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नई दिल्ली। भारत और चीन (India and China) के बीच सीधी फ्लाइट (Direct flights) एक बार फिर से शुरू होने वाली है। इंडिगो (Indigo.) ने दिल्ली और चीन के ग्वांगझोउ के बीच 10 नवंबर से रोजाना सीधी उड़ानों की शुरुआत की घोषणा की है। इंडिगो के एयरबस A320 विमान से यह यात्रा तय होगी। विदेश मंत्रालय की ओर से भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानों के फिर से शुरू होने की पुष्टि के बाद यह घोषणा की गई। कोरोना महामारी (Corona pandemic) और डोकलाम विवाद (Doklam dispute) के कारण सीधी फ्लाइट को रोक दिया गया था। चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने भी दोनों देशों के बीच उड़ानों के फिर से शुरू होने की पुष्टि की है।

इंडिगो ने कहा कि यह कोविड-19 महामारी के बाद भारत और चीन के बीच उड़ानें फिर से शुरू करने वाली पहली एयरलाइनों में से एक है। इससे पहले, इंडिगो ने 26 अक्टूबर से कोलकाता और ग्वांगझोउ के बीच फ्लाइट की घोषणा की थी। इंडिगो के ग्लोबल सेल्स हेड विनय मल्होत्रा ने कहा, ‘हमें कोलकाता से हाल ही में शुरू हुए मार्ग के अलावा दिल्ली और ग्वांगझोउ के बीच रोजाना सीधी उड़ानों के साथ चीन के लिए कनेक्टिविटी बढ़ाने की खुशी है। दुनिया के 2 सबसे अधिक आबादी वाले देशों के बीच यह बहाली सांस्कृतिक आदान-प्रदान और आर्थिक सहयोग के लिए अपार संभावनाएं लाएगी।’

 

व्यापार: रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा सबको चाहिए। सरकारी कर्मचारियों के लिए नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) पहले से उपलब्ध है। कर्मचारियों को गारंटीड पेंशन देने के लिए सरकार ने हाल ही में एक नई पेंशन योजना यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) शुरू की है।

सरकार का दावा है कि यह पहले शुरू की गई NPS का बेहतर विकल्प है। इसमें पुरानी पेंशन योजना की तरह सुनिश्चित पेंशन का लाभ मिल रहा है। फिर भी कर्मचारी अनमने हैं। 30 सितंबर 2025 UPS को चुनने का आखिरी दिन था। तब तक 24 लाख केंद्रीय कर्मचारियों में से करीब 1 लाख ने ही इसे चुना।

कई बदलावों के बाद भी कर्मचारी UPS को लेकर असमंजस में हैं। सरकार भी कर्मचारियों को विचार करने लिए मौके पर मौके दे रही है। UPS को चुनने की तारीख तीसरी बार बढ़ाई गई है। कर्मचारी अब 30 नवंबर तक इसे चुन सकते हैं।

 

व्यापार: सोने की महंगाई के साथ भारत का गोल्ड लोन बाजार सालाना औसतन 30% की दर से बढ़ रहा है। इक्रा और रिजर्व बैंक के अनुसार, इस साल अगस्त तक बैंकों और एनबीएफसी के सोने के बदले कर्ज 2.94 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गए। सीआरआईएफ की रिपोर्ट बताती है कि जून तक भारत में बैंक व एनबीएफसी के गोल्ड लोन पोर्टफोलियो 13.4 लाख करोड़ पर थे। रिजर्व बैंक ने नई मौद्रिक नीति में गोल्ड लोन से जुड़े नियमों में बदलाव किए हैं। नए नियम एक अप्रैल, 2026 से लागू होंगे।

आरबीआई ने क्यों बदले नियम?
गोल्ड लोन में छोटे ग्राहकों (2.5 लाख तक) की हिस्सेदारी 60% है। औसत ऋण आकार 70,000 रुपये है। ज्वेलरी मुख्य तौर पर गिरवी रखी जाती है।
गोल्ड लोन रोलओवर में तेज वृद्धि, गिरवी रखे सोने को लौटाने में देरी और सोने का अनुचित मूल्यांकन।
बैंक कई शुल्क वसूल रहे थे, जब्त सोने की नीलामी पारदर्शी नहीं थी, उपभोक्ताओं की शिकायतें लगातार बढ़ रही थीं।
सोना, सिक्के या ईटीएफ खरीदने के लिए बैंकों से कर्ज नहीं मिलेगा। स्वर्ण आभूषण या सिक्कों के बदले कर्ज की अनुमति है।
लोन टू वैल्यू के नियम बदले हैं। इसका मतलब गिरवी रखे सोने के मूल्य और उस पर मिलने वाले कर्ज का अनुपात है।
2.5 लाख रुपये तक के कर्ज पर पर एलटीवी (लोन-टू-वैल्यू) 85%, 2.5 से 5 लाख रुपये पर 80% और 5 लाख से अधिक पर 75% होगी।
छोटे ग्राहकों को सोने के बदले अधिक राशि मिलेगी।

 

व्यापार: सोने की चमक ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। 2025 में सोना जिस रफ्तार से बढ़ा है, उससे पहले कभी नहीं बढ़ा। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, इस साल सितंबर तक सोने ने 57 फीसदी तक रिटर्न दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऊंची कीमतों के बाद भी सुरक्षित निवेश के लिए सोने की मांग लगातार मजबूत बनी हुई है, क्योंकि वैश्विक बाजार में आर्थिक जोखिम बढ़ रहे हैं। सोने से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक, अमेरिका में ब्याज दर जितनी घटेगी, सोना उतना बढ़ेगा। मौजूदा हालात सोने में और तेजी का इशारा कर रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में 8 अक्तूबर को सोना पहली बार 4,059 डॉलर प्रति औंस (कॉमेक्स) पर बिका। भारत में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर 9 अक्टूबर को सोना रिकॉर्ड 1,23,000 रुपए प्रति 10 ग्राम से ऊपर पहुंच गया ।

क्यों बढ़ रहा है सोना

 

 

व्यापार: सेबी कॉरपोरेट घरानों के फैमिली ऑफिस को अपनी निगरानी में लाने की योजना बना रहा है। सेबी ने हाल में इस पर चर्चा किया है। पारिवारिक कार्यालयों से पहली बार अपनी संस्थाओं, संपत्तियों और निवेश रिटर्न का खुलासा करने के लिए कहा गया है। हालांकि, अब तक यह क्षेत्र विनियमन से बाहर है। सेबी ने हालांकि ऐसे किसी प्रस्ताव पर विचार करने से इन्कार किया है।

क्या है फैमिली ऑफिसेज, सेबी ने सफाई में क्या लिखा?
प्रस्ताव पर विचार से इनकार करते हुए सेबी ने शनिवार देर रात जारी एक स्पष्टीकरण में कहा, वह फिलहाल फैमिली ऑफिसेज़ के लिए कोई नियामक ढांचा लागू करने पर विचार नहीं कर रहा है। सेबी के बयान में कहा गया कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि सेबी इन निजी निवेश संस्थाओं को अपने अधिकार क्षेत्र में लाने की योजना बना रहा है। खबरों को तथ्यात्मक रूप से गलत बताते हुए सेबी ने कहा, ऐसा कोई प्रस्ताव वर्तमान में विचाराधीन नहीं है। बता दें कि फैमिली ऑफिसेज़ आमतौर पर उच्च-निवल मूल्य वाले व्यक्तियों और उनके परिवारों की संपत्ति और निवेश का प्रबंधन करते हैं।

इस साल की शुरुआत में कुछ पारिवारिक कार्यालयों के साथ बैठकों के बाद फैसला
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) बड़े पारिवारिक समूहों के सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली प्रतिभूतियों में निवेश और जोखिम की जानकारी पता कर रहा है। नियामक ने इस साल की शुरुआत में कुछ पारिवारिक कार्यालयों के साथ बैठकें कीं। नए नियमों का अंतिम स्वरूप और समय अभी स्पष्ट नहीं है। देश के अति-धनी परिवार महत्वपूर्ण निवेशों के साथ प्रमुख खिलाड़ी बन गए हैं। ये बाजारों में उथल-पुथल मचा सकते हैं।

आईपीओ में प्रमुख निवेशक हैं कई दिग्गज फैमिली ऑफिस धारक
कई फैमिली ऑफिस वैकल्पिक निवेश कोष या गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों जैसी विनियमित संस्थाओं के जरिये निवेश करते हैं। कई फैमिली ऑफिस आईपीओ में प्रमुख निवेशक हैं। इसमें विप्रो के अरबपति अजीम प्रेमजी की प्रेमजी इन्वेस्ट, बजाज की बजाज होल्डिंग्स एंड इन्वेस्टमेंट और टेक अरबपति शिव नाडर और नारायण मूर्ति की निजी निवेश फर्में हैं। फैमिली ऑफिस एक निजी स्वामित्व वाली कंपनी होती है। यह अमीर परिवार के लिए निवेश प्रबंधन और धन प्रबंधन का काम संभालती है।

 

 

व्यापार: बोस्टन की एक संघीय अपील अदालत ने शुक्रवार को अपने एक फैसले में कहा कि ट्रम्प प्रशासन देश में अवैध रूप से या अस्थायी रूप से पैदा हुए लोगों के बच्चों की नागरिकता नहीं रोक सकता है। इससे राष्ट्रपति के जन्मसिद्ध अधिकार आदेश के लिए कानूनी अड़चनें बढ़ गई हैं।

प्रथम अमेरिकी सर्किट अपील न्यायालय का तीन न्यायाधीशों का पैनल जून के बाद से राष्ट्रपति के जन्मसिद्ध अधिकार आदेश को अवरुद्ध करने वाले आदेश जारी करने या उसे बरकरार रखने वाला पांचवां संघीय न्यायालय बन गया। अदालत ने अपने निष्कर्ष में कहा कि वादी अपने इस दावे में सफल होने की संभावना रखते हैं कि आदेश में वर्णित बच्चे 14वें संशोधन के नागरिकता खंड के तहत जन्मसिद्ध नागरिकता के हकदार हैं।

पैनल ने निचली अदालतों के प्रारंभिक निषेधाज्ञा को बरकरार रखा। इसके तहत जन्मसिद्ध अधिकार आदेश को तब तक रोक दिया था जब तक कि इसे चुनौती देने वाले मुकदमे आगे नहीं बढ़ गए। जनवरी में राष्ट्रपति के पदभार ग्रहण करने

 

व्यापार: निवेश करने के तमाम विकल्पों और सलाह देने वाले प्लेटफॉर्मों की भरमार के बावजूद 93 फीसदी निवेशक फिनफ्लूएंसर्स यानी वित्तीय राय देने वाले इन्फ्लूएसंर्स को विश्वसनीय मानते हैं। सात फीसदी ऐसे हैं जो बिल्कुल विश्वसनीय नहीं मानते हैं। सेबी के सर्वे में पता चलता है कि डिजिटल सहकर्मी समूह प्रतिभूति बाजार में उत्पादों की जानकारी वाले शीर्ष साधन बने हुए हैं।

सर्वे में कहा गया है कि 62 फीसदी निवेशक कुछ या अधिकांश निवेश का निर्णय फिनप्लूएंसर्स की सिफारिशों के आधार पर लेते हैं। फिनफ्लूएंसर्स को फॉलो करने के लिए सबसे ज्यादा 91 फीसदी निवेशक यूट्यूब का उपयोग करते हैं। 64 फीसदी इंस्टाग्राम का 61 फीसदी फेसबुक पर जाते हैं। 11 फीसदी ट्विटर व केवल चार फीसदी लिंक्डइन पर जाते हैं।

प्रतिभूतियों के लिए जानकारी जुटाने के निवेशकों के सामान्य साधन में

 

व्यापार: इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने सौमित्र पी. श्रीवास्तव को निदेशक (विपणन) के रूप में नियुक्त किया है। कंपनी में 30 वर्षों से अधिक के अनुभव के साथ, श्रीवास्तव इस नई भूमिका में विपणन रणनीतियों को नई दिशा देंगे। श्रीवास्तव आईआईटी रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग और एसपी जैन इंस्टीट्यूट से एक्जीक्यूटिव एमबीए की डिग्री प्राप्त की है। उन्होंने सेल्स, रिटेल, एलपीजी व्यवसाय और कॉर्पोरेट रणनीति जैसे क्षेत्रों में अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया है। इसके अलावा उन्होंने उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गोवा में विभिन्न नेतृत्वकारी भूमिकाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। उनकी प्रमुख उपलब्धियों में गैर-ईंधन खुदरा स्टोर, डिजिटलीकरण और ध्रुव-खुदरा परिवर्तन परियोजनाएं शामिल हैं। हाल ही में कार्यकारी निदेशक (कॉर्पोरेट रणनीति) के रूप में, उन्होंने परिचालन दक्षता और ग्राहक संतुष्टि पर ध्यान केंद्रित किया।

अदाणी समूह की एसीसी पर 23 करोड़ रुपये का जुर्माना
आयकर विभाग ने अदाणी समूह की सीमेंट कंपनी एसीसी लि. पर दो मामलों में 23.07 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया है। आकलन वर्ष 2015-16 के लिए आय का गलत विवरण प्रस्तुत करने पर 14.22 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। 2018-19 के लिए आय कम दिखाने के मामले में 8.85 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। 2014-15 के लिए विभाग ने 49.25 करोड़ के खर्चों को अस्वीकृत कर दिया था। इससे आय का गलत विवरण दिखाया गया। एसीसी ने बताया, वह इसके खिलाफ संबंधित प्राधिकरण में अपील करेगी। सितंबर, 2022 में अदाणी समूह ने 6.4 अरब डॉलर में होल्सिम समूह से अंबुजा व उसकी सहायक एसीसी को खरीदा था।

पारिवारिक कार्यालयों के लिए नियामक ढांचा नहीं बनेगा, सेबी का इनकार
भारतीय बाजार नियामक- सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने स्पष्ट किया है कि वह फिलहाल फैमिली ऑफिसेज़ के लिए कोई नियामक ढांचा लागू करने पर विचार नहीं कर रहा है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि सेबी इन निजी निवेश संस्थाओं को अपने अधिकार क्षेत्र में लाने की योजना बना रहा है। सेबी ने इन रिपोर्टों को तथ्यात्मक रूप से गलत बताया और कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव वर्तमान में विचाराधीन नहीं है। फैमिली ऑफिसेज़ आमतौर पर उच्च-निवल मूल्य वाले व्यक्तियों और उनके परिवारों की संपत्ति और निवेश का प्रबंधन करते हैं।

 

व्यापार: इस बार का त्योहारी सीजन खरीदारी के लिहाज से खास है, क्योंकि जीएसटी दरों में कटौती से उत्पादों के दाम घट गए हैं। इसके अलावा, खुदरा विक्रेता, कंपनियां और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म रेफ्रिजरेटर, टीवी, कार और एसी तक हर चीज पर ऑफर दे रहे हैं। ऐसा ही एक ऑफर है नो-कॉस्ट ईएमआई, जो लोकप्रिय है। ऐसा प्रचारित है कि इस पर कोई ब्याज नहीं लगता है। पहली नजर में यह सरल और सुविधाजनक लगता है। फिर भी, ध्यान से देखें तो नो-कॉस्ट ईएमआई में कई लागतें छिपी होती हैं। अगर आप भी त्योहारी सीजन में खरीदारी के लिए यह विकल्प चुनते हैं, तो लागतों पर जरूर ध्यान दें।

ऐसे काम करता है नो-कॉस्ट ईएमआई
नो-कॉस्ट ईएमआई ब्याज मुक्त नहीं होता, बल्कि आमतौर पर विक्रेता या निर्माता कंपनियां उत्पाद की कीमतों में बदलाव कर खुद उसका वहन करती हैं।
उदाहरण के लिए...12 फीसदी ब्याज पर अगर आप 30,000 रुपये का कोई उप

 

व्यापार: इस साल फरवरी से जून तक आरबीआई ने रेपो दर में एक फीसदी की कटौती की। इससे सभी तरह के कर्ज सस्ते हो गए। हालांकि, त्योहार में लोग जमकर खरीदी करते हैं। इस महीने में पांच बैंकों की घटी दर से अच्छा खासा फायदा हो सकता है। अगर खरीदी की योजना बना रहे हैं तो यह सही समय है। आप चाहें तो दिसंबर तक खरीदी कर सकते हैं क्योंकि बैंकों की ब्याज दरें वर्तमान दरों के ही आसपास होंगी। हालांकि, त्योहारी सीजन में प्रोसेसिंग फीस माफ होने का भी कहीं-कहीं फायदा मिल सकता है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने 12 सितंबर से एमसीएलआर 0.10 फीसदी घटाकर 7.95 फीसदी से 7.85 फीसदी किया है। तीन महीने का एमसीएलआर 0.15 फीसदी घटाकर 8.20 फीसदी पर ला दिया है। एक महीने (7.95 फीसदी), छह महीने (8.65 फीसदी) और एक साल (8.80 फीसदी) की एमसीएलआर दरें अपरिवर्तित रहेंगी।

एचडीएफसी व इंडियन ओवरसीज ने की कटौती
एचडीएफसी बैंक का एक दिन और एक महीने का एमसीएलआर 8.55 फीसदी प

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