नई दिल्ली । कोरोना महामारी के बीच कंपनियों ने चालू वित्तवर्ष 2020-21 में अपने कर्मचारियों को औसतन 3.6 प्रतिशत की वेतनवृद्धि दी है। पिछले वित्त वर्ष में कर्मचारियों का वेतन औसतन 8.6 प्रतिशत बढ़ा था। एक सर्वे में यह तथ्य सामने आया है। सर्वे के अनुसार चालू वित्त वर्ष में कर्मचारियों की वेतनवृद्धि में दो चीजों ‘समय’ और कोविड-19 के प्रभाव ने सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सर्वे में कहा गया है, ‘‘जिन संगठनों ने मार्च, 2020 में लॉकडाउन शुरू होने से पहले वेतनवृद्धि के बारे में फैसला कर लिया था, उन्होंने अन्य कंपनियों की तुलना में अपने कर्मचारियों को अधिक वेतनवृद्धि दी है। वहीं बड़ी संख्या में कंपनियों का मानना है कि कोविड-19 की वजह से 2020-21 में उनकी आमदनी में 20 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आएगी। ऐसी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को कमोबेश कम वेतनवृद्धि दी है।कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए 25 मार्च को देश में राष्ट्रव्यापी बंद लागू किया गया था। मई के अंत में हालांकि अंकुशों में ढील दी गई। लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से कुछ राज्यों में अंकुश जारी रहे। इससे आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुईं। वर्ष 2020 का दूसरे चरण का श्रमबल और वेतनवृद्धि सर्वे जून, 2020 में शुरू किया गया। इसमें 350 कंपनियों ने भाग लिया। सर्वे के अनुसार, ‘‘10 में से सिर्फ चार कंपनियों ने 2020 में कर्मचारियों को वेतनवृद्धि दी है। 33 प्रतिशत कंपनियों ने कर्मचारियों के वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं करने का फैसला किया है। वहीं अन्य कंपनियों ने अभी इस पर फैसला नहीं किया है। इस हिसाब से 2020 में औसत वेतनवृद्धि 3.6 प्रतिशत बैठती है, जो पिछले साल से आधी से भी कम है। पिछले साल कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को 8.6 प्रतिशत की वेतनवृद्धि दी थी।’’ सर्वे में कहा गया है कि वेतनवृद्धि का यह आंकड़ा दशकों में सबसे कम है।