाना की नहीं हैं, इसलिए यहां उनका विरोध है। वहीं बारे के पिता यहां से दो बार चुनाव लड़े, इसलिए उनका जनसंपर्क अच्छा है।
  • बुरहानपुर : बागी सुरेंद्र सिंह उर्फ शेरा मैदान में हैं। वे रवींद्र महाराज को चुनौती दे रहे हैं। शेरा के दो भाई शिवकुमार और महेंद्र सिंह सांसद रह चुके हैं, इसलिए महाजन के खिलाफ असंतोष है।
  • इंदौर-5 : सत्यनारायण पटेल के सामने पार्टी के मजबूत नेता छोटे यादव निर्दलीय उतरे हैं। वे पटेल को बाहरी कहकर विरोध कर रहे हैं।
  • भोपाल मध्य : कांग्रेस से बागी रईस बबलू सपा से उतरे हैं। उनकी दावेदारी ने आरिफ मसूद का गणित बिगाड़ा है। 
  • जावरा : जिला पंचायत उपाध्यक्ष रहे किसान नेता डीपी धाकड़ निर्दलीय उतरे हैं। पार्टी ने केके सिंह को टिकट दिया है। जो कि महेंद्र सिंह कालूखेड़ा के भाई हैं।
  • उज्जैन दक्षिण : प्रत्याशी राजेंद्र वशिष्ठ के सामने पार्टी के लिए जय सिंह दरबार निर्दलीय मैदान में हैं। 
  • जावद : समंदर पटेल निर्दलीय हैं, वे कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार अहीर को चुनौती दे रहे हैं। पटेल का नाम अंतिम समय में कटा, इसलिए वे विरोध में उतरे। 
  • ग्वालियर ग्रामीण : साहिब सिंह गुर्जर जो जिला पंचायत के सदस्य हैं, गुर्जर बाहुल्य इस सीट से वे कांग्रेस से टिकट न मिलने के कारण बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं। 
  • चंदेरी : भाजपा से पूर्व विधायक रहे राजकुमार सिंह यादव के बसपा से चुनाव लड़ने के कारण कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों का चुनावी गणित बिगड़ गया है। कांग्रस के वर्तमान विधायक गोपाल सिंह चौहान को टिकट मिला है, जो पार्टी में अंतर्विरोध को झेल रहे हैं। 
  • सेवढ़ा : कांग्रेस से बागी हुए दामोदर सिंह यादव केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाह के दल से चुनाव लड़ रहे हैं। 
  • महाराजपुर : राजेश मेहतो कांग्रेस के पुराने नेता हैं। टिकट न मिलने से वे बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने नए चेहरे नीरज दीक्षित को चुनौती दे रहे हैं। 
  • राजनगर : कांग्रेस के बागी नितिन चतुर्वेदी मैदान में हैं। यहां से उनके पिता कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पुत्र की फील्डिंग में लगे हैं जबकि वे दिग्विजय की समन्वय समिति के सदस्य थे।
  • पथरिया :  युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष अनुरागवर्धन हजारी टिकट न मिलने से सपा से चुनाव लड़ रहे हैं। यहां से कांग्रेस गौरव परटले को टिकट दिया है। यहां से भाजपा से बागी हुए पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया मैदान में है।

      भाजपा की मुश्किल

 गौरीशंकर बिसेन : पांच बार विधायक बिसेन के सामने कांग्रेस ने पूर्व सांसद विश्वेश्वर भगत हैं। दोनों पंवार जाति के प्रभावशाली व्यक्ति हैं। पिछले चुनाव में 44 फीसदी वोट लेकर दूसरे नंबर पर रहीं अनुभा मुंजारे फिर मैदान में हैं। इनके पति व पूर्व विधायक कंकर मुंजारे सटी हुई सीट परसवाड़ा से मैदान में हैं। वर्ष 2013 के चुनाव में अनुभा के कारण बिसेन बमुश्किल 2500 वोटों से जीत पाए थे।

  • जयंत मलैया : कुर्मी वर्ग के बड़े नेता व पांच बार के भाजपा सांसद रहे डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया बागी होकर चुनौती दे रहे हैं। 2013 में मलैया 4 हजार 953 वोटों से जीते थे। इस बार कांग्रेस ने दमोह में युवा चेहरा राहुल लोधी दिया है। उनके चचेरे भाई को पड़ोस की सीट बड़ा मलहरा सीट से टिकट मिला।
  • ललिता यादव : छतरपुर से विधायक रहीं, लेकिन इस बार सीट बदल कर बड़ा मलहरा से चुनाव लड़ रही हैं। यहां भाजपा ने लगातार दो बार की विधायक रेखा यादव का टिकट काटा है जो उमा भारती खेमे से थीं। रेखा यादव विरोध भी कर रही हैं। 
  • दीपक जोशी : हाटपिपल्या से कांग्रेस ने खाती समाज को बल देते हुए मनोज चौधरी को टिकट दिया। जोशी इसी वर्ग के कारण सीट बदलना चाहते थे। जो नहीं हुआ।
  • अर्चना चिटनीस : ऐन वक्त पर कांग्रेस ने हामिद काजी का टिकट बदलकर रविंद्र महाजन को उतारा है। महाराष्ट्रीय वैश्य के सामने आने के बाद हिंदू वोट बंटेगा, जिसका फायदा कांग्रेस उठा सकती है। काजी महाजन के पक्ष में खड़े हैं।
  • गोपाल भार्गव : कांग्रेस उम्मीदवार कमलेश साहू आरएसएस के स्वयंसेवक के साथ रेहली में भाजपा सांसद प्रहलाद पटेल के सांसद प्रतिनिधि रहे। अप्रैल में भाजपा छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन की। हार्दिक पटेल के कार्यक्रम में गए। क्षेत्र में पटेल समुदाय के बड़े नेता जीवन पटेल ने समर्थन दिया। इसलिए भार्गव की टेंशन बढ़ी है। 
  • राजेंद्र शुक्ला : समदड़िया ग्रुप को जमीन देने के मामले में पहले से ही सुर्खियों में हैं। अब भाजपा छोड़कर कांग्रेस में गए अभय मिश्रा शुक्ला के सामने उम्मीदवार हैं। सूत्रों की मानें तो जातिगत के हिसाब से पहले ब्राह्मण वोट एकतरफ शुक्ला को मिलता था। इस बार बंट सकता है।
  • रुस्तम सिंह : मुरैना सीट त्रिकोणीय संघर्ष में आ गई है। कांग्रेस ने रघुराज सिंह कंसाना को टिकट दिया और दिमनी से बसपा के विधायक चुने गए बलबीर सिंह दंडोतिया मुरैना से फिर बसपा प्रत्याशी बने हैं। 2013 के चुनाव में रुस्तम सिंह सिर्फ 1704 वोटों से जीत पाए थे। इस बार उनके एक बयान चर्चा में है जिसमें उन्होंने कहा था कि गुर्जर एक हो जाओ नहीं तो ब्राह्मण के हाथ में सीट चली जाएगी।
  • संजय पाठक : कांग्रेस उम्मीदवार पद्मा शुक्ला से 2013 में महज 929 वोटों से जीते पाठक फिर इस बार आमने-सामने हैं। पिछले चुनाव में पद्मा भाजपा से थीं, इस बार कांग्रेस से हैं। पाठक कांग्रेस से भाजपा में चले गए। इस बार क्षेत्र में उनका विरोध भी प्रभाव डाल रहा है।
  • शरद जैन : भाजपा के बागी पूर्व युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष रहे धीरज पटेरिया मैदान में कूद गए हैं। कांग्रेस ने विनय सक्सेना को और सपाक्स ने आशीष जैन को टिकट दिया है। जैन वोट बंटते हैं तो शरद जैन मुश्किल में रहेंगे।
  • सुरेंद्र पटवा : क्षेत्र में विरोध है। कांग्रेस से सुरेश पचौरी सामने हैं। टिकट बांटने के दौरान ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक रोड-शो करना पड़ा।
  • रामपाल सिंह : रघुवंशी समाज नाराज है। वे सीट बदलकर उदयपुरा जाना चाहते थे, लेकिन पार्टी तैयार नहीं हुई। सपाक्स ने माधुरी रघुवंशी को टिकट दिया है।
  • उमाशंकर गुप्ता : कांग्रेस से नाराज संजीव सक्सेना के मानने के बाद अब गुप्ता की क्षेत्र में चुनौती बढ़ी है। कर्मचारी बहुल इस दक्षिण -पश्चिम सीट में एंटी इनकंबेंसी भी है।
  • बालकृष्ण पाटीदार : किसान और पाटीदार समाज का विरोध तेज होने पर मुश्किल होगी।
  • नारायण सिंह कुशवाहा : ग्वालियर दक्षिण से कांग्रेस प्रवीण पाठक के सामने  उतरे हैं। यहां उन्हें पूर्व महापौर और बागी समीक्षा गुप्ता निर्दलीय होकर चुनौती दे रही हैं। 
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