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मुंबई । सिट्रोएन काफी समय से अपनी नई एसयूवी बसाल्ट को लेकर चर्चा में है। कंपनी अब बहुत जल्द गाड़ी को लांच करने वाली है। हाल ही में सिट्रोएन बसाल्ट का टीजर जारी हुआ है, जिसमें इसके एक्सीटियर और इंटीरियर की झलक देखने को मिल रही है। वीडियो में सिट्रोएन बसाल्ट के एक्सटीरियर में एलईडी डीआरएल और प्रोजेक्टर हेडलैंप्स दिए गए हैं। वहीं इंटीरियर में इंफोटेनमेंट सिस्‍टम, इंस्‍ट्रूमेंट क्‍लस्‍टर और एसी यूनिट की झलक देखने को मिल रही है। गाड़ी में 10.2 इंच का इंफोटेनमेंट सिस्‍टम, डिजिटल इंस्‍ट्रूमेंट क्‍लस्‍टर, सी-शेप एसी वेंट्स, लैदरेट सीट्स, ऑटोमैटिक क्‍लाइमेट कंट्रोल, टॉगल स्विच और रोटरी डायल जैसे फीचर्स मिलने वाले हैं। इस अपकमिंग गाड़ी में भी 1.2 लीटर का तीन सिलेंडर इंजन मिल सकता है। इसके अलावा इसमें टर्बो इंजन का विकल्‍प भी दिया गया है, जिससे इसके मैनुअल वेरिएंट को 110 पीएस की पावर के साथ 190 न्‍यूटन मीटर का टॉर्क मिलेगा। वहीं छह स्‍पीड ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन वाले वेरिएंट से 110 पीएस की पावर और 205 न्‍यूटन मीटर का टॉर्क मिल सकता है।

नई दिल्ली। महंगाई की मार भारत के लोग ही नहीं दुनिया भर के लोग झेल रहे हैं। दुनिया की बड़ी-बड़ी अर्थव्यवस्था की तुलना में भारत में यह कम है। महंगाई की मार झेल रहे देशों में सबसे ऊपर अर्जेंटीना है। अर्जेंटीना में महंगाई दर 272 फीसदी है। हाल ही में वर्ल्ड ऑफ स्टेटिस्टिक्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दुनियाभर के देशों में महंगाई की एक लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट के टॉप-10 देशों में अर्जेंटीना, सीरिया, तुर्की, लेबनान, वेनेजुएला, नाइजीरिया, मिस्र, पाकिस्तान, बांग्लादेश और रूस शामिल हैं।
इस सूची में अर्जेंटीना के बाद सीरिया दूसरे नंबर पर है। सीरिया में महंगाई की दर 140 फीसदी है। तीसरे नंबर पर तुर्की आता है, जहां महंगाई दर 71.6 फीसदी है फिर लेबनान में 51.6 फीसदी, वेनेजुएला में 51.4 फीसदी, नाइजीरिया में 34.19 फीसदी, मिस्र में 27.5 फीसदी, पाकिस्तान में 12.6 फीसदी बांग्लादेश में 9.72 फीसदी और रूस 8.6 फीसदी महंगाई दर है।
इस सूची में भारत 13वें नंबर पर आता है, जहां महंगाई दर 5.08 फीसदी है। इस लिस्ट में टॉप पर मौजूद देश अर्जेंटीना में महंगाई का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि यह भारत के मुकाबले करीब 60 गुना है। भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश इस सूची में टॉप-10 में शामिल है। पाकिस्तान की महंगाई दर भारत से करीब ढाई गुना ज्यादा है। बता दें कि महंगाई बाजार की वह अवस्था होती है जिसमें गुड्स एंड सर्विसेज की कीमतें लगातार बढ़ती जाती हैं। ऐसे में कम चीजों को खरीदने के लिए ज्यादा करेंसी खर्च करनी पड़ती है।

 

नई दिल्ली । इंडियन होटल्स कंपनी ‎लिमिटेड का मुनाफा जून 2024 को समाप्त तिमाही में 10.25 प्रतिशत बढ़कर 260.19 करोड़ रुपये रहा। मुख्य रूप से परिचालन आय बढ़ने के कारण कंपनी का लाभ बढ़ा। कंपनी ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि देश की सबसे बड़ी होटल कंपनी को एक साल पहले इसी तिमाही में 236.01 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। इंडियन होटल्स के पास लक्जरी होटल ताज ब्रांड का स्वामित्व है। समीक्षाधीन अप्रैल-जून तिमाही के दौरान कंपनी की आय बढ़कर 1,596.27 करोड़ रुपये रही। बीते वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 1,515.70 करोड़ रुपये थी। कंपनी का कुल खर्च भी बढ़कर 1,267.78 करोड़ रुपये हो गया। एक साल पहले जून तिमाही में यह 1,221.76 करोड़ रुपये था।

नई दिल्ली । सरकार ने अनाज और तिलहन में नमी के स्तर को मापने के लिए कानूनी माप विज्ञान नियमों में नमी मीटर शामिल करने का प्रस्ताव रखा है। कृषि व्यापार गतिविधियों में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत यह प्रस्ताव किया गया है। एक सरकारी बयान में कहा गया है कि उपभोक्ता मामलों के विभाग ने अनाज और तिलहन में नमी के स्तर को मापने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले नमी मीटर के लिए मसौदा नियमों पर चर्चा करने को लेकर सभी संबंधित पक्षों के साथ एक बैठक बुलाई थी। उपभोक्ता मामलों के विभाग ने बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में विभिन्न विनिर्माताओं, उपयोगकर्ताओं, वैज्ञानिक संस्थानों, प्रयोगशालाओं, राज्य सरकार के कानूनी माप विज्ञान विभागों और स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों ने भाग लिया।

नई दिल्ली। हाल ही में भारत के बड़े बिजनेस मैन और दुनिया के अमीर लोगों में गिने जाने वाले मुकेश अंबानी ने अपने बेटे अनंत अंबानी की शादी की थी इस शादी में करोड़ों रुपया खर्च भी किया गया और देश दुनिया की जानी मानी हस्तियां इस शादी में शामिल हुई थी।मुकेश अंबानी अब बड़े मनोरंजन जगत के खिलाड़ी बन गए हैं। उनका डिजिटल साम्राज्य शेयर बाजार में उतरने की तैयारी में है, जिसकी कीमत 112 अरब डॉलर बताई जा रही है। और इस डिजिटल साम्राज्य के आने का ऐलान करने का इससे बेहतर तरीका क्या हो सकता था कि दुनिया के रईस, चमकदार और ताकतवर लोगों को पांच महीने लंबे शादी के उत्सव में बुलाया जाए।
मुकेश अंबानी के तीन बच्चों में सबसे छोटे अनंत अंबानी ने मार्च में अपनी शादी की धूमधाम शुरुआत कर दी थी। शादी के पहले एक पार्टी हुई, जिसमें मशहूर डांसर रिहाना ने परफॉर्म किया था। इस शादी समारोह का समापन मुंबई में दो दिनों तक चला था। इस शादी के कार्यक्रमों में बॉलीवुड के कलाकारों के साथ कार्दशियन परिवार भी शामिल हुआ। ये जस्टिन बीबर के प्री-वेडिंग फंक्शन के दो हफ्ते बाद हुआ था। इस बीच, शादी की पार्टी एक यूरोपीय क्रूज पर भी गई थी, जिसमें इटली में बैकस्ट्रीट बॉयज़ और कान्स में कैटी पेरी शामिल हुए थे। अंबानी के डिजिटल बिजनेस में अहम निवेशक मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक. के मार्क जुकरबर्ग से लेकर उन्हें 5जी उपकरण देने वाली कंपनी सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी के बॉस जय वाई ली तक, इन समारोहों में शामिल होने वाले लोगों को भारत के कॉर्पोरेट जगत में अंबानी परिवार के रुतबे की याद दिलाई।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस पूरी शादी पर कुल 600 मिलियन डॉलर खर्च हुए हैं। अंबानी परिवार के अपने न्यूज़ मीडिया में इस शादी की झलकियां दिखाई हैं। मेहमान क्या तोहफे लाए, यह तो पता नहीं, लेकिन दूल्हे के करीबी दोस्त 18 कैरेट गुलाबी सोने की ऑडेमर्स पिगेट घड़ियां वापस लौटे।
इस दौरान मुकेश अंबानी की जियो के 48 करोड़ से ज्यादा कस्टमर्स को इस महीने से डाटा के लिए 21 फीसदी ज्यादा भुगतान करना पड़ रहा है। इस पर सोशल मीडिया पर मीम्स तो बन गए, लेकिन असली सवाल ये है कि आखिर इस वक्त इतना पैसे का दिखावा क्यों? खासकर, जब ब्राज़ील दुनिया के सबसे अमीर लोगों से उनकी संपत्ति का सालाना 2फीसदी टैक्स लेने का प्रस्ताव ला चुका है। भारतीय स्टील कारोबारी लक्ष्मी मित्तल ने अपनी बेटी की शादी के लिए 2004 में पेरिस के टीयुलरीज गार्डन और लुई सोलहवें के वर्साय के महल को किराए पर लिया था। ये शादी उस समय हुई थी, जब लक्ज़मबर्ग की कंपनी आर्सेलर एसए को खरीदने की बोली जीती थी। उस शादी में भी 6 दिनों में 60 मिलियन डॉलर खर्च हुए थे। लेकिन वह अलग मामला था।
अंबानी परिवार ने शादी में न सिर्फ दिखावे में नया रिकॉर्ड बनाया बल्कि ज्यादातर खर्चा भारत में ही किया और वह भी ऐसे समय में, जब देश का राजनीतिक माहौल अशांत है और भारत के अरबपति राज की बढ़ती असमानता की हर तरफ आलोचना हो रही है। पीएम नरेंद्र मोदी की सत्ता पर पकड़ पिछले महीने उनकी पार्टी के संसदीय बहुमत खोने के बाद कमजोर हो गई है। चुनाव प्रचार के दौरान नेता राहुल गांधी ने मोदी पर लगातार हमले किए कि वे सिर्फ दो व्यापारियों, अंबानी और गौतम अडाणी के लिए ही काम कर रहे हैं।
कुछ अर्थशास्त्री इसे भारत के कलंकित पूंजीवाद का 2ए वैरिएंट कहते हैं। उनका कहना है कि एक छोटे से समूह को पसंद करना भारत में विदेशी निवेश घटने और प्राइवेट पूंजी खर्च के ठहरने का एक कारण है। कोई भी राष्ट्रीय चैंपियनों के खिलाफ जाना नहीं चाहता। यह देखना दिलचस्प है कि क्या बदली हुई राजनीतिक स्थिति मुकेश अंबानी के उपभोक्ता साम्राज्य को और ज्यादा कंपटीशन का सामना करने के लिए मजबूर करेगी। नरेंद्र मोदी नवविवाहित जोड़े को बधाई देने पहुंचे, जैसा कि प्रमुख विपक्षी नेताओं ने किया लेकिन राहुल गांधी दूर रहे। मुकेश अंबानी अपने प्रतिद्वंदी अडाणी से बढ़त हासिल करने के लिए कुछ जोखिम उठा रहे हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में पिछले आठ महीनों में 43फीसदी की बढ़त को बनाए रखना उनकी प्राथमिकता है।
अडाणी बंदरगाहों, हवाई अड्डों, डेटा सेंटरों और निर्माण सामग्री जैसे बुनियादी ढांचे तक सीमित नहीं हैं। वह चाहते हैं कि इस दशक के अंत तक हर तीन में से एक भारतीय उनके नए सुपर-ऐप पर हो लेकिन वह टेलिकॉम या पेमेंट जैसी बड़े कंज्यूमर उद्योगों में अंबानी से मुकाबला किए बिना उन्हें कैसे आकर्षित कर पाएंगे? यही वह चीज़ है जिसे मुकेश अंबानी को बचाकर रखना है। वॉल्ट डिज़्नी कंपनी की भारत में टीवी फ्रेंचाइजी के साथ अपने मीडिया कारोबार को मिलाने के बाद, उनकी बॉलीवुड और क्रिकेट पर पकड़ मजबूत हो गई है, ये दो चीजें हैं जो दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश में लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचती हैं।

नई दिल्ली। क्वांट म्युचुअल फंड में फ्रंट रनिंग की आशंका के चलते संस्थागत प्रक्रिया व्यवस्था का क्रियान्वयन तेज कर दिया है। इस व्यवस्था का मकसद फ्रंट रनिंग और फर्जी लेनदेन के जरिये होने वाला बाजार का दुरुपयोग रोकना है। व्यवस्था को अप्रैल में सेबी की बैठक में मंजूरी मिली थी। इसे अधिसूचित होने के छह महीने बाद लागू होना था लेकिन सेबी ने जून में बैठक में नया रास्ता बताया, जिसमें बड़ी परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) से कहा कि यह व्यवस्था जल्द लागू करें। सेबी की बैठक की घोषणा के समय इसका जिक्र नहीं हुआ था लेकिन बैठक के एजेंडे का ब्योरा जारी होने पर इसका पता चला।
बाजार नियामक ने एजेंडा पत्र में कहा है कि कुछ बड़ी एएमसी छह महीने की मियाद से पहले ही संस्थागत प्रक्रिया व्यवस्था लागू कर सकती हैं। सेबी एक एएमसी के ट्रेड में फ्रंट रनिंग के आरोपों की जांच कर रहा है और इन आरोपों के कारण ही एएमसी में संस्थागत प्रक्रिया का क्रियान्वयन तेज किया जा सकता है। सेबी की 27 जून को हुई बैठक फ्रंट रनिंग के आरोप में क्वांट म्युचुअल फंड के परिसरों की तलाशी के करीब हफ्ते भर बाद हुई। पिछले हफ्ते ऐसेट मैनेजर ने स्वीकार किया कि सेबी की खोजबीन नियमित कवायद नहीं थी ब​ल्कि अदालत की मंजूरी वाली तलाशी और जब्ती कार्रवाई थी।
जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि इस फंड कंपनी पर फ्रंट रनिंग के आरोप लगने के साथ ही सेबी ने अपने बोर्ड को संस्थागत प्रक्रिया व्यवस्था के क्रियान्वयन की जानकारी देने और बड़ी फंड कंपनियों में इसे जल्द लागू कराने का फैसला लिया। सूत्रों ने कहा कि ज्यादातर बड़े फंड कंपनियां इसके लिए तैयार हैं। नियामक ने म्युचुअल फंड उद्योग पर सतर्कता बढ़ा दी है। पिछले कुछ सालों में देशभर के परिवारों से बड़ी मात्रा में रकम फंड कंपनियों तक पहुंचने लगी है। उद्योग के द्वारा संभाली जा रही परिसंपत्ति (एयूएम) 2021 के शुरुआती दौर से दोगुनी हो चुकी हैं। मार्च 2020 में 2.1 करोड़ म्युचुअल फंड ग्राहक थे, जिनकी संख्या अब दोगुनी से ज्यादा होकर 4.6 करोड़ हो गई है।
प्रस्तावित व्यवस्था की अधिसूचना नियामक ने अभी जारी नहीं की है। इसका मकसद फ्रंट रनिंग जैसे संवेदनशील जानकारी का फ्रंट रनिंग जैसा दुरुपयोग और कदाचार रोकने के लिए एएमसी में एकसमान निगरानी और आंतरिक नियंत्रण स्थापित करना है। इसके तहत नियामक ऐसे मामलों में एएमसी प्रबंधन पर ज्यादा जिम्मेदारी और जवाबदेही भी डालेगा। यह व्यवस्था म्युचुअल फंड के संगठन एम्फी द्वारा कामकाज के लिए तैयार की गई मानक प्रक्रिया पर आधारित होगी। अभी यह नहीं पता कि एम्फी ने सेबी को यह प्रक्रिया भेजी है या नहीं।
अभी सभी फंड कंपनियों के पास निगरानी की अपनी-अपनी व्यवस्था है। सेबी के निर्देश के मुताबिक बाजार में कारोबार के दौरान फंड मैनेजरों और डीलरों की पूरी बातचीत रिकॉर्ड की जाती है। नई व्यवस्था लागू होने के बाद नियामक इसमें ढील दे सकता है। इस महीने की शुरुआत में सेबी ने सुर्कलर जारी कर कहा था कि स्टॉक ब्रोकरों के लिए धोखाधड़ी या बाजार के दुरुपयोग का पता लगाने और उसे रोकने के लिए संस्थागत स्तर पर व्यवस्था तैयार करना जरुरी है।

नई दिल्‍ली । एक ओर रिजर्व बैंक और मोदी सरकार महंगाई को काबू में लाने के लिए हर प्रयास कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर खाने-पीने चीजों की बढ़ती कीमतों ने महंगाई को आसमान पर पहुंचा दिया है। थोक महंगाई दर भी लगातार चौथे महीने बढ़ गई है। जून में थोक मूल्‍य की वृद्धि दर 3.36 फीसदी रही है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने बताया कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति मई में 2.61 फीसदी थी, जो एक महीने बाद जून में बढ़कर 3.36 फीसदी रही। पिछले साल जून में यह शून्य से 4.18 प्रतिशत नीचे रही थी। यानी तब थोक महंगाई बढ़ने के बजाए लगातार घटती जा रही थी।
मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि जून 2024 में मुद्रास्फीति बढ़ने की मुख्य वजह खाद्य पदार्थों, खाद्य उत्पादों के विनिर्माण, कच्चे रसायन तथा प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, अन्य विनिर्माण आदि की कीमतों में वृद्धि रही है। आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति जून में 10.87 प्रतिशत बढ़ी, जबकि मई में यह 9.82 प्रतिशत थी।
सब्जियों की महंगाई दर जून में 38.76 प्रतिशत रही, जो मई में 32.42 प्रतिशत थी। प्याज की महंगाई दर 93.35 प्रतिशत रही, जबकि आलू की महंगाई दर 66.37 प्रतिशत रही। दालों की महंगाई दर जून में 21.64 प्रतिशत रही। ईंधन और बिजली क्षेत्र में मुद्रास्फीति 1.03 प्रतिशत रही, जो मई में 1.35 प्रतिशत से थोड़ी कम है. विनिर्मित उत्पादों में मुद्रास्फीति जून में 1.43 प्रतिशत रही, जो मई में 0.78 प्रतिशत से अधिक थी।
जून में थोक मूल्य सूचकांक में वृद्धि महीने के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों के सामना थी। पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार जून में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर चार महीने के उच्चतम स्तर 5.1 प्रतिशत पर पहुंच गई।

 

 नई दिल्ली । वीरहेल्थ केयर को अगले दो से तीन साल में 100 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल करने की उम्मीद है। कंपनी ने एक बयान में यह बात कही। बयान में कहा गया ‎कि कंपनी ने 50,000 अमेरिकी डॉलर (करीब 41.50 लाख रुपये) मूल्य का निर्यात ठेका पूरा कर दिया है। इसके अलावा 197,793 अमेरिकी डॉलर (करीब 165 लाख रुपये) मूल्य का एक और निर्यात ठेका जुलाई के अंत तक पूरा कर दिया जाएगा। कंपनी के अनुसार कंपनी को शीर्ष अमेरिकी संस्थागत आपूर्तिकर्ता से 106,673 अमेरिकी डॉलर (करीब 89 लाख रुपये) का अतिरिक्त निर्यात ठेका भी मिला है। समझौते की शर्तों के तहत ठेका तीन महीने के भीतर पूरा किया जाएगा। इसके अलावा उसने कहा कि उसे उसी शीर्ष अमेरिकी संस्थागत आपूर्तिकर्ता से मासिक रूप से दोबारा ठेका मिलने की उम्मीद है। कंपनी साथ ही गुजरात के वापी में अपने मौजूदा संयंत्र का नवीनीकरण कर रही है, ताकि एक बड़ा संयंत्र स्थापित किया जा सके जो अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएस एफडीए) तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुरूप होगा।वीरहेल्थ केयर को 100 करोड़ का राजस्व प्राप्त करने की उम्मीद

नई दिल्ली । वेलस्पन वन ने अपने दूसरे वित्त पोषण चक्र में निवेशकों से 2,275 करोड़ रुपये जुटाए है। एकीकृत फंड एवं विकास प्रबंधन मंच वेलस्पन वन ने सोमवार को सह-निवेश प्रतिबद्धताओं सहित 2,275 करोड़ रुपये के अपने दूसरे वित्त पोषण चक्र के सफलतापूर्वक पूरा होने की घोषणा की। इस रा‎शि का उपयोग गोदाम के निर्माण के लिए किया जाएगा। यह रा‎शि करीब 800 सीमित साझेदारों (एलपी) या निवेशकों के विविध समूह से हासिल की गई। कंपनी के अनुसार इससे वेलस्पन वन के मौजूदा एक करोड़ वर्ग फुट खंड में 80 लाख वर्ग फुट का इजाफा होगा, जिससे उनका कुल खंड लगभग 1.8 करोड़ वर्ग फुट हो जाएगा। कुल परियोजना व्यय करीब एक अरब अमेरिकी डॉलर होगा। वेलस्पन वर्ल्ड के एक व‎रिष्ठ अ‎धिकारी ने कहा ‎कि महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढांचे को आगे बढ़ाने की हमारी प्रतिबद्धता भारत के लॉजिस्टिक्स लागत को 14 प्रतिशत से घटाकर आठ प्रतिशत करने के रणनीतिक उद्देश्य के साथ पूरी तरह से संरेखित है, जिससे हमारे उद्योगों की वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।

नई ‎दिल्ली । कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की तरफ से फरवरी 2024 में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए प्रॉव‍िडेंट फंड पर लगने वाली ब्याज दर को बढ़ाने की घोषणा की गई थी। ईपीएफओ ने पिछले साल की 8.15 फीसदी की ब्‍याज दर को 2023-24 के लिए बढ़ाकर 8.25 फीसदी कर द‍िया है, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से ‎वित्त वर्ष 2023-24 का ब्याज नहीं द‍िया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार की तरफ से ईपीएफ पर म‍िलने वाला ब्‍याज बजट 23 जुलाई के बाद ट्रांसफर क‍िया जा सकता है। बता दें कि कुछ दिनों पहले ईपीएफ के सदस्यों द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ब्‍याज लेकर सवाल पूछा गया था, जिसपर ईपीएफओ ने कहा था कि ब्याज जमा करने की प्रक्रिया जारी है। बहुत जल्द खाताधारकों के अकाउंट में ब्याज जमा किया जाएगा। ‎वित्त वर्ष पीआईबी के मुताबिक ईपीएफ बोर्ड ने सदस्यों के खातों में प‍िछले साल 1.07 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड राशि बांटने की सिफारिश की थी।

 

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