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नई दिल्ली । रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने अक्टूबर माह में भारत के रत्न और आभूषण निर्यात में 9.18 प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा की है। इस बढ़ोतरी के फलस्वरूप निर्यात राशि 2,998.04 मिलियन अमरीकी डॉलर यानी 25,194.41 करोड़ रुपये हो गई है। जीजेईपीसी ने बताया कि कटे और पॉलिश किए गए हीरे की मांग में सुधार के कारण निर्यात में इस तरह की वृद्धि देखी गई है। सीपीडी (कट और पॉलिश्ड डायमंड) का भी निर्यात अक्टूबर माह में 11.32 प्रतिशत बढ़कर 1,403.59 मिलियन अमरीकी डॉलर (11,795.83 करोड़ रुपये) हो गया है, जो पिछले साल की रिकॉर्ड की तुलना में अधिक है। जीजेईपीसी के एक अ‎धिकारी ने इस वृद्धि को उद्योग के लिए एक स्वागत योग्य माना और उम्मीद जताई कि यह प्रवृत्ति जारी रहेगी। उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने पर भी आशावाद जताई है और उसके वादे के प्रति भरोसा जताया है। उन्होंने कहा कि ट्रंप के नेतृत्व में व्यापार, व्यवसाय और आपूर्ति श्रृंखलाओं में पुनरुद्धार के समर्थन से रत्न और आभूषणों की वैश्विक मांग को बढ़ावा मिलेगा। इस सफलता के साथ भारतीय रत्न और आभूषण उद्योग ने नए भागों में विस्तार के लिए कदम उठाने का निश्चय किया है।

 

नई दिल्ली । आदित्य बिड़ला ग्रुप ने अपनी एक बड़ी घोषणा की है, जिसमें 20 अरब डालर का भारी निवेश किया गया है ताकि वह विभिन्न सेक्टर्स में टॉप 2 कंपनियों में से एक बन सके। यह निवेश विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने के लिए किया गया है। ग्रुप की योजना है कि अगले दशक में अपनी सीमेंट उत्पादन क्षमता को 20 करोड़ टन तक बढ़ाएगा। कंपनी के एक व‎रिष्ठ अ‎धिकारी ने बताया कि उन्होंने पिछले 36 वर्षों में 10 करोड़ टन की क्षमता विकसित की है और अब उसे और बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आदित्य बिड़ला ग्रुप का व्यवसाय स्केल और दीर्घकालिक विकास पर आधारित है और वे हर व्यवसाय में नंबर एक या दो बनने की चाहत रखते हैं। उन्होंने अपने व्यवसाय के लंबे समय की दृष्टि से इस निवेश के महत्व को बताया। कंपनी ने ग्रुप के नोवेलिस के 6 अरब डालर का अधिग्रहण भी जिक्र किया, जिसे एक रणनीतिक निर्णय माना गया है। इस दौरान कई विवाद भी उठे, लेकिन जिस भविष्य में निवेश किया गया था, वह लाभकारी साबित हो गया है। आदित्य बिड़ला ग्रुप का यह निवेश उनकी

 


नई दिल्‍ली । एयरोस्पेस कंपनी बोइंग आगामी वर्ष में 8 अरब डॉलर का घाटा होने के चलते अपने कर्मचारियों में 10 फीसदी की कटौती कर सकती है, कटौती की घोषणा कंपनी ने हाल ही में की है। इसके परिणामस्वरूप करीब 17000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल देने का फैसला किया गया है। यह फैसला मानव संसाधन में सबसे बड़ी छंटनी माना जा रहा है। कंपनी की यह कदम बढ़ती लागत को कम करने और वित्तीय स्थिति में सुधार करने की कोशिश का हिस्सा है। इसके अलावा बोइंग ने 2027 से 767 और 777एक्स विमानों के उत्पादन में रुकावट की घोषणा की है। यह डिसेशन बोइंग के उद्योग में शांतिपूर्ण और सुरक्षित माहौल को बनाए रखने के लिए किया गया है। हालांकि कंपनी के एक व‎रिष्ठ अ‎धिकारी ने इस कदम को केवल अनिवार्य परिस्थितियों में लिया है और वह परियोजनाओं पर काम जारी रखने की कोशिश कर रही है। कर्मचारियों के संगठनों ने इस कदम की मुख्यता और स्थिति पर प्रभाव का खेमंय रखा है। कंपनी उम्मीद कर रही है कि उनके कठिन फैसलों से लागत को कम करने और वर्कफोर्स को संतुलित करने में मदद मिलेगी। यह संकेत देता है कि बोइंग निरंतर अपने उद्योग को सजीव रखने के लिए नये सुराही मानव संसाधन मोडल और कार्य प्रणाली का अध्ययन कर रहा है।


मुंबई । दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) ने अपने सबसे हाल के बयान में घोषणा की कि उन्होंने गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (जीयूवीएनएल) के साथ 559 मेगावाट की बिजली आपूर्ति के लिए एक बिजली खरीद समझौता (पीपीए) किया है। यह समझौता डीवीसी के पंजीकृत उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा कदम है और उन्हें उत्तर भारत के क्षेत्रों में और अधिक आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। इस समझौते के अनुसार डीवीसी की भविष्यावाणी बांग्लादेश के दुर्गापुर तापीय बिजली केंद्र से 359 मेगावाट और झारखंड के कोडरमा तापीय बिजली केद्र चरण दो से 200 मेगावाट बिजली की आपूर्ति करेगा। इस समझौते के हस्ताक्षर समारोह में डीवीसी के चेयरमैन एस सुरेश कुमार, सदस्य (वित्त) अरूप सरकार, और दोनों कंपनियों के प्रमुख अधिकारी शामिल थे। बाजार एक्सपर्ट्स इस खरीद समझौते को जीयूवीएनएन के लिए एक सामर्थ्य वृद्धि के रूप में देख रहे हैं जो उनकी आपूर्ति क्षमता को मजबूत करेगा। इसके साथ ही डीवीसी के देश भर के उपभोक्ताओं को भी इस समझौते के माध्यम से उपयोगकर्ता स्तर पर लाभ पहुंचाने की उम्मीद है। डीवीसी के उपभोक्ता सम्मेलन 2024 के दौरान इस समझौते को औपचारिक रूप दिया गया, जो 15-16 नवंबर को दो दिन का कार्यक्रम था। इसमें डीवीसी के समर्थन प्राप्त करने वाले उपभोक्ताओं के प्रतिनिधियों ने एक साथ धावा बोला। इस समझौते के माध्यम से डीवीसी ने एक प्रभावी तरीके से अपने होल्डिंग्स को मजबूती दी है और अपने उपभोक्ताओं के लिए एक सुविधा उपरांत दृष्टिकोण बनाया है।

 

हर साल 14 नवंबर को चिल्ड्रन डे यानी बाल दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर आपको भी अपने बच्चों के बेहतर भविष्य पर फोकस करना है। बच्चों की जरूरतों को पूरा करने के लिए हम भले ही सेविंग करते हैं पर हमारे सामने सवाल खड़ा रहता है कि अच्छे रिटर्न पाने के लिए कहां निवेश करें।

आज के पैरेंट्स अपने बच्चों के लिए शादी के पहले भी कई लक्ष्‍य को प्राथमिकता दे रहे हैं - जैसे हायर एजुकेशन, चाहे वह इंजीनियरिंग और मेडिकल हो या एमबीए और इंटरनेशनल स्टडीज हो। इन पर आने वाला खर्च भी शादी की लागत जितना ही महंगा हो गया है। अब पैरेंट्स को ऐसे ऑप्शन में समझदारी से निवेश करने की जरूरत है, जिसमें न उन्हें अच्छा रिटर्न मिले जो उनके बच्‍चों की जरूरतें को पूका कर सकें। इसके अलावा उन्हें इस बात पर भी ध्यान देने की आवशयकता है कि निवेश राशि का बढ़ती महंगाई के साथ तालमेल हो और वह बच्चों को आगे बढ़ने में मदद करें।

पहले पेरेंट्स नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट या लंबी अवधि की फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट योजनाओं में निवेश करना पसंद करते थे, पर अब उन्हें महंगाई और रिटर्न को ध्यान में रखते हुए म्यूचुअल फंड में चाइल्ड प्लान में निवेश करना चाहिए।

अपने बच्चों के भविष्य के लिए सेविंग करने वाले पैरेंट्स निवेश के ऐसे विकल्पों की जरूरत होती है, जो महंगाई को मात दे सकें। ऐसे में इक्विटी एक दशक या उससे अधिक की अवधि में हाइएस्‍ट रियल रिटर्न वाला एसेट क्लास साबित हुआ है। रिसर्च से पता चलता है कि इक्विटी में लंबी अवधि के निवेश से इतना रिटर्न मिल सकता है, जितना कोई अन्य एसेट क्लास नहीं देता।

उदाहरण के तौर पर अगर एक अच्छा प्रदर्शन करने वाले इक्विटी फंड में हर महीने में 9,000 रुपये का निवेश लगातार 20 साल के लिए करते हैं तो 20 साल के बाद 1 करोड़ रुपये से अधिक का फंड तैयार हो सकता है।

म्यूचुअल फंड में चाइल्ड प्लान है फायदेमंद
बच्चों के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए म्यूचुअल फंड द्वारा पेश की जाने वाली चिल्ड्रन स्कीम एक बेहतर ऑप्श है। इनमें से अधिकतम म्‍यूचुअल फंड प्लान में 5 साल का लॉक-इन पीरियड होता है। इससे लॉन्ग टर्म निवेश को बढ़ावा मिलता है। लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट करने पर कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है, जिससे निवेशकों का पैसा कई गुना बढ़ सकता है।

केंद्र सरकार ने वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने के लिए पैन को आधार से लिंक कराना अनिवार्य कर दिया है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इसके लिए 31 दिसंबर, 2024 तक की डेडलाइन दी है। अगर 31 दिसंबर तक आप पैन और आधार को लिंक नहीं कराते, तो आपका पैन कार्ड डी-एक्टिवेट कर दिया जाएगा। इससे आपको टैक्स भरने, लेनदेन करने समेत अन्य मुश्किलें भी आएंगी।

पैन-आधार लिंक कराने पर फाइन
सरकार ने 30 जून 2023 तक पैन कार्ड को आधार से लिंक कराने की सुविधा मुफ्त कर रखी थी। लेकिन, अब लेट फीस के तौर पर 1 हजार रुपये का जुर्माना देना पड़ता है। पहले जुर्माने की रकम 500 रुपये थी, जिसे अब बढ़ाकर 1 हजार रुपये कर दिया गया है। इसका मतलब कि पैन से आधार कार्ड लिंक कराने पर अब आपको 1 हजार रुपये फाइन के रूप में देने होंगे।

देश में 2 करोड़ से अधिक टैक्सपेयर्स ने फ्री डेडलाइन खत्म होने के बाद पैन को आधार से लिंक कराया। सरकार ने उनसे पेनल्टी के रूप में 2,125 करोड़ रुपये वसूले हैं। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 234 एच में प्रावधान है कि किसी व्यक्ति को धारा 139एए की उपधारा (2) के तहत आधार की जानकारी देनी होती है। ऐसा न करने पर उसे सरकार को 1,000 रुपए तक का जुर्माना देना पड़ेगा।

वर्ष 2030 तक देश में रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर से पांच लाख मेगावाट बिजली बनाने के लक्ष्य को लेकर अभी सवाल उठ रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार वर्ष 2047 के रोडमैप पर काम करना शुरू कर चुकी है। नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने वर्ष 2047 तक रिन्यूएबल सेक्टर से कुल 18 लाख मेगावाट बिजली क्षमता देश में लगाने का लक्ष्य रखा है। इसे किस तरह से हासिल किया जाएगा, इसको लेकर अगले दो दिनों तक (14-15 नवंबर, 2024) मंत्रालय के अधिकारी विचार करने जा रहे हैं।

एमएनआरई की तरफ से जानकारी दी गई है कि उक्त उद्देश्यों के लिए आयोजित 'चिंतन शिविर' में सरकारी प्रतिनिधियों के अलावा, वित्तीय संस्थान, उद्योग जगत के प्रतिनिधि, रिन्यूएबल सेक्टर की कंपनियों के सीईओ के अलावा राज्य सरकारों के अधिकारी भी हिस्सा लेंगे।

चिंतन शिविर के पहले दिन पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, सोलर मैन्युफैक्चरिंग में भारत को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने, भारत को पवन ऊर्जा मैन्युफैक्चरिंग में हब बनाने, रिन्यूएबल सेक्टर में उत्पादित बिजली के लिए जरूरी ट्रांसमिशन सिस्टम लगाने, समुद्री तट के पास स्थापित रिन्यूएबल ऊर्जा संयंत्रों को ट्रांसमिशन से जोड़ने की व्यापक नीति पर विमर्श होगा।

इसके दूसरे दिन रिन्यूएबल ऊर्जा की खरीद करने को लेकर बिजली वितरण कंपनियों की नीति, राष्ट्रीय बायोइनर्जी प्रोग्राम, देश में छोटे पनबजिली परियोजनाओं को एकीकृत तौर पर बढ़ावा देना, नई तरह की वित्तीय संसाधनों के इंतजाम जैसे विषयों पर मंथन होगा। इन दो दिनों के विमर्श में जो सहमति बनेगी उससे आगे की नीति बनाने में मदद मिलेगी।

भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता अभी 4.60 लाख मेगावाट है जबकि बिजली की अधिकतम मांग 2.50 लाख मेगावाट इस साल रही है। केंद्रीय बिजली आयोग का आकलन है कि वर्ष 2047 तक भारत में बिजली की मांग 7.08 लाख मेगावाट तक रहेगी। इस हिसाब से देश की बिजली उत्पादन क्षमता 21 लाख मेगावाट रहने की बात कही गई है।
अब एमएनआरई सिर्फ सौर, पवन, पनबिजली, बायोगैस जैसे अपारंपरिक स्त्रोतों से ही 18 लाख मेगावाट बिजली क्षमता जोड़ने की योजना पर काम कर रहा है। अभी रिन्यूएबल सेक्टर का प्लांट लोड फैक्टर तकरीबन 31 फीसद है। इसमें आने वाले दिनों में कुछ सुधार होने की संभावना है। इस हिसाब से देखा जाए तो वर्ष 2047 तक भारत अपनी जरूरत का बहुत बड़ा हिस्सा रिन्यूएबल सेक्टर से पूरा कर लेगा।

अभी रिन्यूएबल सेक्टर से भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 2.10 लाख मेगावाट है। ऐसे में वर्ष 2030 तक के लक्ष्य को हासिल करने के लिए 2.90 लाख मेगावाट अतिरिक्त क्षमता और जोड़नी होगी। कई विशेषज्ञों ने कहा है कि मौजूदा रफ्तार से भारत के लिए इस लक्ष्य को हासिल करना आसान नहीं होगा।


नई दिल्ली । भारतीय बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए एंजेल फंड्स के लिए नए नियम बनाने की संभावना जताई है। अब इनवेस्टर्स की चर्चा में है कि सेबी, एंजेल फंड्स में नए निवेशकों को भी शामिल करने की अनुमति दे सकता है। अब तक, इनवेस्टमेंट सिर्फ मान्यता प्राप्त निवेशकों के लिए ही उपलब्ध था, लेकिन ऐसा हो सकता है कि हिंदू उत्तरी परिवार, फैमिली ट्रस्ट और एकल मालिकाना फर्म जैसे नए सेक्टरों को भी एंजेल फंड्स में जगह मिले। एंजेल फंड्स का मुख्य उद्देश्य स्टार्टअप्स में निवेश करना है और सेबी के इस कदम से इसमें नए निवेशकों के लिए अवसरों की वृद्धि हो सकती है। आईये, हम देखते हैं कि ये कानूनी कदम क्या संदेश देते हैं। सेबी द्वारा प्रस्तावित नियमों में छूटें और शर्तें समेटी गई हैं जो एंजेल फंड्स को आकर्षित बना सकती हैं। सेबी ने एंजेल फंड्स के लिए मुख्य प्रस्ताव दिए हैं - मिनिमम इन्वेस्टमेंट, कॉर्पस के मामूलीकरण, लॉक-इन पीरियडों की प्रतिबंध कम करना और विविधता की सीमा को हटाना। इससे एंजेल फंड्स और भी प्रोफेशनल और उपयुक्त बन सकते हैं, जो निवेशकों को भी नया और अच्छा अवसर प्रदान कर सकते हैं। यदि ये नए नियमन स्थापित हो जाते हैं, तो एंजेल फंड्स के लिए एक नया दौर आ सकता है। इन्वेस्टर्स को निवेश के लिए और अधिक रुचि लेने के लिए ऐसे सुधार करने से समाज को एक नया चेहरा देखने को मिलेगा। हमारी समस्याओं का समाधान केवल सरकारी कदमों से होना चाहिए, परन्तु इनेवेस्टर्स के लिए नियमन के इस नए चेहरे ने एक सकारात्मक संकेत दिया है कि हमारी मुसीबतों का समाधान सामाजिक उत्थान में भी समाहित हो सकता है। इसे जोड़कर, सेबी की इस नई सोच ने यह साबित किया है कि भारत समृद्धि की राह में एक कदम और आगे बढ़ रहा है। ये प्रस्ताव हमारे वित्तीय प्रणाली को मजबूत करने में मदद कर सकते हैं और नए निवेशकों को बाजार में शामिल होने का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। इससे न केवल अर्थव्यवस्था को उत्थान मिलेगा, बल्कि नए उद्यमी और निवेशकों को भी समर्थन मिलेगा। सेबी की इस पहल का समाधान हमारे देश के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, जो एक अच्छे समृद्ध भविष्य की ओर हमें अग्रसर कर सकता है। सतीश मोरे/14नवंबर


शेयर बाजार में बीते कुछ समय से जारी गिरावट का सिलसिला सोमवार को भी जारी रहा। हफ्ते के पहले कारोबारी दिन शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 484.98 अंक गिरकर 79,001.34 पर पहुंच गया। निफ्टी 143.6 अंक फिसलकर 24,004.60 के स्तर पर कारोबार करता दिखा।

विदेशी फंडों की निरंतर निकासी, निराशाजनक तिमाही आय और एशियाई बाजारों के कमजोर रुख से निवेशकों की धारणा प्रभावित होने से सोमवार को शुरुआती कारोबार में बेंचमार्क संवेदी सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट आई। विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि इक्विटी बाजार में अस्थिरता जारी रहने की आशंका है। इससे निकट अवधि में गिरावट का माहौल बना रहा सकता है।

शुरुआती कारोबार में बीएसई का सेंसेक्स 484.98 अंक गिरकर 79,001.34 अंक पर आ गया। वहीं एनएसई का निफ्टी 143.6 अंक गिरकर 24,004.60 अंक पर आ गया। सेंसेक्स की 30 शेयरों वाली कंपनी एशियन पेंट्स में 8 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई। कंपनी ने शनिवार को बताया कि सितंबर तिमाही में उसका समेकित शुद्ध लाभ 43.71 प्रतिशत घटकर 693.66 करोड़ रुपये रह गया। कमजोर मांग, सामग्री मूल्य मुद्रास्फीति और घरेलू बाजार में सजावटी तथा कोटिंग कारोबार में गिरावट के कारण यह गिरावट आई।

एक्सिस बैंक, अदाणी पोर्ट्स, नेस्ले, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा स्टील और इंडसइंड बैंक भी पिछड़ने वाले शेयरों में शामिल रहे। हालांकि, टाटा मोटर्स, पावर ग्रिड, मारुति और एचसीएल टेक्नोलॉजीज लाभ में रहीं।

एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को 3,404.04 करोड़ रुपये मूल्य की इक्विटी बेची। मेहता इक्विटीज लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) प्रशांत तापसे ने कहा कि भारतीय बाजार दबाव में हैं, जिसका मुख्य कारण विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली है।

एशियाई बाजारों में सियोल, टोक्यो, शंघाई और हांगकांग में गिरावट दर्ज की गई। शुक्रवार को वॉल स्ट्रीट सकारात्मक क्षेत्र में बंद हुआ। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, "अमेरिकी बाजारों में निरंतर तेजी, जिसने डॉव और एसएंडपी 500 को क्रमशः 40,000 और 6,000 से ऊपर पहुंचा दिया है, अब भारतीय बाजारों के लिए अनुकूल नहीं रह गई है। इसके विपरीत, भारत में वित्त वर्ष 2025 के लिए उम्मीद से भी खराब आय में गिरावट से शेयर कीमतों पर दबाव पड़ रहा है, जिससे निकट भविष्य में मंदड़ियों को फायदा हो रहा है।"

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.42 प्रतिशत गिरकर 73.56 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। शुक्रवार को बीएसई का सेंसेक्स 55.47 अंक या 0.07 प्रतिशत की गिरावट के साथ 79,486.32 अंक पर बंद हुआ था। निफ्टी 51.15 अंक या 0.21 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,148.20 अंक पर बंद हुआ था।

केंद्र और राज्य सरकार द्वारा मिलने वाले पेंशन का लाभ पाने वाले लाभार्थी के लिए नवंबर का महीना काफी अहम रहने वाला है। दरअसल, हर साल नवंबर के महीने सभी पेंशनर्स को लाइफ सर्टिफिकेट जमा करना होता है। पेंशनर्स को यह सर्टिफिकेट 1 नवंबर से 30 नवंबर के बीच सबमिट करना होता है। जिन सीनियर सिटिजन की उम्र 80 साल से ज्यादा होती है वह 1 अक्टूबर से 30 नवंबर के बीच जीवन प्रमाण पत्र जमा कर सकते हैं।

अगर पेंशनर्स समयसीमा के भीतर लाइफ सर्टिफिकेट जमा नहीं करते हैं तो पेंशन रुक सकती है। लाइफ सर्टिफिकेट ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से जमा किया जा सकता है। ऑफलाइन सबमिट करने के लिए आपको पेंशन दफ्तर या फिर बैंक ब्रांच जाना होगा। वहीं, पेंशनर्स जीवन प्रमाण पोर्टल पर जाकर आप यह सर्टिफिकेट ऑनलाइन सबमिट कर सकते हैं। हम आपको नीचे बताएंगे कि आप ऑनलाइन कैसे लाइफ सर्टिफिकेट जमा कर सकते हैं।

कैसे सबमिट करें लाइफ सर्टिफिकेट
पेंशनर को सबसे पहले पेंशनर्स जीवन प्रमाण पोर्टल पर जाकर जीवन प्रमाण ऐप को डाउनलोड करना होगा। इसके बाद नीचे दिए गए स्टेप को फॉलो करके वह आसानी से जीवन प्रमाण पत्र जमा कर सकते हैं।

स्टेप 1: ऐप को ओपन करने के बाद आधार नंबर, पीपीओ नंबर , बैंक खाता, बैंक का नाम. मोबाइल नंबर में से कोई एक डिटेल्स दें। इसके बाद गेट ओटीपी पर क्लिक करें।
स्टेप 2: अब ओटीपी दर्ज करें। इसके बाद नाम और ईमेल आईडी भरें। फिर 'स्कैन फिंगर' पर क्लिक करके फिंगर-प्रिंट स्कैन करें। आप फिंगर-प्रिंट स्कैन की जगह पर आईरिस स्कैनर पर आईरिस स्कैन भी कर सकते हैं।
स्टेप 3: अब स्मार्टफोन में 'Device Registration' मैसेज शो होगा। इस के नीचे लिखे ओके पर क्लिक करें।
स्टेप 4: अब ऑथेंटिकेशन और सर्टिफिकेट जनरेट हो जाएगा। इसके बाद दोबारा अपना आधार नंबर और रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर दर्ज करें।
स्टेप 5: अब मोबाइल नंबर पर आए ओटीपी को दर्ज करें और ओके को सेलेक्ट करें।
स्टेप 6: इसके बाद स्क्रीन पर शो हो रहे सभी जानकारी (जैसे-नाम, पीपीओ नंबर, पेंशन का प्रकार, सैंक्शनिंग अथॉरिटी का नाम, डिसवर्सिंग एजेंसी, ईमेल और बैंक अकाउंट नंबर आदि) भरें। अब Remarried options, Re-Employed Options में से कोई एक ऑप्शन सेलेक्ट करें।
स्टेप 7: अब 'स्कैन फिंगर' के ऑप्शन को क्लिक करके फिंगर स्कैन करें। फिंगरप्रिंट स्कैन होने के बाद लाइफ सर्टिफिकेट जमा हो जाएगा।

लाइफ सर्टिफिकेट सबमिट होने के बाद रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर acknowledgement का मैसेज आएगा। इस मैसेज में जीवन प्रमाण प्रमाणपत्र आईडी डिटेल्स होगी। इस डिटेल्स को संभाल कर रखें ताकि आप आसानी से लाइफ सर्टिफिकेट डाउनलोड कर सकते हैं।

लाइफ सर्टिफिकेट डाउनलोड करने के लिए आपको जीवन प्रमाण वेबसाइट (https://jeevanpramaan.gov.in) पर जाकर जीवन प्रमाण आईडी या आधार नंबर देना होगा। इसके बाद आप आसानी से लाइफ सर्टिफिकेट की पीडीएफ कॉपी डाउनलोड कर सकते हैं।

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