व्यापार : भारतीय अर्थव्यवस्था के उच्च-आवृत्ति संकेतकों में मंदी के संकेत दिखाई दे रहे हैं। नुवामा की रिपोर्ट में दावा किया गया है। इसमें कहा गया कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती और अन्य तरलता उपायों के बावजूद प्रमुख क्षेत्रों में विकास की गति में कमजोरी के संकेत दिख रहे हैं।
अर्थव्यवस्था में तेजी से बदलने वाले आंकड़ों को उच्च आवृत्ति संकेतक कहते हैं। ये आंकड़े हैं औद्योगिक उत्पादन, बेरोजगारी दर, मुद्रास्फीति दर, व्यापार संतुलन, आर्थिक विकास दर। रिपोर्ट के अनुसार अधिकांश आर्थिक संकेतक डेटा जो एक साल पहले दोहरे अंकों में थे, अब एकल अंकों में आ गए हैं। यह कोविड महामारी से पहले के स्तर के समान है।
बैंक ऋण वृद्धि और जीसटी संग्रह में आई गिरावट
भारत की बैंक ऋण वृद्धि जून 2025 तक घटकर 9 प्रतिशत रह गई है। यह एक साल पहले 16 प्रतिशत थी। इस गिरावट का मुख्य कारण आर्थिक गतिविधियों में मंदी और उधारी की मांग में कमी है। इसी प्रकार जीएसटी संग्रह जून 2025 में घटकर मात्र 6.2 प्रतिशत रह गया है। यह पिछले साल 11 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा था। यह गिरावट उपभोग और व्यावसायिक गतिविधि में मंदी का संकेत देती है।